भीनमाल का इतिहास | Bhinmal History In Hindi श्री महालक्ष्मी की राजस्थान के इस ऐतिहासिक स्थल पर विशेष कृपा मानी गई हैं.
आदिकाल से भीनमाल का नाम कई साहित्य में मिलता हैं इसे श्रीमाल, भील्लमाल, पुष्पमाल, आलमा आदि नामों से जाना गया हैं.
यह जालौर जिले का एक शहर है जो जिला मुख्यालय से 75 किमी की दूरी पर स्थित हैं. इस नगर की स्थापना कब व किसने की इस सम्बन्ध में इतिहासकारों को अभी तक कोई साक्ष्य हाथ नहीं लगा हैं.
भीनमाल का इतिहास | Bhinmal History In Hindi
हिन्दू धर्म की धार्मिक कथाओं में Bhinmal History का उल्लेख मिलता है कहा जाता है कि भगवान् विष्णु की पत्नी एवं धन की देवी माँ लक्ष्मी द्वारा भीनमाल की स्थापना की गई थी.
जैन साहित्य के अनुसार श्री स्वयंप्रभसूरिजी ने यहाँ जयसेन को शासक माना हैं. जो एक जैन धर्म का अनुयायी था.
भीनमाल शहर में कई ऐतिहासिक जैन व हिन्दू धर्म के मंदिर हैं. यहाँ आशापुरी माता का मंदिर मोदरान में है जो भीनमाल शहर से 28 किमी दूरी पर स्थित हैं. संस्कृत साहित्य में भीनमाल को श्रीमाल कहा जाता था.
जैन धर्म की इस तीर्थस्थली के सम्बन्ध में मान्यता है कि यह श्री अर्थात भगवान् विष्णु का नगर हैं. इस नगर में संस्कृत के महान कवि महाकवि माघ और खगोलविज्ञानी व गणीतज्ञ ब्रह्मगुप्त का जन्म हुआ था. तथा प्राचीनकाल में भीनमाल गुजरात राज्य की राजधानी हुआ करता था.
भीनमाल सभ्यता का इतिहास (History of Bhanmal civilization In Hindi)
जालौर जिला अंतर्गत अवस्थित भीनमाल से 1953-54 ई में श्री रत्नचन्द्र अग्रवाल द्वारा उत्खनन कार्य करवाया गया. उत्खनन में म्रद्भभांड तथा शक क्षत्रपों के सिक्के मिले हैं.
म्रदपात्रों पर विदेशी प्रभाव दृष्टिगोचर होता हैं. यहाँ से यूनानी दुह्त्थी सुराही भी मिली हैं, जो यूनान के साथ व्यापारिक सम्बन्धों को प्रकट करती हैं.
यहाँ से रोमन एम्फोरा / सुरापात्र भी मिला हैं. भीनमाल प्राचीन काल में श्रीमाल नाम से जाना जाता था. शिशुपाल वध के रचयिता कवि माघ का कार्यक्षेत्र यही था. गुप्तकालीन विद्वान ब्रह्मागुप्त का जन्मस्थान भी भीनमाल में था. चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी भीनमाल की यात्रा की थी.
भीनमाल की जानकारी तथ्य Bhinmal History Hindi Me
चीनी यात्री ह्वैंसान्ग ईस्वी सन् 641 में जब भारत यात्रा पर आया तो उसने भीनमाल की भी यात्रा की. उसके यात्रावृतांत से यहाँ के जन जीवन, शासन, संपदा लोगों के रहन सहन एवं धार्मिक जीवन में कई महत्वपूर्ण बाते उसने लिखी हैं.
ह्वैंसान्ग के वर्णन के मुताबिक़ यह प्राचीन गुर्जर प्रदेश (वर्तमान में गुजरात) का राजधानी केंद्र था. यहाँ के राजा युवा एवं जन प्रिय तथा क्षत्रिय वंश से था.
यहाँ हिन्दू, बौद्ध तथा जैन धर्म के अनुयायी रहा करते थे. शहर वर्गाकार आकार में बसा हुआ था जिसके प्रवेश के कुल 84 द्वार थे.
यहाँ की जनता में ब्राह्मण लोग अधिक थे. भीनमाल के इतिहास के बारे में जानकारी बताने वाला दूसरा स्रोत खान्देद प्रबंध है जो मध्यकाल में लिखा गया था.
जिसके मुताबिक़ इस पश्चिम भारत का एक सम्रद्ध केंद्र था. इस कारण कई बार मुगल आक्रान्ताओं ने यहाँ पर आक्रमण किया जिनमें 1310 में अलाउद्दीन खिलजी का आक्रमण मुख्य था.
