स्वदेशी अपनाओ देश बचाओ निबंध Essay On Swadeshi Apnao In Hindi

स्वदेशी अपनाओ देश बचाओ निबंध Swadeshi Apnao Essay In Hindi: आज से तकरीबन एक सौ वर्ष पहले भारत में स्वदेशी आंदोलन की नीव रखी गई थी.

जब भारत के लोगों ने ब्रिटिश में बने माल का विरोध करते हुए भारतीय माल खरीदने का एक अभियान चलाया था. Swadeshi Apnao आंदोलन में महात्मा गांधी के बाद राजीव दीक्षित एवं अब बाबा रामदेव इस मुहीम के हिस्सा बने हुए हैं.

किसी भी देश की तरक्की उनके व्यापार से जुडी होती हैं. फिर भारत के बाजार विदेशी माल से भरे हो तो कैसे भारत को विश्व गुरु बनाने का सपना देखा जा सकता हैं.

स्वदेशी अपनाओ देश बचाओ निबंध Swadeshi Apnao In Hindi

स्वदेशी अपनाओ देश बचाओ निबंध Essay On Swadeshi Apnao In Hindi

जब कभी कोई सवाल सामने आता हैं तो हमें पीछे मुड़कर अपने इतिहास को देखना चाहिए. भारत के विगत एक हजार साल में दर्जनों विदेशी जातियों ने भारत पर आक्रमण किया तथा उनका मुख्य उद्देश्य धन व व्यापार ही था.

इसका सबसे विकराल रूप ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने दिखाई भारत में व्यापार के उद्देश्य से आई इस ब्रिटिश कम्पनी ने धीरे धीरे भारत को ही निगल लिया.

आज वैश्विक परिदृश्य बदल चुका हैं अब आक्रमणकारी आपके मन्दिरों और घरों पर हमला नहीं करेगे बल्कि वे आपके बाजार को अपने छाये में लेगे. पाकिस्तान के उदहारण को ठीक से समझा जा सकता हैं.

चीन के मुहायदों और उनके साथ किये सम झौतों से वह आज व्यापारिक दृष्टि से पराधीन हो चुका हैं. यही वजह हैं कि हमें स्वदेशी अपनाने की तरफ बढना होगा तथा अपने बाजारों को विदेशी माल से भर जाने बसना होगा.

आज भारत की गिनती विश्व की पांच बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में की जाती हैं क्या आप जानते है. अब भारत का सबसे बड़ा प्रति द्वंदी कौन हैं. चीन, जिन्होंने आज विश्व के अधिकाँश बाजारों पर एकाधिकार कर लिया हैं जिसमें भारत भी हैं.

यदि हमे सुपर पॉवर बनना हैं तो चीनी माल का विरोध कर स्वदेशी को अपनाने की तरफ कदम बढ़ाने होंगे. दुनियां की तीन बड़ी अर्थ शक्ति में एक नाम जापान का हैं.

ई टावु ची के नेतृत्व में वहां ऐसा स्वदेशी आंदोलन चला कि आज आपकों जापान की बाजारों में विदेशी माल नहीं मिलेगा. स्वदेशी को एक राष्ट्रीय मुद्दा बनाकर तथा इसे अपनाकर ही सच्चे अर्थों में राष्ट्र की प्रगति में अपना योगदान दे सकते हैं

क्योंकि विजय का एक उसूल यह भी हैं कि आप न सिर्फ अपनी ताकत बढ़ाए बल्कि विपक्षी को भी कमजोर करे. भारत को दुनियाँ का सबसे बड़ा बाजार कहा जाता हैं हमारे पास वे समस्त संसाधन भी हैं जिसके चलते हम चीन को परास्त कर पाएगे.

हमारे देश में बहुत से नौजवान राष्ट्रप्रेम के चलते कुछ भी करने के लिए तैयार रहते हैं.   कई बार वे जानना चाहते हैं  कि  हम भारत की प्रगति में किस प्रकार योगदान कर सकते हैं.

तो जानिए, भले ही आप सीमा पर तैनात सिपाही न हो मगर आप अपने जीवन से देश को बहुत कुछ दे सकते हैं. इस बात को और विस्तार से समझते हैं.

दुनिया के दो बड़े देश रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका के पास दुनियां की सबसे बड़ी फौजे हैं. वे अपनी फौज का खर्च भारत जैसे देशों में हथियार बेचकर उठाते हैं.

जब फ़्रांस जैसे देश भी हथियार बनाकर कम दाम में हथियार बेचने लगे तो रूस के पास अपनी सेना को रखने के लिए खर्च की कमी आने लगी और रूस टूट गया.

