अर्जुन लाल सेठी का जीवन परिचय | Arjun Lal Sethi Biography In Hindi

Arjun Lal Sethi Biography In Hindi | अर्जुन लाल सेठी का जीवन परिचय: मैं राज्य की नौकरी करूंगा तो अंग्रेजों को भारत से बाहर कौन निकालेगा.

ऐसे उच्च विचारों के धनी अर्जुनलाल सेठी का जन्म 9 सितम्बर 1880 को जयपुर को जयपुर के एक जैन परिवार में हुआ था. महाराजा कॉलेज से बी.ए करने के बाद उन्हें राज्य सेवा का प्रस्ताव मिला.

अर्जुन लाल सेठी का जीवन परिचय | Arjun Lal Sethi Biography In Hindi

अर्जुन लाल सेठी का जीवन परिचय | Arjun Lal Sethi Biography In Hindi
पूरा नामअर्जुन लाल सेठी
जन्म9 सितम्बर, 1880
जन्म भूमिजयपुर, राजस्थान
मृत्यु23 दिसम्बर, 1941
नागरिकताभारतीय
प्रसिद्धिस्वतंत्रता सेनानी
किताब‘शुद्र मुक्ति’, ‘स्त्री मुक्ति’, ‘महेंद्र कुमार’

तब उन्होंने उपर्युक्त उदगार व्यक्त किये. सेठी ने 1905 ई में जयपुर में वर्द्धमान पाठशाला नाम से एक विद्यालय की स्थापना की जहाँ क्रांतिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाता था. प्रतापसिंह बारहठ, रासबिहारी बोस, शचीन्द्र नाथ सान्याल एवं अमीरचंद से उनके निकट सम्पर्क थे.

1915 ई में जब सशस्त्र क्रांति की योजना बनाई गई, तब सेठजी को धन एकत्र करने का जिम्मा सौपा गया. निमेज हत्याकांड में सेठी को बंदी बनाकर बेलूर जेल भेज दिया गया. सात वर्ष बाद 1920 ई में इन्हें रिहा किया गया. जब वे जेल से छूटे तो बाल गंगाधर तिलक ने उनका स्वागत किया.

इसके बाद अजमेर को इन्होने अपना कार्यक्षेत्र बनाया. अजमेर में 1920-21 ई में असहयोग आंदोलन में इन्होने भाग लिया. सेठी ने अपना शेष जीवन हिन्दू मुस्लिम एकता स्थापित करने में लगा दिया. 23 दिसम्बर 1945 को अजमेर में ही इनका स्वर्गवास हुआ.

अर्जुन लाल सेठी की जीवनी

अर्जुन लाल सेठी भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने गवर्नर-जनरल लॉर्ड हार्डिंग पर बम फेकने की योजना बनाई थी. शासन विरोधी प्रचार तथा हत्या के आरोप में सेठी को गिरफ्तार कर दिया गया. मगर अंग्रेजों के पास कोई सबूत ना होने की स्थिति में उन्ही बाइज्जत बरी कर दिया गया, मगर उन पर मुकदमा जारी रहा.

1920 में सभी राजनीतिक कैदियों को मुक्त करने समय इन्हें भी छोड़ दिया गया. जेल से रिहाई के बाद सेठी ने अजमेर को अपनी कार्यस्थली बनाया.

सेठी ने जयपुर में वर्धमान विद्यालय की नीव रखी. वास्तव में यह क्रांतिकारियों के लिए प्रशिक्षण केंद्र ही था. यहाँ देश भर से नवयुवक क्रांतिकारी बनने के लिए आते थे. धीरे धीरे यह क्रांतिकारियों की योजना स्थली के रूप में तब्दील हो गया.

इनकी  क्रांतिकारी गतिविधियाँ देशभर में चलती थी. मुगल सराय के एक धनी महंत को इनके विद्यार्थियों द्वारा मारकर लूटने की योजना बनाई गई,

मगर अंग्रेजों द्वारा इन्हें पकड़ा गया. इस षड्यंत्र में एक छात्र को फ़ासी एक को आजीवन कारावास जबकि सेठी को सबूतों के अभाव में छोड़ दिया गया.

गवर्नर-जनरल लॉर्ड हार्डिंग पर चांदनी चौक से बम फेकने का कारनामा रास बिहारी बोस का माना जाता हैं. मगर इस केस की सुनवाई में मुखबिर अमीरचंद ने इस राज को सभी के सामने रखा था कि बम किसी और ने नही बल्कि अर्जुनलाल सेठी ने ही मारवाड़ी लाइब्रेरी से फेका था.

इस केस में सबूतों की कमी से अंग्रेजी हुकुमत उन पर कोई आरोप तो सिद्ध नहीं कर पाई मगर जयपुर के शासक ने शान्ति व्यवस्था का खतरा मानते हुए सेठी को पांच वर्षों तक मद्रास की वेल्लोर जेल में भेज दिया गया.

यहाँ उन्होंने अंग्रेज सरकार की कैदियों के साथ बर्बरता के विरोध में 70 दिन अनशन किया. अन्तः 1920 में सभी राजनीतिक कैदियों को रिहा किया गया जिनमे सेठी भी एक थे.

अर्जुन लाल सेठी ने कांग्रेस से मतभेदों के चलते अपना त्याग पत्र दे दिया, तथा आजीविका निर्वहन के लिए इन्होने अजमेर में ही ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में मुस्लिम बच्चों को अरबी और फारसी का ज्ञान देने का पेशा अपना लिया.

यही 23 दिसंबर, 1941 को इनकी मृत्यु हो गई, यहाँ के लोगों को यह पता नहीं था कि सेठी जैन हैं इसलिए उन्होंने मुस्लिम रीती रिवाज के साथ इनका अंतिम संस्कार कर दिया था.

सांप्रदायिक सौहार्द के पैरोकार

अर्जुन लाल सेठी जी को सांप्रदायिक सद्भाव की मिशाल माना जाता थे. वे हिन्दू मुस्लिम एकता के लिए आजीवन प्रयत्नरत रहे. कई बार उन्होंने कौमी दंगों को मिटाने के प्रयास किये. कहते है कि एक हिन्दू परिवार में जन्मे सेठी की अंतिम इच्छा यह थी कि उन्हें जलाने की बजाय दफनाया जाएं.

13 दिसम्बर 1941 को जब इनका देहांत अजमेर में हुआ तो इनके कहने के अनुसार अजमेर शरीफ दरगाह के लोगों ने इन्हें दफनाकर अंतिम संस्कार किया.

इस तरह उन्होंने एक ऐसे दौर में हिन्दू मुस्लिम समन्वय के लिए काम किया जब इसकी महत्ती जरूरत थी. एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में उनका योगदान हमेशा याद रखा जाएगा.

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