सिद्धराज ढड्ढा का जीवन परिचय | Siddharaj Dhadda In Hindi श्री सिद्धराज ढड्ढा जी का जन्म 12 फरवरी 1909 को जयपुर में हुआ था,
उनके जीवन यात्रा कई अर्थों में उल्लेखनीय घटनाओं से परिपूर्ण है जीवन के उतार चढाव वैचारिक आधार, व्यक्तिगत आचरण एवं समाज की समस्याओं के प्रति उनका चिन्तन तथा उसके अनुरूप दैनिक जीवन का व्यवहार सामान्य से भिन्न है तथा जो कि दूसरों को सोचने और व्यवहार में उतारने के लिए आधार बन सकता हैं.
सिद्धराज ढड्ढा का जीवन परिचय | Siddharaj Dhadda In Hindi
इनका बचपन लोक आकर्षण का केंद्र रहा हैं. तीन चार वर्ष की उम्र में उन्होंने अपने पूर्व जन्म की स्मृति की अभिव्यक्त कर सबको चकित कर दिया. सिद्धाचल के आदिश्वर भगवान की मूर्ति एवं मन्दिर का वर्णन कर तथा पुरानी बातों को बताकर सभी को अचम्भित कर दिया.
इन बातों की पुष्टि होने पर यह बालक के लिए दर्शनीय बन गया, यह क्रम कुछ वर्षों तक चला. इनकी प्रारम्भिक शिक्षा जयपुर के महाराजा स्कूल तथा महाराजा कॉलेज में हुई. बीए की पढाई लखनऊ के कैनिंग कॉलेज तथा एम् ए तथा एल एल बी की पढाई इलाहबाद विश्वविद्यालय में हुई.
वर्ष 1931 में एम ए तथा वकालत की शिक्षा पूरी कर ली. शिक्षण काल में ही इलाहबाद के आनन्द भवन की गतिविधियों से जुड़े और श्रीमती कमला नेहरु के सम्पर्क में रह कर कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की व युवक कांग्रेस के मंत्री सहमंत्री रहकर संगठन का बीड़ा उठाया.
जीवनी
गांधीवाद एवं सर्वोदयी नेता सिद्धराज ढड्ढा का जन्म 12 फरवरी 1909 को जयपुर में हुआ. महाराजा हाईस्कूल तथा महाराजा कॉलेज से शिक्षा पूरी कर सिद्धराज ढड्ढा ने इलाहबाद विश्वविद्यालय से एम ए और एल एल बी की उपाधि प्राप्त की.
1934 से 1942 ई तक वे कलकत्ता में इंडियन चैम्बर ऑफ कोमर्स के सचिव रहे और इसी दौरान वे हरिजन उत्थान समिति के मंत्री और बंगाल हरिजन बोर्ड के सदस्य रहे.
सिद्धराज ढड्ढा ने 1942 ई में इंडियन चैम्बर ऑफ कोमर्स से पद त्यागकर भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया. और 1943 ई में जेल भेजे गये.
ढड्ढा अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद की राजस्थान शाखा के कई वर्षों तक मंत्री रहे. इन्होंने ग्रामराज पत्रिका का सम्पादन और सत्याग्रह मीमांसा नामक पत्रिका का प्रकाशन भी किया. संयुक्त राजस्थान के निर्माण के बाद सिद्धराज ढड्ढा हीरालाल शास्त्री मंत्रिमंडल में उद्योग मंत्री रहे.
लेकिन राजनीतिक उठापठक से दुखी होकर ये सदैव से राजनीति से अलग हो गये. सिद्धराज ढड्ढा विनोबा भावे के भूदान आंदोलन से जुड़े रहे और राजस्थान में 1951 ई में सर्वोदय आंदोलन को गति दी. 1966-68 ई के दौरान इन्होने जयप्रकाश नारायण के साथ बिहार में अकाल पीड़ितों की सेवा की.
आपातकाल के दौरान इन्हें जेल जाना पड़ा. 2005 ई में कालाडेरा जयपुर में कोकाकोला कम्पनी के जल दोहन के विरुद्ध धरने का नेतृत्व किया. 2006 ई में इनकी मृत्यु हो गई.
सिद्धराज ढड्ढा को 2001-2002 ई में जमनालाल बजाज पुरस्कार से सम्मानित किया गया. 2003-04 ई में सरकारी नीतियां गरीब हित में नहीं होने से उन्होंने पद्मभूषण अस्वीकार कर दिया.
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