अल्बर्ट आइंस्टीन का जीवन परिचय जीवनी Albert Einstein Biography In Hindi: अल्बर्ट आइंस्टीन विश्व के प्रसिद्ध भौतिक शास्त्रियों में से एक हैं। भौतिक शास्त्र की दुनिया में इन्होने कई बड़े योगदान किये हैं।
सापेक्ष ब्रह्मांड, क्रांतिक उपच्छाया, सांख्यिक मैकेनिक्स की समस्याऍ, अणुओं का ब्राउनियन गति , केशिकीय गति इनके कुछ प्रमुख योगदान हैं।
इन के आविष्कार विश्व में काफी प्रसिद्ध रहे हैं जिस की वजह से इनको साल 1921 में नोबल पुरस्कार का सम्मान मिला और इन्होने विश्व के सबसे प्रसिद्ध लोगों में अपना नाम दर्ज कराया।
इस सफल और बुद्धिमान वैज्ञानिक की कहानी काफी रोचक रही है।
अल्बर्ट आइंस्टीन का जीवन परिचय Albert Einstein Biography In Hindi
पूरा नाम | अल्बर्ट हेर्मन्न आइंस्टीन |
जन्म | 14 मार्च 1879 |
जन्म स्थान | उल्मा (जर्मनी) |
माता | पौलिन कोच |
पिता | हेर्मन्न आइंस्टीन |
शिक्षा | ज्युरिंच विश्वविद्यालय से P.H.D |
पत्नी | मरिअक, एलिसा लोवेंन थाल |
पुत्र | एडुआर्ड आइंस्टीन, हंस अल्बर्ट आइंस्टीन |
पुत्री | लिसेर्ल आइंस्टीन |
व्यवसाय | भौतिक विज्ञानी |
पुरस्कार | नोबेल पुरस्कार, कोपले मेडल, फ्रेंकलिन मेडल |
मृत्यु | 18 अप्रैल 1955 |
महान भौतिक शास्त्री अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म 14 मार्च वर्ष 1879 में उलम नाम के शहर में हुआ। शारीरिक रूप से कमजोर अल्बर्ट को 9 वर्ष की उम्र तक बोलना नहीं आता था और पढ़ाई भी ढंग से नहीं कर पाते थे। इसी वजह से लोगों ने इन्हें दिमागी रूप से विकलांग कहना शुरू कर दिया था।
परन्तु 16 वर्ष की उम्र तक आते आते ये पढ़ाई में अव्वल आने लगे और ये गणित का कठिन से कठिन सवाल भी बड़ी आसानी से कर लेते। इनकी माता का नाम पौलिन कोच और पिता का नाम हेर्मन्न आइंस्टीन था जो कि एक यहूदी परिवार था।
बचपन से ही ये कंपास की दिशा, वेदना, प्रकृति के नियमों में व्यस्त रहते थे और लगभग 6 वर्ष की उम्र से इन्होने सारंगी बजाना शुरू कर दिया था जो कि जीवन भर जारी रक्खा। आपको शायद जानकर हैरानी होगी कि 12 वर्ष की उम्र में ही इन्होने ज्यामिति की खोज कर ली थी और उसका कुछ प्रमाण भी निकाला।
वैसे तो इनका जन्म जर्मनी शहर में हुआ था लेकिन बाद में ये अपने परिवार समेत 1880 में म्यूनिख शहर चले गए थे जहां पर इन्होंने अपनी पढ़ाई की शुरुआत की।
अल्बर्ट आइंस्टीन का परिवार यहूदी धर्म को मानता था जिस के कारणवश उन्हें पढ़ने के लिए कैथोलिक स्कूल में जाना पड़ा।
बचपन के समय में आइंस्टीन को स्कूल जाना बिल्कुल भी पसंद नहीं था। उन्हें ऐसा लगता था कि स्कूल एक कैद खाना है। म्यूनिच शहर में ही इनके चाचा और पिता ने एक कंपनी की शुरुआत की जिसका नाम Elektrotechnische Fabrik J.Einstein & Cie था। ये कंपनी बिजली के उपकरण बनाती थी।
अल्बर्ट आइंस्टीन का कैरियर
अपनी डॉक्टरेट लेने के लिए अल्बर्ट आइंस्टीन ने विज्ञानं पर एक दस्तावेज़ लिखा जिसके कारण ये काफी प्रसिद्ध हुए। वर्ष 1909 में ये एक यूनिवर्सिटी में लेक्चरर बन चुके थे जिस के लिए इन्होंने काफी मेहनत की थी।
इन्होने 2 यूनिवर्सिटी में कुछ समय के लिए प्रिंसिपल के रूप में भी काम किया और कुछ ही समय बाद ये फेडरल इंस्टिटयूट ऑफ़ टेक्नोलोजी के प्रिंसिपल बन चुके थे। सन 1913 में ये बर्लिन चले गए और अलग अलग रहने के कारण इनका अपनी पत्नी के साथ तलाक हो गया।
