अंगकोर वाट मंदिर का इतिहास हिस्ट्री Angkor Wat Temple History In Hindi: संसार में सैकड़ों मत व धर्म प्रचलित हैं, सभी के अपने अपने पूजा स्थल तथा उनसें जुडी धारणाएं हैं.
आज आपकों कम्बुज देश (वर्तमान में कम्बोडिया) के एक ऐतिहासिक हिन्दू मंदिर (अंगकोर वाट मंदिर) का इतिहास बता रहे हैं.
इस मंदिर के बारे में कहा जाता हैं कि यह दुनियां के सात अजूबों के बाद सबसे आश्चर्यकारी रचना हैं, किसी ने इसे लौकिक शक्ति की रचना माना तो किसी ने इसे विष्णु, इंद्र तथा बौद्ध धर्म का मंदिर बताया.
अंगकोर वाट मंदिर का इतिहास | Angkor Wat Temple History In Hindi
आरम्भ में ये एक हिन्दू मंदिर था बाद में कबोडिया की राजधानी अंगकोर पर बौद्ध अनुयायी शासकों के आधिपत्य से इसे बौद्ध मंदिर का रूप देकर अवलोकितेश्वर जी का पूजा स्थल बना दिया.
दक्षिण एशिया में स्थित अंगकोर वाट टेम्पल भारतीय हिन्दू-बौद्ध सभ्यता का ऐतिहासिक दर्शनीय स्थल हैं. इसका इतिहास व कहानी कुछ इस तरह हैं.
अंगकोर वाट मंदिर के बारे में प्रचलित कथाएँ (angkor wat temple story)
इस मंदिर के संबंध में कहा जाता हैं, कि इन्द्रदेव ने इसे अपने पुत्र के लिए बनाया था, वही इसी समय के एक चीनी यात्री अपनी किताब में लिखते हैं, कि अंगकोर वाट मंदिर किसी अद्रश्य शक्ति द्वारा इसका निर्माण मात्र एक ही रात्रि में हुआ था.
आज के समय में इस मंदिर में हिन्दू व बौद्ध धर्म दोनों की मूर्तियाँ इसमें मिलती हैं. इस मंदिर से जुड़ा रोचक तथ्य यह भी हैं, कि यह विश्व में सबसे बड़ा विष्णु मंदिर हैं.
जिसमें भगवान शिव, विष्णु तथा ब्रह्माजी की मूर्तियाँ स्थापित हैं. मंदिर की दीवारों को रामायण तथा महाभारत के चित्रों से उकेरी गई हैं.
ज्ञात ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर अंगकोर वाट के विष्णु मंदिर का निर्माता सूर्यवर्मन द्वितीय को माना जाता हैं, जो बाहरवीं सदी के हिन्दू शासक थे, जिनका राज्य कम्बोडिया तक विस्तृत था.
इनकें बारे में यह भी किवदंती हैं कि सूर्यवर्मन अमरत्व प्राप्त करना चाहता था. इसके लिए उसने देवताओं से निकटता बनाई तथा तीनों देव को अंगकोर मंदिर में स्थापित कर पूजा करता था. इस मंदिर की तस्वीर कम्बोडिया के राष्ट्र ध्वज पर भी हैं.
अंगकोर वाट मंदिर का इतिहास (1000 years old Angkor Wat Temple History)
कम्बुज में अंगकोर नामक स्थान के आरंभिक वास्तुशिल्पों में कुछ मंदिर हैं, जिनकी भारतीय मन्दिरों से बहुत कुछ साम्यता हैं. मंदिर के मध्य और किनारे के शिखर उत्तर भारतीय शैली के हैं.
इस ढंग का सर्वोत्तम और पूर्ण नमूना अंगकोर वाट में हैं. शिखरों की ओर मुँह किए मुंडों द्वारा ढककर एक नवीनता उत्पन्न की गई हैं.
मन्दिरों और नगरों के चारो ओर गहरी खाई, उसके ऊपर पुलनुमा रास्ता और रास्ते के दोनों ओर सांप के शरीर को खीचते हुए दैत्यों की शक्लें बनी हुई हैं, जो पुल कर जंगल में काम करती हैं. संसार की वास्तुकला में यह निश्चय ही अनोखी और मौलिक वस्तुएं हैं.
इन भवनों की विशालता का अनुमान इसकी लम्बाई व चौड़ाई से लगा सकते हैं. मंदिर की चारदिवारी के बाहर 650 फिट चौड़ी खाई हैं एवं 36 फीट चौड़ा पत्थर का रास्ता हैं. खाई मंदिर के चारो ओर हैं, जिसकी लम्बाई लगभग 2 मील हैं.
