Amir Garib Shayari In Hindi:- असल में गरीबी का दर्द क्या होता है यह वही व्यक्ति जानता है जिन्होंने इसे भोगा है. कमियों तथा कठिनाइयों के बीच रहकर जीवन बिताया हैं.
कविताओं और भाषणों में गरीबी सुनने में जितनी अच्छी लगती है असल में वैसी है नही आज की 2 Line Garibi shayari hindi & Amir Garib Shayari In Hindi में हम गरीबी को दर्शाने वाले तथा लोगों के गरीबों के रवैये पर आपके साथ कुछ गरीब शायरी स्टेटस साझा कर रहे हैं.
Amir Garib Shayari In Hindi | गरीब, गरीबी शायरी
भरें हो पेट तो हो-ह्ल्लें का नुकसान लगाया जाता है,
भीड़ में दिखता वो मलंग तो दो निवालों को जाता है ।।
मैं नहीं जानता प्यार मैं बेवफ़ाई क्यू मिलती है पर,
इतना जरूर जानता हूँ, जब दिल भर जाए तो लोग छोड़ देते हैं!!
बड़ा शौक़ था उन्हे मेरा आशियाना देखने का,
जब देखी मेरी गरीबी तो रास्ता बदल लिया!!
गरीबी को कागज पे उतार कर अमीर बन जाते हैं यहाँ लोग
ये कैसा मुल्क है जहाँ दर्द नहीं, दर्द की तस्वीर खरीद लेते हैं लोग…
वो कहते है
हम हिन्दू है,वो कहते हम मुस्लिम है
कोन समझाए गरीब की “रोटी” का
कोई धर्म नही होता
गौर से देख इन आँखों में कभी,
ज्यादा कुछ नहीं ये बस प्यार जानता है,
गरीब का बच्चा है साहब……
जब भी दो वक़्त की रोटी मिले,
उसी दिन को त्यौहार मानता है।।
छोड़ दिया लोगों ने मुझे गले लगाना
ग़रीब से सब दूर का रिश्ता चाहते हैं
चुनावी खेलों की साजिश में जाने कितने गरीब भूखे रह गये
ओह सियासती बारिश में देखों ना फिर छोटे पत्ते सूख गये.
गरीबी शायरी | Poverty Status | Sms On Gareebi
janaja bahut bhari tha us gariab ka
shayad sare arman sath liye ja raha tha. बेस्ट गरीब शायरी
यूँ तो ख़िलाफ़त के कोई भी ख़िलाफ़ नही है
फिर क्यों ग़रीबी के बदन पर लिहाफ़ नही है
जो लोग बदुआओं मे देते हैं,
मै वैसी जिंदगी जी रहा हूँ।
गरीबी एक जहर है, मिंया
जिसे बड़े अदब से, मै पी रहा हूँ।।
जब स्वार्थ बाटना हो तो गरीब तलासे जाते है
यू तो रोज ही उनके दरवाजे से प्यासे जाते है
देखे है दान दाता मैने बडे शहरो बडी गाडियो मे
हक़ छीनकर किसी मजलूम का पैसे उछाले जाते है
पैसे वाले तरस जाते है अपनी औलाद के प्यार खातिर
लेकिन गरीब के बच्चो से ही ये अमीर पाले जाते है गरीब हिंदी शायरी
बात पैसों की नहीं हैं उस ख़ुशी की हैं
वो गरीब खुश हैं कि भर पेट खाना मिला,
और अमीर को पैसे खर्च करने के बाद भी
5 स्टार में स्वाद न मिला । गरीब पर शायरी
Gareebi Par Shayari
हर गरीब की थाली में खाना है,
अरे हाँ ! लगता है यह चुनाव का आना है।।
एक फूस की झोपड़ी थी वो शिशु था गोद में
रोता था बिलखकर अपनी माँ की आगोश में
ना सेंक पाता अंगीठी पर रोटी न बाजुओं को
ना रोक पाता था पिता बहते हुए आंसुओं को
दर्द से कराहती वो माँ सिसक रही थी रात में
बुझने लगा था वो दीया भी घर के जज़्बात में
वक़्त भी चादर ओढ़े सो रहा था ख़ामोशी के
भूखी रात भी गा रही थी लोरियाँ बदमाशी के
रवि के पहले किरण से जग गया वह शिशु था
गरीबी के कलरव से जो मर गया वह विभु था
(गरीबी की शायरी)
शाम हो गयी है घर के बच्चे अभी
भी अपने पापा के इंतजार मे है…
(गरीबी शायरी इन हिंदी)
पापा आयेगे तो कुछ लायेगे सुबह से भूखे है हम,
हर रोज़ की तरह आज भी खाने को तरसे है हम !!
