भ्रष्टाचार पर निबंध | Bhrashtachar Par Nibandh In Hindi

Bhrashtachar Par Nibandh In Hindi प्रिय विद्यार्थियों आज हम आपके साथ भ्रष्टाचार पर निबंध साझा कर रहे हैं. छोटे बच्चों के लिए Essay On Corruption In Hindi भ्रष्टाचार की समस्या पर छोटा बड़ा निबन्ध लेकर आए हैं.

विभिन्न कक्षा के विद्यार्थियों के लिए Bhrashtachar Par Nibandh In Hindi कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 के बच्चों के लिए 100, 200, 250, 300, 400, 500 शब्दों में निबन्ध दिया गया हैं.

भ्रष्टाचार पर निबंध | Essay On Corruption In Hindi

भ्रष्टाचार पर निबंध

Hello Friends Today We Share Bhrashtachar Par Nibandh In Hindi Language With You For School Students & Kids.

भ्रष्टाचार की समस्या पर 400 शब्दों में निबंध

यदि किसी हरे पेड़ में दीमक लग जाए तो जल्द ही वह अंदर से खोखला हो जाएगा. बस यही हमारे भारत के साथ भी यही हो रहा हैं. भ्रष्टाचार जैसी विकराल समस्या ने भारत की जड़ो तक को खोखला कर दिया गया हैं.

भारत नश नश में आज भ्रष्टाचार बसा हुआ हैं. सरकारी पदों पर बैठे बाबू से लेकर उच्च पदों पर विराजमान अधिकारी भी बिना पैसे लिए कोई काम नहीं करता हैं.

भ्रष्टाचार एक सामाजिक बुराई हैं. जिनसे प्रत्यक्ष रूप से हम सब जिम्मेदार हैं. दूसरी तरफ ७० वर्षों से चली आ रही व्यवस्था में भ्रष्टाचार को हमारी व्यवस्था में मौन स्वीकार्यता दे दी है.

इसे रोकने के लिए कुछ विधान भी बनाए गये जिसके तहत रिश्वत देने और लेने वाले को समान रूप से आरोपी माना गया हैं. मगर यदि इसे धरातल पर लाकर देखा जाए तो यह बहुत नाकाफी हैं.

यदि आपकों किसी दस्तावेज पर सरकारी कर्मचारी के दस्तखत करवाने है अथवा किसी प्रमाण पत्र की आवश्यकता है या कोई प्रशासन की स्वीकृति चाहिए तो आपकों अपने आवेदन पत्र के साथ साथ हजार दो हजार का नोट भी देना पड़ता हैं.

यह बात भले ही हजम होने लायक नहीं हैं मगर यह आज की सच्चाई हैं. आम आदमी को इस सरकारी तन्त्र से कुछ भी काम करवाना है तो रिश्वत देनी अनिवार्य हैं, अन्यथा उन्हें हफ्तों तक एक से दूसरे दफ्तर तक चक्कर काटते रहना हैं.

भ्रष्टाचार समाप्त किये जाने की बाते तो आज दिन कोई नेता के मुहं से अवश्य सुनने को मिल ही जाती हैं मगर उनमें सच्चाई कही दूर दूर तक नहीं नजर आती. भारत में भ्रष्टाचार हर विभाग और भर्ती में सिर चढकर बोल रहा हैं.

नौकरी के लिए रिश्वत जरुरी सी हो गयी हैं. इंटरव्यू फिक्स कर दिए जाते हैं ५-१० लाख रूपये खर्च कर सरकारी पद पाने वाले बाबू या जिला कलक्टर से यह आशा करना कि वह जनता की सेवा करेगा, यह तो छोटे मुहं से बड़ी बात ही होगी.

जो लोग घूस लेकर व्यवस्था में आते है उनकी प्राथमिकता अपने नुकसान की पूर्ति ही करेगे. देश के अधिकतर चैनल भी किसी ग्रुप के अधीन जा चुके हैं. अपने प्रयोजकों की विचारधारा को लेकर ही उनके खबरे होती हैं.