बर्लिन आने के बाद अल्बर्ट आइंस्टीन ने एक लड़की जिसका नाम एलसा था से शादी करली। यहां पर ये भी देखने को मिलता है कि आइंस्टीन को भूलने की बीमारी थी। एक बार वो रेल गाड़ी से सफर कर रहे थे। इसी बीच टी.टी आ गया और उसने आइंस्टीन से टिकट के बारे में पूछा।
लेकिन आइंस्टीन को टिकट ढूंढ़ने पर भी ना मिला। तभी टी.टी ने कहा कि उसे मत ढूंढें मुझे मालूम है आप ने टिकट ली होगी लेकिन भूल गए होंगे। इसपर आइंस्टीन ने जवाब दिया कि वो सब तो ठीक है लेकिन मुझे देखना है कि मैं जा कहां रहा हूँ।
अपने कैरियर में इन्हें बहुत सारे सम्मान और पुरस्कारों से नवाज़ा गया, जिससे इनका करियर आसमान की ऊँची बुलंदियों पर पहुँच गया।
1945 वर्ष में इन्होने अपने सबसे प्रसिद्ध समीकरण E=MC का अविष्कार किया।
अल्बर्ट आइंस्टीन के कुछ महत्त्वपूर्ण अविष्कार।।
अल्बर्ट आइंस्टीन ने भौतिक विज्ञान की दुनिया में अपना काफी योगदान दिया जिसकी वजह से इन्होने काफी प्रसिद्धता हासिल की। इनमें से कुछ अविष्कार ये हैं:-
रेफ्रिजरेटर की खोज
रेफ्रिजरेटर का इस्तेमाल आज बहुत सारी जगहों पर किया जाता है। ये इनका छोटा सा ही समीकरण था जिसको बनाने में इन्होने ज़्यादा समय नहीं लगाया।
ऊर्जा के रूप में इन्होने इसमें पानी, अमोनिया और ब्यूटेन का इस्तेमाल किया था। बहुत सारी विशेषताओं को ध्यान में रखकर इन्होंने ये रेफ्रिजरेटर बनाया था।
आसमान नीला क्यों होता है
इसपर अल्बर्ट आइंस्टीन ने बहुत सारी दलीलें पेश की हालाँकि यह एक आसान सा प्रमाण है। इन्होंने आकाश के प्रिकिर्णन के बारे में जानकारी दी जो कि आसमान के नीला होने की वजह है।
ब्रोव्नियन मूवमेंट
ब्रोव्नियन मूवमेंट को अल्बर्ट आइंस्टीन की सबसे अच्छी और सबसे बड़ी खोज माना जा सकता है जिसमें इन्होने परमाणु के निलंबन के बारे में निरीक्षण किया।
ये अणु और परमाणु के अस्तित्व के सबूत के लिए सहायक मानी जा सकती है। हम सब को मालूम है कि ये विज्ञान की सभी शाखाओं में प्रमुख है।
प्रकाश की क्वांटम थ्योरी
अल्बर्ट आइंस्टीन के अनुसार धातुओं में से इलेक्ट्रान बाहर निकलते हैं जिसके कारण फोटो इलेक्ट्रिक इफेक्ट की रचना होती है।
इन्होने इस थ्योरी में तरंगों की विशेषता बताई है और ऊर्जा की छोटी थैली को फोटान का नाम दिया है। इस थ्योरी की वजह सी ही टेलीवजन का अविष्कार संभव हो सका।
E= mc2
ये समीकरण अल्बर्ट आइंस्टीन का सबसे प्रिसद्ध समीकरण रहा है और इसमें इन्होने प्रमाणित द्रव्मान और ऊर्जा के बारे में जानकारी दी है।
आज भी इसे दुनिया के बहुत सारे स्कूलों में पढ़ाया जाता है और आज के समय में इसे नयूक्लेअर ऊर्जा के नाम से जाना जाता है।
आइंस्टीन का मज़ेदार किस्सा
एक बार आइंस्टीन कहीं पर भाषण देने जा रहे थे। रास्ते में उनके ड्राइवर ने उनसे कहा कि आपका भाषण मैं इतनी बार सुन चूका हूँ की अब मैं भी आप का भाषण दे सकता हूँ।
तो इसपर आइंस्टीन ने कहा कि ठीक है आज मेरी जगह भाषण तुम देना। ये कहकर आइंस्टीन ने अपने ड्राइवर की पोशाक पहन ली।
जब भाषण का समय आया तो आइंस्टीन का ड्राइवर बिलकुल उनकी तरह ही धुआंदार भाषण देने लगा। इसके बाद जब सवाल जवाब का सेशन शुरू हुआ तो उसने सवालों के जवाब भी अच्छे से दिए।
लेकिन बाद में किसी ने उससे अधिक कठिन प्रश्न पूछ लिया। तो इसपर उसने कहा कि ये तो इतना आसान सवाल है कि इसका जवाब तो मेरा ड्राइवर भी दे सकता है। ये कहकर उसने आइंस्टीन को आगे कर दिया।
अल्बर्ट आइंस्टीन के बारे में रोचक तथ्य ?
