आनंद मंदिर म्यांमार का इतिहास | Ananda Temple Myanmar History Story In Hindi

आनंद मंदिर म्यांमार का इतिहास | Ananda Temple Myanmar History Story In Hindi: बर्मा में सर्वोत्तम पेगन का आनंद मंदिर (Ananda Temple) हैं.

यह 564 वर्गफीट के चौकोर आंगन के बिच स्थित हैं. मुख्य मंदिर ईंटो का बना हुआ और वर्गाकार हैं. भव्य अनुपात और व्यवस्थित नियोजन के साथ ही आनन्द मंदिर का सौन्दर्य यहाँ पर उत्कीर्ण पत्थर की असंख्य मूर्तियों और दीवारों पर लगे मिट्टी के फलकों से बढ़ गया हैं. 

आनंद मंदिर म्यांमार का इतिहास | Ananda Temple Myanmar History In Hindi

मन्दिर नामआनंद मन्दिर
स्थानबागान, म्यांमार
स्थापना1105 ई
सम्बद्ध धर्मबौद्ध
मूर्तियों की संख्या80
निर्माताराजा क्यानजीथ
जीर्णोद्धारASI भारत (2010)
देश म्यांमार

पत्थर की उत्कीर्ण मूर्तियों की संख्या 80 हैं. और उनमें बुद्ध के जीवन की मुख्य घटनाएं अंकित हैं. यह मंदिर भारतीय शैली में ही विकसित हुआ हैं.

इस ढंग के मंदिर बंगाल में पाए जाते हैं. और संभवत उन्ही से आनन्द मंदिर के नियोजन की प्रेरणा मिली होगी. इस मंदिर के सन्दर्भ में डयुरोसाइल ने विशेष अध्ययन किया हैं. उनका मत हैं कि

जिन वास्तुकारों ने आनन्द का नियोजन और निर्माण किया, वे निसंदेह भारतीय थे. शिखर से लेकर कुर्सी तक प्रत्येक वास्तु तथा बरामदों में पायी जाने वाली अनेक प्रस्तर मूर्तियाँ तथा कुर्सियों और गलियारों में लगे मिट्टी के फलकों में भारतीय कला कौशल और प्रतिभा की अमिट छाप दिखाई देती हैं.

इस दृष्टि से हम यह मान सकते हैं कि आनन्द मंदिर बर्मा की राजधानी में बना होने पर भी एक भारतीय मंदिर ही हैं.

निश्चित रूप से ऊपर वर्णित विभिन्न बिन्दुओं को पढ़ने के बाद हमने जाना कि भारतीय संस्कृति का प्रभाव विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में पड़ा. आनन्द मंदिर जिसका उदाहरण हैं.

आंनद मंदिर के चारों ओर बड़ा गलियारा इसकी अनुपम विशेषता हैं. 1975 में आए विनाशकारी भूकम्प के चलते यह पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था. म्यामांर सरकार ने इसके पुनरुत्थान किया हैं.

मंदिर निर्माण का इतिहास

आनंदा टेम्पल म्यांमार स्थित विश्व के प्राचीन बौद्ध मन्दिरों में से एक हैं. इस मन्दिर के निर्माण के बारे में कहा जाता है यह 1105 ई के आस पास बनाया गया होगा. मोन वास्तुकला शैली का यह अब तक का सबसे आकर्षक नमूना भी हैं.

बागान के अन्य मन्दिरों में इसकी भव्यता और प्राचीनता काफी अधिक हैं. साल 1990 में मन्दिर के निर्माण की 900 वीं वर्षगाँठ मनाई गई तथा मन्दिर के परिधानों पर सोने का जल चढ़ाया गया.

आनन्द मन्दिर में भगवान बुद्ध की कई प्रतिमाएं है मन्दिर के चारों कोनों में खड़ी मुद्रा में बनाई गई बुद्ध की प्रतिमा बेहद आकर्षक हैं.

एक लोक कथा के अनुसार एक समय आठ भिक्षु एक दिन महल में राजा से याचना करने आए, उन्होंने राजा से कहा कि वे हिमालय की नंदमूला गुफा मन्दिर में रहते हैं. राजा उनकी बातों से बेहद प्रभावित हुआ तथा उन्हें महल में निवास करने के लिए आमंत्रित किया.

