द्वितीय विश्वयुद्ध के कारण स्वरूप और परिणाम | Second World War In Hindi

द्वितीय विश्वयुद्ध के कारण स्वरूप और परिणाम Second World War In Hindi: प्रथम विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद वर्साय की संधि के लिए कहा गया था कि ” यह शान्ति संधि नही अपितु 20 वर्ष के लिए विराम संधि है” यह घोषणा सत्य सिद्ध हुई.

1 सितम्बर 1939 में पौलेंड पर जर्मनी के आक्रमण के साथ ही द्वितीय विश्वयुद्ध प्रारम्भ हो गया. इस महाविनाशी युद्ध के क्या कारण थे,

कब शुरू हुआ, किन किन देशों के मध्य चला, कब समाप्त हुआ और इसके क्या परिणाम रहे सैकंड वर्ल्ड वॉर के इस लेख में इन सभी बिन्दुओं पर जानकारी प्राप्त करेगे.

द्वितीय विश्वयुद्ध के कारण स्वरूप परिणाम Second World War In Hindi

द्वितीय विश्वयुद्ध के कारण स्वरूप परिणाम Second World War In Hindi

विश्वयुद्ध द्वितीय के कारण (Causes Of World War 2 In Hindi)

वर्साय की अपमानजनक संधि- वर्साय की संधि 1919 के समय विजयी राष्ट्रों ने दूरदर्शिता की बजाय प्रतिशोध की भावना से जर्मनी का दमन किया. संधि की अपमानजनक शर्तों से जर्मन प्रतिनिधि और जनता में असंतोष था.

जर्मनी को आक्रमण का भय दिखाकर संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया. जर्मनी के हिटलर ने इन शर्तों का उल्लघंन करना शुरू कर दिया. हिटलर ने सबसे पहले राइन के क्षेत्र में सैन्यीकरण किया तथा 1938 में आस्ट्रिया पर अधिकार कर लिया.

अधिनायकवाद का विकास- प्रथम विश्व युद्ध के बाद पराजित राष्ट्रों में लोकतंत्र व्यवस्था सफल नही रही. इटली, जर्मनी, जापान तीनों देशों में सम्राज्यवादी व तानाशाही भावना प्रबल हो चुकी थी.

इन्होने वर्साय संधि की व्यवस्थाओं को तोड़ते हुए तीनों ने रोम, बर्लिन, टोकियों, धुरी का निर्माण कर लिया. इसके विरुद्ध मित्र राष्ट्रों का भी गुट तैयार हो गया.

राष्ट्रसंघ की निर्बलता- राष्ट्रसंघ का निर्माण आपसी झगड़ों को सुलझाने के लिए तथा विश्व में शान्ति बनाए रखने के लिए किया था.

परन्तु मित्र राष्ट्रों ने राष्ट्रसंघ का प्रयोग अपने हित तथा अहित के आधार पर किया. तानाशाही के विरुद्ध राष्ट्रसंघ कोई कार्य नही कर सकता था.

ब्रिटेन की तुष्टिकरण की निति- ब्रिटेन ने बढ़ते हुए साम्यवादी प्रभाव को रोकने तथा अपने व्यापार की दृष्टि से जर्मनी के प्रति सहानुभूति निति अपनाई.

जर्मनी ने आस्ट्रिया का अपहरण, चेकोस्लोवाकिया के अंग भंग, राइनलैंड के सैन्यीकरण के समय इंग्लैंड ने जर्मनी के विरुद्ध कोई कदम नही उठाया.

उग्र राष्ट्रवाद का प्रभाव- प्रथम महायुद्ध की तरह उग्र राष्ट्रीयता की भावना ‘द्वितीय विश्वयुद्ध’ का भी कारण रहा. इटली, जर्मनी व जापान में यह भावना अधिक प्रबल रही.

राष्ट्रसंघ भी इस पर नियन्त्रण करने में सफल नही हो सका. अतः फिर युद्ध की आशंका बनने लगी.

मित्र राष्ट्रों में समन्वय का अभाव- मित्र राष्ट्र परस्पर सहयोगी थे. लेकिन नीतियों में समानता का अभाव था. वे एक मत होकर जर्मनी, इटली के विरुद्ध कार्यवाही नही कर सके थे. जर्मनी का साहस बढ़ता गया और द्वितीय विश्वयुद्ध के रूप में खतरे की घंटी बज गई.

निशस्त्रीकरण की निति का सफल न होना- मित्र राष्ट्रों ने निशस्त्रीकरण निति को पराजित राष्ट्रों पर ही लागू करना चाहते थे. लेकिन निशस्त्रीकरण स्वयं पर लागू नही किया.

अन्य राष्ट्र यह बात अच्छी तरह समझ चुके थे. अतः जर्मनी व अन्य राष्ट्रों में शस्त्रीकरण की होड़ प्रारम्भ हो गई, जो विश्व शांति के लिए खतरा बन गई.

आर्थिक मंदी- सन 1929-30 को आर्थिक संकट ने यूरोप के सभी देशों की अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया. इस संकट के कारण सुरक्षा की भावना का अंत हुआ और तानाशाहों का उदय हुआ. इससे भी द्वितीय विश्वयुद्ध को प्रोत्साहन मिला.

अन्य कारण- स्पेन के गृह युद्ध में इटली व जर्मनी ने हस्तक्षेप करके वहां के शासक जनरल फ्रेंकों का समर्थन ले लिया. इटली ने अबीसीनिया पर अधिपत्य करके भी विश्व शान्ति के लिए खतरा पैदा किया. हिटलर ने 1939 में रूस के साथ अनाक्रमण समझौता कर लिया ताकि जर्मनी पौलैंड पर आक्रमण कर सके तो रूस तटस्थ रहे.

