माँ पर कविता 2024 | Poem On Mother In Hindi

माँ पर कविता 2024 | Poem On Mother In Hindi: दुनिया का सबसे धनी इंसान वही है जिनके सिर पर माँ बाप का हाथ है. माँ का हाथ हमेशा अपने सन्तान की दुआ के लिए उठता है.

माँ पढ़ी लिखी हो या अनपढ़ माँ तो माँ होती है. इस दुनिया में माँ के ममत्व और वात्सल्य के समान कोई दूसरी चीज नही है. मुश्किल के वक्त में जब इंसान का साथ सभी छोड़ देते है. तब केवल माँ ही हमारी सहायक होती है.

माँ पर कविता 2024 | Poem On Mother In Hindi

माँ पर कविता 2024 | Poem On Mother In Hindi

माँ पर हिन्दी कविता Sad Poem on Maa in Hindi: हमे कभी भी माँ के उपकारों को भूलना नही चाहिए. आजकल के समय में लोगों के पास अपने माता-पिता के लिए समय बिलकुल नही रहता है. मगर उन्हें यह नही भूलना चाहिए, मुश्किल के वक्त उनका साथ कोई देगा तो वो आपकी माँ है.

small poem on mother in hindi: सारे नाते रिश्ते अपने अपने मतलब के होते है जब तक उनका स्वार्थ सिद्ध होता है तब तक बने रहते है मगर माँ बेटे का रिश्ता आजीवन निस्वार्थ बना रहता है.

माँ के उपकारों को शब्दों में न तो बाँधा जा सकता है न ही बया किया जा सकता है. मगर हमने लोगों की फेसबुक वाल से माँ पर कविता के विषय पर poem on mother की कुछ हिंदी कविताओं का संग्रह आपके लिए किया है.

मित्रों हमारा अस्तित्व माँ से जुड़ा है. आज हम poem on mother in hindi में कविताएँ माँ पर for class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 के स्टूडेंट्स के लिए शोर्ट हिंदी कविता, गीत, शायरी यहाँ बता रहे हैं. मेरी प्यारी माँ पर हिंदी कविता यहाँ बता रहे हैं.

माँ । डॉ सुनील जोगी कविता | Most beautiful poem on Maa

रोते ही रहते थे हर पल
और माँ फिर बोलना सिखाती है

चार पैरों पर चला करते थे
और माँ दौड़ना सिखाती हैं.

मुझे सुलाया हरदम अपनी नींदे छोड़कर
मैं बेफिक्र सो जाता था तुम्हारी कहानियाँ ओढ़कर

कितना सुकून मिलता था तुम्हारी गोदी में रहकर
तुम्हे कितना दुःख होता था मेरे आंसुओं को लेकर
इतनी फ़िक्र और कौन करेगा.

हमेशा मौजूद रहना वहां पर
कि कहीं मुझे चोट न लग जाए

आगे रहती हो सदा ही मेरे रास्ते पर
कि कोई मुझे रोक न पाए.

मेरी एक मुस्कराहट तुम्हारी खुशी
का जरिया हो जाता है
मेरे जरा सी उदासी तुम्हारे दुखों का दरिया हो जाता हैं.

मेरी हार जैसे तुम्हे बिलकुल
भी गवारा नहीं हैं.
तेरा प्यार वह मीठा समन्दर है
माँ
जिसका कोई किनारा नहीं हैं.

दुनिया मेरी झूठी मुस्कराहटों का किस्सा
अक्सर मान लेती है.
पर तेरे सामने आते ही मेरे दिल का हाल
तू ना जाने कैसे जान लेती हैं.
इतनी फ़िक्र और कौन करेगा.

