Acharya Chanakya Biography In Hindi: आचार्य चाणक्य (विष्णुगुप्त) तक्षशिला विश्वविद्यालय के शिक्षक थे. उस समय मगध पर घनानंद नामक राजा का शासन था, प्रजा उसके राज्य से त्रस्त थी. एक बार राजा घनानंद ने अपने दरबार में आचार्य चाणक्य का अपमान कर दिया. उन्होंने तब ही इस अत्याचारी राजा के कुशासन को समाप्त करने की प्रतिज्ञा की. आचार्य चाणक्य ने एक साधारण बालक चन्द्रगुप्त को शिक्षा देकर मगध का शासक बना दिया, स्वयं उनके प्रधानमंत्री बनकर अपनी प्रतिज्ञा पूरी की.

Acharya Chanakya Biography In Hindi | चाणक्य की जीवनी
Chanakya Biography Life Historyआचार्य चाणक्य अर्थशास्त्र एवं राजनीतिशास्त्र के विद्वान थे, चाणक्य ने अर्थशास्त्र नामक पुस्तक (Chanakya Books) लिखी. अर्थशास्त्र (Chanakya Arthashastra) में मौर्यकालीन सम्राज्य की राज व्यवस्था एवं शासन प्रणाली की जानकारी मिलती है.
मौर्यकालीन भारत का इतिहास (History of Mauryan India & Acharya Chanakya Biography)
प्राचीन भारत के इतिहास में मौर्यकाल का महत्वपूर्ण स्थान है. मौर्यकाल चतुर्थ शताब्दी ई.पू. से द्वितीय शताब्दी ई.पू. तक रहा. इस काल में चन्द्रगुप्त बिंदुसार एवं अशोक जैसे महान एवं शक्तिशाली शासक हुए है. मौर्य सम्राज्य की स्थापना में आचार्य चाणक्य (विष्णुगुप्त) kautilya का महत्वपूर्ण योगदान था, मौर्य सम्राज्य की स्थापना से पूर्व मगध पर नंद वंश के शासक घनानंद का शासन था. घनानंद से मगध की जनता नाराज थी,उन्होंने जनता पर बहुत अधिक अत्याचार किये. नंद वंश के शासनकाल में भारत वर्ष के पश्चिमी भाग में छोटे छोटे राज्य थे. सिकन्दर ने जब भारतवर्ष के पश्चिमी भाग पर आक्रमण किया, तब इन छोटे छोटे राज्यो से कुछ ने उसका सहयोग किया था. आचार्य चाणक्य (chanakya pataliputra) सम्पूर्ण भारत वर्ष को एक सूत्र में बांधना चाहते थे.
चाणक्य जीवन परिचय – Chanakya in Hindi History
आचार्य चाणक्य का जन्म ईसा.पूर्व. 375 – ईसा.पूर्व. 225 के आसपास माना जाता है. इनको कई अन्य नाम कौटिल्य, विष्णुगुप्त (kautilya biography) नाम से भी जाना जाता है. भारत का मेकियावली कहे जाने वाले चाणक्य ने प्राचीन भारत के मुख्य शिक्षा केंद्र रहे तक्षशिला में अध्ययन किया एवं इसी विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र, राजनीती और अर्थशास्त्र की शिक्षा देने का कार्य भी किया. भारत ने एक शासक का राज्य स्थापित करने का स्वप्न पाले चाणक्य ने इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए चन्द्रगुप्त मौर्य को तैयार किया, और नंद वंश का नाश कर भारत में मौर्य वंश की नीव डाली.
आज भी एक सच्चे गुरु के रूप में आचार्य चाणक्य को याद किया जाता है, एक विव्दान, दूरदर्शी तथा दृढसंकल्पी किस तरह एक साधारण व्यक्ति को तैयार कर भारत वर्ष का शासक बना सकता है, साथ ही गुरु का अपमान एक शक्तिशाली राजा को धूमिल भी कर सकता है. भारत के इतिहास में चाणक्य का महत्वपूर्ण स्थान है इन्होने मुद्राराक्षस नाटक की रचना भी की.
