अकबरनामा | Akbarnama In Hindi

अकबरनामा Akbarnama In Hindi: अकबरनामा ग्रंथ का लेखक अकबर का प्रमुख दरबारी अबुल फजल हैं. उसका पिता सेख मुबारक  और  बड़ा भाई अबुल फैज  भी उसी  के समान  सुप्रसिद्ध विद्वान व्यक्ति थे. 

इस विशाल ग्रंथ को दो  भागों  में विभाजित किया जा सकता हैं. अकबरनामा के प्रथम भाग को भी दो हिस्सों में विभाजित किया जा सकता हैं.

अकबर का जन्म, तैमूरियों की वंशावली, बाबर तथा हुमायूँ के राज्य का विस्तृत विवरण और अकबर के सिंहासनारोहण से लेकर 17 वें वर्ष के मध्य तक का हाल. यह भाग 1596 ई तक पूरा हो गया था.

अकबरनामा इन हिंदी

अकबरनामा | Akbarnama In Hindi

complete akbarnama by abul fazl in hindi language: दूसरे भाग में अकबर के शासनकाल के 17 वें वर्ष के मध्य से लेकर 46 वें वर्ष तक का उल्लेख हैं.

अबुल फजल के बाद प्रथम भाग के दोनों हिस्सों को अलग अलग करके नकल किया जाने लगा और इन्हें अकबरनामा भाग 1 और भाग 2 के नाम से पुकारा जाने लगा. दूसरे भाग को भाग तीन कहा जाने लगा. इस प्रकार अकबरनामा तीन भागों में विभाजित हो गया.

अबुल फजल अकबर का प्रमुख दरबारी ही नहीं अपितु उसका घनिष्ठ मित्र तथा सलाहकार भी था. वह तुर्की, अरबी, हिंदी और संस्कृत का विद्वान था.

उसने राजनीति, नैतिकता, दैनिक आचार विचार और धर्म सम्बन्धी अनेक पत्र लिखे. दर्शन, साहित्य, इतिहास तथा अन्य शास्त्रों का वह मर्मज्ञ विद्वान था. उसकी भाषा जटिल और आडम्बरपूर्ण हैं.

अकबरनामा के ऐतिहासिक महत्व पर विद्वानों ने अलग अलग मत व्यक्त किये हैं. स्मिथ के अनुसार अकबरनामा में ऐतिहासिक सामग्री उबा देने वाली आलंकारिक भाषा के बोझ में दफनाई पड़ी हैं और ग्रंथकार जो अपने नायक का एक लज्जाजनक चाटुकार हैं,

कभी कभी सत्य को छुपा देता हैं यहाँ तक कि वह जानबूझकर विकृत भी कर देता हैं. फिर भी अकबरनामा अकबर के शासन के इतिहास की आधारशिला मानी जानी चाहिए.

मोरले आदि इतिहासकारों ने भी अबुल फजल की चाटुकारिता के कारण अकबरनामा की प्रमाणिकता में संदेह व्यक्त किया हैं. इसके विपरीत बलोचमैंन का मानना हैं कि इस प्रकार के दोषारोपण निर्मूल हैं.

वस्तुतः यदि अकबरनामा के शब्दाडम्बर को दूर कर दिया जाए तो इसके ऐतिहासिक महत्व के बारे में कोई संदेह नहीं रह जाता.

इतिहास के साथ साथ अकबरनामा से समकालीन राजनीति पर भी पड़ता हैं. प्रत्येक महत्वपूर्ण घटना के साथ छोटी छोटी प्रस्तावनाएँ दी गई हैं.

इस ग्रंथ से अकबर के धार्मिक विचारों और नीति के बारे में पर्याप्त ज्ञान मिलता हैं. अबुल फजल ने विभिन्न स्रोतों का अध्ययन करके अपने ग्रंथ की रचना की थी.

जिसकी वजह से अकबरनामा एक प्रमाणिक ग्रंथ बन पाया. सबसे बड़ी बात तो यह हैं कि उसकी लेखनी में अन्य मुस्लिम इतिहासकारों की भांति धार्मिक कट्टरता अथवा साम्प्रदायिक विद्वेष की भावना देखने को नहीं मिलती.

अकबरनामा क्या है?

अकबर नामा किताब को लिखने का काम अबुल फजल के द्वारा किया गया है। अकबरनामा को फारसी भाषा में लिखा गया था। अकबर के विषय में जानने के लिए अथवा अकबर का इतिहास जानने के लिए यह सबसे अधिक प्रमाणिक ग्रंथ है।

अकबरनामा आईने अकबरी का ही उत्तरार्ध है जिसका लेखन अबुल फजल के द्वारा किया गया है। इसमें टोटल 2000 से भी ज्यादा पन्ना मौजूद है।

अकबरनामा का मतलब होता है अकबर की कहानी। मुगल सम्राट अकबर के शासन काल के दरमियान लिखा गया यह बहुत ही प्रमाणिक इतिहास है क्योंकि इस ग्रंथ के लेखक अकबर के दरबार के दरबारी कवि थे जिन्होंने अकबर की कई गुप्त बातों को भी इस ग्रंथ में लिखा हुआ है।

अकबरनामा की भाषा और सामग्री

अबुल फजल के द्वारा रचित अकबरनामा में 2000 से भी ज्यादा पन्ना मौजूद है। इसे मूल रूप से फारसी भाषा में लिखा गया था जिसे समझना काफी कठिन था। हालांकि अकबरनामा का अनुवाद अन्य भाषाओं में भी किया गया है।

इसलिए अब इसे समझना आसान है। अकबरनामा में तत्कालीन समाज और तत्कालीन इतिहास की इतनी अधिक जानकारी डाल दी गई जिसे देख कर के यह विश्वास ही नहीं होता है कि इस ग्रंथ को 300 साल पहले लिखा गया था।

अकबरनामा ग्रंथ लिखने से पहले अकबर के द्वारा जो जानकारियां उपलब्ध करवाई गई उनमें राजस्थानी चारण भाट और ख्याति बहियों शिलालेख की सूचनाएं भी शामिल थी, जिनमें से कुछ स्त्रोत तो अभी खत्म हो चुके हैं।

भूमिका

भूमिका में अबुल फजल के द्वारा लिखा जाता है कि मैं भारत देश में रहने वाला हिंदी भाषी हूं। फारसी भाषा में ग्रंथ लिखना मेरा काम नहीं है। हालांकि मैंने बड़े भैया के भरोसे पर इस काम को शुरू किया परंतु अफसोस है कि थोड़ा ही ग्रंथ लिखा गया था कि बड़े भाई का देहांत हो गया।

बिवरिज का कथन

अंग्रेजी भाषा के जानकार और अंग्रेजी भाषा के प्रसिद्ध विद्वान तथा अंग्रेजी अनुवादक बिवरिज लिखते हैं कि अगर कोई लेखक मेहनत करके व्यर्थ स्थलों को निकालकर जैसे को तैसा रखकर संक्षेप कर दे तो इतिहास की बहुत ही बड़ी सेवा होगी।

जिल्द

मथुरा लाल शर्मा नाम के लेखक के द्वारा अबुल फजल के अकबरनामा की तीन जिल्दों को दो जिल्द बना दिया गया है जिसमें टोटल 708 पन्ना है।

हालांकि इसमें अकबर के समय घटित हुई किसी भी महत्वपूर्ण घटना को छोड़ा नहीं किया है और जिस प्रकार से अबुल फजल के द्वारा वर्णन किया गया था उसी प्रकार से वर्णन किया गया है।

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