तैमूर लंग का भारत पर आक्रमण | Taimur Lang History In Hindi

तैमूर लंग का भारत पर आक्रमण Taimur Lang History In Hindi : भारत में विदेशी आक्रमणकारियों का लम्बा इतिहास रहा है. 

मुहम्मद बिन कासिम, महमूद गज़नवी, मुहम्मद गोरी और चंगेज खान आदि भारत में आकर अपनी क्रूरता का दृश्य बता चुके थे.

अगला नाम था एक तुर्क शासक का नाम था तैमूर लंग इसका जन्म उज्बेकिस्तान के समरकंद में 1336 मे हुआ था.

Taimur Lang History In Hindi – तैमूर लंग का इतिहास व भारत पर आक्रमण

तैमूर लंग का भारत पर आक्रमण | Taimur Lang History In Hindi

वह एक साधारण चरवाहे परिवार में जन्म था, मगर दूसरा चंगेज खान बनकर वह काफिरों का नाश कर देने की सोच रखा करता है, कहते है दिल्ली को उसने एक दिन में मुर्दों का शहर बना दिया था,

उसने एक लाख हिन्दुओं को बंदी बनाकर कत्ल करवा दिया था, तथा 10 हजार लोगो के सिर काटकर दीवार में चिनवा दिए थे.

१३९८ ई में मध्य एशिया के दुर्दांत आक्रमणकारी तैमूर लंग ने भारत पर आक्रमण किया. तैमूर के आक्रमण के समय, तुगलक वंश का शासक नसीरुद्दीन महमूद तुगलक था. तैमूर ने निर्दोष लोगों का बेरहमी से कत्ल किया और भयंकर लूटपाट की.

भारत पर आक्रमण के दौरान खिज्र खां ने तैमूर की बहुत सहायता की थी. वापस लौटते समय तैमूर ने जीते गये क्षेत्रों लाहौर, मुल्तान, दीपालपुर आदि का प्रशासन खिज्र खां को सौप दिया था. इसी खिज्र खां ने आने वाले समय में भारत में सैयद वंश की स्थापना की थी.

तैमूर लंग का जीवन परिचय जीवनी इतिहास

भारत के इतिहास का सबसे क्रूर लुटेरा तैमूर लंग की कहानी बड़ी ही विचित्र है. उसका पिता तुरगाई बरलस तुर्कों का नेता था, इसका बचपन एक चोर का रहा, वह भेड़े चुराया करता था.

एक वक्त जब वह चोरी करने जा रहा था किसी गडरिये ने उस पर तीर से हमला कर दिया जिससे उसके एक पैर एवं कंधा पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था. तभी से इसे तैमूर लंग नाम से जाना जाने लगा. जिसका अर्थ होता है लगड़ा तैमूर.

वह तुर्क था मगर स्वयं को चंगेज खां का अनुयायी मानकर उसकी राह पर चल पड़ा. तैमूर ने रूस से लेकर मध्य एशिया तक एक बड़े भूभाग पर अपना राज्य स्थापित कर लिया.

उसके भारत पर आक्रमण करने के कई कारण था. खिज्र खां आदि का आमंत्रण तथा सबसे प्रभावी कारण था, मुस्लिम शासकों द्वारा काफिर यानि हिन्दू जनता के साथ बरती जाने वाली सहानुभूति ने इन्हें भारत पर आक्रमण कर हिन्दुओं का कत्लेआम कर उनकी सम्पति को लूट कर ले जाना उसका लक्ष्य था.

‘तुजुके तैमुरी’ यह तैमूर की आत्मकथा थी, जिसमें वह कुरान की पहली आयत से इसकी शुरुआत करते हुए लिखता है  ‘ऐ पैगम्बर काफिरों और विश्वास न लाने वालों से युद्ध करो और उन पर सखती बरतो।

’ यानि वो इसे एक धार्मिक युद्ध मानता है जिससे वह इस्लामी सैनिकों को हिन्दुओं की धन धौलत व मान मर्यादा को छिनकर दिलाना चाहता था.

तैमूर लंग का भारत पर आक्रमण

1398 में तैमूर ने भारत पर आक्रमण किया, वह सिन्धु नदी के रास्ते भारत आया था. उस समय दिल्ली सल्तनत पर तुगलक वंश का शासन था, वह प्रशासनिक दृष्टि से इस स्थिति में नही था कि इसका प्रबल विरोध कर सके. 

एक जगह उसने दो हजार जिन्दा आदमियों की एक मीनार बनवाई और उन्हें ईंट और गारे में चुनवा दिया. मध्यकालीन भारत के राजपूती राज्यों में उस समय केसरिया और जौहर की प्रथा थी. 

15 दिन तक तैमूर दिल्ली में रहा, उसने हिन्दुओं को अपना निशाना बनाया उसकी मारकाट के बाद दिल्ली मुर्दों का शहर बनकर रह गई थी. उसने अपनी राह में आये भटनेर दुर्ग पर भयानक हमला किया तथा कत्लेआम मचाया.

वो अपनी जीवनी में इस नरसंहार के बारे में लिखता है इस्लामी तलवार ने काफिरों के खून से स्नान किया, एक घंटे में दस हजार विधर्मियों का कत्ल कर दिया गया. दुर्ग में इकट्ठा सामग्री एवं धन सम्पति को लूटकर महल को आग के हवाले कर दिया गया.

तैमूर लंग ने दिल्ली से सटे लोनी नगर को भी अपनी क्रूरता का शिकार बनाया, यहाँ के हिन्दू शासक के मार दिया. सम्पूर्ण प्रजा तथा दरबार को अपना बंदी बना दिया. लोनी नगर से तैमूर ने एक लाख लोगों को बंदी बनाया, जिसमें कुछ मुस्लिम भी थे.

उसने पहले तो सभी हिन्दुओं का नरसंहार करने का आदेश दे दिया. तथा बाद में उसे किसी ने सलाह दी कि युद्ध बंदियों को ऐसे ही छोड़ देना भी ठीक नही है. तब उसने कड़े आदेश के जरिये उन मुस्लिम बंदियों के सर कलम करवा दिए.

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तैमूर को एक अप्रैल 1405 में मौत के बाद उज्बेकिस्तान के समरकंद में मौजूद बाग गुर-ए-आमिर में दफ्न किया गया था. इस क्रूर शासक के किस्से उसकी मौत के साथ ही समाप्त नही हो गये थे. बल्कि एक नई कहानी उसकी कब्र को लेकर शुरू हो गई.

कहते है नादिरशाह उस कब्र की बेशकीमती पत्थर को अपने साथ ले गया था. १७४० में ले जाये गये इस पत्थर से नादिरशाह के साथ बुरा होने शुरू हो गया, धार्मिक सलाहकारों के अनुसार उसे वापिस जाकर कब्र में रखा तब उसके हालातों में सुधार आया.

तैमूर की कब्र दूसरी बार १९४१ में रूस के राष्ट्रपति जोसेफ स्टालिन ने खुदवाई. उस कब्र को खोदते समय पुरातत्ववेत्ताओं को दो वोर्निंग लिखी मिली, जिसमें लिखा तो वह अपनी मृत्यु के बाद फिर से जीवित हो जाएगा.

हालांकि उन्होंने इस ओर विशेष ध्यान दिया दिया. यह संयोग ही था कि 22 जून 1941 के दिन हिटलर ने सोवियत रूस पर हमला कर दिया, जानकारों के अनुसार यह कब्र खोदने का परिणाम ही था. अतः उसे 20 दिसंबर 1942 को फिर से दफन करते ही जर्मनी ने आत्म समर्पण कर दिया.

तैमूर लंग की मृत्यु

तैमूर लंग सबसे ज्यादा क्रूर शासकों में से एक माना जाता है, हो सकता है आपने तैमूर लंग की क्रूरता की कहानियां सुनी हो। तैमूर लंग का जन्म अप्रैल 1336 में हुआ था और इस शासक की मृत्यु फरवरी 1404 में हुई थी।

लंग की मृत्यु ओत्रार कजाकिस्तान मैं हुई थी और उनकी मृत्यु से जुड़ी बहुत सी कहानियां जुड़ी हुई हैं हालांकि तैमूर लंग की मृत्यु का सही कारण बहुत कम लोग जानते हैं।

तैमूर लंग की मौत कैसे हुई?

