चन्द्रावती नगरी सभ्यता का इतिहास | Chandravati Nagari

चन्द्रावती नगरी सभ्यता का इतिहास Chandravati Nagari सिरोही के माउंट आबू की तलहटी में आबू रोड के निकट चन्द्रावती नाम से एक प्राचीन शहर के अवशेष है.

यह प्राचीन शहर सेवाणी नदी के दाएं तट पर बसा हुआ था, तथा लगभग 50 हेक्टेयर के क्षेत्र में फैला हुआ था. चन्द्रावती की खोज 1822 में कर्नल जेम्स टॉड द्वारा की गई.

सन 1980 में महाराजा सियाजीराव गायकवाड़ विश्वविद्यालय बडौदा के पुरातन विभाग द्वारा इस प्राचीन शहर तथा सम्बद्ध क्षेत्र का गहन सर्वेक्षण किया गया.

चन्द्रावती नगरी सभ्यता का इतिहास Chandravati Nagari History In Hindi

चन्द्रावती नगरी सभ्यता का इतिहास Chandravati Nagari History In Hindi

सनः 2013 एवं 2014 में इंस्टीट्यूट ऑफ राजस्थान स्टडीज (साहित्य संस्थान) जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय, उदयपुर एवं राजस्थान राज्य पुरातत्व विभाग जयपुर के संयुक्त नेतृत्व में चन्द्रावती का पुरातात्विक उत्खनन किया गया.

शहर के पश्चिम भाग में एक विशाल किले के अवशेष है. जो लगभग 26 बीघा में फैला है. मध्य भाग भाग में 33 मन्दिर समूहों के अवशेष जो हिन्दू तथा जैन धर्म से सम्बन्धित है.

अधिकाँश मन्दिर ईंटों से निर्मित ऊँची जगती पर निर्मित है. यहाँ से बड़ी संख्या में प्राप्त मूर्तियाँ माउंट आबू संग्रहालय (Mount Abu Museum) में सुरक्षित है. स्थापत्य के दृष्टिकोण से इन्हें 8 वीं से 15 वीं शताब्दी के मध्य रखा जा सकता है.

उत्खनन में चन्द्रावती नगरी के पूर्वी भाग में दो किले खोजे गये है. इनमे से एक किला वर्गाकार है तथा 60 ×60 मीटर क्षेत्र में फैला हुआ है. इसके आयताकार तथा गोल बुर्ज बनाकर सुरक्षा दीवार को मजबूती प्रदान की गई है.

उत्खनन में तीन विशाल भवनों के अवशेष भी प्राप्त हुए है. एक कमरे में बड़ी संख्या में विभिन्न प्रकार के अनाजों के जले हुए बीज तथा अनाज पीसने के घट्टी का भाग खोजा गया है.

चन्द्रावती के भवनों में घोड़े व मनुष्य की म्रण मूर्तियाँ, मिट्टी व लोहें की वस्तुएं प्राप्त हुई है. सभी भवन व फर्श ईंटों के बने हुए थे.

Chandravati Nagari Mount Abu Museum

किले के प्रवेश द्वार पर संवत् 1325 का एक अभिलेख भी मिला है. चन्द्रावती के अभिलेख तथा ताम्रपत्र माउंट आबू संग्रहालय (Mount Abu Museum) में सुरक्षित है. यह परमार शासकों की राजधानी थी. जिनमे यशोधवल तथा धारा वर्ष जैसे प्रतापी राजा हुए है.

परमारों के पश्चात चन्द्रावती नगरी पर चौहदवी शताब्दी में देवड़ा राजपूतों का अधिकार हो गया तथा 15 वीं शताब्दी में आक्रमणों के कारण चन्द्रावती नगर ध्वस्त हो गया.

चन्द्रावती के उपर्युक्त अवशेषों के नीचे एक अन्य प्राचीन बस्ती के भी अवशेष है. यह उत्खनन से स्पष्ट हुआ है कि उपलब्ध पुरातात्विक अवशेषों के आधार पर यह बस्ती छठी से नवी शताब्दी के बिच की हो सकती है.

