प्रथम विश्व युद्ध कारण प्रभाव और परिणाम | First World War In Hindi

प्रथम विश्व युद्ध कारण प्रभाव और परिणाम First World War In Hindi: सन 1914 से 1918 ई. तक लड़ा गया प्रथम विश्व युद्ध विश्व इतिहास की महत्वपूर्ण घटना है.

इस युद्ध का प्रभाव सम्पूर्ण विश्व पर पड़ा. इस युद्ध से विश्व में कई क्रांतिकारी परिवर्तन हुए. विश्व के दो गुटों में बटने के साथ ही हथियारों की होड़ भी तीव्र हो गई थी. 

प्रथम विश्व युद्ध को ग्रेट वार अथवा ग्लोबल वार भी कहा जाता था.इस लेख में फर्स्ट वर्ल्ड वॉर के कारण तथा प्रभाव व परिणाम की विस्तृत चर्चा एवं जानकारी दी गई है.

प्रथम विश्व युद्ध कारण प्रभाव और परिणाम First World War In Hindi

प्रथम विश्व युद्ध कारण प्रभाव और परिणाम | First World War In Hindi

आज से तक़रीबन 104 वर्ष पूर्व एक ऐसा महायुद्ध लड़ा गया, जिसके परिणाम के स्वरूप विश्व के तीन महाद्वीपों के देशों के नक्शों तथा हालात पहले से पूरी तरह बदल गये.

यह पहला विश्व युद्ध था. को 28 जुलाई 1914 से 1919 तक यानि चार साल और चार महीने तक धरती एवं आसमान और समुद्र में लड़ा गया था.

युद्ध का परिणाम बड़ी तबाही, कुपोषण, आर्थिक हालात का जंजर स्वरूप के रूप में सामने आया. आज हम इस विश्व युद्ध के प्रमुख कारण के बारे में जानेगे.

ग्लोबल वॉर या महायुद्ध की संज्ञा दिए जाने वाले पहले विश्व युद्ध को वॉर टू एंड आल वार्स भी कहा गया हैं.

अब तक विश्व के इतिहास में इतनी बड़ी लड़ाई कभी नहीं हुई थी. युद्ध के बाद आए आंकड़ों में सामने आई कि इस महायुद्ध में एक करोड़ 70 लाख लोग मौत के मुहं में चले गये जबकि 2 करोड़ से अधिक लोग घायल हो गये, मरने वाले तथा घायल होने वाले लोगों में सबसे बड़ी संख्या साधारण नागरिकों की थी.

किसके बिच लड़ा गया first world war in hindi

यह महायुद्ध केन्द्रीय शक्तियाँ व मित्र राष्ट्रों की संयुक्त सेनाओं के मध्य लड़ा गया था. जिसमें एक तरफ रूस, फ्रांस, ब्रिटेन, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका और जापान की सेनाए थी तो दूसरी तरफ ऑस्ट्रो- हंगेरियन, जर्मनी और टर्की थे.

यूरोप, एशिया व अफ़्रीका इन तीन महाद्वीपों के जल थल वायु क्षेत्र में लड़े गये युद्ध में शुरूआती जीत जर्मनी ने 1917 में हासिल की, वाकई में यह जीत नहीं जर्मनी की तबाही का कारण ही थी,

जिसने अमेरिका के जलपोतों को डुबो दिया था. जिसके परिणामस्वरूप अमेरिका भी इस महायुद्ध में प्रत्यक्ष रूप से शामिल हो गया. उसी समय 1917 में रुसी क्रांति के चलते सोवियत रूस पीछे हट गया तथा अपना ध्यान आंतरिक स्थिति पर देने लगा.

तीन बड़े देशों ब्रिटेन , फ़्रांस और अमरीका ने आखिर 1918 के अंतिम दौर में जर्मनी को हरा दिया तथा आस्ट्रिया के साथ मिलकर उसने युद्ध विराम की संधि पर दस्तखत कर दिए.

प्रथम विश्व युद्ध के कारण (Causes Of The First World War In Hindi)

इस महायुद्ध के मुख्य कारण निम्नलिखित थे.

जर्मनी की पूर्वी नीति– जर्मनी किसी तरह अपने साम्राज्य को बड़ा करना चाहता था मगर पश्चिम यूरोप के अधिकतर देश एक दूसरे से मिल चुकी थे,

अतः उसने पूर्व को अपना रास्ता चुना तथा टर्की के साथ अपने सम्बन्ध मजबूत किये उसने आस्ट्रिया तथा के साथ भी अच्छे रिश्ते बनाएं इस कारण से विश्व में दो गुट तैयार हो गये जिसके आपसी विवादों के चलते प्रथम विश्व युद्ध का जन्म हो गया.

