बहु विवाह प्रथा क्या है | Bahu Vivah Pratha In Rajasthan In Hindi: बहुविवाह (प्रथा) ऐसी प्रथा है जिसमें कोई पुरुष अथवा स्त्री एक से अधिक विवाह कर सकते थे. राजस्थान के राजव्यवस्था के समय यह प्रथा अपने चरम पर थी. बहुविवाह में राजा तथा राजपरिवार से जुड़े लोग मुख्य रूप से एक से अधिक रानियाँ रखना अपनी शान समझते थे. वर्तमान समय में बहु विवाह की यह अमानवीय प्रथा कानूनी अपराध की श्रेणी में शामिल की गई हैं. आज हम जानेगे कि बहु विवाह क्या है इस प्रथा के इतिहास को आपके साथ साझा करेगे.
बहु विवाह प्रथा क्या है | Bahu Vivah Pratha In Rajasthan In Hindi
bahu vivah pratha in hindi: स्त्रियों के गृहस्थ जीवन की यातनाओं में वृद्धि का एक और कारण था बहुपत्नी या बहुविवाह. आरम्भ में सामान्य तौर पर एक पत्नी की ही क्या प्रचलित थी लेकिन विवाह का एक प्रमुख उद्देश्य पुत्र प्राप्ति को माना गया था.
अतः यदि प्रथम पत्नी निसंतान होती या उसके केवल लड़कियां होती तो ऐसे पति को दूसरा विवाह करने कि स्वीकृति नहीं दी गई थी, बिना किसी औचत्य के दूसरे विवाह की स्वीकृति धर्म शास्त्र नहीं देते लेकिन मध्यकाल तक आते आते बहुविवाह का प्रचलन आम हो गया हैं.
राजस्थान मध्य काल में लगातार युद्धों में उलझा रहा और युद्ध के कारण जीवन की अनिश्चिंतता में जीने वाला व्यक्ति अधिकाधिक सुख भोगना चाहता था. और इसका तरीका था एक से अधिक पत्नियाँ होना. वस्तुतः मध्यकाल तक आते आते स्त्री उपभोग की वस्तु हो सकती थी.
यही कारण है कि राजस्थान के शाही तथा सम्पन्न परिवारों में बहुविवाह सर्वाधिक प्रचलित था. हम पढ़ चुके है कि किस तरह राजपूत अपने से ऊँचे कुल में बेटी का विवाह करना अपनी शान समझते थे. ऐसे में ऊँचे और कुलीन व्यक्ति की अनगिनत पत्नियाँ हो जाती थी.
पत्नियों की इस भीड़ में विवाह के पश्चात कुलीन पति के साथ सहवास के इंतजार में जीवन गुजर जाता था. मनोवैज्ञानिक दृष्टि से एक पति के लिए अपनी सारी पत्नियों के साथ समान बर्ताव करना संभव नहीं था. ऐसे में एक पत्नियों में परस्पर द्वेष स्वाभाविक था.
बहुपत्नी प्रथा के कारण स्त्रियों का जीवन तो नारकीय था ही, परिवार में सदैव तनाव क्लेश और इर्ष्या इस हद तक बढ़ जाती थी कि परस्पर षड्यंत्र और विषपान आम बात थी. एक पति के मरने पर अनगिनत विधवाओं का अनाथ हो जाना समाज में अन्य समस्याओं को जन्म देता था.
यह भी पढ़े-