एक समय उन भिक्षुओं ने अपनी ध्यान शक्ति के बल से राजा को वह स्थान दिखाया जहाँ भिक्षु रहा करते थे, राजा ने पौराणिक स्थल पर मंदिर बनाने का आदेश दिया, बागान के शांत मैदानों में स्थित इस मन्दिर को अनोखा बनाने वाले कारीगर को निर्माण के बाद मार दिया ताकि वह दुबारा ऐसे किसी मंदिर को न बना सके.

564 वर्ग फीट के चौकोर आंगन में बने पेगन के इस आनन्द मन्दिर का निर्माता राजा क्यानजीथ था जिसने 1105 में इसका निर्माण करवाया था. मन्दिर में भगवान बुद्ध के सम्पूर्ण जीवन पर आधारित 80 मूर्तियाँ उत्कीर्ण हैं. यहाँ कई प्रसिद्ध बौद्ध मठ और स्तूप भी हैं.

भारत और आनंद मंदिर

बर्मा अर्थात म्यांमार के भारत के साथ हजारों वर्षों से घनिष्ठ सम्बन्ध रहे हैं इतिहास के लम्बे दौर तक दोनों देशों पर एक ही राजवंशों का अधिकार रहा हैं, बौद्ध मत दोनों देशों की साझी विरासत हैं.

जब 1975 में आनंद मंदिर भूकम्प से क्षतिग्रस्त हो गया तो भारत सरकार ने साल 2010 में म्यांमार सरकार के साथ मिलकर इसके जीर्णोद्धार के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किये थे.

मन्दिर के पुनरुत्थान उसके नवीनीकरण के लिए तीस लाख डॉलर की मदद की थी. वर्ष 2017 में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आनन्द मन्दिर को देखने भी पहुंचे थे.

प्रधानमंत्री ने मंदिर में आगंतुक पुस्तक पर दस्तखत किये तथा भारत के योगदान को इंगित करने वाली एक पट्टिका का अनावरण भी किया.

ASI आनंद मंदिर के अलावा एशिया के कई अन्य प्राचीन मन्दिरों जैसे अफगानिस्तान के बामियान बुद्ध, कंबोडिया के अंगकोर वाट, कंबोडिया के टा प्रोहम मंदिर, लाओस के वाट फोउ मंदिर और वियतनाम के माई सन टेम्‍पल के जीर्णोद्धार के लिए भी कार्य कर रहा हैं.

FAQ

आनंद मंदिर के नामकरण की कहानी क्या हैं?

आनंद एक प्रचलित बौद्ध और हिन्दू नाम हैं, पाली और बर्मी भाषा में भगवान बुद्ध के एक गुण को आनंदपिन्न्या नाम से स्मरण किया जाता हैं. बुद्ध के एक चहेते चचेरे भाई का नाम भी आनन्द था जो इनका एक शिष्य और प्रचारक भी था.

आनंद मंदिर के निर्माण का कारण क्या रहा होगा?

राजा क्यान्सिथा जो कि इस मन्दिर के निर्माता हैं वह थेरवाद बौद्ध मत को मानने वाले थे, उन्होंने भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को सरल तरीके से लोगों तक पहुचाने के लिए मन्दिर और उनमें बुद्ध की चित्रित जीवनी को प्रस्तुत किया, आमजन को धर्म के झंडे तले एकजुट करने और उनमें आस्था के लिए इस तरह के मन्दिरों का निर्माण किया गया. राजा क्यान्सिथा ने 1080 में एक और बौद्ध मंदिर, पहोथन्या मन्दिर का निर्माण करवाया था.

आनंद मंदिर में कौनसा वार्षिक उत्सव मनाया जाता हैं?

आनंद मंदिर में पयातो नामक एक स्थानीय त्यौहार मनाया जाता हैं, मान्यता के अनुसार लगातार 72 घंटे तक 1000 बौद्ध भिक्षु शास्त्र जाप करते है तथा उनके आस पास सभी गाँव वाले घेरा डालकर खड़े रहते हैं, पूर्णिमा की सुबह भिक्षुओं को उपहार देकर विदा किया जाता हैं.

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