एपीजे अब्दुल कलाम जीवनी | Abdul Kalam Biography In Hindi

नमस्कार आज हम एपीजे अब्दुल कलाम जीवनी Abdul Kalam Biography In Hindi निबंध पढ़ेगे. भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन के नाम से विख्यात डॉ कलाम आज भी करोड़ो भारतीयों के प्रेरणास्रोत हैं.

अल्प जीवन में उन्होंने भारत के लिए बहुत कुछ किया था. उनकी जीवनी में हम डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम के जीवन को समझने का प्रयास करेंगे.

एपीजे अब्दुल कलाम जीवनी Abdul Kalam Biography In Hindi

एपीजे अब्दुल कलाम जीवनी | Abdul Kalam Biography In Hindi

मिसाइल मैंन के नाम से विश्व विख्यात भारत के महान वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति रह चुके थे. स्वर्गीय अब्दुल कलाम जीवनी में उनके जीवन विचार, कार्यो, विशेषताओ, उनके शोध,

पूरा नाम और बचपन के बारे विस्तार से जानकारी दी जा रही हैं. 83 वर्ष की आयु में 27 जुलाई 2015 को भारत ने अपने अमूल्य रत्न को सदा-सदा के लिए खों दिया था.

रामेश्वरम तमिलनाडू के एक अल्प शिक्षित परिवार में सन 1931 में जन्मे प्रो. अबुल पकिर जैनुलब्दीन अब्दुल कलाम ने रक्षा वैज्ञानिक के रूप में ख्याति अर्जित की. उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया.

कलाम का व्यक्तित्व जीवन तपस्या से भरा रहा था. दिन में अठारह घंटे काम करने के बिच वे विणा बजाने का अभ्यास भी करते थे. वे अपनी उपलब्धियों का श्रेय अपने शिक्षकों को देते थे वे बच्चों और युवाओं की आँखों में विकसित भारत की तस्वीर देखते थे.

एक घटना जिसने बदल दिया कलाम का जीवन- जब अब्दुल कलाम दस वर्ष के थे और पांचवी कक्षा में पढ़ते थे. एक दिन उनके अध्यापक श्री शिवसुब्रह्मण्यम अय्यर चिड़िया के उड़ने का सिधांत पढ़ा रहे थे. उन्होंने श्यामपट पर चित्र बनाकर लगभग बीस मिनट तक समझाया कि चिड़ियाँ कैसे उड़ती हैं.

पंख फडफडाने और संतुलन बनाने के लिए उसकी पूछ कैसे काम करती हैं. पूरा समझकर उन्होंने अब्दुल कलाम से पूछा समझ में आया, पर कलाम और कई अन्य बच्चो ने कहा हमे समझ नही आया.

इस क्रोधित होने के बदले वे अब्दुल कलाम और उनके साथियो को समुद्र तट पर ले गये. वहां इन्होने कई चिडियों को उड़ते हुए देखा. वहां पक्षियों के उड़ान भरने की प्रक्रिया अब्दुल कलाम को अच्छी तरह समझ आ गईं.

पैरो की मरोड़, पंखो की गति, पूछ से संतुलन, सभी क्रियाओ का सामजस्य सब स्पष्ट हो गया. अंत में उन्होंने बताया कि पक्षी की आंतरिक प्रेरणा और जीने की इच्छाशक्ति से उड़ता हैं.

इस अध्याय से पक्षियों के उड़ने की तकनीक के साथ-साथ जीवन जीने की गहरी सीख मिली. सैदान्तिक ज्ञान के उदाहरण के द्वारा ही पूर्ण शिक्षा का रूप मिलता हैं.

रामेश्वर के तट पर पक्षियों की उड़ान अब्दुल कलाम के मन की गहराई तक उतर गईं. यह इनके जीवन का महत्वपूर्ण अध्याय था, जिनका वे हमेशा आभारी मानते थे,

जिन अध्यापको ने पढ़ाने की विधि ने अब्दुल कलाम के जीवन का भविष्य तय कर दिया था. इसी सीख को कलाम ने अपने जीवन का लक्ष्य और उद्देश्य निर्धारित कर लिया था.