मीडिया हाउस अपनी लाइन से हट कर कभी खबर नहीं दिखाएगे. राजनीति में विधायक और सांसदों के लिए टिकटों की बिक्री जारी हैं.

यदि भ्रष्टाचार को पूर्ण रूप से उखाड़ फेकना हैं तो सबसे पहले हमारी केंद्र एवं राज्य सरकार में ऐसे लोगों को लाना होगा जो अपने परिवार और पार्टी की बजाय देश का हित सोचे.

सौभाग्य से भारत को अब एक ऐसा प्रधान मिला हैं. मगर एक व्यक्ति के प्रयास से विदेशों में भारत की लूट का भरा धन वापिस लाना, सिस्टम को पाक साफ़ करना, भ्रष्ट लोगों को व्यवस्था से बाहर करना संभव नहीं हैं इसके लिए देश के प्रत्येक नागरिक को आगे आना होगा.

भ्रष्टाचार पर 500 शब्दों में निबंध

भ्रष्टाचार से आशय

अच्छे गुणों को आचरण में उतारना सदाचार कहलाता हैं. सदाचार के विपरीत चलना ही भ्रष्टाचार हैं. भ्रष्ट अर्थात गिरा हुआ आचार अर्थात आचरण. कानून और नैतिक मूल्यों की उपेक्षा करके स्वार्थ सिद्धि में लगा हुआ मनुष्य भ्रष्टाचारी हैं. दुर्भाग्यवश आज हमारे समाज में भ्रष्टाचार का बोलबाला हैं. चरित्रवान लोग नाममात्र को ही रह गये हैं.

विभिन्न क्षेत्रों  भ्रष्टाचार कि स्थिति

आज देश में जीवन का ऐसा कोई क्षेत्र ऐसा नहीं बचा हैं. जहाँ भ्रष्टाचार का प्रवेश न हो. शिक्षा व्यापार बन गयी हैं. धन के बल पर मनचाहे परीक्षाफल प्राप्त हो सकते हैं. व्यापार में मुनाफाखोरी, मिलावट और कर चोरी व्याप्त हैं. धर्म के नाम पर पाखंड और दिखावे का जोर हैं.

जेहाद और फतवों के नाम पर निर्दोष लोगों के प्राण लिए जा रहे हैं. सेना में कमिशन खोरी के काण्ड उजागर होते रहे हैं. भ्रष्टाचार का सबसे निकृष्टतम रूप राजनीति में देखा जा सकता हैं.

हमारे राजनेता वोट बैंक बढाने के लिए जनहित को दांव पर लगा रहे हैं. सांसद और विधायक प्रश्न पूछने तक के लिए रिश्वत ले रहे हैं. न्याय के मन्दिर कहे जाने वाले न्यायालय भी भ्रष्टाचार कि पंक में सने दिखाई देते हैं.

भ्रष्टाचार के कारण तथा समाज पर प्रभाव

देश में व्याप्त भ्रष्टाचार के अनेक कारण है सबसे प्रमुख कारण है हमारे चरित्र का पतन होना थोड़े से लोभ और लाभ के लिए मनुष्य अपना चरित्र डिगा रहा है. शानदार भवन, कीमती वस्त्र, चमचमाती कार, एसी, टेलीविजन, वाशिंग मशीन आदि पाने के लिए लोग पागल हैं.

वे उचित अनुचित कोई भी उपाय करने को तैयार हैं. वोट पाने के लिए हमारे राजनेता निकृष्टतम हथकंडे अपना रहे हैं. हमारे धर्माचार्य भक्ति, ज्ञान, त्याग आदि का प्रवचन देते है और स्वयं लाखों की फीस लेकर घर भरने लगते हैं.

इनके अतिरिक्त बेरोजगारी महंगाई और जनसंख्या में दिनों दिन होती वृद्धि भी हमारे लोगों को भ्रष्ट बना रही हैं.