रूस फ़्रांस तथा इंग्लैंड की संधि– पहले  विश्व युद्ध का मूल कारण फ़्रांस और जर्मनी की आपसी कटुता थी. 1900 तक जर्मनी का शासक बिस्मार्क रूस का अच्छा दोस्त था.

मगर इस संधि के समापन के बाद विलियम द्वितीय ने रूस के साथ सम्बन्ध बनाने की बजाय आस्ट्रिया तथा टर्की को अहमियत दी, जिसका नतीजा यह हुआ कि रूस फ़्रांस के साथ चला गया तथा 1893 में उन्होंने एक संधि कर दी.

उधर भले ही फ्रांस और ब्रिटेन एक समय एक दुसरे के दुश्मन थे. मगर जर्मनी के प्रभुत्व के सामने दोनों एक हो गये तथा 1904 में फ्रांस और ब्रिटेन के मध्य एक समझौता हो गया,

इसके तीन साल बाद 1907 में तीनों राष्ट्र फ्रांस रूस तथा ब्रिटेन के मध्य एक साझा करार हो गया, जिसके परिणामस्वरूप यूरोप दो भागों में विभाजित हो गया.

गुप्त संधियाँ एवं दो गुटों का निर्माण– प्रथम विश्व युद्ध से पूर्व जर्मनी के बिस्मार्क ने कुटनीतिक संधियों द्वारा फ्रांस को अकेला कर दिया.

फ्रांस ने रूस व इंग्लैंड के साथ संधि करके जर्मनी, आस्ट्रिया, इटली के त्रिगुट के विरुद्ध अपना त्रिगुट संघ बना लिया. विश्व दो गुटों में बट गया. प्रथम विश्व युद्ध इन दोनों गुटों की शक्ति का प्रदर्शन था.

इन्हें गुप्त नीतियों का जन्मदाता भी कहा जाता हैं. जर्मनी ने फ़्रांस पर हमला कर दो बड़े प्रदेशों को अपने साथ मिला लिया. फ़्रांस अपने प्रतिशोध की निरंतर योजनाएं तैयार कर रहा था.

वह किसी भी कीमत पर अपने खोये हुए प्रदेशों को प्राप्त करना चाहता था. दूसरी तरफ फ्रांस पर दवाब बढाने के लिए जर्मनी ने रूस, आस्ट्रिया और इटली के साथ संधि कर दी. मदद के लिए अब फ़्रांस को अमेरिका रूस एवं ब्रिटेन के पास जाने के सिवाय और कोई रास्ता नहीं था.

शस्त्रीकरण व सैन्यवाद –19 वीं शताब्दी के उतरार्द में यूरोप के अधिकाँश देश ने अपने शस्त्र बढ़ाने एवं सैन्यवाद को प्रोत्साहन दिया.

सैनिक शक्ति के बल पर जर्मनी ने आस्ट्रिया को पराजित किया. अब फ्रांस, रूस व इंग्लैंड ने भी अपनी सैनिक शक्ति बढ़ाना आरम्भ कर दिया. ऐसी स्थति में युद्ध होना ही था.

सम्राज्यवाद का प्रभाव– औद्योगिक क्रांति के बाद यूरोपीय देशों में समर्द्धशाली बनने की महत्वकांक्षा बढ़ने लगी. कच्चा माल प्राप्त करने तथा पक्का माल बेचने के लिए अपने उपनिवेश स्थापित करने लगे जिसने साम्राज्यवाद को प्रोत्साहन दिया.

इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी, इटली आदि देशों ने कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, भारत, अफ्रीका व एशिया के देशों पर अधिकार कर अपने सम्राज्य का विस्तार किया. सम्राज्यवादी प्रतिस्पर्धा ने भी यूरोपीय देशों मर संघर्ष की स्थति उत्पन्न की.

समाचार पत्रों का प्रभाव इस समय यूरोप में समाचार पत्रों में भी युद्ध को प्रोत्साहन देने वाले समाचारों की अधिकता रही.

इन समाचार पत्रों में एक दूसरे देशों पर दोषारोपण को बढ़ावा दिया जाने लगा और भड़काने वाले लेख प्रकाशित किये जाने लगे. एक समाचार पत्र की पक्तियाँ थी- ”रूस तैयार है, फ्रांस को भी तैयार रहना चाहिए”

उग्र राष्ट्रीयता की भावना राष्ट्रवाद की भावना के बल पर उग्र राष्ट्रीयता की भावना बढ़ने लगी. प्रत्येक राष्ट्र अपने विकास, विस्तार, सम्मान व गौरव के लिए अन्य देशों को नष्ट करने के लिए तैयार रहते थे.