पश्चिम फाटक से पहले बरामदे तक सड़क 1560 फीट लम्बी और 7 फीट ऊँची हैं. अंतिम मंजिल का केन्द्रीय शीर्ष जमीन से 210 फीट की ऊँचाई पर हैं.
अंकोरवाट मंदिर कंबोडिया से जुड़े रोचक तथ्य
जरा अंगकोर मंदिर का द्रश्य तो देखीय यही वजह हैं, कि गिनीज बुक के वर्ल्ड रिकॉर्ड में शुमार इस इमारत को यूनेस्को ने 1992 में वर्ल्ड हेरिटेज लिस्ट में शामिल किया था.
अमेरिका की सर्वे पत्रिका मैगजीन टाइम्स ने इसे विश्व की प्रथम 5 आश्चर्यजनक स्थलों में शामिल किया था, मिकांक नदी के किनारे स्थित मंदिर का निर्माण 12 वी सदी में हुआ था.
आप जानकार हैरान होंगे कि इस मंदिर का निर्माण सौ लाख रेत के पत्थरों से किया गया, जिसमें प्रत्येक का वजन डेढ़ से दो टन था. यहाँ सबसे अधिक दर्शनार्थी चीन व भारत से आते हैं, जिसके पीछे मंदिर का इतिहास हिन्दू व बौद्ध धर्म से जुड़ा होना हैं.
अंकोरवाट मंदिर कैसे जाएं
अंगकोर वाट मंदिर जाने के लिए सबसे पहले आपको विदेश यात्रा के लिए बनाए जाने वाले सभी जरूरी दस्तावेज बनाने होंगे.
उसके बाद आप फ्लाइट के माध्यम से साईएम रीप अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे तक पहुंच सकते हैं। हवाई अड्डे में पहुंचने के बाद आप बस या कार के माध्यम से अंकोरवाट मंदिर आसानी से पहुंच सकते हैं।
भगवान विष्णु को समर्पित
सूर्यवर्मन द्वितीय द्वारा बनाए गए अंकोरवाट मंदिर का निर्माण लगभग 40 वर्षों तक चला हालांकि इन 40 वर्षों में थी मंदिर का निर्माण पूरा ना हो सका, सूर्यवर्मन द्वितीय भगवान विष्णु को मानने वाले हिंदू राजा थे.
उन्होंने अंकोरवाट मंदिर को भगवान विष्णु को समर्पित किया था, जिसके कारण इसे सबसे बड़ा वैष्णो मंदिर का दर्जा भी दिया गया है।
मंदिर की कलाकृति
अंगकोर वाट मंदिर में बहुत सी विशेष कलाकृतियां मौजूद हैं, इस मंदिर की सभी दीवारों में आपको कुछ ना कुछ विशेष कलाकृति देखने को मिलेगी। अंकोरवाट मंदिर की दीवारों पर रामायण कथा महाभारत के पूरे दृश्य को कलाकृति के रूप में उकेरा गया है।
इस मंदिर में रामायण महाभारत कथा हिंदुओं के और भी पौराणिक कथाओं की कलाकृति मौजूद हैं यही कारण है कि अंकोरवाट मंदिर के आसपास के लोग भी हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं के बारे में बहुत जानकारी रखते हैं।
अंकोरवाट मंदिर घूमने के लिए समय की आवश्यकता
अगर आप अंगकोर वाट घूमने का विचार बना रहे हैं और आप जानना चाहते हैं कि अंकोरवाट मंदिर घूमने में कितना समय लग सकता है.
इसके लिए मैं आपको बताना चाहता हूं कि अगर आप अच्छे से अंकोरवाट मंदिर को देखना और यहां घूमना चाहते हैं तो इसके लिए आपको कम से कम 3 दिन लगेंगे।
अंकोरवाट मंदिर प्रवेश शुल्क
अंकोरवाट मंदिर में अलग-अलग समय अवधि के लिए अलग-अलग प्रवेश शुल्क देकर पास खरीदा जा सकता है, नीचे अंकोरवाट मंदिर में प्रवेश शुल्क की लिस्ट दी गई है –
- 1- दिन का पास – US$ 37;
- 3-दिन का पास – US$ 62;
- 7-दिन का पास – US$ 72;
अंकोरवाट मंदिर घूमने जाने का सबसे अच्छा समय –
अंकोरवाट मंदिर घूमने जाने का सबसे अच्छा समय नवंबर से अप्रैल के बीच होता है। अंकोरवाट कंबोडिया में स्थित एक मंदिर है और कंबोडिया में अक्सर बारिश होती रहती है।
नवंबर से अप्रैल के बीच में बाकी समय के मुकाबले कम बारिश देखी जाती है जिसके कारण आप आसानी से अंकोरवाट मंदिर का लुफ्त उठा सकते हैं।
अंकोरवाट मंदिर घूमते समय क्या पहनें?
