अल्लाह जिलाई बाई का जीवन परिचय | Allah Jilai Bai Biography In Hindi

Allah Jilai Bai Biography In Hindi | अल्लाह जिलाई बाई का जीवन परिचय: अल्लाह जिलाई बाई (1 फरवरी 1902 – 3 नवंबर 1992) राजस्थान , भारत के एक लोक गायिका थीं, 

बीकानेर गायकों में से एक परिवार के लिए, 10 साल की उम्र में वह गा रही थी.।उन्होंने उस्ताद हुसैन बख्श खान और बाद में अचन महाराज से गायन की शिक्षा ली.

अपनी स्थिति और लोकप्रियता के बावजूद वह दृढ़ता से एक विनम्र कलाकार थीं.

अल्लाह जिलाई बाई का जीवन परिचय Allah Jilai Bai Biography In Hindi

वह मांड , ठुमरी , ख्याल और दादरा में पारंगत थीं.  शायद उसका सबसे प्रसिद्ध टुकड़ा केसरिया बालम है. 1982 में, भारत सरकार ने उन्हें कला क्षेत्र में पद्म श्री से सम्मानित किया,

सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से एक उन्हें लोक संगीत के लिए 1988 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है.

केसरिया बालम आओ नी पधारो म्हारै देस गीत प्रख्यात मांड गायिका अल्लाह जिलाई बाई के कंठों से निकलकर अमर हो गया. 

अल्लाह जिलाई बाई का जन्म 1 फरवरी 1902 को हुआ. बीकानेर के राजदरबार में गुणीजनखाने के उस्ताद हुसैनबक्श लंगड़े ने उसकी प्रतिभा को निखारा.

तेरह वर्ष की आयु में ही उसने अपने कंठ के सुरीलेपन से बीकानेर महाराजा गंगासिंह को प्रभावित कर दिया. महाराजा ने उसे राजगायिका के पद पर प्रतिष्ठापित किया. उन्होंने बाईस वर्ष तक राजदरबार में अपनी गायकी से चमक बिखेरी.

केसरिया बालम, बाई सा रा बीरा, काली काली काजलिये री रेख, झालो दियो जाय आदि उनके कंठ से निकले प्रसिद्ध गीत हैं. उन्होंने विदेशों में भी मांड गायकी से लोगों को चमत्कृत कर दिया.

1982 ई में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से अलंकृत किया. 3 नवम्बर 1992 को अल्लाह जिलाई बाई की मृत्यु हो गई. राजस्थान सरकार ने 31 मार्च 2012 को प्रथम राजस्थान रत्न सम्मान देने की घोषणा की.

अल्लाह जिलाई बाई की व्यक्तिगत जानकारी

पूरा नामअल्लाह जिलाई बाई
जन्मदिन1 फरवरी 
जन्म का साल1902 
जन्म स्थानबीकानेर, राजस्थान
मृत्यु3 नवंबर 1992 
माताज्ञात नहीं
पिताज्ञात नहीं 
भाईज्ञात नहीं
बहनज्ञात नहीं
पतिज्ञात नहीं
प्रोफेशनराजस्थानी लोक गायिका 
प्रसिद्धिकेसरिया बालम गीत के लिए
नागरिकताभारतीय
धर्मइस्लाम 
जातिज्ञात नहीं

शारीरिक संरचना

लंबाई5 फुट 2 इंच 
वजन62 किलो
आंखों का रंगकाला 
बालों का रंगहल्का सफेद 
चेहरे का रंगसावला 

अल्लाह जिलाई बाई की पसंद

पसंदीदा अभिनेताज्ञात नहीं 
पसंदीदा अभिनेत्रीज्ञात नहीं 
पसंदीदा कलरज्ञात नहीं 
पसंदीदा खानाराजस्थानी देसी खाना 
पसंदीदा गायकज्ञात नहीं 
पसंदीदा घूमने की जगहज्ञात नहीं

अल्लाह जिलाई बाई द्वारा पहली बार केसरिया बालम गाना

जिलाई बाई को सबसे ज्यादा प्रसिद्धि राजस्थान के लोक गीत “केसरिया बालम पधारो मारे देश” के द्वारा ही मिली थी।