इन्होने आगे चलकर भौतिक विज्ञान का अध्ययन किया, आगे चलकर मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंजिनीयरिंग में पढ़ाई की और एक राकेट इंजीनियर, एरोप्लेन इंजीनियर और रक्षा व तकनिकी विशेयज्ञ बने.

विज्ञान की पढ़ाई के बारे में अब्दुल कलाम

सबसे जरुरी हैं, शिक्षक और विद्यार्थी का इस विषय में लगाव और विद्यार्थियों के मन में प्रबल जिज्ञासा. विज्ञान हमे एक विशेष द्रष्टि देती हैं. जिससे हमारी मानसिक अनिश्चितता समाप्त हो जाती हैं.

यह द्रष्टिकोण हमे समस्याओ को सुलझाने में शक्ति प्रदान करता हैं. हम यह चाहने लगते हैं कि किसी ऐसी समस्या को सुलझाए जिसे कोई सुलझा ना पाया हो.

इसलिए गुरुत्वाकर्षण सिद्धांतो की खोज आइन्स्टीन की रिलेटिविटी थ्योरी, स्टीफन हान्किस की स्ट्रिंग थ्योरी, सी वी रमण जिन्हें नोबल पुरस्कार मिला था. उनके बारे में पढना हमे अच्छा लगता हैं.

चन्द्रशेखर सुब्रह्मण्यम जो चन्द्रलिमिट और ब्लैक हॉल के लिए जाने जाते हैं, श्रीनिवास रामानुजन जो अंक गणित के सिद्धांतो के जन्मदाता हैं,

उन्हें पढ़ना हमे अच्छा सैद्धांतिक वैज्ञानिक आधार प्रदान करता हैं. हम आविष्कार और खोज के महत्व को उपयोगिता के साथ समझ पाते हैं.

अब्दुल कलाम के सपनों का भारत

  1. गाँवों और शहरों की विभाजक रेखा समाप्त हो जाएगी.
  2. समान वितरण के तहत उद्धयोगो एंव सेवा क्षेत्रो में सामजस्य के साथ काम होगा.
  3. कोई भी मेधावी विद्यार्थी शिक्षा और विकास के मूल्यों से वंचित नही रहेगा.
  4. यह राष्ट्र योग्य विद्यार्थियों, वैज्ञानिको और पूंजी निवेशकों की मंजिल होगा.
  5. समान वितरण के तहत उद्धयोगो को पर्याप्त उर्जा व गुणवतापूर्ण जलापूर्ति होगी.
  6. श्रेष्टतम स्वास्थ्य सेवाएँ होगी.
  7. राष्ट्र की शासन व्यवस्था पारदर्शी एवं भ्रष्टाचार से पूर्णत मुक्त होगी.
  8. गरीबी और अशिक्षा जड़ से समाप्त हो जाएगी.
  9. स्त्रियों और बच्चों के खिलाफ अपराध पूरी तरह नियत्रण में होंगे, किसी के अधिकारों का हनन नही होगा.
  10. सम्रद्ध, स्वस्थ, आतंकरहित, प्रसन्न और शांतिपूर्ण राष्ट्र को जीवनयापन करने के सर्वोत्तम स्थान होगा, जिसे अपने नेतृत्व पर गर्व होगा.

अब्दुल कलाम के मिसाइल प्रोग्राम

भारतीय समेकित प्रक्षेपण विकास कार्यक्रम का अविवादित जनक (अनडिस्प्यूटिड फादर ऑफ़ इंडियन मिसाइल प्रोग्राम) कहे जाने वाले अब्दुल कलाम ने IGMDP (इंडिग्रेटेड मिसाइल डिवेलपमेंट प्रोग्राम) की पांच मुख्य परियोजनाओ को पूरा किया. वर्ष 1983 में प्रक्षेपित मिसाइलों के नाम इस प्रकार हैं.

