शिक्षा सुधार में विद्यार्थियों की भूमिका पर निबंध | Essay On role of students in education reform in hindi

शिक्षा सुधार में विद्यार्थियों की भूमिका पर निबंध | Essay On role of students in education reform in hindi प्रिय साथियों नमस्कार आज हम चर्चा करेगे शिक्षा सुधार और इस प्रक्रिया में छात्र छात्राओं के योगदान पर.

समय समय पर शिक्षण पद्धति में नवाचार और सुधार किये जाते रहे हैं, एजुकेशन रिफोर्म में स्टूडेंट्स का रोल कितना अहम हो सकता है इस निबंध के माध्यम से समझने का प्रयास करेंगे.

शिक्षा सुधार में विद्यार्थियों की भूमिका पर निबंध

शिक्षा सुधार में विद्यार्थियों की भूमिका पर निबंध Essay On role of students in education reform in hindi

250 शब्द

हमारे भारत देश में वैसे तो शिक्षा पद्धति में नागरिक कर्तव्यों का भली-भांति समावेश किया गया है परंतु सभी विद्यार्थियों को उनका सही ज्ञान नहीं है। 

अगर वर्तमान के विद्यार्थी ज्ञान प्राप्ति की भावना रखकर शिक्षा के स्तर में सुधार करना चाहे और अपनी ताकत को तोड़फोड़, हड़ताल अथवा अन्य हिंसात्मक गतिविधियों में ना लगाकर शिक्षा क्षेत्र में पैदा हो चुकी कमियों को दूर करने में लगाएं तो निश्चित ही हमारे देश में शिक्षा का स्तर अवश्य ही सुधरेगा, जिसका फायदा देश के विद्यार्थियों को मिलेगा और देश और भी तेजी के साथ विभिन्न में क्षेत्रो में तरक्की करेगा।

देश की शिक्षा पद्धति में सुधार करने के लिए यह आवश्यक है कि विद्यार्थी भी व्यवसायिक और व्यवहारिक ज्ञान प्राप्त करें और शिक्षा प्रणाली में आवश्यकता के अनुसार उचित परिवर्तन भी किया जाए साथ ही विद्यार्थी शिक्षा में अनुशासन और कर्तव्य निष्ठा पर मुख्य तौर पर अपना ध्यान दें।

इसके अलावा वह यही माने कि ज्ञान प्राप्ति ही वह साधना है जिसके द्वारा वह अपने जीवन को सर्वोच्च बना सकते हैं। इसके साथ विद्यार्थियों के द्वारा अपने आप के साथ ही साथ अन्य लोगों को सामाजिक और राष्ट्रीय निर्वाह के प्रति जागृत किया जाए।

अगर भारतीय शिक्षा में सुधार किया जाता है तो विद्यार्थियों को यह लाभ प्राप्त होगा कि उनके अंदर स्वावलंबन की भावना पैदा होगी और वह अपना बौद्धिक विकास सही प्रकार से कर सकेंगे।

इसके साथ ही शिक्षा के स्तर में सुधार होने की वजह से विद्यार्थियों को बेरोजगारी और बेकारी जैसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।

भारत देश के कल्याण के लिए विद्यार्थी अपनी शिक्षा का इस्तेमाल कर सकेंगे और देश के चौमुखी विकास में अपना योगदान देंगे तथा विद्यार्थी देश के प्रति एक अच्छे नागरिक की भूमिका अदा कर सकेंगे।

500 शब्द

विद्यार्थी की शिक्षा स्तर सुधार में भूमिका– प्रत्येक स्वतंत्र राष्ट्र अपनी  चहुमुखी प्रगति तभी कर पाता हैं, जब उसके नागरिक अपने कर्तव्यों का निर्वहन करे और सदैव जागरूक रहे. हमारे देश में यदपि शिक्षा पद्धति में नागरिक कर्तव्यों का समावेश किया गया हैं.

तथापि विद्यार्थियों में उनका सम्यक ज्ञान नहीं हैं. यदि आज के विद्यार्थी ज्ञानार्जन की भावना रखकर शिक्षा के स्तर में सुधार करना चाहे और अपनी शक्ति हड़ताल, तोड़फोड़ व राजनीतिक गतिविधियों में न लगाकर शिक्षा क्षेत्र की कमियों को दूर करने में लगावें, तो निश्चय ही हमारे शिक्षा स्तर में सुधार हो सकता हैं.