बता दें कि आज के समय में तो इनके द्वारा गाए हुए इस गीत को कई लोग सुनते हैं परंतु महाराजा गंगा सिंह वह पहले व्यक्ति थे जिनके दरबार में अल्लाह जिलाई बाई ने केसरिया बालम गीत को पहली बार प्रस्तुत किया था।

महाराजा गंगा सिंह राजस्थान के बीकानेर जिले के राजा थे। महाराजा गंगा सिंह का परिचय यह है कि इन्होंने जब पहला विश्व युद्ध हुआ था तब उस विश्व युद्ध में अंग्रेजी हुकूमत की तरफ से पार्टिसिपेट किया था और एक भारी-भरकम सेना लड़ने के लिए बनाई थी।

महाराजा गंगा सिंह के द्वारा अल्लाह जिलाई बाई के हुनर को पहचानना, बता दे कि महाराजा गंगा सिंह ने तभी से जिलाई बाई के अंदर मौजूद गायकी की कला को पहचान लिया था जब सिर्फ 10 साल की उम्र तक ही जिलाई बाई पहुंची थी। 

जिलाई बाई के अंदर गाने के टैलेंट को पहचानने के बाद गंगा सिंह महाराज ने उसे ट्रेनिंग देने के लिए अपने दरबार में मौजूद उस्ताद हुसैन बख्श और अच्छन महाराज को आदेश दिया,

जिसके बाद इन दोनों के द्वारा जिलाई बाई को गायन की ट्रेनिंग देने जाने लगी और ट्रेनिंग प्राप्त होने का ही यह परिणाम निकल कर सामने आया कि वह गायकी में काफी अच्छा प्रदर्शन करने लगी।

उस्ताद हुसैन बख्श और अच्छन महाराज ने जिलाई बाई को ठुमरी, मांड, दादरा और ख्याल जैसी विभिन्न प्रकार की शैलियों में गाना किस प्रकार से गाया जाता है इसके बारे में काफी अच्छी जानकारी दी और इन शैलियों में गाना गाना भी सिखाया।

भारतीय गवर्नमेंट ने किया सम्मानित

जब महाराजा गंगा सिंह की मौत हो गई तो उसके बाद भी जिलाई बाई ने अपने गायन की कला को लगातार विकसित करने पर अपना पूरा ध्यान लगाया और इसी का यह परिणाम हुआ कि उन्हें ऑल इंडिया रेडियो ने बुलावा भेजा और कार्यक्रम करने के लिए ऑफर किया।

जिसे खुशी खुशी जिलाई बाई ने एक्सेप्ट कर लिया जिसके बाद तो उनकी आवाज का जादू रेडियो के माध्यम से देश दुनिया में फैलने लगा। लोग रेडियो पर घंटो घंटो जिलाई बाई के कार्यक्रम के आने का इंतजार करने लगे।

अपनी ख्याति के कारण साल 1982 में “पद्मश्री पुरस्कार” भारतीय गवर्नमेंट के द्वारा जिलाई बाई को समर्पित किया गया।

जिलाई बाई को प्राप्त अवार्ड 

  • साल 1982 में पद्मश्री अवार्ड 
  • साल 1988 में संगीत नाटक अकैडमी अवॉर्ड

FAQ:

Q: राजस्थान की मांड गायिका कौन है?

Ans: अल्लाह जिलाई बाई और गवरी देवी

Q: राजस्थान की स्वर कोकिला किसे कहते हैं?

Ans: गवरी देवी और अल्लाह जिलाई बाई

Q: अल्लाह जिलाई बाई को पद्मश्री अवार्ड कब प्राप्त हुआ?

Ans: साल 1982 में

Q: अल्लाह जिलाई कौन थी?

Ans: यह राजस्थान की लोकप्रिय मांड गायिका थी।

Q: केसरिया बालम गीत को किसने लोकप्रिय बनाया?

Ans: जिलाई बाई

यह भी पढ़े

उम्मीद करते है फ्रेड्स अल्लाह जिलाई बाई का जीवन परिचय Allah Jilai Bai Biography In Hindi का यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा.

अगर आपको इस गायिकी की जीवनी इतिहास में दी जानकारी पसंद आई हो तो अपने फ्रेड्स के साथ जरुर शेयर करें.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *