वॉलीबॉल पर निबंध – Short Essay On Volleyball In Hindi

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वॉलीबॉल पर निबंध – Short Essay On Volleyball In Hindi

वॉलीबॉल पर निबंध - Short Essay On Volleyball In Hindi

300 शब्द निबंध

अच्छे शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य में खेलों का अहम योगदान हैं. वॉलीबॉल भी एक ऐसा ही खेल हैं जो हमें शारीरिक रूप से तन्दुरस्त रखता हैं. इस कारण यह मेरा प्रिय खेल भी हैं. 18 मीटर लंबा और 9 मीटर चौड़े खेल मैदान में वॉलीबॉल खेल को खेला जाता हैं.

दो टीम के मध्य खेले जाने वाले इस खेल में प्रत्येक टीम के 6 खिलाड़ी एक समय मैदान में होते हैं दो भागों में विभाजित इस खेल मैदान के दोनों तरफ दो पोल होते हैं. जिनमें 9.5 मीटर लंबा और 9 मीटर चौड़ा 10 सेंटीमीटर वर्गाकार छोटे छोटे जालों वाला नेट 2 मीटर 43 सेंमी की उंचाई पर विशेष नेट को लगाया जाता हैं.

वॉलीबॉल खेल में उपयोगी ली जाने वाली बॉल विशेष तरीके से बनाई जाती हैं. रबर के 12 टुकड़ों से बनी मुलायम बाल के अंदर रबर को भरा जाता हैं.

इस बॉल की साइज़ लगभग 65 सेंटीमीटर से 68.5 सेंटीमीटर व्यास की होती हैं तथा इसका वजन 250 से 300 ग्राम के मध्य रखा जाना चाहिए. वॉलीबाल का एक मैंच तीन पारियों में समाप्त होता हैं.

प्रत्येक पारी के पश्चात दोनों टीम अपने कोर्ट को बदलती हैं. जबकि फाइनल मुकाबले में पांच पालिया रखी जाती हैं. मैच के निर्णय के लिए दोनों टीम को दो- दो पारी जीतने के बाद अंतिम पारी में 6 अंक तक खेल पहुचने पर कोर्ट बदल लिया जाता हैं वॉलीबाल के खेल में एक टीम खिलाड़ी को हाथ से बॉल को मारकर दुसरे कोर्ट में सतह को स्पर्श कराना होता हैं.

इस तरह प्रत्येक बार बॉल के जमीने छूने पर विपक्षी खेमे को एक अंक आवंटित किया जाता हैं.  अंतिम पारी में  न्यूनतम  15 अंक अर्जित करने वाली टीम विजयी होती हैं. वॉलीबाल का खेल भरपूर स्फूर्ति, चालाकी, नियंत्रण एवं जोर आजमाइश का खेल भी हैं.

वॉलीबाल में फ़ाउल होने की सम्भावनाएं अधिक रहती हैं. दो लोगों द्वारा एक साथ गेंद को मारना या बॉल द्वारा अपनी पक्ष के खिलाड़ी के कमर से नीचे बॉल टच होना या बिच की जाली को छू जाना भी फ़ाउल के कारण बनते हैं. वॉलीबाल अच्छा व स्वास्थ्यप्रद खेल हैं हमें इसे नित्य खेलना चाहिए.

700 शब्दों में वॉलीबॉल खेल पर निबंध

जब हमारा बचपना होता है, तब हम बच्चों वाले खेल खेलते हैं और जब हम बड़े हो जाते हैं तब हम बड़े लोग वाले खेल खेलते हैं। हमारे खेल खेलने की शुरुआत 3 से 4 साल की उम्र का होते होते ही चालू हो जाती है। इसके बाद हम स्कूल और कॉलेज में विभिन्न प्रकार के खेल खेलते हैं।

वॉलीबॉल भी एक ऐसा खेल है जो कई लोगों को खेलना पसंद होता है। इसके बारे में कहा जाता है कि यह 19वीं शताब्दी का अमेरिकन खेल है परंतु यह भी बात सही है कि खेल चाहे कहीं का भी हो उस पर किसी का विशेषाधिकार नहीं होता है। वॉलीबॉल खेलने से हमारी बॉडी को मानसिक और शारीरिक तंदुरुस्ती प्राप्त होती है।

वॉलीबॉल के खेल में एक टीम में 6 खिलाड़ी होते हैं और सामने वाली टीम में भी 6 खिलाड़ी होते हैं और पहले कौन सी टीम वॉलीबॉल खेलना चालू करेगी, इसका फैसला सिक्का उछाल कर के लिया जाता है जिसे टोस उछालना भी कहते हैं।

