अंतरिक्ष में विज्ञान पर निबंध | Essay On Science In Space In Hindi

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Essay On Science In Space In Hindi

300 शब्द

शुरुआत से ही इंसानों को अंतरिक्ष में जाने का काफी अट्रैक्शन रहा हुआ है। पहले के समय में जब टेक्नोलॉजी इतनी एडवांस नहीं थी, तब इंसान अपनी कल्पना और कहानियों के जरिए अंतरिक्ष की सैर करता था.

परंतु अपनी कल्पना को वास्तविक जिंदगी में साकार करने के लिए इंसान ने स्पेस रिसर्च की फील्ड में शोध करने के बारे में सोचा और इस प्रकार इंसानों ने बीसवीं सदी के बीच में अंतरिक्ष की फील्ड में काफी शानदार सफलता हासिल की।

वर्तमान के समय में इंसान अंतरिक्ष तक तो पहुंच ही गया है, साथ ही वह अंतरिक्ष के कई गूढ़ रहस्य के बारे में भी जान गया है और वह अंतरिक्ष की सैर करने के अपने सपने को भी साकार कर चुका है।

अंतरिक्ष में इंसानों के सफर की स्टार्टिंग साल 1957 में हुई थी और उस दिन 4 अक्टूबर था। 4 अक्टूबर के दिन स्पुतनिक नाम के एक अंतरिक्ष यान को अंतरिक्ष की कक्षा में सोवियत संघ के द्वारा भेजा गया था और इस प्रकार अंतरिक्ष युग की स्टार्टिंग हो गई थी। सोवियत संघ ने जिस यान को भेजा था, उसमें एक कुत्तिया भी भेजी गई थी, जिसका नाम “लाइका” था।

इस कुत्तिया को इसलिए भेजा गया था ताकि अंतरिक्ष में जीव के ऊपर कैसे प्रभाव पड़ते हैं, इसकी जानकारी हासिल की जा सके। इसके बाद आगे बढ़ते हुए साल 1958 में 31 जनवरी के दिन अमेरिका देश ने “एक्सप्लोरर” नाम के अंतरिक्ष यान को छोड़ा।

इसे इसलिए छोड़ा गया था ताकि यह पृथ्वी के ऊपर मौजूद चुंबकीय क्षेत्र और पृथ्वी पर उसके इफेक्ट की स्टडी कर सकें। अंतरिक्ष यान को इसीलिए अंतरिक्ष में भेजा जाता है ताकि वह अंतरिक्ष में जो भी रहस्य मौजूद है, उनके बारे में जानकारी हासिल कर सके और अंतरिक्ष के गूढ़ रहस्यों से पर्दा उठाए।

इसलिए जितने भी अंतरिक्ष यान भेजे जाते हैं, उसमें कैमरा भी लगाया जाता है ताकि वह अंतरिक्ष के सभी दृश्य को रिकॉर्ड कर सकें। 

साल 1959 में अक्टूबर के महीने में लूना 3 नाम का एक अंतरिक्ष यान सोवियत संघ के द्वारा भेजा गया था। इस यान ने सबसे पहली बार चंद्रमा की फोटो को कैप्चर किया था।

इसके बाद आगे बढ़ते हुए साल 1962 में ‘मैराइनर-2’यान को अमेरिका ने भेजा था जिसने शुक्र ग्रह के बारे में बहुत ही इंपॉर्टेंट जानकारी प्रदान की।

इसके बाद तो दुनिया के कई देशों ने अंतरिक्ष में अपने यान भेजा चालू कर दिया। यहां तक कि हमारे भारत देश ने भी अंतरिक्ष में अपने यान को भेजा है।

500 शब्द : अंतरिक्ष में विज्ञान पर निबंध

यह मनुज
जिसका गगन में जा रहा है यान
कांपते जिसके करों को देखकर परमाणु
यह मनुज विज्ञान में निष्णात
जो करेगा, स्यात् मंडल और विधु से बात

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प्रस्तावना– प्रस्तुत शताब्दी विज्ञान के नित नवीन प्रयोगों और आविष्कारों की हैं. विज्ञान ने पृथ्वी की पुस्तक के सभी पृष्ट खोलकर पढ़ डाले हैं. अब वह धरती पर अपनी उपलब्धियों से संतुष्ट नहीं हैं. अब उनका ध्यान अंतरिक्ष की ओर हैं.

धरती एक परिवार– यह विज्ञान की ही देन है कि अमेरिका आदि दूरस्थ स्थानों पर घटित घटना का पता भारत को चंद मिनटों में ही चल पाता हैं.

