गणेश चतुर्थी की कहानी- Story of Ganesh Chaturthi in Hindi
12 सितम्बर को गणेश चतुर्थी 2018 का पर्व हैं. भक्तों के लिए यह बेहद ख़ास दिन हैं. भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता हैं. यह एक हिन्दू उत्सव है जिन्हें ११ दिन तक मनाया जाता हैं. लगभग सम्पूर्ण भारत में इसका आयोजन किया जाता हैं. गणेश जी के बारे में प्रचलित कहानियाँ तथा गणेश अथवा विनायक चतुर्थी व्रत कथा आपकों यहाँ पर बता रहे हैं. शिव-पार्वती के पुत्र गणेश जी को सभी देवताओं से पूर्व पूजन होता हैं. प्रत्येक शुभ कार्य की शुरुआत जय श्री गणेशाय नमः के साथ की जाती हैं.
गणेश चतुर्थी की कहानी (The Story Behind Ganesh Chaturthi Hindi)
एक बार की बात हैं. पार्वती जी ने अपने शरीर के मैल से एक पुत्र को जीवित जन्म दिया. उस समय भगवान् शंकर घर पर नही थे. वों नदी पर नहाने के लिए गये थे. इस कारण उन्हें इस बात का आभास नही था.
जब वे लौटकर आने ही वाले थे संयोगवश पार्वती ने अपने पुत्र को घर के द्वार पर पहरेदारी के लिए भेज दिया तथा उन्हें आज्ञा दी की कोई भी प्राणी अंदर ना आ पाए.
शिवजी जब आए तो उन्होंने उस बालक को हठने को कहा, मगर वह अपनी जगह से टस से मस भी नही हुआ तथा निरंतर शिवजी को युद्ध करने के लिए ललकार रहा था. शिवजी को अत्यंत क्रोध आया और उन्होंने बालक का सिर काट डाला.
जब पार्वती को इसकी खबर लगी तो वह बेहद क्रोधित हो उठी तथा शिवजी से युद्ध में आने के लिए कहने लगी. ब्रह्माण्ड में हाहाकार मच गया. नारद जी इस विकट घड़ी में शिवजी के पास आए और बालक को जीवित करने का उपाय बताने लगे.
नारद जी के कहे अनुसार शिव ने विष्णु को किसी पहले मिलने वाले जानवर का सिर काटकर लाने को कहा गया. वों वन मे गये तथा एक हाथी का सिर काट लाए. रूद्र ने बालक का सिर जोड़कर उन्हें जीवित कर दिया.
एक इन्सान के शरीर पर हाथी का सिर होने से पार्वती फिर से क्रोधित हो गई इस पर सब देवताओं ने उस बालक का नाम गणेश रखा तथा दुनियां में उनकी सबसे पहले पूजा होने का वचन दिया. साथ ही यह कहा गया जो गणेश जी नाम लेकर किसी कार्य की शुरुआत नही करेगे. उनका कार्य कभी सफल सिद्ध नही होगा.