स्वच्छता के प्रकार | Types Of Cleanliness In Hindi

स्वच्छता के प्रकार | types of cleanliness in hindi: भारतीय दर्शन में शरीर, आत्मा, मन, बुद्धि तथा पर्यावरण को स्वच्छ रखना मानव जीवन का महत्वपूर्ण कार्य बताया गया हैं.

बीमारियों से सम्बन्धित पर्यावरण के कारकों का नियंत्रण पर्यावर्णीय स्वच्छता में शामिल हैं. ठोस कचरा प्रबंधन, पानी व दूषित जल का उपचार, औद्योगिक कचरे का उपचार व ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण इसी के अंतर्गत आते है.

आज हम स्वच्छता प्रकार -cleanliness types के बारे में आपकों बताएगे.

स्वच्छता के प्रकार | Types Of Cleanliness In Hindi

स्वच्छता के प्रकार | Types Of Cleanliness In Hindi

स्वच्छता की दशाओं को आधार मानकर स्वच्छता के मुख्यतः निम्न स्तम्भ माने गये है. सामुदायिक स्वच्छता, शुष्क स्वच्छता, पारिस्थितिकी स्वच्छता, पर्यावरणीय स्वच्छता, सुधरी व बिना सुधरी स्वच्छता, स्वच्छता का अभाव, पुष्टिकारक स्वच्छता आदि.

स्वच्छता के प्रकार बताइए

स्वच्छता के इन सभी प्रकारों का विवरण निम्नानुसार हैं.

  • सामुदायिक स्वच्छता- सामुदायिक स्वच्छता का सम्बन्ध ग्रामीण लोगों की सहज और लापरवाही पूर्ण तरीके से खुले में मल त्याग प्रक्रिया से है. सामुदायिक स्वच्छता के माध्यम से ग्रामीण लोगों में खुले में मल त्यागने से रोकने के लिए अनुदानित सुविधाओं से परिचित कराना है.
  • शुष्क स्वच्छता– शुष्क स्वच्छता से तात्पर्य शुष्क शौचालय, पेशाबघर आदि अतिरिक्त प्रयासों से हैं, केवल हाथ होना ही इसका उद्देश्य नहीं हैं.
  • पारिस्थितिकी स्वच्छता– पारिस्थितिकी स्वच्छता सामान्य रूप से सुरक्षित कृषि उपायों और स्वच्छता से गहन सम्बन्धित है. इसमें पौष्टिक आहार एवं जैविक फसलों की पैदावार में अनवीनीकरण संसाधनों का प्रयोग कम करना है.
  • पर्यावरणीय स्वच्छता– बीमारियों से सम्बन्धित पर्यावरण के कारकों का नियंत्रण पर्यावरणीय स्वच्छता के घेरे में आता है. ठोस कचरा प्रबंधन, पानी और दूषित जल का उपचार, औद्योगिक कचरा उपचार और ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण इस श्रेणी के लघु अंग है.
  • सुधरी और बिना सुधरी स्वच्छता– इसका सम्बन्ध हजारों वर्ष पुरानी गृह स्तर पर मानव के मल मूत्र त्याग नियंत्रण से है. इसके अंतर्गत स्वच्छता और जल आपूर्ति की देखभाल की जाती है.
  • स्वच्छता का अभाव– इसका सम्बन्ध सामान्य रूप से शौचालय के अभाव से है. जिनका प्रयोग व्यक्ति स्वेच्छापूर्वक करता है. स्वच्छता का अभाव सामान्यतः खुले में मल मूत्र त्याग और जन स्वास्थ्य विषय से गम्भीर सम्बन्ध रखता है.
  • पुष्टिकारक स्वच्छता– पुष्टिकारक स्वच्छता का क्षेत्र सम्पूर्ण स्वच्छता मूल्य श्रंखला है. जिसमें उपभोक्ता के अनुभव पर विष्ठा मल मूत्र और दूषित जल के परिवहन, उपचार, पुनः उपयोग या निस्तारण के तरीके सम्मिलित है. इसमें पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा होती हैं.

इस तरह स्वच्छता के प्रकारों में सामुदायिक स्वच्छता, शुष्क स्वच्छता, पारिस्थितिकी स्वच्छता, पर्यावरणीय स्वच्छता, सुधरी व बिना सुधरी स्वच्छता, स्वच्छता का अभाव, पुष्टिकारक स्वच्छता प्रमुख है.

सामुदायिक स्वच्छता का सम्बन्ध ग्रामीण लोगों की सहज एवं लापरवाही पूर्ण तरीके से खुले में मल त्याग की प्रक्रिया से शुष्क स्वच्छता, शुष्क शौचालय व पेशाबघर से, पारिस्थितिकी स्वच्छता व्यवस्थाओं तथा संसाधनों के पुनः चक्रण से हैं.

क्या है स्वच्छता (what is cleanliness)

स्वच्छता बेहद आसान और हमारे स्वस्थ निरोगी जीवन के लिए अति आवश्यक आदत हैं. यह किसी के दवाब या लालच देने से नहीं किया जा सकता बल्कि हमें अपनी आदत के रूप में अपनाने की जरूरत हैं.

एक स्वस्थ देश के निर्माण के लिए प्रत्येक नागरिक को स्वच्छता के आचरण व नियमों की पालना करनी चाहिए. यह सामूहिक और व्यक्तिगत जिम्मेदारी हैं. अपने शरीर, आस पास और कार्यस्थल की स्वच्छता को बनाए रखना चाहिए.

सभी की भागीदारी से उठाए गये छोटे छोटे कदमों से समाज और देश में स्वच्छता के आंदोलन को खड़ा किया जा सकता हैं. हमें व्यक्तिगत स्वच्छता विभिन्न बीमारियों से बचाती हैं वही सामुदायिक स्वच्छता हमारे परिवेश को स्वच्छ और सुंदर बनाती हैं.

स्वच्छता का महत्व (Importance Of Cleanliness)

विद्यार्थी, शिक्षक, अभिभावक, श्रमिक समस्त आयु के स्त्री पुरुषों के जीवन में स्वच्छता बेहद महत्वपूर्ण हैं. स्वच्छता से जुड़ी अच्छी आदतों जैसे साबुन से हाथ धोना, कपड़े साफ़ रखना, दांतों बालों की सफाई, घर अपने कमरे रसोई की साफ़ सफाई रखना स्वच्छता की अच्छी आदते मानी जाती हैं.

समय पर स्कूल जाना नाख़ून और बालों को साफ़ व छोटे रखना, कक्षा कक्षा व स्कूल के परिसर में गंदगी न फैलाना, कचरे को कचरा पात्र में डालना एक आदर्श विद्यार्थी की निशानी मानी जाती हैं. छोटी आयु के बच्चों में इस तरह की आदतें सीखाकर आदर्श नागरिक और समाज का निर्माण किया जा सकता हैं.

जितनी बाहरी शारीरिक साफ़ सफाई महत्वपूर्ण हैं उतनी ही जरूरी अपने अंतर्मन की स्वच्छता की आवश्यकता हैं. नेक विचारों ईमानदारी परिश्रमी, सत्यता, अहिंसा आदि गुणों को अपनाकर महान व्यक्तित्व का निर्माण किया जा सकता हैं.

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