भ्रष्टाचार उन्मूलन के लिए सुझाव

हम चरित्र की महत्ता भूल चुके हैं. धन के पुजारी बन गये हैं. चरित्र को संवारे बिना भ्रष्टाचार से मुक्त होना असम्भव हैं. इसके साथ ही लोगों को जागरूक करना भी आवश्यक हैं. जनता को भी चाहिए कि वह चरित्रवान लोगों को ही मत देकर सत्ता में पहुचाएं.

मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार के विरुद्ध युद्ध छेड़ रखा हैं. विमुद्रीकरण को भ्रष्टाचार उन्मूलन का प्रथम चरण बताया गया हैं. इसके अतिरिक्त नई तकनीकों के प्रयोग और उन्हें प्रोत्साहन देकर भ्रष्टाचार समाप्ति के प्रयास हो रहे हैं.

डिजिटल इंडिया ऐसा ही प्रयास हैं. जब लेन देन नकद न होकर ऑनलाइन होंगे तो सारी प्रक्रिया पारदर्शी बनेगी. और भ्रष्टाचार में निश्चय ही उल्लेख नीय कमी आएगी. सरकारी काम भी पारदर्शी बनेगा. अतः ऑनलाइन क्रिया कलापों में जनता को पूरी रूचि लेनी चाहिए.

एक सच बड़ा कठोर और अप्रिय हैं. लोग कहते है कि जनता स्वयं ही भ्रष्टाचार को समाप्त नहीं करना चाहती हैं. इसका नमूना नोटबंदी के समय नंगा हो चूका हैं.

हम यानी जनता अपना सही या गलत काम शीघ्र और सुगमता से कराने के लिए रिश्वत देने में संकोच नहीं करते. अतः भ्रष्टाचार मिटाने के लिए शासन और जनता दोनों को मिलकर सच्चे मन से प्रयास करने होंगे.

उपसंहार

भ्रष्टाचार प्रच्छन्न देशद्रोह हैं. भ्रष्टाचारियों के लिए कठोरतम दंड कि व्यवस्था हो और जनता को भ्रष्टशासकों को वापस बुलाने का अधिकार प्राप्त हो.

भ्रष्टाचार पर निबंध 600 शब्द

भ्रष्टाचार दो शब्दों भ्रष्ट और आचार के मेल से बना शब्द है. भ्रष्ट शब्द का अर्थ – मार्ग से विचलित या बुरे आचरण वाला तथा आचरण का अर्थ चरित्र, व्यवहार या चाल चलन. इस तरह भ्रष्टाचार का अर्थ हुआ – अनुचित व्यवहार एवं चाल चलन. विस्तृत अर्थो में इसका तात्पर्य व्यक्ति द्वारा किये जाने वाले ऐसे अनुचित कार्य से है.

जिसे वह अपने पद या हैसियत का लाभ उठाते हुए आर्थिक व अन्य लाभों को प्राप्त करने के लिए स्वार्थपूर्ण ढंग से कार्य करता है. इसमे व्यक्ति प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से व्यक्तिगत लाभ के लिए निर्धारित कर्तव्य की जानबूझकर अवहेलना करता है.

रिश्वत लेना-देना, खाद्य पदार्थो में मिलावट, मुनाफाखोरी, कालाबाजारी, अनैतिक ढंग से धन संग्रह करना, कानूनों की अवहेलना करके अपना उल्लू सीधा करना आदि भ्रष्टाचार के ऐसे रूप है, जो भारत ही नही दुनिया भर में व्याप्त है.

भारत में भ्रष्टाचार कोई नई बात नही है. ऐतिहासिक ग्रंथो में भी इसके परिणाम मिलते है. चाणक्य ने अपनी पुस्तक अर्थशास्त्र में भी विभिन्न प्रकार के भ्रष्टाचारों का उल्लेख किया है. हर्षवर्धन काल एवं राजपूत काल में सामन्ती प्रथा ने भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का काम किया.