- अल्बर्ट आइंस्टीन इतने जिनयस थे कि वो अपने दिमाग में ही सारे सवालों के हल निकाल लेते थे।
- आइंस्टीन की मृत्यु के बाद किसी ने उनका दिमाग जांच के लिए चुरा लिया था।
- आज भी आइंस्टीन की आँखें एक सुरक्षित डिब्बे में रखी हुई हैं।
- खुद की गाड़ी ना होने की वजह से उन्हें गाड़ी चलाना नहीं आता था।
- बचपन में आइंस्टीन को बोलने और पढ़ने में मुश्किल होती थी।
- एक बार अल्बर्ट आइंस्टीन को राष्ट्रपति बनने का भी अवसर मिला था
- अल्बर्ट आइंस्टीन के दिमाग की जांच के दौरान पता चला कि उनके दिमाग में आम लोगों के मुकाबले ज़्यादा सेल्स थे।
- यादाश्त कमज़ोर होने की वजह से अल्बर्ट आइंस्टीन किसी का नाम और नंबर याद नहीं रख पाते थे।
- यूनिवर्सिटी में दाखिले की परीक्षा में अल्बर्ट आइंस्टीन फेल हो गए थे।
- अल्बर्ट आइंस्टीन “अभ्यास ही सफलता का मूलमंत्र है” गुरुमंत्र को मानते थे।
- आइंस्टीन को नोबेल पुरस्कार मिला लेकिन किसी कारण से उसकी राशि इन्हें नहीं मिल पायी।
अल्बर्ट आइंस्टीन के सुविचार
- इस बहुत कम वक़्त में अगर कुछ करना है तो शुरुआत अभी से ही कर देनी चाहिए।
- मुर्खता और बुद्धिमता में बस इतना सा फर्क होता है कि बुद्धिमता की सीमा होती है लेकिन मूर्खता की नहीं।
- अगर आप को खेल के नियम अच्छे से मालूम हों तो आप किसी भी खिलाडी से बेहतर खेल सकते हैं।
- किनारों पर ही समुद्री जहाज़ सबसे ज़्यादा सुरक्षित रहते हैं लेकिन ये किनारों पर रहने के लिए नहीं बने हैं।
अल्बर्ट आइंस्टीन को मिले पुरस्कार
आइंस्टीन को निम्नलिखित मौजूद पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।
पुरस्कार का नाम | वर्ष |
मत्तयूक्की मैडल | 1921 |
भौतिकी का नॉबल पुरस्कार | 1921 |
कोपले मैडल | 1925 |
शताब्दी के टाइम पर्सन | 1999 |
मैक्स प्लांक मैडल | 1929 |
आज लगभग हर व्यक्ति आइंस्टीन को जानता है और उनका सम्मान करता है जो कि किसी पुरस्कार से कम नहीं है।
अल्बर्ट आइंस्टीन की मृत्यु
हिटलर एक यहूदी विरोधी नेता थे। जब हिटलर की तानाशाही का समय था तब यहूदी होने के कारण आइंस्टीन को जर्मनी छोड़ कर अमेरिका के न्यू जर्सी में जाना पड़ा।
यहाँ पर आइंस्टीन प्रिस्टन कॉलेज में अपनी सेवाएं दे रहे थे। अपने आखरी समय में इंटरनल ब्लीडिंग की वजह से उन्हें काफी दर्द का सामना करना पड़ा।
आख़िरकार प्रिस्टन कॉलेज में ही कार्य करते समय 18 अप्रैल 1955 को इनकी मृत्यु हो गयी और दुनिया के महान वैज्ञानिकों में से एक अल्बर्ट आइंस्टीन इस दुनिया को अलविदा कह गए। हालाँकि उनकी खोजों और उनके महान कार्यों को कभी भुलाया नहीं जा सकता।
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