India Sri Lanka Relations Essay in Hindi में हम विद्यार्थियों के लिए आसान भाषा में भारत श्रीलंका संबंध पर निबंध लेकर आए हैं. सदियों से इन दोनों पड़ोसी देशों के रिश्ते अच्छे रहे है.
बीतते समय के साथ इन सम्बन्धों के नये अध्याय और आयाम भी जुड़े तो कुछ विवादों ने भी जन्म लिया. इस निबंध में दोनों देशों के ऐतिहासिक से लेकर आधुनिक सम्बन्धों तक की चर्चा करेगे.
भारत श्रीलंका संबंध पर निबंध
श्रीलंका भारत का निकटतम पड़ौसी देश है जिनके साथ 2500 वर्षों की बौद्धिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और भाषायी संबंधों साझी विरासत हैं. अधिकांश समय में दोनों देशों के मित्रवत और सहयोगपूर्ण रिश्ते रहे हैं. हाल की श्रीलंकाई सरकारों की चीन के साथ घनिष्ठता के चलते कुछ खट्टास सी देखी जा सकती हैं.
दोनों राष्ट्र सांस्कृतिक रूप से समान नस्ली संस्कृति का आपस में साझाकरण करते है. श्रीलंका की ७५ फीसदी जनसँख्या मूलत भारतीय वंशज है. सिंहली लोग जो श्रीलंका में बहुमत है, वे उत्तरी भारतीय इंडो-आर्यन के वंशज थे.
भारतीय बौद्ध संस्कृति एवं दक्षिणी राज्यों के साथ श्रीलंका के साथ सांस्कृतिक सम्बन्धों ने दोनों देशों को करीब लाने में अहम भूमिका निभाई हैं. दक्षिण एशिया क्षेत्र में रणनीतिक एवं व्यापारिक मार्ग पर स्थित होने के कारण भारत की समुद्री सीमा रक्षा में श्रीलंका एक अहम देश हैं. दोनों देश कॉमनवेल्थ और सार्क के सदस्य देश हैं.
India Sri Lanka Relations Essay in Hindi
भारत का पडोसी देश श्रीलंका तथा भारत दोनों एशिया महाद्वीप के दक्षिण भाग में स्थित है. इन दोनों देश को पाक जलडमरूमध्य अलग करती है. इसे पाक जलसन्धि भी कहते है. दोनों राष्ट्रों को भोगौलिक दृष्टि से निकटता इनके सम्बन्ध में मिठास पैदा करता है. हिन्द महासागर इन दोनों देश के लिए साझा संसाधन की तरह प्रयोग में आता है, जो आपसी गठजोड़ को बढ़ाता है.
भारत जैसे बड़े राष्ट्र के साथ सम्बन्ध रखने से श्रीलंका को कई लाभों से लाभान्वित होता है. इनमे व्यापार की दृष्टि से भारत की तरह से श्रीलंका को सहयोग मिलता है. भारत एक बड़े निवेशक के रूप में श्रीलंका में निवेश करता है.
भारत-श्रीलंका मुक्त व्यापार समझौते के द्वारा श्रीलंका अपने उत्पादों का 60 फीसदी निर्यात करता है. जो इस देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करती है.
भारत हमेशा से ही श्रीलंका के लिए अग्रज भाई की तरह हमेशा खड़ा रहा है. जिसमे कई वित्तीय संकटों में भी सहयोग किया है. हाल ही में 2022 के साल में वित्तीय संकट की दशा में तथा विदेशी मुद्रा भंडार की कमी के समय भारत ने आर्थिक सहयोग करके उनकी तंगी को दूर किया. भारत ने 4 बिलियन अमेरिकी डॉलर की आर्थिक सहायता के द्वारा लंका की सबसे बड़ी तंगी में मदद की.
भारत ने श्रीलंका को ऋण देने के साथ ही ऋण पुनर्गठन में भी सहयोग प्रदान किया. भारत ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा लेनदारो के साथ इस राष्ट्र को सहायता दी.