वॉलीबॉल का खेल खेलने वाली दोनों ही टीमों के खिलाड़ियों का एक ही लक्ष्य होता है कि वह एक दूसरे के नेट में अधिक से अधिक बॉल डालने का प्रयास करें।

वॉलीबॉल के खेल में सही डिसीजन लेने के लिए अंपायर को भी नियुक्त किया जाता है जो बिना किसी भेदभाव के सही डिसीजन लेता है, उसे किसी भी टीम के हित से कोई भी मतलब नहीं होता है, वह सिर्फ खेल के नियमों को ध्यान में रखता है।

इस खेल में जिस टीम के नेट में सबसे ज्यादा वॉलीबॉल पड़ती है उस टीम के अंक कम होते हैं और जो टीम सामने वाली टीम के नेट में ज्यादा वॉलीबॉल डालती है, उसके पॉइंट ज्यादा होते हैं।

इस प्रकार निश्चित समय में जब खेल का समापन होता है, तो जिसके पॉइंट ज्यादा होते हैं उसे ही वॉलीबॉल के खेल का विजेता घोषित कर दिया जाता है।

इस खेल में इनाम भी होता है जो कभी मेडल के तौर पर होता है तो कभी कैश प्राइज के तौर पर होता है। ओलंपिक जैसी बड़ी गेम्स में भी वॉलीबॉल को शामिल किया जाता है।

जिस मैदान में वॉलीबॉल का खेल खेला जाता है उस मैदान की लंबाई 18 मीटर होती है और मैदान की चौड़ाई 9 मीटर रखी जाती है साथ ही मैदान को दो बराबर भागों में डिवाइड किया जाता है और फिर 5 सेंटीमीटर की चौड़ाई से रेखा भी मैदान के अंदर बना दी जाती है, जिसे सीमा रेखा कहा जाता है।

वॉलीबॉल के मैदान की समय-समय पर सफाई भी की जाती रहती है ताकि वहां पर कंकड़ पत्थर इकट्ठे ना हो ताकि खिलाड़ियों को मैच के दरमियान चोट ना लगे।

वॉलीबॉल के खेल का जो मैदान होता है उसे ही सर्विस एरिया कहा जाता है जिसे बिल्कुल नापतोल के हिसाब से बनाया जाता है।

दुनिया में बहुत से लोग नॉर्मल तौर पर वॉलीबॉल का खेल खेलते हैं परंतु इसके लिए कई प्रतियोगिताओं का आयोजन भी होता है, जिसमें इनाम भी रखे जाते हैं।

देखा जाए तो मुख्य तौर पर वॉलीबॉल के लिए फेडरेशन कप, एशिया कप, विश्वकप, शिवाजी गोल्ड कप, ग्रैंड चैंपियन कप, इंडिया स्वर्ण कप, पूर्णिमा ट्रॉफी जैसी प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है जिसमें अलग-अलग टीम भाग लेती है और हर टीम को मैच जीतने पर कुछ ना कुछ इनाम दिया जाता है।

वॉलीबॉल खेल का सिर्फ एक ही नाम नहीं है बल्कि इसके कई अन्य नाम भी है। इसके अन्य नाम वोली, डीगपास, ओवर लपिंग, बूस्टर, हुक सर्व है। हमारे भारत देश में भी वॉलीबॉल की टीम है जिसने एशियन स्पोर्ट्स में तीन मेडल हासिल किए हैं और अपने देश का नाम रोशन किया है।

वॉलीबॉल के खेल को इंडिया के कई राज्यों में खेला जाता है। हालांकि एक समय ऐसा भी था जब वॉलीबॉल के खेल में इंडिया के काफी कम लोगों को ही इंटरेस्ट था परंतु अब धीरे-धीरे लोगों का इस खेल में इंटरेस्ट बढ़ने लगा है। 

भारत की वॉलीबॉल टीम ने अभी तक ओलंपिक प्रतियोगिता में कोई भी मैच जीतने में कामयाबी हासिल नहीं की है परंतु हमें उम्मीद है कि भारतीय खिलाड़ी जल्द ही वॉलीबॉल के खेल में भी ओलंपिक में पदक हासिल करने में कामयाबी अर्जित करेंगे।

वॉलीबॉल खेल का आविष्कार विलियम जी मोरगन नाम के व्यक्ति ने साल 1895 में किया था। यह मैसाचुसेट्स यंगमेंस क्रिश्चियन एसोसिएशन के निदेशक थे।

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