वर्तमान शिक्षा स्तर– हमारे देश में वर्तमान में शिक्षा प्रणाली का स्वरूप कोरे किताबी ज्ञान पर आधारित हैं. अंग्रेजों के शासन काल में जो शिक्षा प्रणाली प्रचलित हुई थी, आज भी लगभग वही हैं. हमारा शिक्षा का स्तर एकदम गिरा हुआ, श्रम साध्य एवं व्यय साध्य हैं.

पाठ्यक्रम में विषय वस्तु में कोई समन्वय नहीं हैं.व्यावसायिक प्रशिक्षण एवं स्वरोजगारोंमुख का अभाव होने से विद्यार्थी उच्च शिक्षा प्राप्त करने पर भी बेकारी बेरोजगारी के शिकार बन रहे हैं.

सात ही उनमें शारीरिक श्रम से दूर रहने की और पाश्चात्यानु करण की बुरी प्रवृत्ति पनप रही हैं. शिक्षा का स्वरूप बहुस्तरीय होने पर भी आज के विद्यार्थियों को उसका पूरा लाभ नहीं मिल रहा हैं और वे परमुखापेक्षी बन रहे हैं. यह स्थिति अतीव चिंतनीय हैं.

विद्यार्थियों के द्वारा सुधार के उपाय– वर्तमान शिक्षा प्रणाली के स्वरूप एवं स्तर में सुधार लाने के लिए युवा शक्ति का समुचित उपयोग नितांत अपेक्षित हैं. विद्यार्थियों की युवा चेतना एवं बौद्धिक उर्जा में समन्वय बनाये रखने के लिए निम्न लिखित उपाय किये जा सकते हैं.

  • शिक्षा प्रणाली में आवश्यकतानुसार आमूल चूल परिवर्तन किया जावे.
  • विद्यार्थी व्यावहारिक एवं व्यावसायिक ज्ञान प्राप्त करे.
  • शिक्षा स्तर में अनुशासन एवं कर्तव्यनिष्ठा का विशेष ध्यान रहे.
  • ज्ञान साधना को जीवन का सर्वोच्च लक्ष्य माना जावे.
  • राष्ट्रीय एवं सामाजिक दायित्व निर्वाह के प्रति जागृत किया जावे.
  • शिक्षा को आदर्श चरित्र एवं संस्कार निर्माण का साधन समझा जावे.
  • शिक्षा प्रणाली के समस्त दोषों का निवारण किया जावे.

शिक्षा सुधार से लाभ– समय समय पर शिक्षा स्तर में सुधारात्मक उपाय करने से विद्यार्थियों को यह लाभ मिलेगा कि उनमें स्वावलम्बन की भावना पनपेगी, वे अपना सम्यक चारित्रिक बौद्धिक विकास कर सकेंगे और सामाजिक दायित्व का उचित निर्वाह कर सकेंगे.

शिक्षा सुधार से बेरोजगारी बेकारी नहीं रहेगी. युवा शक्ति का हित देश हित में समुचित उपयोग होगा तथा राष्ट्र के चहुमुखी विकास को उचित गति मिल सकेगी. इस तरह शिक्षा स्तर में सुधार लाने से विद्यार्थियों को अनेक लाभ मिल सकेंगे और वे अच्छे नागरिकों की भूमिका निभा सकेंगे.

उपसंहार– शिक्षा क्षेत्र से साक्षात सम्बन्ध रखने से विद्यार्थी शिक्षा के स्तर एवं स्वरूप में सुधार लाने हेतु श्रेष्ठ भूमिका निभा सकते हैं.

विद्यार्थियों के प्रयासों से ही शिक्षा का उचित परिणाम सामने आ सकता हैं. अतएवं पहले विद्यार्थी स्वयं जागृत होवे. फिर शिक्षा सुधार में संलग्न रहे तो निसंदेह हमारी शिक्षा का स्तर उच्च कोटि का बन सकता हैं.

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