फ्रांस, अल्लास व लोरेन प्रदेश चाहता था जबकि राष्ट्रीयता की भावना के आधार पर पोल, चेक, सर्ब तथा बल्गर लोग आस्ट्रिया से अलग होना चाहते थे.

२० वीं सदी के शुरूआती दशकों में यूरोप के देशों में राष्ट्रीयता की भावना चरम पर थी. विभिन्न राज्यों में इस भावना ने बेहद उग्र रूप धारण कर लिया था.

सभी देश अपनी प्रगति तथा विस्तार पर ध्यान दे रहे थे. अपने हितों की पूर्ति के लिए वे किसी भी सीमा को पार करने के लिए तैयार थे,

यही वजह थी कि राष्ट्रों के आपसी हितों में टकराव के कारण युद्धों की स्थिति तैयार कर दी. अपने देश को युद्ध जीताकार सभी देश अपनी सीमाओं की वृद्धि की महत्वकांक्षी थे.

केसर विलियम की महत्वकांक्षा जर्मन सम्राट केसर विलियम जर्मनी को विश्व शक्ति बनाना चाहता था. तुर्की से समझौता करके उसने बगदाद बर्लिन रेलवे लाइन का निर्माण करवाया.

नौसेना में विकास को लेकर उसने इंग्लैंड को नाराज कर दिया, उसने विचार प्रकट किया कि समुद्री विस्तार जर्मनी की महानता के लिए अनिवार्य नियति है.

यह जर्मनी का महत्वकांक्षी शासक था, जो अमेरिका व रूस की तरह जर्मनी को अंतर्राष्ट्रीय शक्ति बनाने का इच्छुक था. वह अपने साम्राज्य के विकास के लिए अपना अधिकाँश व्यय सेना पर करता था.

उसने कई बड़े जलपोतों का निर्माण करवाया, ब्रिटेन ने सम्राट को ऐसे न करने का सुझाव भी दिया मगर वह किसी कि नही सुनता था. अतः ब्रिटेन को मजबूरी में अमेरिका और रूस की तरफ जाना पड़ा.

अंतर्राष्ट्रीय संस्था का अभाव FIRST WORLD WAR के समय ऐसी कोई अंतर्राष्ट्रीय संस्था नही थी. जो यूरोपीय देशों के आपसी विवादों को सुलाझाकर उन्हें युद्ध से विमुख कर दे. प्रथम विश्वयुद्ध के बाद ऐसी संस्थाओं का विकास हुआ.

अंतर्राष्ट्रीय संकट एवं बाल्कन युद्ध का प्रभाव– 20 वीं शताब्दी के अंतर्राष्ट्रीय घटनाकर्मों से विश्व के राष्ट्र एक दूसरे के विरोधी हो गये थे और दो सशस्त्र गुटों में बट गये. 1904-05 ई में जापान युद्ध, मोरक्को व अगाडीर संकट, आस्ट्रिया द्वारा बेसिन्या व हर्जगोविना पर अधिकार व बाल्कन युद्ध 1912-13 इसी प्रकार के संकट थे.

तात्कालिक कारण– बोसिन्या व हर्जगोविना को लेकर सर्बिया में आस्ट्रिया विरोधी भावना थी. ऐसें में आस्ट्रिया का राजकुमार फर्डीनेड व उसकी पत्नी की बोसिन्या की राजधानी साराजेवो में दो सर्ब युवकों ने 28 जून 1914 को सरे आम हत्या कर दी.

इसी बात को लेकर 28 जुलाई 1914 को आस्ट्रिया ने सर्बिया पर आक्रमण कर दिया. रूस ने सर्बिया के समर्थन में युद्ध प्रारम्भ कर दिया. जर्मनी ने भी रूस के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी. इसी के साथ ‘प्रथम विश्व युद्ध (First World War)’ की शुरुवात हो गई.

अन्य कारण- 18 जून 1914 को आस्ट्रिया के उत्तराधिकारी आर्कड्यूक फ्रांसिस की हत्या प्रथम विश्व युद्ध का बड़ा कारण था. जिसका शक ब्रिटेन फ्रांस और रूस के संयुक्त मौर्चे पर गया.