भीनमाल का धार्मिक जीवन
इस नगर में कई प्राचीन गणपति, शिवलिंग(शंकर), चण्डिका देवी, अम्बे माता, क्षेमंकरी माता, वराहश्याम मंदिर आज भी विद्यमान है जो यह दर्शाते हैं कि यहाँ जैन एवं हिन्दू धर्म की प्रजा व शासक हुआ करते थे.
कुमारपाल महाराजा द्वारा भीनमाल में बुद्ध्वास का निर्माण भी करवाया गया था. जैनाचार्य हैमचंद्राचार्य द्वारा जिसकी प्रतिस्था करवाई गई.
तेईसवे जैन तीर्थंकर पार्श्वनाथ, अंतिम जैन तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के मंदिर भी यहाँ के शासकों द्वारा बनाये गये थे. भीनमाल में साहित्य भी उत्कर्ष सीमा पर था. इस्वी सन् 680 ई में महाकवि माघ ने शिशुपाल वध् नामक ग्रंथ की रचना की थी.
यहाँ के खगोल विज्ञानी ब्रह्मगुप्त द्वारा ब्रह्म स्फुट सिद्धांत और खण्ड्-खण्डकव्य की रचना की गई थी. इसके अतिरिक्त जैन एवं संस्कृत साहित्य की उपमिति भव प्रप्रंच कथा, जैन रामायण् और कुवयलमाला आदि ग्रंथों की रचना यहाँ के जैनाचार्यों द्वारा की गई.
भीनमाल के धार्मिक स्थल Religious sites of Bhanmal
जैसा कि आपकों बताया गया है यहाँ कई प्राचीन हिन्दू व जैन मंदिर हैं. जिनमे मनमोहन पार्श्वनाथ जैन मंदिर, चोमुखजी जैन मंदिर (वीज़ू बाई का मंदिर), शंखेश्वर पार्श्वनाथ जैन मंदिर
कीर्ति स्तंभ जैन मंदिर, महावीर स्वामी जैन मंदिर, नाकोड़ा पार्श्वनाथ जैन मंदिर, रिद्धि-सिद्धि पार्श्वनाथ जैन मंदिर, जीरावला पार्श्वनाथ जैन मंदिर, (माघ कोलोनी), शंखेश्वर पार्श्वनाथ जैन मंदिर (धोरा-ढाल), जगवल्लभ पार्श्वनाथ जैन मंदिर (स्टेशन रोड).
शांतीनाथ जैन मंदिर (गणेश चौक), बाफ़ना वाडी जैन मंदिर (3 मंदिर समुह), कुंथुनाथजी जैन मंदिर (हुंन्डिया वास), गाँधी मेहता वास 4 जैन मंदिर समुह
गौड़ी पार्श्वनाथ जैन मंदिर, सीमंधर स्वामी जैन मंदिर, (माघ कोलोनी), पार्श्वनाथ जैन मंदिर (हाथी पोल), पद्मप्रभु जैन मंदिर, (माघ कोलोनी), 72 जिनालय आदि जैन मंदिर हैं.
यहाँ के हिन्दू देवी देवताओं के मन्दिरों में मुख्य रूप से निम गौरिया क्षैञपाल मंदिर, वाराहश्याम मंदिर, चंडीनाथ महादेव मंदिर, नीलकंठ महादेव मंदिर
क्षेमंकरी माताजी मंदिर (पर्वतमाला पर स्थित), महालक्ष्मी मंदिर (महालक्ष्मी रोड), महालक्ष्मी कमलेश्वरी मंदिर (ढोरा-ढाल), संतोषी माता मंदिर (ढोरा-ढाल), रानेश्वर महादेव.
चण्डीनाथ बावड़ी, गणेश मंदिर (गणेश चौक), गायत्री मंदिर, सुन्धामाता मन्दिर (25 km), भबूतरगिरीजी मठ मंदिर (पाँच पादरा) 15 km, सरस्वती मंदिर, दादेली बावड़ी, भीमनाथ महादेव मंदिर
बाबा रामदेवजी मंदिर, त्रयम्बकेश्वर महादेव मंदिर, फाफरिया हनुमान मंदिर, विश्वकर्मा मंदिर तथा पर्यटन स्थलों में जाकोब तालाब, बाल समन्द तालाब, त्रयम्ब्केश्वर सरोवर (तलबी), जीवदया गौशाला, हाथी पोल मुख्य हैं.
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