भ्रष्टाचार के मामलों में मुगलकाल में बढ़ोतरी हुई और ब्रिटिश काल के दौरान इसने भारत में अपनी जड़े पूरी तरह जमा ली. अब यह जड़े इस कदर फ़ैल चुकी है. कि इससे निपटने के सभी उपाय विफल हो रहे है.

भारत में भ्रष्टाचार

विभिन्न देशों में भ्रष्टाचार का आकलन करने वाली स्वतंत्र अंतर्राष्ट्रीय संस्था “ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल” द्वारा वर्ष 2014 में जारी रिपोर्ट्स के अनुसार 175 देशों की सूची में भारत का 85 वाँ स्थान है. यह रिपोर्ट करप्शन परसेप्शन इंडेक्स (CPI) के आधार पर बनाई गई है. इसके अनुसार जिस देश के सी पी आई का मान जितना अधिक होता है, वह देश उतना ही भ्रष्ट माना जाता है.

डेनमार्क 92 अंको के साथ सबसे कम भ्रष्ट राष्ट्र के रूप में 175 देशों की सूची में उपर तथा सोमालिया 8 अंको के साथ सर्वाधिक भ्रष्ट राष्ट्र के रूप में सबसे नीचे है. न्यूजीलैंड 91 अंको के साथ दूसरे तथा फ़िनलैंड 89 अंको के साथ तीसरे स्थान पर है. भारत को 38 अंक मिले है.

भ्रष्टाचार के मामले में विकसित देश भी पीछे नही है. इस सूची में ऑस्ट्रेलिया 80 अंक के साथ 11 वें स्थान पर, इंग्लैंड 78 अंक के साथ 14 वें स्थान पर और अमेरिका 74 अंक के साथ 17 वें स्थान पर है.

भ्रष्टाचार के कारण (Causes Of Corruption)

आज धर्म, शिक्षा, राजनीती, प्रशासन, कला, मनोरंजन, खेलकूद इत्यादि सभी क्षेत्रों में भ्रष्टाचार ने अपने पाँव फैला दिए है. मौटे तौर पर देखा जाए, तो भारत में भ्रष्टाचार के निम्न कारण है.

  • धन की लिप्सा ने कालाबजारी, मुनाफाखोरी, रिश्वतखोरी आदि को बढ़ावा दिया है धन की तृष्णा में जलता हुआ व्यक्ति भारी साज सज्जा व भोग विलास के लिए पैसा कमाना चाहता है और इसके लिए वह भ्रष्टाचार को सबसे आसान साधन समझता है. व्यक्ति इतना स्वार्थी हो गया है कि वह भ्रष्टाचार फैलाकर दुनियाभर की सम्पति अपने नाम कर लेना चाहता है.
  • समाज का बहुत बड़ा तबका भूख और गरीबी से त्रस्त है. स्थिति यह है कि देश की आधी सम्पति केवल 50 लोगों के पास है. अमीर लगातार और अमीर होते जा रहे है जबकि गरीब को जीवन जीने के संघर्ष करना पड़ रहा है. हर व्यक्ति की कुछ मूलभूत आवश्यकताएं होती है. परन्तु गरीबी के चलते जब सदाचार के रास्ते से यह आवश्यकताएं पूरी नही होती है. तो व्यक्ति का नैतिकता से विशवास खोने लगता है. और आवश्यकता पूर्ति के लिए अनैतिक होने के लिए बाध्य हो जाता है. जिसकी परिणति भ्रष्टाचार के रूप होती है.
  • नौकरी-पेशा व्यक्ति अपनी सेवाकाल में इतना धन अर्जित कर लेना चाहता है कि जिससे सेवानिवृति के बाद उसका जीवन सुख पूर्वक व्यतीत हो सके.
  • व्यापारी वर्ग सोचता है कि न जाने कब घाटे की स्थिति आ जाए, इसलिए उचित अनुचित तरीके से अधिक से अधिक धन कमा लिया जाए.
  • औद्योगीकरण ने अनेक विलासिता की वस्तुओं का निर्माण किया है. इनको सिमित आय में प्राप्त करना सबके लिए संभव नही होता है. इनकी प्राप्ति के लिए भी ज्यादातर लोग भ्रष्टाचार की तरफ उन्मुक्त होते है.
  • कभी-कभी विरिष्ठ अधिकारियों के भ्रष्टाचार में लिप्त होने के कारण भी कनिष्ठ अधिकारी या तो अपनी भलाई के लिए इसका विरोध नही करते है या न चाहते हुए भी अनुचित कार्यो में लिप्त होने को विवश हो जाते है.