तात्कालिक कारण- जर्मनी ने चेकोस्लोवाकिया पर अधिकार करने के उपरांत 1 सितम्बर 1939 से पौलेंड पर आक्रमण कर दिया. ब्रिटेन व फ्रांस ने जर्मनी के विरुद्ध युद्ध की घोषणा के साथ ही द्वितीय विश्वयुद्ध की शुरुआत हो गई.

द्वितीय विश्वयुद्ध का स्वरूप (World War 2 History In Hindi)

युद्ध का स्वरूप इस तरह था, एक ओर राष्ट्र जर्मनी, इटली, जापान, फिनलैंड, रूमानिया और हंगरी थे. तो दूसरी ओर मित्र राष्ट्र ब्रिटेन, फ्रांस, सयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, पौलेंड व उनके उपनिवेश थे.

युद्ध के प्रारम्भ में धुरी राष्ट्रों को काफी सफलता मिली. जापान ने दिसम्बर 1941 में अमेरिकी नौसेना केंद्र पर्ल हार्बर पर आक्रमण कर दिया. इससे चिढ़कर अमेरिका भी युद्ध में शामिल हो गया.

इसके बाद मित्र राष्ट्रों को सफलता मिलने लगी. अमेरिकी सेनाओं ने हिटलर से फ्रांस को मुक्त करवा दिया. इटली ने भी आत्मसमर्पण कर दिया.

1945 को जर्मनी का भी पतन हो गया. अमेरिका द्वारा 6 अगस्त को हिरोशिमा और 9 अगस्त 1945 को नाकसाकी पर बम गिराया. इस विनाश से भयभीत होकर जापान ने 10 अगस्त को समर्पण का प्रस्ताव भेजा. अंत में 14 अगस्त 1945 को द्वितीय विश्वयुद्ध बंद हो गया.

द्वितीय विश्वयुद्ध के परिणाम (Result Of World War 2 In Hindi)

  1. प्रथम महायुद्ध की भांति इस युद्ध में अपार धन व जन की हानि हुई. युद्ध में लगभग 5 करोड़ लोग मारे गये अथवा घायल हुए. इस युद्ध में विविध देशों द्वारा 1 लाख करोड़ डॉलर धन खर्च हुआ.
  2. इस युद्ध से परमाणु बम के प्रयोग की शुरुआत हुई जो काफी विनाशक थी. वैज्ञानिक उन्नति ने इसे और भयानक बना दिया. विश्व के देश एक दूसरे के नजदीक खड़े होकर शान्ति की राह खोजने को मजबूर हुए.
  3. द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद सम्पूर्ण विश्व दो विचारधाराओं में विभाजित हो गया. एक में अमेरिका पूंजीवादी देशों का नेतृत्व करने लगा, दूसरे गुट रूस के नेतृत्व में साम्यवादी देशों का था. दोनों गुटों में काफी समय शीत युद्ध चलता रहा एवं सुरक्षा के कई समझौते भी हुए.
  4. मित्र राष्ट्रों ने जर्मनी को कमजोर करने की दृष्टि से उसे दो भागों में बाट दिया. ब्रिटेन, फ्रांस, सयुक्त राज्य अमेरिका के अधिकृत जर्मन भागों को जर्मन संघ राज्य बना दिया, यह पूर्वी जर्मनी कहलाया. रूस अधिकृत जर्मनी को पश्चिमी जर्मनी जनवादी राज्य घोषित कर दिया. बर्लिन के बिच दीवार बनाकर उसे दो भागों में कर दिया. यह विभाजित जर्मनी 3 अक्टूबर 1990 को पुनः एक हो गया.
  5. युद्ध के बाद विचारधाराओं की तरह विश्व में सैनिक गुटों का निर्माण हुआ. अमेरिका के नेतृत्व में उतर अटलांटिक संधि संगठन (नाटों), जनतंत्र समर्पित राष्ट्रों का संगठन पूर्व एशिया संधि संगठन (सीटो) एवं साम्यवादी देशों का संगठन वारसा पेक्ट था.
  6. द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद कई देश स्वतंत्र हो गये. जो बड़े देशों के उपनिवेश थे. सनः 1947 में भारत, 1949 में फिलिपिन्स व चीन में लोकतंत्र की स्थापना, 1951 में लीबिया, उसके साथ घाना, अल्जीरिया व गिनी तथा 1960 में अफ्रीका के 17 देश आजाद हुए.
  7. द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद 24 अक्टूबर 1945 को विश्व युद्ध से बचाने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना की गई.
  8. द्वितीय विश्वयुद्ध से सम्राज्यवाद को काफी धक्का लगा. ब्रिटेन, फ्रांस, हौलेंड, बेल्जियम जैसे साम्राज्यवादी देश कमजोर हो गये.
  9. युद्ध के बाद अपराधियों पर विचार करने के लिए वार क्राइम कमिशन की स्थापना की गई.
  10. युद्ध के बाद सोवियत रूस संयुक्त राज्य अमेरिका नामक दो महाशक्तियां बनी. दोनों में लम्बे समय तक शीत युद्ध चलता रहा.
  11. “द्वितीय विश्वयुद्ध “ के बाद विश्व इतिहास में यूरोप की स्थति कमजोर पड़ गई. अब विश्व का राजनैतिक नेतृत्व में संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत रूस के पास आ गया.

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