चन्द्रावती के क्षेत्र से पाषाणकालीन उपकरण तथा शैलचित्र भी मिले है. अतः यह स्पष्ट है कि पाषाणकाल से ही मानव समाज चन्द्रावती नगरी में उपस्थित था. मध्यकाल में यह व्यापार का भी प्रमुख केंद्र रहा.

इंदिरा गांधी का चंद्रावती सभ्यता देखने आना

भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी अपनी मौत से तकरीबन 3 महीने पहले चंद्रावती सभ्यता को देखने के लिए यहां पर आई थी और उन्होंने तकरीबन यहां पर 3 घंटे से लेकर के 4 घंटे का समय बिताया.

इस सभ्यता को देख कर के वह बहुत ही ज्यादा खुश हुई थी और उन्होंने तुरंत ही उस टाइम के राज्यपाल ओपी मेहरा और मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर को यह आदेश दिया कि वह इस सभ्यता को जितना ज्यादा हो सके उतना ज्यादा डिवेलप करें।

इंदिरा गांधी जी ने यह आदेश साल 1984 में 8 जुलाई के दिन दिया था। इसके अलावा आपको बता दें कि जाने-माने इतिहासकार कर्नल टॉड जब साल साल 1922 में भारत आए थे तो उन्होंने भी चंद्रावती सभ्यता को विजिट किया था.

उन्होंने इस पर एक किताब लिखी थी जिसका नाम वेस्टर्न इंडिया था जिसमें उन्होंने यह बताया था कि उन्हें चंद्रावती सभ्यता देखने के दरमियान तकरीबन 20 मंदिर ऐसे मिले जो देखने में वास्तव में अद्भुत थे।

पत्थरों से आती है आरती जैसी आवाज

बता दें कि, वर्तमान के टाइम में यह सभ्यता चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरी हुई है और ऐसा कहा जाता है कि अगर कोई व्यक्ति इसके पत्थरों को बजाता है तो उसमें से जो आवाज निकलती है.

वह बिल्कुल किसी सुबह की आरती की तरह सुनाई देती है। कहने का मतलब है कि अगर आप पत्थरों को बजाते हैं, तो उसमें से आने वाली आवाज आरती की तरह होती है।

कुछ लोग ऐसा कहते हैं कि जब यहां पर पत्थरों को बजाया जाता है तो उसमें से जो आवाज निकलती है वह प्राचीन काल में जब आरती होती थी तो जो आवाजे उत्पन्न होती थी बिल्कुल वैसी ही सुनाई देती हैं, क्योंकि पत्थरों से निकलने वाली आवाज बिल्कुल घंटी की तरह यहां पर सुनाई देती हैं।

ब्रिटिश गवर्नमेंट के द्वारा रेल मार्ग बिछाना और मूर्तियों का चोरी होना

ऐसा कहा जाता है कि जब ब्रिटिश गवर्नमेंट के द्वारा यहां पर रेलमार्ग बिछाया गया तो पटरियों को पत्थरों के ऊपर डाला गया जिसके कारण अधिकतर मूर्तियां नीचे दब गई.

जो मूर्तियां बची हुई थी उनमें से कई मूर्तियों को चोर उठाकर के ले गए और उन्हें अलग-अलग जगह पर जा कर के बेच दिया गया।

वर्तमान के टाइम में अगर आप यहां पर जाएंगे तो आपको यहां पर बहुत से प्रकार के टूटे टीले दिखाई देंगे, जो यह दिखाते हैं कि चंद्रावती नगरी सभ्यता कितनी ज्यादा उन्नत थी।