इन सबके अतिरिक्त बेरोजगारी, सरकारी कार्यो का विस्तृत क्षेत्र, महंगाई, नौकरशाही का विस्तार, लालफीताशाही, अल्प वेतन, प्रशासनिक उदासीनता, भ्रष्टाचारियों को सजा में देरी, अशिक्षा, अत्यधिक प्रतिस्पर्धा, महत्वकांक्षा इत्यादि कारणों से भी भारत में भ्रष्टाचार में वृद्धि हुई है.

भ्रष्टाचार पर निबंध 700 शब्दों में

जब एक नागरिक अथवा राजकीय पद पर स्थापित व्यक्ति निजी लाभ के लिए अनुचित गतिविधियों से धन घूस अथवा रिश्वत के रूप में अर्जित करता हैं  उसे करप्शन अथवा भ्रष्टाचार कहा जाता हैं.

वह इस कार्य में अपने दायित्वों तथा कर्तव्यो को ताक पर रखकर अनुचित सेवा अथवा सामान को अनुमति अथवा मूक स्वीकृति प्रदान कर देता हैं.

भ्रष्टाचार एक गहरी समस्या हैं जिसकी जड़े भारत की आजादी के साथ ही शुरू हो गई थी. निचले स्तर से उच्च स्तर तक घूस का साम्राज्य रसा बसा हैं. अपने आंशिक लाभों के लिए जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग अपना ईमान बेच डालते हैं.

प्रत्येक नागरिक को यह समझना आवश्यक हैं कि किसी अच्छे भविष्य के लिए सरकार द्वारा नियत मानदंडों पर चलकर ही एक सशक्त व्यवस्था तैयार की जा सकती हैं. जिससे वक्त के साथ राष्ट्र की प्रगति में भी गति मिलेगी तथा जब हमारा देश तरक्की की ओर बढ़ेगा तो निश्चय ही राष्ट्र के नागरिकों का जीवन भी सुखमय हो सकेगा.

आज के दौर में किसी भयानक बिमारी की भांति समाज के हर क्षेत्र में भ्रष्टाचार अपनी जड़े जमा चूका हैं. भारत के स्वतंत्रता सेनानी जिन्होंने जिस भारत का सपना देखकर अपना जीवन कुर्बान कर दिया था.

क्या हम वो भारत बना पाए हैं. हम अपने थोड़े से फायदे के लिए राष्ट्र के साथ द्रोह जैसे करप्शन का सहारा लेने से नहीं चूकते. हमें उन लोगों से सबक लेना चाहिए जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन राष्ट्र सेवा में लगा दिया था, तभी हम महसूस कर पाएगे कि हमारी जिम्मेदारियां क्या थी और हम क्या कर रहे हैं.

आम जनता के जीवन, राजनीति, केंद्र सरकारों, राज्य सरकारों, व्यवसायों, उद्योगों, सरकारी भर्तियों जहाँ तक नजर जाएं भ्रष्टाचार अपनी जड़े जमा चूका हैं. आम आदमी के जीवन का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं बसा जहाँ करप्शन, अवैध धन, सत्ता, शक्ति का प्रयोग न होता हो.

एक तरफ हम करप्शन फ्री इंडिया की बात करते हैं, दूसरी तरफ हमारे देश में करप्शन खत्म होने की बजाय नित्य नयें घोटालों के नाम सामने आ रहे हैं. नेता से लेकर पुलिस ऑफीसर तथा रंगे हाथ पकड़े जा रहे हैं.