और कितना क्या कहूँ
माँ मैं तुम्हारे बारे में
शब्दों का सागर भी कम पड़ जाए
और मैं हूँ किनारे पे

मुझे जन्म दिया है तुमने
जिन्दगी और मौत से लड़ कर के
सारे हक दिलाएं है मुझे दुनिया से झगड़ करके

माँ का दर्जा किसी खुदा से कम क्या होगा
खुदा ने भी अपनी कमी पूरी की है तुम्हे बना करके
MOTHER POEMS BY: Aalay Imran

माँ पर कविता 2024 | Poem On Mother In Hindi

घुटनों से रेंगते रेंगते
कब पैरो पर खड़ा हुआ
तेरी ममता की छाँव में
न जाने कब बड़ा हुआ?
काला टीका दूध मलाई
आज भी सब कुछ वैसा है
मै ही मै हु हर जगह
प्यार ये तेरा कैसा है
सीधा साधा भोला भाला
मै ही सबसे अच्छा हु
कितना भी हो जाऊ बड़ा
माँ मै आज भी तेरा बच्चा हु.

मेरी माँ पर कविता (Meri Maa Par Kavita)

माता मैंने तुझको बड़ी मन्नतों से पाया,
मेरे जीवन राह पे माता तेरा आँचल साया,
मैंने लाख जतन किए पर कर्ज न तेरा चुका पाया…


धरा पर मैं जब आया एक तू ही बनी सहारा,
अपने रक्त-बीज से माता तूने मुझे संवारा,
लिपटकर तेरी छाती से मन मेरा मुस्काया…


मेरे नैन और मन मे माता तेरा रूप समाया,
सभी मुसीबत में केवल माँ तूने हाथ बढ़ाया,
मैं तेरी ममता की कभी कीमत नही लगाया…


जब भी कोमल हाथो से तू केश मेरे सहलाती है,
सारी पीड़ा मिट जाती है ओंठो पे शरारत आती है,
सत्कर्मो का तूने ज्ञान दिया जीने का मधुरम गान दिया,
मैं जब भी पड़ता मुश्किल में संघर्ष अमिट वरदान दिया.

माँ पर छोटी कविता (Maa Par Short Poem)

मेरे जिह्वा पर माँ तूने शब्दो का लेप लगाया,
कोमल बदन पर माता प्यार से तूने सहलाया,
तेरी शिक्षा के दीपक से मेरा चित्त जगमगाया,
प्यार-दया और करुणा से मेरा जीवन फुसलाया…


तू इस दुनिया मे सबसे प्यारी माँ कैसे करूं बखान तुम्हारी,
मेरे रोम-रोम हर स्वास में तेरी छाप अमिट-अक्षय-हितकारी,
भूख-प्यास मैं सह लूंगा बस ममता तेरी पाना है,
नही चाहिए धन-दौलत बस गोद मे तेरी सोना है…!!!!


माँ की ममता पर कविता

“माँ तुम बहुत याद आती हो”
अब मेरी सुबह 6 बजे होती है
और रात 12 बज जाती है,
तब
“माँ तुम बहुत याद आती हो”
.
सबको गरम गरम परोसती हूँ,
और खुद ठंढा ही खा लेती हूँ,
तब
“माँ तुम बहुत याद आती हो”
.
जब कोई बीमार पड़ता है तो
एक पैर पर उसकी सेवा में लग
जाती हूँ,
और जब मैं बीमार पड़ती हूँ
तो खुद ही अपनी सेवा कर लेती हूँ,
तब
“माँ तुम बहुत याद आती हो”
.
जब रात में सब सोते हैं,
बच्चों और पति को चादर ओढ़ाना
नहीं भूलती,
और खुद को कोई चादर ओढाने
वाला नहीं,
तब
“माँ तुम बहुत याद आती हो”
.
सबकी जरुरत पूरी करते करते
खुद को भूल जाती हूँ,
खुद से मिलने वाला कोई नहीं,
तब
“माँ तुम बहुत याद आती हो”
.
यही कहानी हर लड़की की शायद
शादी के बाद हो जाती है
कहने को तो हर आदमी शादी से
पहले कहता है
“माँ की याद तुम्हें आने न दूँगा”
पर फिर भी क्यों?
“माँ तुम बहुत याद आती हो”

माँ तो माँ होती है (Heart touching video)