Story Of Chanakya’s:-प्रसिद्ध विद्वान चाणक्य अपनी माँ से अत्यंत प्रेम करते थे. बचपन में एक दिन चाणक्य की अनुपस्थिति में एक ज्योतिष उनके घर आया. उनकी माँ ने चाणक्य की कुंडली दिखाई. ज्योतिषी बोले- माँ तेरा पुत्र अत्यंत भाग्यवान हैं. एक दिन वह चक्रवर्ती सम्राट बनेगा. मुझ पर भरोसा न हो तो उनके आगे का दांत देखना, उस पर नाग का निशाँ होगा.
चाणक्य के लौटने पर माँ ने उस निशान की पुष्टि की तो वह चिंतित हो गई, उन्हें लगा कि सम्राट बनने पर चाणक्य कही उन्हें भुला न बैठे. उन्हें चिंतित देख चाणक्य ने कारण पूछा तो पूरी घटना का पता चला.
चाणक्य ने तुरंत अपना दांत पत्थर से तोड़ डाला और माँ के सामने रखते हुए बोले- माँ तुम्हारे सामने एक नही अनेक सम्राट पद न्यौछावर हैं.
आचार्य चाणक्य की मौत कैसे हुई (acharya chanakya death)
भारत के इतिहास के रहस्यों में चाणक्य की मृत्यु का अध्याय भी हैं, जिनके बारे में कई कहानियां सुनने को मिलती हैं. इस सम्बन्ध में सत्य क्या हैं इसका अंदाजा लगाना काफी कठिन हैं. आचार्य चाणक्य की मौत के बारे में प्रचलित एक कहानी के अनुसार जीवन के अंतिम समय में उन्होंने जब समस्त कार्य पूर्ण कर लिए तो रथ पर सवार होकर उन्होंने मगध राज्य को छोड़ने के लिए निकल गये जिसके बाद वे लौटकर कभी वापिस नही आए.
आचार्य चाणक्य की मौत के पीछे जुडी दूसरी कहानी कुछ और ही बया करती हैं. कहा जाता है कि मगध की महारानी द्वारा उन्हें जहर देकर मार दिया था. जो भी सत्य हो. इतिहास में मिले विवरण के अनुसार यह बात उस समय की हैं जब मगध के शासक बिन्दुसार हुआ करते थे. उनकी और आचार्य चाणक्य की बेहद करीबी थी, जो सुबंधु नामक मंत्री को खटक रही थी. वह किसी भी तरह से इन दोनों के बिच के इस रिश्ते को तोड़ना चाहता था.
सुबंधु लम्बे समय के प्रयत्न के बाद आखिर अपने मिशन में कामयाब हो गया. उसने बिन्दुसार को यह अहसास करवा दिया कि उनकी माँ की मृत्यु का कारण और कोई नही बल्कि चाणक्य हैं. इस तरह की बातों से आचार्य एवं बिन्दुसार के मध्य दूरियां बढ़ने लगी. एक दिन चाणक्य ने इस अपमानित जीवन जीने की बजाय राज्य छोड़कर सन्यास लेने का फैसला किया, इसी कालखंड में उनकी मृत्यु हो गई थी.
कहते है जब चाणक्य ने मगध को त्याग दिया उस समय दाई ने आकर राजा बिन्दुसार को उनकी माता की मृत्यु का राज बताया था. उन्होंने कहा कि आचार्य ने उनको जहर देकर नही मारा था. बल्कि आचार्य तो आपके पिता चन्द्रगुप्त को नित्य भोजन में जहर दिया करते थे ताकि उन कभी भी दुश्मन द्वारा उन्हें जहर दे दिया जाए तो वह उनके शरीर पर असर न करे. भूल से एक दिन राजा का खाना रानी ने खा लिया, जिससे उसकी तबियत बिगड़ गई. उस समय रानी गर्भवती थी.
जब आचार्य चाणक्य को इस घटना की जानकारी मिली तो उन्होंने मौर्यवंश का कुल बचाने के लिए रानी का पेट चीरकर बिन्दुसार यानि आपकों जन्म दिया था. यदि आप आज राजा है तो इनकी वजह आचार्य चाणक्य ही हैं. सच्चाई जब बिन्दुसार के सामने आई तो उसका माथा ठिनका तथा अपने गुरुदेव को वापिस मनाने भी गया मगर चाणक्य ने उनकी कोई बात नही मानी.
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