कुछ विद्वानों के अनुसार तो ऐसा कहा जाता है कि चंद्रावती नगर की सभ्यता लंका के समान अच्छी थी। डॉक्टर भंडारकर ने कम से कम 360 जैन मंदिरों के अस्तित्व के होने की बात को चंद्रावती नगरी सभ्यता को देखने के बाद व्यक्त किया था।

999 मंदिरों के अवशेष

इतिहासकारों के नजरिए से देखा जाए तो चंद्रावती सभ्यता में टोटल 999 मंदिरों के होने की बात मानी जाती है जिसमें मुख्य तौर पर विष्णु भगवान के मंदिर के अलावा हिंदू धर्म के शंकर भगवान के मंदिर शामिल थे। इसके अलावा बहुत सारे जैन मंदिर भी यहां पर होने की बात कही जाती थी।

ऐसा भी कहा जाता है कि जब यहां पर आरती होती थी तो उस आरती की आवाज माउंट आबू पर्वत के गुरु शिखर तक सुनाई देती थी। चंद्रावती नगर की सभ्यता में सिक्योरिटी के लिए पहाड़ों पर बड़ी-बड़ी सुरक्षा चौकी भी बनाई गई थी, जहां पर राजा के सैनिक तैनात होते थे और राज्य की रक्षा करते थे।

कुछ जगहों पर यह भी उल्लेख मिलता है कि टोटल सैनिक चौकियों की संख्या 7 थी। वर्तमान में भी यहां पर स्थित पहाड़ों पर सैनिक चौकियों के अवशेष आपको देखने को मिलेंगे। चंद्रावती नगर सभ्यता में रहने वाले शिल्पकार नदी के किनारे अपनी मूर्तियां बनाते थे।

चंद्रावती में बनी थी भूकंप रोधी इमारतें

आपकी इंफॉर्मेशन के लिए बता दें कि, तकरीबन 5 साल पहले यहां पर कुछ जगह की खुदाई गवर्नमेंट के आदेश के बाद की गई थी जिसमें कई चौंकाने वाली बातें सामने निकल कर आई थी। 

खुदाई के दरमियान एक्सपर्ट ने इस बात को पाया कि यहां पर कुछ ऐसे घरों और इमारतों का निर्माण किया गया था जो भूकंप के झटके को आसानी से सह सकें। खुदाई के दरमियान यहां पर तकरीबन 1400 साल से भी पुरानी इमारतें मिली थी, जो कि भूकंप में भी आसानी से गिरने वाली नहीं थी।

खुदाई के दरमियान मिले थे 11वीं 12वीं शताब्दी के अवशेष

जब गवर्नमेंट के आदेश के बाद यहां पर खुदाई का काम चालू किया गया था तब कई अद्भुत चीजें यहां पर प्राप्त हुई थी। जैसे कि खुदाई के दरमियान यहां पर प्राचीन किले की दीवारें प्राप्त हुई थी। 

इसके अलावा बड़े-बड़े पानी के मटके भी मिले थे, साथ ही बड़ी-बड़ी पत्थरों की मूर्तियां, गेहूं पीसने की चक्की और अनाज के दाने जैसे कई महत्वपूर्ण चीजें यहां से प्राप्त हुई थी, जिसे आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के अधिकारियों के द्वारा सुरक्षित रख लिया गया था।

गवर्नमेंट के द्वारा चंद्रावती नगरी सभ्यता के डेवलपमेंट के लिए तकरीबन 5000000 रुपए की घोषणा भी की गई थी।

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उम्मीद करता हूँ दोस्तों चन्द्रावती नगरी सभ्यता का इतिहास Chandravati Nagari History In Hindi का यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा.

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1 thought on “चन्द्रावती नगरी सभ्यता का इतिहास | Chandravati Nagari”

  1. Bharat r shah chandravala paramar

    Hamare vansaj chandravala paramar gotri he or yaha se kai sal purv nikal gaye he to krupiya hamare kuldevi ki khoj Jari he to hamara sampark kare or sadiyo se hamara gav me dekhane ja sake asi sarakar se anumati chahate he pranam

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