मोबाइल फोन, इंटरनेट आदि यंत्रों से हम बातें कर सकते हैं. तथा सब कुछ जान सकते हैं. विज्ञान ने धरती को एक परिवार बना दिया हैं.

अन्य ग्रहों का ज्ञान– आज मनुष्य का ध्यान धरती से बाहर अन्य ग्रहों की ओर जा पहुंचा है, जो इसी सौरमंडल में स्थित हैं. पहले वह धरती के उपग्रह चन्द्रमा पर पहुंचा.

अब तो चन्द्रमा पर बस्ती बसाने की योजनायें बनने लगी हैं. अमेरिका, यूरोप आदि के देशों में चन्द्रमा पर कॉलोनी बसाने के लिए भूमि की बुकिंग भी हो रही हैं.

वर्तमान में वैज्ञानिकों का ध्यान अंतरिक्ष में सुदूर स्थित ग्रहों की ओर हैं इसके रॉकेटयान शनि तथा मंगल ग्रहों तक पहुँच चुके हैं. मंगल पर जल होने का विश्वास व्यक्त किया जा रहा हैं. शनि के उपग्रह टाईटनिक का अध्ययन भी आरम्भ हो चुका हैं.

कल्पना का यथार्थ में परिवर्तन– अंग्रेजी भाषा के लेखक एच जी वेल्स ने धरती पर मंगलग्रह के निवासियों के काल्पनिक आक्रमण का वर्णन अपने उपन्यास में किया था.

यह कल्पना इंग्लैंड तथा यूरोप के लोगों के मस्तिष्क में सजीव रही हैं. आज विज्ञान इस कल्पना को यथार्थ में परिवर्तित करने में लगा हैं.

इसका राकेटयान मंगल की धरती पर उतर चुका हैं. और वहां के चित्र पृथ्वी पर प्राप्त हो रहे हैं. वैज्ञानिक इनका  अध्ययन  कर रहे हैं. उनका विचार है कि मंगल की जलवायु पृथ्वी के निवासियों के रहने के लिए उपयुक्त हो सकती हैं. मंगल ग्रह पर पानी की उपस्थिति तो नहीं मिली है. परन्तु रेत पर बनी हुई लकीरों से उनको वहां पानी होने का विश्वास हो रहा हैं.

अंतरिक्ष में अध्ययन– अंतरिक्ष में हमारा सौरमंडल है, जिसमें नौ ग्रह तथा उनके उपग्रह स्थित हैं. वैज्ञानिक नौ से अधिक ग्रहों की खोज कर चुके हैं.

यूरेनस ग्रह भी खोजा जा चुका है. विज्ञान धरती पर बढ़ती जनसंख्या के लिए चन्द्रमा तथा मंगल आदि ग्रहों पर आवास बनाने की दिशा में काम कर रहा हैं.

अंतरिक्ष बहुत विस्तृत तथा विशाल हैं. हमारे सौरमंडल तथा आकाशगंगा के समान अनेक सौरमंडल तथा आकाशगंगाएं हैं. ये हमारी पृथ्वी से बहुत दूर स्थित हैं. अभी वहां तक पहुंचना संभव नहीं हैं.

किन्तु विज्ञान उनके बारे में जानने का प्रयास कर रहा हैं. अत्यंत विशाल और शक्तिशाली दूरबीनों के आविष्कार से इनका अध्ययन संभव हो सका हैं. विज्ञान ने इन ग्रह नक्षत्रों की पृथ्वी से दूरी को नापने के लिए प्रकाश वर्ष का आविष्कार किया हैं.

विज्ञान और अंतरिक्ष में यातायात– विज्ञान ने अंतरिक्ष में यात्रा करने की कल्पना ही नहीं की हैं. अपितु उसे यथार्थ रूप देने में भी वह लगा हैं.

आकाश में उड़ने का पहला साधन वायुयान था. चन्द्रमा में स्थित अन्य ग्रहों में अध्ययन के उपकरण भेजने के लिए राकेट मिसाइल आदि का सहारा लिया गया हैं.

उपसंहार– विज्ञान का अंतरिक्ष के अध्ययन का पूरा ध्यान हैं. उसने ऐसे अनेक उपकरण बनाये हैं. जिनसे अंतरिक्ष का ज्ञान प्राप्त करना सम्भव हो सका हैं. उसने शक्तिशाली दूरबीनों तथा कैमरों का निर्माण किया है, जो अंतरिक्ष को जानने में मनुष्य के सहायक हैं.

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