अब दुनियां की सबसे बड़ी फौज चीन के पास हैं जिसके उत्पादों को हम खरीदते हैं तथा हमारे धन से चीन के सैनिकों को सेलरी मिलती हैं. वे ही सैनिक रोजाना भारत की सीमा में घुस आते हैं.

तिब्बत तथा वियतनाम के साथ उसकी उन्नीस बीस की हैं ऐसे में जो फ्रांस ने रूस के साथ किया आज हम चीन के साथ कर सकते हैं. यदि सभी भारतीय जागरूक हो जाए तो अल्प अवधि में ही चीन के टुकड़े किये जा सकते हैं.

स्वदेशी अपनाओं देश बचाओं की गूंज हर भारतीय के पास पहुचाकर हम सच्चे अर्थों में अपने भारत के लिए बहुत बड़ा योगदान कर सकते हैं. स्वदेशी अपनाने पर कई बार जब दो लोगों के बीच बात होती हैं तो एक का तर्क यह होता हैं कि भारत सरकार ही चीन का सामान खरीदना बंद क्यों नहीं कर देती हैं.

उनकों जानना चाहिए कि उदारीकरण के दौर में खरीददार सरकारे न होकर आमजन ही होते हैं तथा वैश्विक दृश्य में आज कोई भी देश प्रत्यक्ष रूप से दूसरे देश के साथ रिश्ते समाप्त करने की घोषणा नहीं कर सकता हैं. इसलिए यह हम सभी नागरिकों का कर्तव्य बनता हैं कि हम स्वदेशी अपनाओं देश बचाओं अभियान को शुरू करे.

Meaning Of Indigenous In Hindi | स्वदेशी का अर्थ

स्वदेशी की अवधारणा भारत की आर्थिक स्थिति को सुद्रढ़ करने की दृष्टि से एक प्रभावकारी रणनीति हैं. स्वदेशी शब्द का अर्थ हैं स्वयं के देश का. वैश्विकरण के इस दौर में अनेक विदेशी कम्पनियां भी भारत में आकर उत्पादन करने लगी हैं.

इस बदलते वैश्विक परिद्रश्य में स्वदेशी शब्द का उपयोग भारतीय कंपनियों द्वारा उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के लिए किया जाने लगा हैं. अतः वर्तमान समय में स्वदेशी की अवधारणा स्वयं के देश की कम्पनियों तथा उद्योगों द्वारा देश में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं को अपनाने पर बल देता हैं.

टाटा, गोदरेज, हीरो, बजाज, पतंजलि आदि के उत्पास भारत के स्वदेशी उत्पादों के उदाहरण हैं. स्वदेशी की भावना भारतीय अर्थव्यवस्था में कोई नया परिवर्तन नहीं है.

इस भावना ने अनेक बार राष्ट्र को एकजुट करने का कार्य किया हैं. भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में स्वदेशी की भावना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

स्वतंत्रता के स्वदेशी आंदोलन में ब्रिटिश उत्पादों का बहिष्कार करके घरेलू उद्योग धंधों को पुनर्जीवित करने की रणनीति अपनाई गई थी. महात्मा गांधी ने स्वदेशी को स्वतंत्रता आंदोलन से एक हथियार के रूप में काम में लिया.

गांधीजी ने जन जन को जागरूक बनाकर स्वदेशी अपनाने की प्रेरणा दी. महात्मा गांधी का मत था कि भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दृष्टि से स्वदेशी अवधारणा एक प्रभावशाली अवधारणा हैं.

स्वदेशी की भावना एक सामाजिक आर्थिक क्रांति उत्पन्न करती हैं. यह देशवासियों में देश के प्रति प्रेम एवं समर्पण की भावना उत्पन्न करती हैं. स्वदेशी को बढ़ावा मिलने से देश की आत्मनिर्भरता में वृद्धि होगी. संकटकालीन स्थितियों में आत्मनिर्भर देश के लिए सबसे बड़ा सुरक्षा कवच होता हैं.

घरेलू उत्पादन बढने से सरकार को अपेक्षाकृत अधिक राजस्व प्राप्त होता हैं. स्वदेशी कंपनियों की कार्य संस्कृति भी देश की परिस्थिति के अनुकूल होती हाँ. ये कंपनियां प्राकृतिक संसाधनों का सिमित उपयोग करती हैं. स्वदेशी की भावना राष्ट्रप्रेम को बढाती हैं.

