चुनाव आयोग पर निबंध Essay on Election Commission of India in Hindi नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत हैं आज का निबंध भारतीय निर्वाचन आयोग पर दिया गया हैं. सरल भाषा में स्टूडेंट्स के लिए इलेक्शन कमीशन के बारे में यहाँ जानकारी दी गई हैं. उम्मीद करते है आपको ये निबंध पसंद आएगा.
चुनाव आयोग निबंध Essay on Election Commission of India in Hindi
भारत में चुनाव प्रक्रिया को स्वतंत्र और निष्पक्ष बनाने के लिए एक स्वतंत्र चुनाव आयोग की स्थापना की गई हैं.
संविधान के अनुच्छेद 324 (1) के अनुसार इस संविधान के अधीन संसद और प्रत्येक राज्य के विधानमंडल के लिए कराए जाने वाले सभी निर्वाचनों के लिए तथा राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पदों के चुनावों के लिए निर्वाचक नामावली तैयार कराने का और उन सभी निर्वाचकों के संचालन का अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण एक आयोग में निहित होगा. जिसे संविधान में निर्वाचन आयोग कहा गया हैं.
निर्वाचन आयुक्त- भारत का चुनाव आयोग एक सदस्यीय या बहुसदस्यीय भी हो सकता हैं. वर्तमान में निर्वाचन आयोग त्रि- सदस्यीय है जिसमें एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त तथा दो अन्य निर्वाचन आयुक्त हैं. एक सामूहिक संस्था के रूप में चुनाव संबंधी हर निर्णय में मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य दोनों निर्वाचन आयुक्त की शक्तियाँ समान हैं.
नियुक्ति– निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा मंत्रिपरिषद के परामर्श पर की जाती है.
कार्यकाल– संविधान मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों के कार्यकाल की सुरक्षा देता हैं. उन्हें 6 वर्ष के लिए अथवा 65 वर्ष की आयु तक के लिए नियुक्त किया जाता हैं.
पद विमुक्ति– मुख्य निर्वाचन आयुक्त को कार्यकाल समाप्त होने के पूर्व राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकता है पर इसके लिए संसद के दोनों सदनों को विशेष बहुमत से पारित कर इस आशय का एक प्रतिवेदन राष्ट्रपति को भेजना होगा. विशेष बहुमत से आशय है उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों का दो तिहाई बहुमत और सदन की कुल सदस्य संख्या का साधारण बहुमत.
मुख्य निर्वाचन अधिकारी व अन्य कर्मचारी– भारत के चुनाव आयोग की सहायता करने के लिए प्रत्येक राज्य में एक मुख्य निर्वाचन अधिकारी होता हैं. चुनाव आयोग के पास बहुत सी सीमित कर्मचारी होते हैं. वह प्रशासनिक मशीनरी की मदद से कार्य करता हैं.
एक बार चुनाव प्रक्रिया प्रारम्भ हो जाने के बाद चुनाव सम्बन्धी कार्यों के सम्बन्ध में आयोग का पूरी प्रशासनिक मशीनरी पर नियंत्रण हो जाता हैं. चुनाव प्रक्रिया के दौरान राज्य और केंद्र सरकार के प्रशासनिक अधिकारियों को चुनाव सम्बन्धी कार्य दिए जाते हैं.
और इस सम्बन्ध में चुनाव आयोग का उन पर पूरा नियंत्रण होता हैं. निर्वाचन आयोग इन अधिकारियों का तबादला कर सकता है या उनके तबादले रोक सकता हैं अधिकारियों के निष्पक्ष ढंग से काम करने में विफल रहने पर आयोग उनके विरुद्ध कार्यवाही भी कर सकता हैं.
चुनाव आयोग के कार्य
भारत में चुनाव आयोग के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं.
- निर्वाचक नामावली तैयार करना– चुनाव आयोग का प्रमुख कार्य निर्वाचन हेतु निर्वाचक नामावली तैयार करना हैं इस हेतु वह मतदाता सूचियों को नया करने के काम की देख रेख करता हैं. वह पूरा करता है कि मतदाता सूचियों में गलतियाँ न हों अर्थात पंजीकृत मतदाताओं के नाम न छूट जाएं और न ही उसमें ऐसे लोगों के नाम हों जो मतदान के अयोग्य हों या जीवित न हो.