मां पर कविता

दुध पिलाया जिसने छाती से निचोड़कर
मैं ‘निकम्मा, कभी 1 ग्लास पानी पिला न सका ।
बुढापे का “सहारा,, हूँ ‘अहसास’ दिला न सका
पेट पर सुलाने वाली को ‘मखमल, पर सुला न सका ।
वो ‘भूखी, सो गई ‘बहू, के ‘डर, से एकबार मांगकर
मैं “सुकुन,, के ‘दो, निवाले उसे खिला न सका ।
नजरें उन ‘बुढी, “आंखों से कभी मिला न सका ।
वो ‘दर्द, सहती रही में खटिया पर तिलमिला न सका ।
जो हर “जीवनभर” ‘ममता, के रंग पहनाती रही मुझे
उसे “दिवाली पर दो ‘जोड़ी, कपडे सिला न सका ।
“बिमार बिस्तर से उसे ‘शिफा, दिला न सका ।
‘खर्च के डर से उसे बड़े अस्पताल, ले जा न सका ।
“माँ” के बेटा कहकर ‘दम,तौडने बाद से अब तक सोच रहा हूँ,
‘दवाई, इतनी भी “महंगी,, न थी के मैं ला ना सका ।


कविता माँ के लिए

सावन की सुखद फुहारों जैसी, …..
पतझड़ में मधुमास है माँ, ….
सागर की अतुलित गहराई सम,…
पर्वत सी ऊँचाई मां … ।।
मां धरती की दिव्य चेतना,….
गंगा की निर्मल धारा मां,….
सुंदर सुखद हरियाली सम….,
ममता की मूरत है माँ ।।……
वसुधा जैसी धैर्यवान भी…,
सारे कष्ट उठाती माँ,….
कांटों की राहों पर चलती,……
उफ तक भी नहीं करती माँ।।…..
तेज धूप में सुंदर छाया,….
बारिस में छतरी है मां….,
कोयल की सुखद सुहानी ध्वनि सी,…
ममता की मूरत है मां ।।

माँ का आंचल हिंदी कविता on mother poem for kids hindi language

माँ का आँचल मैं टूट जाऊं या बिखर जाऊं,
चाहे बिखरा ही तूं रहने दे।
तूं मुझे ये सितम सह लेने दे
बस ख्वाहिश है तो एक ही
मेरी मुझे मां के आंचल में रहने दे।
ये जिंदगी की गर्दिश काल्पनित,
अकारण, और अनर्थ हैं।
मां की ममता से बढ़कर सब व्यर्थ है।
मैं आज सुना रहा हूं पीड़ा तुझको,
बस गम की चोटें कहने दे
मुझे मां के आंचल में रहने दे
मैं मुकम्मल जहां या बेशुमार
जीवन नहीं चाहता न जिंदगी के
हसीन पल चाहता हूं।
मैं तुझसे मांगू एक ही वर।
मेरी मां हो अनंत, अमर दे सकता हैं
वरदान मुझे ये, क्या तेरे बस की बात नहीं!
या कुदरत की औकात नहीं
मैं नदी की धार सुना रहा,
थोड़ा सा तूं बहने दे मुझे
मां के आंचल में रहने दे।।
मुझे मां के आंचल में रहने दे।

मेरी माँ (कविता)

चुपक़े चुपके मन ही मन मे
ख़ुद को रोतें देख़ रहा हूं
बेबस होक़े अपनी माँ क़ो
बूढा होता देख़ रहा हूं

रचा हैं बचपन की आँखो मे
ख़िला खिला सा माँ क़ा रूप
जैसे ज़ाड़े के मौसम मे
नरम गरम मख़मल सी धूप
धीरें धीरें सपनो के इस
रूप को ख़ोते देख़ रहा हूँ

बेब़स होके अपनी माँ क़ो
बूढा होता देख़ रहा हू………

छूट छूट ग़या हैं धीरें धीरें
माँ के हाथ का ख़ाना भी
छीन लिया हैं वक्त ने उसक़ी
बातो भरा खज़ाना भी
घर की मालक़िन को
घर के क़ोने में सोते देख़ रहा हूं

चुपकें चुपकें मन ही मन मे
ख़ुद को रोते देख़ रहा हूं………
बेब़स होके अपनी माँ क़ो
बूढा होता देख़ रहा हूं…

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