लंग की मौत से जुड़ी बहुत सी कहानियां है, कुछ लोगों का मानना है कि तैमूर लंग की मौत उसके भारत में आक्रमण करने के दौरान लगी चोट से हुई,

माना जाता है कि जब तैमूर भारत में दिल्ली पर आक्रमण कर मेरठ और हरिद्वार की ओर बढ़ रहा था तो हरवीर सिंह गुलिया जाट और जोगराज सिंह गुर्जर के साथ अन्य योद्धाओं ने मिलकर तैमूर लंग की सेना का सामना किया,

इसी दौरान किसी एक योद्धा ने तैमूर लंग के सीने पर भाले से प्रहार किया, जिसके कारण तैमूर लंग के वापस अपने देश जाने के कुछ समय बाद उसकी मृत्यु हो गई।

कुछ लोगों का मानना है कि तैमूर लंग विश्व विजेता बनना चाहता था और एशिया के बड़े भाग को जीतने के बाद तैमूर लंग ने चीन पर आक्रमण किया, और माना जाता है कि इसी दौरान साधारण जुकाम से तैमूर लंग की मृत्यु हो गई थी।

तैमूर लंग और इस्लाम 

तैमूर लंग एक ऐसा शासक था जो कि इस्लाम धर्म का कट्टर अनुयायी था, तैमूर लंग का जन्म ऐसे परिवार में हुआ था जिनके पूर्वजों ने बहुत समय पहले इस्लाम कबूल कर लिया था।

लंग इस्लाम का बहुत बड़ा अनुयायी था लेकिन वह विश्व विजेता बनने के लिए सभी धर्म के लोगों पर क्रूरता करता था। भारत में मुगल साम्राज्य कि स्थापना करने वाला शासक बाबर तैमूर का ही वंशज था।

तैमूर लंग का परिवार

लंग का जन्म शासकों के परिवार में नहीं हुआ था, तैमूर लंग सामान्य परिवार में जन्मा था और लंगड़ा होने के कारण इसका नाम तैमूर लंग पड़ा।

तैमूर के पिता तुरगाई बरलस तुर्कों का नेता था। और तैमूर ने बरलस तुर्क खानदान में जन्म लिया था। तैमूर की माता का नाम तकीना खातुन था।

तैमूर लंग का व्यक्तित्व

माना जाता है कि तैमूर लंग बचपन से ही छोटी-मोटी चोरियां करता था और समय के साथ साथ वह धीरे-धीरे लुटेरों के साथ शामिल हो गया।

तैमूर लंग एक विश्व विजेता बनना चाहता था जिसके कारण उसने भारत के साथ-साथ विश्व के अन्य देशों में पैशाचिक क्रूरता दिखाई,  लंग एक वहशी व्यक्तित्व वाला शासक था, इसने जगह-जगह पर लोगों को मारकर नर मुंडो के बड़े-बड़े ढेर लगाए थे।

तैमूर का अर्थ

तैमूर शब्द एक ऐसा शब्द है जो कि अक्सर लोगों के द्वारा बच्चों को नाम देने के लिए किया जाता है, तैमूर शब्द का अरबी भाषा में अर्थ लोहा होता है। लोहा अर्थ के साथ-साथ तैमूर शब्द का अर्थ ताकतवर, बहादुर, मजबूत आदि भी हो सकता ह।

तैमूर के भारत पर आक्रमण के कारण

तैमूर लंग के साथ साथ भारत में बहुत से मुगलों ने आक्रमण किया, भारत में अक्सर दूसरे देशों के शासकों द्वारा आक्रमण किया जाता था और इन सभी आक्रमणों के पीछे बहुत से कारण थे जिनमें से कुछ नीचे दिए गए हैं –

भारत एक ऐसा देश है जहां भारी मात्रा में अनाज का उत्पादन होता था, दूसरे देशों के शासक अक्सर भारत में अनाज के लिए आक्रमण करते थे और भारत से अनाज लूट कर अपने देश ले जाते थे।

अनाज के साथ-साथ तैमूर लंग का भारत पर आक्रमण करने का दूसरा प्रमुख कारण भारत की धन-दौलत और कीमती खजाना था, तैमूर अक्सर जिस देश पर आक्रमण करता था, वहां से धन दौलत के साथ साथ और भी चीजें लूट कर ले जाता था।

लंग का मकसद विश्व विजेता बनना था और विश्व विजेता बनने के लिए विश्व के अलग-अलग देशों पर आक्रमण कर रहा था, विश्व विजेता बनना भी तैमूर लंग का भारत पर आक्रमण करने का एक विशेष कारण था।

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आशा करता हूँ आपकों तैमूर के भारत पर आक्रमण में दी गई सटीक जानकारी आपकों समझ आई होगी, Taimur Lang History In Hindi में दी गई इन्फोर्मेशन से आप संतुष्ट हो तो हमारे इस लेख को अपने फ्रेड्स के साथ शेयर करे.

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