भारतीय नारी तब और अब पर निबंध Bhartiya Nari Tab Aur Ab Essay In Hindi: प्रिय साथियों आपका स्वागत हैं, आज हम भारतीय नारी पर निबंध बता रहे हैं. अब तक के इतिहास में नारी जीवन के त्रासदी भरे अंधकारमय युग व आधुनिक काल के स्वर्णकाल के बारें में तथ्यात्मक नारी तब और अब का निबंध यहाँ दिया गया हैं.
भारतीय नारी तब और अब पर निबंध Essay
नारी की भूमिका– भारतीय संस्कृति की पावन परम्परा में नारी की सदैव से ही महत्वपूर्ण भूमिका रही हैं. नारी प्रेम, दया, त्याग व श्रद्धा की प्रतिमूर्ति है और ये आदर्श मानव जीवन के उच्चतम आदर्श है. किसी देश को अवनति अथवा उन्नति वहा के नारी समाज पर अवलम्बित होती हैं. जिस देश की नारी जागृत और शिक्षित होती है, वही देश संसार मे सबसे अधिक उन्नत माना जाता हैं.
भारतीय नारी का स्वरूप– भारतीय समाज में नारी का स्वरूप सम्माननीय रहा है, उसकी प्रतिष्ठा अर्धां गिनी के रूप में मान्य है। प्राचीन भारत मे सर्वत्र नारी का देवी रूप पूज्य था। वैदिक काल मे नर-नारी के समान अधिकार एव समान आदर्श थे, परन्तु उत्तर-वैदिक काल मे नारी की सामाजिक स्थिति मे गिरावट आयी। मध्यकाल मे मुस्लिम जातियो के आगमन से भारतीय समाज मे कठोर प्रतिक्रिया हुई। उसके विषैले पूट नारी को ही पीने पड़े। विधर्मियो की कुदृष्टि से कही कुल-मर्यादा को आच न लग जाए, अतः पर्दा प्रथा का जन्म हुआ; जौहर प्रथा, सती प्रथा का उद्भव हुआ। समाज में अनैतिकता, कुरीतियो, कुप्रथाओ और रूढ़ियों ने पैर जमा लिये। नारी की आजादी के सभी मार्ग बन्द किये गये हैं.।
वर्तमान युग में नारी– उन्नीसवी शताब्दी मे ज्ञान-विज्ञान का प्रचार बढ़ा। भारतीय समाज सुधारको ने नारी की त्रासदी पर ध्यान दिया। उन्होने सबसे नारी की दशा में सुधार जरुरी बतलाया। स्त्री-शिक्षा का प्रचार प्रसार हुआ। वर्तमान आधुनिक युग में हम नारी के दो रूप देखते हैं, एक तो वे नारियाँ हैं जो गाँवों में रहती हैं, अशिक्षित हैं व दूसरी शहरो में रहने वाली शिक्षित महिलाए है। गाँवों की नारियाँ शिक्षा के अभाव मे अभी भी सामाजिक कुरीतियो से ग्रस्त है। शहरो की शिक्षित नारियों में मानसिक विकृति आ गयी है परिणाम स्वरूप तथाकथित शिक्षित नारी अपने अंगों के नग्न-प्रदर्शन को ही सभ्यता समझने लगी है पश्चिमी सभ्यता का अन्धानुकरण करने वाली आधुनिक नारी अपने प्राचीन रूप से बिल्कुल भिन्न हो गई है।
स्वतंत्र भारत में नारी की भूमिका– भारतीय नारी ने आजाद भारत में जो तरक्की की है, उससे देश का विकास हो रहा है अब नारी पुरुष के समान राष्ट्रपति, मन्त्री, डॉक्टर, वकील, जज, शिक्षिका, प्रशासनिक अधिकारी आदि सभी पदों और सभी क्षेत्रों में नारियाँ आसानी से काम रही हैं। सारे देश में नारी-शिक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है। नारी सशक्तिकरण की अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं, फिर भी नारी को वैदिक काल में जो सम्मान और प्रतिष्ठा व्याप्त थी, वह आधुनिक शालीन नारी को अभी तक नही मिली है।
आजाद भारत की नारी नितान्त पूर्ण आजादी चाहती है, पश्चिमी सभ्यता का अनुकरण कर वह मोडर्न बनना चाहती है। इस तरह के आचरण से भारतीय नारी के ट्रेडिशनल आदर्शों की कमी हो रही है। ग्रामीण क्षेत्रों की नारी अभी भी कुरीतियों से फंसी हुई हैं। पिछड़े वर्ग के लोगों में स्त्री का शोषण-उत्पीड़न लगातार चल रहा है। इन सब बुराइयों को दूर करने में नारी की भूमिका अहम है।
उपसंहार– हमारे देश में प्राचीन काल में नारी बड़ा महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त था. मगर काल के घूमते चक्र में मध्यकाल आते आते नारी का स्थान दासी के समान हो गया. तथा आजादी के बाद भारत की नारी ने अपने प्राचीन पद को पुनः प्राप्त की तथा अपने गौरव व आदर्शों को प्रतिष्ठापित किया. मर्यादा की स्वरूप रही भारतीय नारी से मर्यादित आचरण की आशा की जाती हैं.
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