इस वर्ल्ड वॉर का एक अन्य सबसे बड़ा कारण सैन्य शक्ति था. दोनों गुटों के देश अपनी अपनी सेना को आधुनिक हथियारों से लैस कर रहे थे.

हथियारों की इस होड़ ने विश्व शांति पर खतरा पैदा कर दिया आगे जाकर यह एक भयानक महासंग्राम में तब्दील हो गई जिन्हें हम प्रथम विश्व युद्ध कहते हैं.

प्रथम विश्व युद्ध की प्रकृति (How Did The First World War Start)

इस युद्ध में एक तरफ मित्र राष्ट्र थे. एवं दूसरी तरफ धुरी राष्ट्र. मित्र राष्ट्रों में इंग्लैंड, फ़्रांस, रूस, जापान, अमेरिका, इटली, सर्बिया, पुर्तगाल, रूमानिया, चीन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और दक्षिण अफ्रीका शामिल थे.

धुरी राष्ट्रों में जर्मनी, आस्ट्रिया, हंगरी, टर्की व बल्गेरिया आदि शामिल थे. युद्ध के प्रारम्भिक वर्षों में धुरी राष्ट्र हावी रहे, इसी बिच रूस युद्ध से अलग हो गया और 1918 में जर्मनी के साथ ब्रेस्ट लिटोवस्क की संधि कर ली.

मित्र राष्ट्रों की विजय के साथ 11 नवम्बर 1918 को प्रात 11 बजे प्रथम विश्वयुद्ध समाप्त हुआ. युद्ध की समाप्ति के बाद पेरिस शान्ति समझोता हुआ और विभिन्न देशों के साथ अलग अलग संधियाँ हुई. जर्मनी के साथ वर्साय की संधि की गई.

प्रथम विश्व युद्ध के परिणाम (First World War Reasons And Results In Hindi)

  • युद्ध में अपार जन धन की हानि हुई, छ करोड़ सैनिकों ने भाग लिया. जिनमे से 1 करोड़ तीस लाख सैनिक मारे गये और 2 करोड़ 20 लाख सैनिक घायल हो गये थे. युद्ध में लगभग एक खरब 86 अरब डॉलर खर्च हुए और लगभग एक खरब डॉलर की सम्पति नष्ट हुई.
  • जर्मनी, रूस, आस्ट्रिया में निरंकुश राजतन्त्रो की समाप्ति हुई.
  • युद्ध के बाद शांति संधियों के माध्यम से अनेक परिवर्तन हुए. चेकोस्लोवाकिया, युगोस्लाविया, लिथुआनिया, लेटविया, एस्टोनिया, फिनलैंड, पोलेंड आदि देशों में नये राज्यों का उदय हुआ.
  • विभिन्न विचारधाराओं पर आधारित सरकारों की स्थापना हुई. रूस में साम्यवादी सरकार, जर्मनी की नाजीवादी, इटली की फासीवादी सरकारों की स्थापना हुई.
  • अमेरिका ने युद्धकाल में बड़ी मात्रा में मित्र राष्ट्रों को ऋण देकर आर्थिक सहयोग किया था. पेरिस शान्ति सम्मेलन में भी अमेरिकी राष्ट्रपति विल्सन की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी. इस युद्ध से अमेरिका के प्रभाव में वृद्धि हुई.
  • युद्ध के समय घरेलू मौर्चे व चिकित्सा क्षेत्र में स्त्रियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही. अतः स्त्रियों की स्थति में सुधार आया.
  • द्वितीय विश्व युद्ध का बीजारोपण भी इसी युद्ध के परिणामस्वरूप हुआ. वर्साय की संधि से असंतुष्ट होकर जर्मनी व इटली ने विश्व को दूसरे विश्वयुद्ध की ओर धकेल दिया.
  • अमेरिकी राष्ट्रपति विल्सन के प्रयासों से विभिन्न देशों के विवादों को सुलझाने के लिए राष्ट्रसंघ की स्थापना की गई. यदपि “प्रथम विश्व युद्ध” विवादों को सुलझाने में संस्था सफल नही हुई.

यह भी पढ़े

उम्मीद करता हूँ दोस्तों प्रथम विश्व युद्ध कारण प्रभाव और परिणाम First World War In Hindi का यह लेख आपको पसंद आया होगा.

यदि आपको फर्स्ट वर्ल्ड वॉर इन हिंदी में दी गई जानकारी पसंद आई हो तो अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करें.

1 thought on “प्रथम विश्व युद्ध कारण प्रभाव और परिणाम | First World War In Hindi”

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *