Biography of Nanabhai Khant In Hindi | नानाभाई खांट का जीवन परिचय हमने डूंगरपुर के रास्तापाल की भील बाला काली बाई की कहानी पढ़ी है उन्होंने अपने गुरूजी नाना भाई खांट को बचाने की खातिर जान गंवा दी थी.
एक शिक्षक के रूप में नानाभाई ने ब्रिटिश हुकुमत के विरोध में अपने समाज के लोगों को शिक्षित करने के लिए विद्यालय चलाना जारी रखा गया. विद्या की खातिर अपने प्राणों की बलि देने वाले ऐसे गुरूजी को हमारा नमन.
नानाभाई खांट का जीवन परिचय | Biography of Nanabhai Khant In Hindi
डूंगरपुर प्रजामंडल ने उत्तरदायी शासन की स्थापनार्थ एवं रियासती अत्याचारों के विरुद्ध 1947 ई में आंदोलन चलाया. राज्य ने दमन का दौर चलाया और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर प्रजामंडल द्वारा चलाई जा रही पाठशालाओं को बंद करने का आदेश दिया.
ग्राम धोड़ी की मीटिंग में माणिक्यलाल वर्मा ने कहा था कि प्रतिबन्ध के बावजूद पाठशालाएं बंद नहीं होनी चाहिए. चाहे कार्यकर्ताओं को जेल जाना पड़े. तब रास्तापाल के नानाभाई खांट ने प्रतिज्ञा की कि जब तक मेरी जान रहेगी, तब तक मैं अपने गाँव रास्तापाल की पाठशाला बंद नहीं होने दूंगा.
इस निर्णय की जानकारी जब जागीरदार ने रियासत को दी तो पुलिस सुप्रीड़ेंटेड और जिला मजिस्ट्रेट पाठशाला को जबरन बंद कराने 18 जून 1947 को दल बल सहित ग्राम रास्तापाल पहुचे. नानाभाई खांट ने उत्तर दिया.
प्रजामंडल के आदेश से ही पाठशाला बंद की जा सकती हैं. मजिस्ट्रेट ने कहा मैं महारावल का आदेश लेकर आया हूँ नानाभाई ने महारावल का आदेश मानने से इनकार कर दिया.
तब डंडों घूसों, थप्पड़ों एयर बन्दूकों कुंदों से पाठशाला के आंगन में ही नानाभाई खांट की निर्मम पिटाई की गई. बन्दूकों के प्रहार और आघातों से वे इतने घायल हो गये कि चिर निद्रा में सो गये.
आदिवासियों में चेतना पैदा करने वाले नानाभाई
राजस्थान के आदिवासियों के हितों उनको शिक्षित करने के लिए जिन जिन लोगों ने काम किया उनमें नाना भाई खांट भी एक थे. इन्होने आदिवासी लड़के लड़कियों को शिक्षित करने का जिम्मा अपने कन्धो पर लिया था.
अंग्रेज हुकुमत को उनके ये क्रियाकलाप किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं थे, डूंगरपुर महारावल को शिकायत कर अंग्रेजी सरकार नाना भाई की पाठशाला को बंद करवाना चाहती थी.
महारावल ने पाठशाला को बंद करने का आदेश दिया मगर स्कूल संचालक के रूप में नानाभाई ने उस आदेश को मानने से इनकार कर दिया था.
1 जून 1947 की सुबह महारावल के लोगों ने बलपूर्वक पाठशाला को बंद करवाने के उद्देश्य से रास्तापाल का रुख किया. अंग्रेजी पुलिस और अधिकारियों के कहने पर जब स्कूल बंद नहीं किया गया तो नाना भाई शिक्षक सेंगा भाई के साथ मारपीट की गई तथा गोली मारकर इनकी हत्या कर दी.
वीर कालीबाई व नाना भाई खांट की प्रतिमा
अमर शहीद नाना भाई व साक्षरता की देवी कालीबाई के बलिदान दिवस के मौके पर 1 जून 2019 को राजस्थान सरकार ने इनकी प्रतिमा का अनावरण किया.
रास्ता पाल में प्रतिवर्ष काली बाई शहीद दिवस 1 जून के दिन मनाया जाता हैं. नाना भाई खांट के नाम पर उदयपुर में एक पार्क का निर्माण भी करवाया गया हैं.
यह भी पढ़े
- मोतीलाल तेजावत की जीवनी
- अर्जुन लाल सेठी का जीवन परिचय
- गोकुल भाई भट्ट जीवनी
- भोगीलाल पंड्या का जीवन परिचय
- भील बाला गुरुभक्त कालीबाई की कहानी
दोस्तों आपकों नानाभाई खांट की जीवनी इतिहास का यह छोटा सा लेख अच्छा लगा होगा, यदि आपके पास नानाभाई या राजस्थान के इस तरह के ऐतिहासिक व्यक्तित्व के बारे में जानकारी हो तो हमारे साथ शेयर करे.