इस प्रकार स्वदेशी अर्थव्यवस्था की यह अवधारणा हैं, जिसके अंतर्गत सभी व्यक्ति, परिवार, समाज एवं राज्य के कल्याण से समस्त विश्व के कल्याण की ओर अग्रसर होने का प्रयास करते हैं.

Swadeshi Movement In Hindi | स्वदेशी आंदोलन

इस समय भारत दुनिया कि सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था हैं, लगभग 7.1 वार्षिक की वृद्धि दर से भारत सभी 200 देशों में शिखर पर हैं. किन्तु फिर भी रोजगार के अवसर नही बढ़ रहे हैं.

इसका मुख्य कारण हम बना बनाया माल खरीदते हैं. हमारे यहाँ के उद्योग धंधे बंद हो रहे हैं. चीन सहित दुनियाभर को जो बना बनाया माल भारत में आता उसमे कोई सस्ते होने का, चमक दमक का आकर्षक विज्ञापन दिखाकर हमे अपना शिकार बना लेता हैं.

इससे विदेशी कम्पनियां माला-माल हो रही हैं. हम अपने कल-कारखाने इंडस्ट्री को बंद करते जा रहे हैं. परिणामस्वरूप हमारी अर्थव्यवस्था तेज होने के बावजूद गरीबी और बेरोजगारी बढती जा रही हैं..

आज अमेरिका में buy american & hire american का नारा जोरो पर हैं, इंग्लैंड भी अपने लोगो की नौकरियां बचाने के लिए विदेशियों को बाहर निकाल रहा हैं.

ऑस्ट्रेलिया भी कुछ ऐसा ही कर रहा हैं और चीन भी अपनी घरेलू बाजार को मजबूत करने में लगा हैं. हमे चाहिए कि हम स्वदेशी वस्तुओ का उपयोग करे अपना स्वदेशी समान चाहे कम गुणवत्ता का हो थोड़ा महंगा हो, तब भी अपनी सम्रद्धि के लिए अपने युवक-युवतियों का रोजगार बढ़ाने के लिए स्वदेशी खरीदे स्वदेशी अपनाएँ.

चीन का विशेष विरोध क्यों ? (the swadeshi movement )

भारत तथा चीन दोनों के आणविक अस्त्रयुक्त होने से प्रत्यक्ष और खुले युग का खतरा कम हैं, वह व्यापार युद्ध हैं ( war of trade, war of economics) इसमे सैनिक नही सामान्य जन को लड़ना होता हैं. और हथियार होता हैं बहिष्कार जिन्हें सावरकर जी ने शुरू किया था.

महात्मा गाँधी ने अपनाया, जिसका आव्हान पंडित दीनदयाल उपाध्याय व् राष्ट्रऋषि दतोपंत ठेंगडी जी ने किया. आज राष्ट्रिय अंतराष्ट्रीय मंचो पर जितना विरोध जितनी परेशानी चीन भारत के लिए पैदा कर रहा हैं.

उतना दुनिया का कोई देश नही कर रहा हैं. फिर भी हम चीन से प्रतिवर्ष ४४ प्रतिशत घाटा उठा रहे हैं. ‘ कृपया अपने व्यवहार के बारे में विचार करे.

हमारा कर्तव्य

आज हम संकल्प ले कि चाहे हमे किसी वस्तु के उपभोग से वंचित रहना पड़े तो भी कम से कम कोई भी चीनी उत्पाद तो नही ही खरीदने होंगे. समाज में भी अभियान चलाकर सभी देशवासियों से आग्रह करे कि वह भी कोई चीनी सामान नही खरीदे .

आजकल चीन की वस्तुओ का उत्पादन भारत में ही हो रहा हैं. इसलिए उन पर मेड इन इंडिया लिख रहा हैं. अत: सावधान रहे . यहाँ आपकों स्वदेशी और विदेशी सामान की सूची बता रहे हैं. अत: जब भी बाजार जाएगे माल स्वदेशी ही लाएगे.

चीनी वस्तुओं के बहिष्कार के 10 कारण (short note on swadeshi movement )

  1. हमारा 190 देशों से व्यापार हैं, उसने सबसे बड़ा trade PARTNER चीन हो गया हैं. उससे भारत से चीन को अलग ९ मिलियन डॉलर का सामान जाता हैं और चीन से आता हैं 61.7 बिलियन डॉलर, यानि 52.7 बिलियन डॉलर का घाटा प्रतिवर्ष जो रूपये में बनता हैं 3556 अरब रूपये.
  2. हमारे कुल विदेशी घाटे का ४४ प्रतिशत अकेले चीन से हैं. यदि पेंट्रोल को अलग रखे ( जो चीन से नही आता हैं) तो ६० प्रतिशत से अधिक घाटा हैं.
  3. चीन से होने वाले आयात भारत के कुल मेन्युफेक्चरिंग उत्पादन और रोजगार का कम से कम एक चौथाई कम हो रहा हैं.
  4. भारी सब्सिडी देकर, वहां के किसान मजदूरों का शोषण कर, पर्यावरण का विनाश कर, गुणवत्ता की उपेक्षा कर चीन भारत को सस्ता माल भेजता हैं. इससे हमारे उद्योग धंधे बंद हो रहे हैं.
  5. इससे रोजगार खत्म हो रहे हैं. हमारे लघु और मध्यम उद्योग बंद होने से गत 15 वर्षो में लाखों नौकरियाँ छिनती गईं. हमे अपना रोजगार वापिस लाना हैं.
  6. हमारे व्यापार में बाधा डालने के लिए चीन NSG नुक्लेअर सप्लायर ग्रुप में प्रवेश नही होने दे रहा हैं.
  7. पाकिस्तान को आतंकवाद फ़ैलाने के लिए हर अंतर्राष्ट्रीय मंच पर सहयोग कर रहा हैं. हमने इंडस वाटर ट्रीटी की तो चीन ने भारत की जोकोबा (ब्रहापुत्र) नदी का पानी बंद कर दिया.
  8. रूस व पाकिस्तान को साथ लेकर तालिबान आतंकियों को अफगानिस्तान (हमारे मित्र देश) में फिर खड़ा करने में लगा हुआ हैं. जैश-ए-मोहम्मद व् उसके सरगना मसूद अजहर को अंतराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने नही दे रहा.
  9. 1962 से हमारी 43,000 वर्ग किमी. जगह पर कब्जा कर बैठा हैं, उस समय हमारे 3080 जवान शहीद हुए . अभी भी अरुणाचल प्रदेश सहित नब्बे हजार वर्ग किलोमीटर भूमि पर दावा कर रहा हैं. हर आए दिन चीन के सैनिक हमारी सीमा में घुसपैठ कर हमे परेशान करते हैं.
  10. चीन सदैव भारत कों चारों तरफ से घेरने व् हमारे पड़ोसी देशों को हमारे खिलाफ खड़ा करने में लगा हैं. पाकिस्तान में तो 3120 अरब रूपये का बड़ा आर्थिक भूगौलिक गलियारा CPEC (CHINA PAKISTAN ECONOMIC CORIDOR भारत के विरोध के बावजूद बना रहा हैं.

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टूथपेस्ट दन्तमंजन टूथब्रश

स्वदेशी ‘make in india’– बबूल, प्रामिस, विको, ओरा, अमर, एंकर, डाबर, बंदर छाप, नीम, चाइस, मिसवाक, अजय, हर्बोड्रेट, अजंता, गरवारे, पंतजली ब्रश, क्लासिक, ईगल, द्न्तपोला, वैद्यनाथ, युवराज, इमामी तथा अन्य स्थानीय उत्पाद.

विदेशी कॉलगेट, सिबाका, क्लोजअप, पेप्सोडेंट, सिग्नल, मक्लीनस, प्रंदुत, एमवे, क्वांटम, अक्वा, फ्रेश, ओरल-बी, फोरहंस टूजेल.

बिस्किट चाँकलेट ब्रेड दुग्ध

स्वदेशी साठे, बैकमन, मोनैका, क्रेकजेक, गिट्स, शालीमार, पैरी, रावलगांव, निलगिरी, क्लासिक, अमूल, न्युट्रामुल, मोंजीनिज, आरे, कंमको, स्ग्राट, रॉयल, विजया, इंडाना, सफल, एशियन, विव्स ब्रेड, वेरका, सागर, सपन, प्रिया गोल्ड, न्यूट्रिन, शांग्रिला, चैंपियन, अन्प्रो, पार्ले, अनिक्स्प्रे, मिल्कफ़ूड, पंतजलीउत्पाद.

विदेशी ब्रितानिया गुड डे व ब्रेड, टाइगर, मैरी, नेसले, कैडबरी, बोनिव्हिटा, हांलिक्स, बस्ट,मिल्कमेड, किसान, मैगी, फैरेक्स, कानप्लान, KITKAIT, चार्ज, एक्लेयर, मार्डन ब्रेड, माल्टोवा, विह्वा, माइलो.

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