  1. पृथ्वी-सतह से सतह प्रक्षेपण के लिए (150 कि.मी. क्षमता)
  2. आकाश-मध्यम दुरी की प्रक्षेपण सतह से हवा में (24 किमी क्षमता)
  3. त्रिशूल- त्वरित प्रतिक्रिया की सतह से हवा में, एक छोटी दुरी का प्रक्षेपास्त्र (8 से 10 किमी क्षमता)
  4. नाग-टैंक विरोधी निर्देशित प्रक्षेपास्त्र (4 किमी क्षमता)
  5. अग्नि-तकनिकी प्रमाणक प्रक्षेपण प्रणाली (बैलास्टिक मिसाइल)

अब्दुल कलाम ने अपने अंतिम 25 वर्षो में दो प्रक्षेपास्त्र प्रणालियाँ विकसित की, जिनका परीक्षण हो चूका हैं. आकाश मिसाइल को भारतीय वायुसेना ने एक समय प्रयोग भी किया. अब अग्नि और पृथ्वी मिसाइल के कई वर्जन तैयार हो चुके हैं, जिनको प्रसारित किया जाना हैं.

अब्दुल कलाम के सुचना और संचार से शिक्षा में प्रयोग के विचार

देश के दूरस्थ शैक्षिक कार्यक्रमों को देश के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता से व्यवहारिक बनाने के लिए तीन तरह के कार्यक्रम आवश्यक हैं- सम्पर्क, प्रसारण और उत्पादन एवं उसका प्रसार,

जो सम्पर्क को डेढ़ लाख टर्मिनल के साथ जोड़ने की क्षमता रखता हैं. जो देश के दुसरे भाग में ब्रांड बैड और बेतार के तार संचार माध्यम से जुड़े हुए हैं. ये सभी साधन शिक्षा पद्दति के लिए उत्तम हैं.

जब हम सारे देश को संचार माध्यम से जोड़ने में सफल हो जाएगे तो शिक्षण संस्थाओ से विद्यार्थी और शिक्षकों का प्रत्यक्ष और परोक्ष सम्पर्क साधा जा सकेगा. इस सम्पर्क में व्यापक शिक्षण अभियान चलाएं जा सकते हैं. जिससे हर क्षेत्र के लोग लाभान्वित हो सकते हैं.

परमाणु शक्ति के रचनात्मक उपयोग- अब्दुल कलाम के अनुसार परमाणु शक्ति न सिर्फ राष्ट्र की सुरक्षा में अपना योगदान दे सकती हैं,

इसके अतिरिक्त कई ऐसे रचनात्मक कार्य हैं, जिनमे परमाणु शक्ति अहम भूमिका निभा सकती हैं. परमाणु शक्ति का उपयोग उर्जा उत्पादन और कृषि के बीज प्रदीपन हेतु भी किया जाता हैं.

आपकों बता दे मिसाइल मैन अब्दुल कलाम एक अच्छे संगीतकार भी थे. जब ये जोसेफ कॉलेज में पढ़ा करते थे, तो इनकी रूचि संगीत में बढ़ने लगी.

इन्होने एम. एस. सुब्बलक्ष्मी और सी. भादुड़ी श्रीनिवास अय्यर से संगीत का ज्ञान प्राप्त किया. अक्सर अब्दुल कलाम अपने दोस्तों के साथ तिरुवर त्यागराजा उत्सव में संगीत सुनने जाया करते थे. वापिस लौटते समय भी संगीत से जुड़ी बाते किया करते थे.

अब्दुल कलाम देश के उन सभी युवा कर्णधारो को अपने संदेश में लिखा, किसी भी युवक को भविष्य से घबराने की जरुरत नही हैं. अगर उसने अपना लक्ष्य निर्धारित कर लिया हैं, तो समय बहुत बलवान हैं.

सदाचारी बनो, आत्मविश्वास रखो. कि तुम्हारे पास हर समस्या का सामना करने की ताकत हैं. ऐसा करके तुम अपने लक्ष्य को आसानी से प्राप्त कर लोगे.

एपीजे अब्दुल कलाम निबंध

अब्दुल कलाम 25 जुलाई 2002 से 25 जुलाई 2007 तक भारत के राष्ट्रपति रहे थे.इससे पूर्व उन्हें वर्ष 1997 में भारत रत्न से नवाजा गया था.

उनके 79 वे जन्म दिवस को सयुक्त राष्ट्र संघ ने विश्व विद्यार्थी दिवस के रूप में मनाया था. आज भी उनका जन्मदिन 15 अक्टूबर को विद्यार्थी दिवस के रूप में मनाते हैं.

अब्दुल कलाम सदैव विद्यार्थियों के प्रेरणास्त्रोत बने रहे और उन्हें सपनों के भारत के निर्माण में संलग्न होने के लिए तत्पर करते रहे.

उनकी इसी विचार बोद्ध की पुस्तक विग्स ऑफ़ फायर इंडिया-2020 भारतीय विद्यार्थियों में खासी चर्चित रही हैं.

अब्दुल कलाम ने कहा था. सपने वे नही होते हैं, जो नीद में देखे जाते हैं, सपने वे होते हैं, जो हमारी नीदे उड़ा देते हैं.

देश के 11 वे राष्ट्रपति और मिसाइल मेन नाम से प्रसिद्ध Abdul Kalam साहब जिनका पूरा नाम D.R अवुल पकिर Jainulabdeen “एपीजे” Abdul Kalam का जन्म तमिलनाडु के छोटे से गाँव धनुषकोडी में 15 अक्टूबर 1931 को हुआ था

कलाम साहब एक गरीब मुस्लिम मछुहारे के परिवार में जन्मे जहा उनके घर में कई परिवार साथ-साथ रहते थे कलाम साहब ने अपनी शुरूआती सिक्षा रामेश्वर गाव के एक छोटे से स्कुल से की कलाम साहब एक गरीब घर से निकल्कर कैसे भारत के राष्ट्रपति और एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक बने.

Abdul Kalam के परिवार की आर्थिक हालत बेहद नाजुक थे उनके पिताजी एक मछुआरे थे जो अपनी बोट किराये पर देकर घर का खर्चा निकलते थे.

बचपन में कलाम साहब अखबार बेचने का काम किया करते थे कलाम साहब ने घरेलू हालतों से अखबार बेचकर अपनी पढाई करते थे.

कलाम साहब ने १२ वि कक्षा स्च्वार्त्ज़ मैट्रिकुलेशन स्कूल (रामनाथपुरम) से की और कॉलेज की पढाई सैंट जोसफ कॉलेज से की जो तमिलनाडु के तिरुचिराप्पल्ली में है

इसके बाद 1955 में मद्रास चले गये जहा उन्होंने खगोल विज्ञानं में स्नातक की डिग्री पास की ! कलाम साहब बचपन से ही वायुयान के पायलट बनना चाहते थे.

अपना सपना पूरा न होते देख भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान (DRDO)में एडमिशन लिया और कलाम साहब ने हावरक्राफ्ट परियोजना का सफल संचालन किया यहा भी कलाम साहब संतुष्ट नहीं हुए तो उन्होंने छोड़ दिया

अब A.P.J. Abdul Kalam ने 1962 में इसरो भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO)में एडमिशन लिया यहा पर कलाम साहब ने निरंतर काम किया.

उनके संचालन में ही हमारे पहले अन्तरिक्ष उपग्रह “प्रथ्वी ” का सफल प्रक्षेपण किया गया और भारत की इस अभूतपूर्व सफलता के बाद हमे अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब में सदस्यता मिल गयी.

इसरो में काम करते हुए A.P.J. Abdul Kalam कई महत्वपूर्ण कार्य किये जिनमे “प्रथ्वी “को अन्तरिक्ष कक्षा में स्थापित करने में कलाम साहब ने अभूतपूर्व योगदान दिया था.

साथ ही उन्होंने नासा यात्रा की और वैज्ञानिक राजा रमन्ना के साथ मिलकर 1974 को पोकरण में पहला सफल परमाणु परिक्षण किया गया साथ ही स्वदेशी गाइडेड मिसाइल्स की डिजायन का काम भी किया

इसरो में काम करने के साथ ही कलाम साहब एक प्रसिद्ध और सफल अन्तरिक्ष वैज्ञानिक बन चुके थे सन 1981 में उन्हें पद्मविभुष्ण से सम्मानित किया गया तब तक कलाम साहब इसरो के निदेशक बन गये और उन्होंने अपना पूरा ध्यान भारत में निर्मित गाइडेड मिसाइल्स पर रखा.

1992 से 1999 तक कलाम साहब भारत के रक्षा मंत्रलय के सलाहकार नियुक्त किये गये सन 1997 को कलाम साहब को देश के सबसे बड़े सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया.

अगले ही वर्ष उन्होंने भारत का दूसरा परमाणु परिक्षण 1998 को पोकरण में उनकी दिशानिदेश में हुआ कलाम साहब भारत के बहुमूल्य रत्न थे उन्ही के कार्यो और लग्न के कारण ही आज हम एक न्यूक्लियर पॉवर हैं

APJ Abdul Kalam के कार्यो से आम जनता में अति लगाव था इसका ही कारण था की वर्ष 2002 में उन्हें राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार बनाये गये और इसी चुनाव में वो देश के 11 वे राष्ट्रपति बने इसके बाद तो कलाम साहब को जनता का राष्ट्रपति कहकर बुलाये जाने लगे.

कलाम साहब ने अपने कार्यकाल के दोरान भारत की युवा पीढ़ी को मजबूत बनाने पर जोर दिया कलाम साहब व्यक्तित्व से अनुशासन प्रिय और सीधी सादी जिन्दगी जीने वाले इंसान थे उनका बच्चो से विशेष प्रेम था जब कभी बच्चो से मिलते उन्को अच्छी सलाह और दिशानिदेश देते थे .

कलाम साहब की यह सोच थी की देश की युवा पीढ़ी राजनीती में आये तभी देश आगे बढ़ पायेगा कलाम साहब मानते थे की देश के इतिहास में अधिकतर समय युद्ध और पराधीनता में निकाले इसलिए किसी भी देश के विकास के लिए शांति रहना जरुरी हैं इसके लिए हमारे देश को भी शक्ति सम्पन्न बनाना होग

2007 में कलाम साहब ने राष्ट्रपति पद की सेवा पूरी करने के तत्पश्चात शिलोंग, अहमदाबाद तथा इंदौर बैंगलोर में प्रोफेसर के पद पर काम किया कलाम साहब वेसे से मुस्लिम धर्मावलम्बी थे.

मगर वे गीता और कुरान को समान रूप से मानते थे कलाम साहब भारत की संस्कृति के प्रेम पुजारी थे उनका लगाव गाने बजाने और किताबे पढने में था विणा उनका पसंदीदा वाध्ययंत्र था

जिन्हें वो अक्सर बजाते थे वो दिन था 27 जुलाई 2015 को देश के लिए ब्लैक डे साबित हुआ जब मिसाइल मेन हमारे बीच रहे उस दिन वो शिलाग के एक शेक्षिक संस्थान में व्यख्यान दे रहे थे.

तभी उनको दिल का दोरा पड़ने से चल बसे और यह देश के लिए कभी न पूर्ण होने वाली क्षति थी 30 जुलाई को कलाम साहब को रामेश्वर में ही दफनाया गया जो उनका पेट्र्क गाव था उस दिन गूगल ने भी अपना होम पेज ब्लैक दिखाया था और केंद्र सरकार ने सात दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा की थी

डॉक्टर ए. पी. जे. Abdul Kalam ने देश के युवाओ के लिए कई प्रेरणादायी पुस्तके भी लिखी जिनमे विंग्स ऑफ़ फायर, ए मैनिफेस्टो फॉर चेंज, इंस्पायरिंग थॉट्स प्रमुख हैं कलाम साहब की एक कहावत थी.

सबसे उत्तम कार्य क्या होता है? किसी इंसान के दिल को खुश करना, किसी भूखे को खाना देना, ज़रूरतमंद की मदद करना, किसी दुखियारे का दुख हल्का करना और किसी घायल की सेवा करना.

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