अंकोरवाट मंदिर घूमते समय आपको ज्यादा से ज्यादा कपड़े पहनने चाहिए, अगर आप इस मंदिर में घूमने जा रहे हैं तो आपको कम गीले होने वाले और जल्दी सूखने वाले गरम कपड़े पहनने चाहिए।
भारत से अंकोरवाट कैसे पहुंचे?
भारत से अंकोरवाट पहुंचने के लिए आपको अपने नजदीकी एयरपोर्ट से कंबोडिया के लिए फ्लाइट लेनी होगी। फ्लाइट ही एक ऐसा माध्यम है.
जिसकी मदद से आप कम समय में और आसानी से कंबोडिया पहुंच पाएंगे और कंबोडिया पहुंचने के बाद आप अलग-अलग परिवहन के साधनों में से कोई एक चुन सकते हैं जो कि आपको अंकोरवाट तक पहुंचाये।
अंगकोर वाट मंदिर किस देश में है
अक्सर हिंदू मंदिर भारत या इसके आसपास के देशों में पाए जाते हैं लेकिन अंकोरवाट मंदिर एक ऐसा मंदिर है जो कि भारत से लगभग 4500 किलोमीटर दूर है। अंकोरवाट मंदिर कंबोडिया देश में स्थित है।
अंकोरवाट मंदिर का रहस्य
अक्सर हिंदू मंदिर कुछ ना कुछ रहस्य से भरे होते हैं, इसी प्रकार अंकोरवाट मंदिर भी एक ऐसा मंदिर है जहां जाकर पर्यटकों को मन की शांति मिलती है और इसी के साथ अंकोरवाट में एक साथ भगवान विष्णु के साथ-साथ शिव और ब्रह्मा के दर्शन भी किए जा सकते हैं।
अंकोरवाट मंदिर चारों तरफ से पानी से घिरा हुआ है और इस पानी में अंकोरवाट मंदिर की परछाई साफ साफ दिखाई देती है।
अंकोरवाट मंदिर को किसने बनाया
अंकोरवाट मंदिर का निर्माण खमीर राजा सूर्यवर्मन द्वितीय द्वारा कराया गया है और इस मंदिर का निर्माण आज से लगभग 900 साल पहले कराया गया था।
अंकोरवाट मंदिर लगभग 405 एकड़ में फैला हुआ है और इस मंदिर को ही सबसे बड़ा हिंदू मंदिर कहा जाता है। अंकोरवाट मंदिर का निर्माण कंबोडिया में हिंदू राजाओं के शासनकाल के दौरान किया गया है।
अंगकोर वाट में किस हिंदू देवता का मंदिर है?
ज्यादातर स्थानों पर अंकोरवाट मंदिर को भगवान विष्णु का मंदिर बताया गया हालांकि इस मंदिर में भगवान विष्णु के साथ-साथ ब्रह्मा और शिव जी की भी पूजा होती है।
इन सभी हिन्दू देवताओं के साथ इस मंदिर मैं रामायण तथा महाभारत की कथा भी दर्शाई गई है। इस मंदिर की दीवारों में भगवान राम के साथ रामायण और महाभारत के सभी देवी देवताओं का चित्र है। और इन सभी में हनुमान जी भी शामिल है।
कंबोडिया कहां है?
कंबोडिया दक्षिण पूर्व एशिया में एक देश है, कंबोडिया देश वियतनाम और थाईलैंड का पड़ोसी देश है। प्राचीन काल में कंबोडिया को कंबोछीया और कम्बुजा भी कहा जाता था। कंबोडिया देश में खमेर भाषा प्रमुख रूप से बोली जाती है।
दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर-
अंकोरवाट मंदिर को दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर माना जाता है, इस मंदिर का निर्माण 12 वी सदी के आसपास में हुआ था हालांकि कंबोडिया देश में बौद्ध राजाओं के शासनकाल में अंकोरवाट मंदिर को एक बौद्ध मंदिर में परिवर्तित कर दिया गया था।
फिलहाल अंकोरवाट मंदिर कंबोडिया देश का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है और इससे वर्ल्ड हेरिटेज प्लेसिस में भी शामिल कर लिया गया है। अंकोरवाट मंदिर अर्थात दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर को कंबोडिया के राष्ट्रीय ध्वज में भी देखा जा सकता है।
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उम्मीद करता हूँ दोस्तों अंगकोर वाट मंदिर का इतिहास | Angkor Wat Temple History In Hindi का यह लेख पसंद आया होगा.
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