विलासिता की भूख किस स्तर तक लोगों को गिरा सकती हैं इसे समझने के लिए आज का वातावरण उदाहरण योग्य हैं.

ऐसा प्रतीत होता है लोग अपने मूल्य, आदर्श तथा संस्कार सब कुछ भूलकर विलासिता तथा पैसे के पीछे भाग रहे हैं, जो जितने बड़े पद पर बैठा हैं वह उतने ही बड़े घोटाले कर रहा हैं.

इस देश की सेना के हथियारों की खरीद तक में सरकारे घोटाला करती हैं तो स्पष्ट समझा जा सकता हैं सफेद पोशाक के ये राजनेता राष्ट्र हित के लिए अपने परिवार के हित के लिए पोलिटिक्स करते हैं.

अब वक्त आ चूका हैं हमें अपने नैतिक मूल्यों का स्मरण करना चाहिए. धन की तृष्णा की इस संस्कृति के कुचक्र को पूरी तरह कुचलने के बाद ही भारत से करप्शन की समस्या का समाधान किया जा सकता हैं.

जब तक व्यक्ति समाज तथा देश से अधिक महत्व पैसे को देगा, तब तक भ्रष्टाचार की जड़ों की काटा जाना सम्भव नहीं होगा.

भ्रष्टाचार पर निबंध 800 शब्दों में

भ्रष्टाचार की वजह से जहाँ लोगों का नैतिक एवं चारित्रिक पतन हुआ है, वही दूसरी और देश को आर्थिक क्षति भी उठानी पड़ रही है. आज भ्रष्टाचार के फलस्वरूप अधिकारी एवं व्यापारी वर्ग के पास कालाधन अत्यधिक मात्रा में एकत्रित हो गया है.

इस काले धन के कारण अनैतिक व्यवहार, मद्यपान, वैश्यावृति, तस्करी एवं अन्य अपराध में वृद्धि हुई है. भ्रष्टाचार के कारण लोगों में अपने उतरदायित्व से भागने की प्रवृति बढ़ी है.

देश में सामुदायिक हितों के स्थान पर व्यक्तिगत और स्थानीय हितों को महत्व दिया जा रहा है. आज सम्पूर्ण समाज भ्रष्टाचार की जकड़ में है, सरकारी विभाग तो भ्रष्टाचार के अड्डे बन चुके है.

राजनितिक स्थिरता एवं एकता आज खतरे में है. नियमहीनता एवं कानूनों की अवहेलना में वृद्धि हो रही है. भ्रष्टाचार के कारण आज देश की सुरक्षा के खतरे में पड़ने से इनकार नही किया जा सकता है.अतः जरुरी है कि इस पर जल्द से जल्द लगाम लगाईं जाए.

भ्रष्टाचार को रोकने के उपाय (ways to reduce corruption)

भ्रष्टाचारियों के लिए भारतीय दंड संहिता में दंड का प्रावधान है तथा समय समय पर भ्रष्टाचार के निवारण के लिए समितिया भी गठित हुई है. और इस समस्या के निवारण के लिए भ्रष्टाचार निरोधक कानून भी पारित किया जा चूका है, फिर भी इसको अब तक समाप्त या नियंत्रित नही किया जा सका है. इस समस्या से निपटने के लिए निम्नलिखित उपाय किये जा सकते है.

