नमस्कार साथियों स्वागत है, आपका. साथियों आधुनिकता की दौड़ में हम अपने शारीरिक संतुलन को भूलते जा रहे है. हमारा गौरवान्वित करने वाला इतिहास यह बताता है, कि यहाँ के लोग हट्टे कट्टे और शारीरिक रुप से समृद्ध तथा शक्ति का प्रतीक हुआ करते थे.
मगर आज हम अपने अस्तित्व को खोते जा रहे है. कमजोरी तथा शारीरिक दुर्बलता हमारे इतिहास को कलंकित करती है. इसके लिए कई कारण उत्तरदायी सिद्ध होते है. उन्ही में से एक कारक खेलकूद का हमारे दैनिक जीवन से गायब सा हो जाना भी है.
हालाँकि यह दुर्बलता केवल एक पीढ़ी में या अचानक नही आई है. यह चरणबद्ध तरीके से चली है. आज बाजार से क्रय की जाने वाली हर वस्तु में मिलावटी पदार्थ होते है. यह केमिकल हमें कमजोर बना रहे है. साथ ही आज हम अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए या अधिक उपज की लालचा में खेती में केमिकल का यूज़ करते है. जो उपजे धान को जहरीला बनाता है.
खान पान में मिलवाट के साथ ही हर वो वस्तु जो हमारे दैनिक जीवन में उपयोगी है, कहीं न कहीं विषयुक्त है. जो हमें अंदर से खोखला बना रही है. एक व्यक्ति के जीवन में खेलकूद का होना या व्यायाम का होना उतना ही जरुरी है, जितना कि पेड़ पौधों के लिए खाद का होना.
खेलकूद से जुड़े व्यक्ति में कभी भी शारीरिक और मानसिक दुर्बलता नही दिखती है. वे हमेशा तेज, एक्टिव और कर्मठ रहते है. एक अनुशासित जीवनशैली का निर्माण करते है. हमारा अतीत खेलो से हमेशा जुड़ा रहा है. हम हमेशा खेलो में माहिर रहे है.
आज का युवा और बच्चे खेल को तवज्जो देने की बजाय मोबाइल के एडिक्शन में फंसते जा रहे है. हालाँकि मोबाइल बिना थकावट का मनोरंजन परोसता है, पर यह कहाँ तक उचित है. इसका अनुमान हम आज की स्थिति को निहार कर बता सकते है.
विद्यार्थी का सर्वगीण विकास के लिए खेलकूद महत्वपूर्ण गतिविधि है. आज हमारे विद्यालयों में या अन्य स्तरों में खेल को ना के बराबर तवज्जो दी जाती है. हम खेल में पहले से पिछड़ रहे है. पर हमारे बालको के खेल के लिए कोई जागरूक नजर नहीं आता.
बुनियादी शिक्षा के साथ ही यदि एक विद्यार्थी में खेल के गुण विकसित किये जाए तो उसमे कई गुण जैसे अनुशासन, आपसी सहयोग, टीम वर्क और खेल भावना जैसे अनेक गुण का उदय होता है. तथा खेल खेलने से एक बालक हमेशा स्वस्थ रहता है.
खेल आज एक भविष्य के आप्शन के रूप में भी उदित हुआ है. ऐसे में इसकी महता ओर बढ़ जाती है. साथियों खेलकूद की जीवन शैली से अनेक लाभ है. हमारा यह दायित्व बनता है, कि बालको को किताबी कीड़ा बनाने की बजाय उसे हर फील्ड में माहिर बनाए.
खेलकूद के अभाव में आज हमारे युवा और बालक कमजोरी तथा मोटापे और अन्य कई समस्याओ का सामना करते है. आलस्य भी इसी कड़ी में जुडी एक श्रृंखला है. आज के युवा में दुर्बलता साफ झलकती है. ऐसे में खेलकूद से जोड़ना अति आवश्यक बन जाता है…|