इसके साथ ही भारत दुनिया का एकमात्र तथा पहला देश है, जिसने श्रीलंका के वित्तपोषण और ऋण पुनर्गठन का समर्थन पत्र दिया. यानी हमेशा इस देश की विपत्ति में सहयोग का जिम्मा उठाया है. इससे बड़ी घनिष्ठता तथा किसी राष्ट्र के लिए वफ़ादारी नहीं हो सकती है.
भारत के श्रीलंका को ऊर्जा के क्षेत्र में भी सहयोग का ग्राफ बढ़ता जा रहा है. नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के तहत भारत के द्वारा श्रीलंका में ऊर्जा के स्रोतों का विकास किया जा रहा है. जो ऊर्जा निर्माण की दृष्टि राष्ट्रों के लिए एक नई पहल है.
दोनों राष्ट्र बहु-उत्पाद पेट्रोलियम पाइपलाइन को स्थापित करने के लिए सहमति जता चुके है. इस पाइपलाइन परियोजना का मुख्य उद्देश्य श्रीलंका को उचित गुणवता का पेट्रोलियम संसाधनों की आपूर्ति तथा ऊर्जा की आपूर्ति की विश्वनीयता बनाए रखना.
भारत जैसे बड़े राष्ट्र के साथ मित्रता निभाने का सबसे बड़ा लाभ कोई है, तो वो है, रक्षा. रक्षा के क्षेत्र में भारत क्षेत्रफल की दृष्टि से छोटे से टापू की सहायता के लिए हमेशा तत्पर रहता है. दोनों देश की रक्षा की मजबूती तथा प्रशिक्षण के लिए संयुक्त सैन्य तथा नौसेना अभ्यास करवाया जाता है.
मछली पकड़ने का विवाद
भारत-श्रीलंका की घनिष्टता का मिशल दी जाती है, पर कई ऐसे मामले होते है, जिस वजह से दो अजीज मित्रो में भी दुश्मनी हो जाती है, ऐसे ही हर क्षेत्र में हमेशा बड़े भाई की तरह सहयोग करने वाले भारत के सामने श्रीलंका आ खड़ा हुआ है. उस भारत से विवाद जो हमेशा ऋणदाता तथा सहयोगकर्ता राष्ट्र रहा है.
भारत श्रीलंका राष्ट्रों के बीच विवाद के वैसे कई कारण है, पर मछली पकड़ने के कारण या यूँ कहे मछुआरो के द्वारा श्रीलंका के नजदीकी क्षेत्र में मशीनीकृत ट्रॉलरों के माध्यम से मछलियों को पकड रहे है. जिससे श्रीलंकाई लोगो का कहना है, कि इससे उनका रोजगार बंद हो गया है.
श्रीलंकाई खेमे का कहना है, कि भारतीय मछुआरो द्वारा प्रयुक्त मशीनीकृत ट्रॉलरों का उपयोग पूर्णत बंद कर विलंबित किया जाए जिसके लिए भारत तैयार नहीं है. भारत मशीनीकृत ट्रॉलरों के विनियम के पक्षधर है.
मामला तब ज्यादा बढ़ गया जब भारतीय मछुआरो पर श्रीलंकाई सेना ने गोलाबारी कर दी. यह मामला भारत पाक जलडमरूमध्य क्षेत्र का है. श्रीलंका का मशीनीकरण का उपयोग से प्रतिबन्ध की मांग का मूल उद्देश्य इको सिस्टम को नियंत्रित रखना है.
इन मामले में दोनों देशो के इस मामले की निष्पक्ष जाँच के लिए जेडब्ल्यूजी का गठन किया गया. यह दोनों देश की अंदरूनी सीमाओ पर मछुआरो द्वारा प्रयुक्त संसाधनों का पता लगाने तथा सेना द्वारा जब्त किये गए नौकाओ को वापस लौटने और सेन्य बल का प्रत्यारोपण की संभावनाओ को देखा जाता है.