  • सबसे पहले इसके कारणों मसलन गरीबी, बेरोजगारी, पिछड़ापन आदि को दूर किया जाना चाहिए. इसके लिए प्रभावी योजनाएं बनाई जानी चाहिए, देश की शिक्षा निति, अर्थ निति, कृषि निति और न्याय व्यवस्था में माकूल परिवर्तन कर इन्हें प्रभावी बनाया जाना चाहिए.
  • भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कड़े कानून के साथ साथ प्रभावी न्याय व्यवस्था की भी आवश्यकता है. भ्रष्टाचार से संबंधित मामले में भी कार्यवाही करने वाली अनुसन्धान एजेंसियों व पुलिस अधिकारियों को अनुसन्धान करने का गहन परीक्षण दिया जाना चाहिए. जिससे कोई तकनीकी त्रुटी नही रहे.न्यायालय में अभियोजन को सजग रहकर प्रभावी पैरवी करनी चाहिए. पूरी साक्ष्य न्यायालय के सामने लाना चाहिए और यह प्रयास करना चाहिए कि छोटे मोटे तकनिकी आधारों पर कोई अभियुक्त बच ना पाए. कुल मिलाकर समाज में यह संदेश जाना चाहिए कि ऐसी व्यवस्था कायम कर दी है कि जहाँ रिश्वत लेने वाले व्यक्ति को दंड मिलना निश्चित है.
  • भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा रिश्वत के मामलों को पकड़ने के लिए ट्रैप की कार्यवाही की जाती है परन्तु अपराधी तकनिकी आधारों पर बच निकलते है. ख़ुफ़िया कैमरों की मदद से पूरी ट्रैप कार्यवाही की विडियो रिकोर्डिंग की जानी चाहिए, जिससे अपराधी को बच निकलने का मौका नही मिले.
  • रिश्वत मांगने के मामले की सूचना देने वाले के लिए टोल फ्री नंबर की व्यवस्था होनी चाहिए. जैसे ही कोई रिश्वत मांगे टोल फ्री नंबर पर सुचना देते ही भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरों की टीम तुरंत वहां पहुचे और रिश्वत मांगने वाले की तुरंत धरपकड़ की जावे.
  • सूचना के अधिकार का प्रयोग कर विभिन्न योजनाओं पर जनता की निगरानी भ्रष्टाचार को मिटाने में कारगर साबित होगी, इसके कई उदाहरण हमे हाल ही में मिल चुके है.
  • भ्रष्ट अधिकारियों को सजा दिलाने के लिए दंड प्रक्रिया एवं दंड संहिता में संशोधन कर कानून को और कठोर बनाए जाने की आवश्यकता है.
  • भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से अभियान चलाए जाने की जरुरत है. इसके लिए सामाजिक आर्थिक कानूनी एवं प्रशासनिक उपाय अपनाये जाने चाहिए.
  • जीवन मूल्यों की पहचान कराकर लोगों को नैतिक गुणों चरित्र एवं व्यवहारिक आदर्शो की शिक्षा द्वारा भी भ्रष्टाचार को काफी हद तक कम किया जा सकता है.
  • उच्च पदों पर आसीन व्यक्तियों के बारे में पूरी जानकारी सार्वजनिक की जानी चाहिए जिससे सम्पति के विवरण के अलावा सम्पूर्ण सेवाकाल की भी जानकारी होनी चाहिए. दागदार एवं भ्रष्ट लोगों को इस तरीके से उच्च पदों पर आसीन होने से रोका जा सकता है.

भ्रष्टाचार हमारे देश के लिए कलंक है इसको मिटाए बिना देश की वास्तविक प्रगति संभव नही है. भ्रष्टाचार से निपटने के लिए किये जा रहे विभिन्न आंदोलनों को जनसामान्य द्वारा यथाशक्ति समर्थन प्रदान करना चाहिए.

कठोर से कठोर कदम उठाकर इस कलंक से मुक्ति पाना नितांत आवश्यक है, अन्यथा मानव जीवन बद से बद्दतर हो जाएगा.

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दोस्तों भ्रष्टाचार पर निबंध (Bhrashtachar Par Nibandh In Hindi) के इस लेख में Corruption से जुड़े सभी पहलुओं पर चर्चा की गई है. आपकों आज का हमारा यह लेख कैसा लगा कमेंट कर हमे जरुर बताइयेगा.

साथ ही इस लेख में दी गई जानकारी आपकों अच्छी लगी तो इसे सोशल मिडिया पर इसे अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करे.

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