- चुनाव कार्यक्रम तैयार करना– निष्पक्ष और स्वतंत्र निर्वाचन कराने की दृष्टि से वह चुनाव का समय और चुनावों का पूरा कार्यक्रम तैयार करता हैं. इसमें चुनाव की अधिघोषणा, नामांकन प्रक्रिया शुरू करने की तिथि, मतदान करने की तिथि मत गणना की तिथि और चुनाव परिणामों की घोषणा आदि बातों का उल्लेख होता हैं.
- राजनीतिक दलों के लिए आचार संहिता का निर्माण– निर्वाचन आयोग राजनीतिक दलों और उनके उम्मीदवारों के लिए एक आदर्श आचार संहिता लागू करता हैं.
- राजनीतिक दलों को मान्यता तथा चुनाव चिह्न का आवंटन– निर्वाचन आयोग राजनीतिक दलों को मान्यता देता है और उन्हें चिह्न चिह्न आवंटन करता हैं.
- अन्य कार्य– निर्वाचन आयोग को स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए निर्णय लेने का अधिकार हैं यथा.
- वह पूरे देश किसी राज्य या किसी निर्वाचन क्षेत्र में चुनावों को इस आधार पर स्थगित या रद्द कर सकता है कि वहां माकूल माहौल नहीं है तथा स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना सम्भव नहीं हैं.
- वह किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में दुबारा चुनाव कराने की आज्ञा दे सकता हैं.
- यदि उसे लगे कि मतगणना प्रक्रिया पूरी तरह से उचित और न्यायपूर्ण नहीं थी तो वह दोबारा मतगणना कराने की आज्ञा दे सकता हैं.
चुनाव आयोग हेतु सुझाव
वयस्क मताधिकार चुनाव लड़ने की स्वतंत्रता और एक स्वतंत्र निर्वाचन आयोग की स्थापना को स्वीकार कर भारत में चुनावों को स्वतंत्र एवं निष्पक्ष बनाने की कोशिश की गई हैं.
पिछले 50 वर्षों के अनुभव के बाद इस संदर्भ में भारत की चुनाव प्रणाली में सुधार के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए जा सकते हैं.
समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली लागू की जाए– भारत में चुनाव व्यवस्था के अंतर्गत सर्वाधिक मत से जीत वाली प्रणाली के स्थान पर किसी की समानुपाती प्रतिनिधित्व प्रणाली लागू करनी चाहिए. इससे राजनीतिक दलों को उसी अनुपात में सीटें मिलेगी जिस अनुपात में उन्हें वोट मिलेगे.
महिलाओं को आरक्षण दिए जाए– संसद और विधानसभाओं में एक तिहाई सीटों पर महिलाओं को चुनने के लिए विशेष प्रावधान बनाए जाएं.
धन के प्रभाव पर नियंत्रण हो– चुनावी राजनीति में धन के प्रभाव को नियंत्रित करने के लिए और अधिक कठोर प्रावधान होने चाहिए. सरकार को एक विशेष निधि से चुनावी खर्चों का भुगतान करना चाहिए.
अपराधियों के चुनाव लड़ने पर रोक– जिस उम्मीदवार के विरुद्ध फौजदारी का मुकदमा हो उसे चुनाव लड़ने से रोक दिया जाना चाहिए, भले ही उसने इसके विरुद्ध न्यायालय में अपील कर रखी हो.
जाति धर्म आधारित चुनावी अपीलों पर प्रतिबंध लगे– चुनाव प्रचार में जाति और धर्म के आधार पर की जाने वाली किसी भी अपील को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर देना चाहिए.
राजनीतिक दलों को अधिक पारदर्शी तथा लोकतांत्रिक बनाया जाये– राजनीतिक दलों को कार्यप्रणाली को नियंत्रित करने के लिए तथा उनकी कार्यविधि को और अधिक पारदर्शी तथा लोकतांत्रिक बनाने के लिए एक कानून होना चाहिए.
जनता की सतर्कता और सक्रियता में वृद्धि आवश्यक– कानूनी सुधारों के अतिरिक्त चुनावों की स्वतंत्रता व निष्पक्षता के लिए यह भी आवश्यक है कि स्वयं जनता अधिक सतर्क रहते हुए राजनीतिक कार्यों में सक्रिय रहे.
वास्तव में निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव तभी हो सकते हैं जब सभी उम्मीदवार राजनीतिक दल और वे सभी लोग जो चुनाव प्रक्रिया में भाग लेते हैं लोक तांत्रिक प्रतिस्पर्धा की भावना का सम्मान करें.
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