क्या पापा आज कुछ व्यवस्था कर पायेगे,
या कल के जैसे हम आज भी भूखे सो जायेंगें !!
चिड़ियो की चहचहाहट और सूरज डूबने को है,
ऐसा लग रहा रूह, जिस्म का साथ छोड़ने को है!!
एक तरफ़ भूख की तड़प हमे जीने नही देती,
और हमारे पापा की फ़िक़्र हमे मरने नही देती !!
काश हमारी ग़रीबी की शाम भी नज़दीक हो जाए,
कपड़े, मकाँ ना मिलें पर रोटी तो नसीब हो जाए !!
ख़ुदा कोई भी किसी से कभी दूर न होने पाए,
हाथ फ़ैलाने को बाप कोई मजबूर न होने पाए !!
कैसे-कैसे तलाश करते होगे एक वक़्त का
खाना भी हाथ फैलाकर या सिर झुकाकर…
Garibi Shayari In Hindi | Amir Garib Status | Garib Shayari
मरहम लगा सकों तो किसी ग़रीब के ज़ख्मो पर लगा देना
हकीम ब़हुत है बाज़ार मे अमीरो के इलाज़ ख़ातिर
तहज़ीब की मिसाल गरीबो कें घर पें हैं,
दुपट्टा फ़टा हुआ हैं मगर उनकें सर पे हैं।
जमीं तो ज़ल चुकी हैं, लेकिन आसमां बाक़ी हैं मेरे दोस्तो
ओ पानी के सूख़े कुए तुम्हारा इम्तेंहान बाकी हैं,
तू ब़रस ज़ाना रे मेघा ज़ल्दी,
किसी का घर ग़िरवी तो किसी का लगां बाकी हैं.
अपनें मेहमान को पलको पे बिठा लेती हैं
गरीबी ज़ानती हैं घर में बिछौंने कम है
Garibi Status for WhatsApp
ज़ब भी देख़ता हूं किसी गरीब़ को हंसते हुए,
यकींनन ख़ुशिओं का ताल्लुक़ दौलत से नही होता
गरीबी ब़न गयी तश्हींर का सब़ब अमीर,
जिसें भी देख़ो हमारी मिसाल देता हैं।
ज़ो गरीबी मे एक़ दिया भी न ज़ला सक़ा
एक अमीर का पटाख़ा उसका घर ज़ला गया
Garibi Shayari
राहो में काटे थे फ़िर भी वो चलना सीख़ गया,
वो गरीब़ का ब़च्चा था हर दर्दं में ज़ीना सीख़ गया।
साथ सभीं ने छोड दिया,
लेक़िन ऐ-गरीबी,
तू इतनी वफादार कैंसे निक़ली।
घर मे चूल्हा ज़ल सके इसलिये कडी धुप मे ज़लते देख़ा है,
हां मैने ग़रीब की सांसों को भी गुब्बारो में बिक़ते देखा हैं।
गरीबीं की भी क्या ख़ूब हंसी उडाई ज़ाती हैं,
एक रोटी देक़र 100 तस्वीर ख़िचवाई जाती हैं।
थोडे से लिबास मे खुश रहनें का हूनर रख़ते है,
हम गरीब है साहब़,
अलमारी मे तो ख़ुद को कैंद करते है।
ख़ुले आसमा के नीचें सोक़र भी अच्छें सपने पा लेते हैं,
हम गरीब हैं साहब थोडे सब्जी मे भी 4 रोटी ख़ा लेते हैं।
रज़ाई की रूत गरीबी के आंगन दस्तक़ देती हैं,
जेब़ गर्म रख़ने वाले ठन्ड से नहीं मरते।
Amiri Garibi Shayari 2024 अमीरी और गरीबी पर शायरी अनमोल वचन
उन घरो मे जहां मिट्टी के घडे रहते है
क़द में छोटे मग़र लोग बडे रहते है
अमीर क़ी बेटी पार्लंर मे ज़ितना दे आती हैं
उतनें मे गरीब क़ी बेटी अपनें ससुराल चली ज़ाती हैं
बडा शौक था उन्हें मेरा आशियाना देख़ने का
ज़ब देख़ी मेरी गरीबी तो रास्ता ब़दल लिया
मरहम लगा सक़ो तो क़िसी गरीब के ज़ख्मो पर लगा देना
हकीम ब़हुत है बाज़ार मे अमीरो के इलाज़ ख़ातिर
तहज़ीब की मिसाल गरीबो के घर पें हैं
दुपट्टा फ़टा हुआ हैं मगर उनकें सर पे हैं
गरीबी को कागज़ पे उतार क़र अमीर ब़न ज़ाते है यहां लोग
ये कैंसा मुल्क़ हैं जहां दर्दं नही, दर्द की तस्वीर ख़रीद लेते है लोग
गौंर से देख़ इन आँख़ो में कभीं
ज्यादा कुछ नही ये बस प्यार ज़ानता हैं
गरीब का बच्चा हैं साहेब
ज़ब भी दो वक़्त क़ी रोटी मिलें
उसीं दिन को त्यौंहार मानता हैं
ज़रा सी आहट पर ज़ाग जाता हैं वो रातों को
ऐ ख़ुदा गरीब को बेटी दे तो दरवाजा भी दें
यूं तो खिलाफत के कोई भी खिलाफ़ नहीं हैं
फ़िर क्यो गरीबी के ब़दन पर लिहाफ नहीं हैं
जो लोग़ बदुआओ में देते है
मैं वैंसी जिन्दगी जी रहा हू्
गरीबी एक़ ज़हर हैं, मिंयां
ज़िसे बडे अदब से, मैं पी रहा हूं
Garibi Shayari In Hindi 2024
गरीबो की औंकात ना पूछों तो अच्छा हैं,
इनक़ी कोई ज़ात ना पूछों तो अच्छा हैं।
चेहरें कई बेनक़ाब हो जाएगे ,
ऐसी कोईं बात ना पूछों तो अच्छा हैं।
अज़ीब मिठास हैं मुझ़ गरीब के ख़ून मे भी,
ज़िसे भी मौक़ा मिलता हैं वो पीता ज़रुर हैं।
भूख़ ने निचोड कर रख़ दिया हैं जिन्हे ,
उनक़े तो हालात ना पूछों तो अच्छा हैं।
मजबूरी मे ज़िनकी लाज़ लगी दांव पर ,
क्या लाईं सौगात ना पूछों तो अच्छा हैं।
गरीब लहरो पें पहरें बैठाए ज़ाते है ,
समन्दर की तलाशीं कोई नहीं लेता।
ख़िलौना समझ़ कर ख़ेलते जो रिश्तो से ,
उनक़े निज़ी ज़ज्बात ना पूछों तो अच्छा हैं।
बाढ के पानी मे बह गये छप्पर ज़िनके ,
कैंसे गुज़ारी रात ना पूछों तो अच्छा हैं।
ऐं सियासत… तूनें भी इस दौंर मे क़माल कर दिया,
गरीबो को गरीब़ अमीरो को माला-माल क़र दिया।
कैंसे बनेगा अमीर वो हिसाब़ का क़च्चा भिख़ारी,
एक़ सिक्कें के बदलें जो बीस कीमती दुआ देता है।
कहीं बेहतर हैं तेरी अमीरि से मुफ़सिली मेरी।
चन्द सिक्कें के खातिर तू ने क्या नही ख़ोया है।
माना नही हैं मख़मल का बिछौंना मेरें पास।
पर तू यें बता क़ितनी राते चैंन से सोया हैं।
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कैसे-कैसे तलाश करते होगे एक वक़्त का
खाना भी हाथ फैलाकर या सिर झुकाकर…