भारत ने लंकाई सेना के द्वारा भारतीय मछुआरो की हत्या को लेकर उनके विरोध में 2012 में आधिकारिक तरीके से श्रीलंकाई नौसेना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जिसके बाद भी मछुआरो की मृत्यु नहीं रुकी निरतंर तमिली मछुआरो की हत्या भारतीयों मछुआरो के लिए सिरदर्द बन रही थी.
भारत सरकार और राष्ट्रीय मीडिया की चुप्पी पर भारतीयों लोगो ने कड़ी निंदा की. इस विस्तृत तथा आत्मघाती तरीके से मछुआरो की हो रही हत्या के बावजूद चुप्पी के खिलाफ लोगो ने एक्शन लिया.
भारतीय मछुआरो ने यहाँ तक बयान दिए कि यदि सरकार एक्शन नहीं ले रही तो हम श्रीलंकाई विद्यार्थियों पर हमला करेंगे, इन आपतिजनक बयानों के बाद सुरक्षा अधिनियम के जरिये गरिफ्तारी भी की गई. उसके बाद लंकाई सरकार ने भी अपने मछुआरो पर तस्करी करने के आरोप में म्रत्युदंड की घोषणा कर दी.
कुछ समय के लिए शांत रहने वाला मुद्दा तब एकदम से गरमा गया जब श्रीलंकाई प्रधानमंत्री रानिल विंक्रमसिंघे ने मार्च 2015 को अपने एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि यदि भारतीय मछुआरे श्रीलंकाई क्षेत्र में प्रवेश करेंगे तो उन्हें सेना द्वारा गोली मार दी जाएगी. इसके बाद कई विरोध प्रदर्शन भी हुए.
कथित रॉ हस्तक्षेप
साल 2015 में श्रीलंका में राष्ट्रपति द्वारा विपक्ष को एकजुट करने के लिए भारतीय रो एजेंट को निष्काषित कर दिया. राष्ट्रपति ने यह आरोप लगाया कि भारतीय रो एजेंट ने उनकी हत्या करने की साजिश रची है.
इसी समय एक भारतीय नागरिक द्वारा गोटबाया राजपक्षे की हत्या की गई थी. इसके बाद राष्ट्रपति ने भारतीय प्रधानमंत्री से वार्ता की तथा मामले का संज्ञान लिया.
भारत और श्रीलंका देशो ने एक समझौते के तहत दोनों देशो के अपराधी जो दुसरे देश में सजा भुगत रहे है, उन्हें इस समझौते के तहत बाकि शेष बची सजा उनके देश में काटने को लेकर हस्ताक्षर किये गए है. भारतीय विचारधारा की अनुपालना में लंकाई जनता भी समर्थन कर रही है, जिसके आपसी मैत्रीभाव को उत्थान मिलेगा.
गांधीदर्शन या अहिंसा की भावना का सृजन या फिर वसुधैव कुटुम्बकम की राह यह सब भारत की ही देन है, जिस पर चलने के लिए लंकाई लोग इत्सुक है. दोनों देशो के सम्बन्ध काफी अच्छे रहे है, पर कई बार आपसी झडप तथा मतभेद होना प्रकृति का नियम है.
निष्कर्ष
किसी एक विवाद या एक घटना के आधार पर किन्ही दो देशो का अतीत या भविष्य आंकना अनुचित ही होगा. यदि बाहरी परिदृश्य या यूँ कहें मोटा मोटा देखा जाए तो भारत-श्रीलंका के आपसी सम्बन्ध दुनिया के सबसे घनिष्ट संबंधो में से एक है.
एक पडोसी देश होने के नाते दोनों राष्ट्रों का दायित्व है, कि एक दुसरे का सम्मान करें, तथा आवश्यकता पड़ने पर सहयोग करें. मैत्रीभाव से उन्नति की राह पर अग्रसर रहे.