नागार्जुन का जीवन परिचय Chemist Nagarjuna Life History Books In Hindi रसायनशास्त्री नागार्जुन प्राचीन भारत के एक प्रख्यात विद्वान थे. उनका जन्म सोमनाथ के निकट गुजरात में दैह्क नामक जिले में हुआ, उनका समय सातवीं-आठवी शताब्दी के आस-पास माना जाता है. यही समय आयुर्वेद धातुवाद का है. नागार्जुन एक रसायनज्ञ अर्थात् कीमियागर थे. नागार्जुन द्वारा लिखित ग्रंथ (books) रस रत्नाकर एवं रसेन्द्र मंगल अत्यधिक प्रसिद्ध है.
रसायनशास्त्री नागार्जुन का जीवन परिचय Nagarjuna In Hindi
विषय सूची

नागार्जुन की व्यक्तिगत जानकारी तथ्य व इतिहास (Chemist Scientist Nagarjuna Biography, History, Lifestory In Hindi)
जीवन परिचय बिंदु | नागार्जुन का जीवन परिचय |
पूरा नाम | नागार्जुन |
जन्म | 931 ई |
धर्म | हिन्दू |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
व्यवसाय | रसायनशास्त्री |
Books | रस रत्नाकर, रसेन्द्र मंगल |
संस्थान | – |
निधन | अज्ञात |
नागार्जुन का इतिहास – Scientist Nagarjuna History in Hindi
रस रत्नाकर में धातुओं के संशोधन और उनके गुण दोषों का निरूपण है, जिसमें पारे का उल्लेख (पारद प्रयोग) सबसे महत्वपूर्ण है. नागार्जुन द्वारा अपनी किताब में लिखी गईं रासायनिक क्रियाएं आज भी वैज्ञानिकों को आश्चर्य में डाल देती है. इसमें रस (पारे के यौगिक) बनाने के प्रयोग दिए गये है एवं देश में धातुकर्म और किमियागरी के स्तर का सर्वेक्षण भी दिया गया है.
इस ग्रंथ में चांदी, सोना, टिन आदि धातुओं को शुद्ध करने के तरीकों का भी वर्णन किया गया है. पारे से संजीवनी एवं अन्य पदार्थ बनाने के लिए नागार्जुन ने पशुओं, वनस्पति तत्वों, अम्ल एवं खनिजों का भी इस्तमोल किया. कई धातुओं को घोलने के लिए उन्होंने वनस्पति से निर्मित तेजाबों का भी सुझाव दिया.
बहुत से वैज्ञानिकों ने नागार्जुन के ग्रंथों से रसायन विज्ञान का विशेष ज्ञान प्राप्त किया. नागार्जुन ने अपनी पुस्तक में कई महत्वपूर्ण रासायनिक प्रक्रियाओं का वर्णन किया है, जैसे- आसवन (डिस्टिलेशन), उर्ध्वपातन in english (सब्ली मेशन), द्रवण (लिक्विफेकशन) आदि.
ये प्रक्रियाएं आज रसायन विज्ञान में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखती है. कई धातुओं से सोना या सोने के समान पीली चमक वाली धातुओं को बनाने की विधियों का वर्णन भी नागार्जुन ने अपनी पुस्तक में किया है. इन सभी तथ्यों से स्पष्ट है कि नागार्जुन को विभिन्न वस्तुओं के रासायनिक गुणों का अद्भुत ज्ञान था.
किमियागरी से ही आधुनिक रसायन विज्ञान का जन्म हुआ, इसलिए भारत में नागार्जुन को धातुवाद का प्रवर्तक माना गया है. नागार्जुन ने पारे की भस्म तैयार करने की विधि का वर्णन भी किया एवं इस विधि द्वारा पारे के प्रयोग से शरीर दीर्घकाल तक निरोग रह सकता है.
नागा र्जुन ने सुश्रुत संहिता नामक पुस्तक का सम्पादन किया तथा सुश्रुत संहिता में उत्तर तंत्र नामक नया अध्याय जोड़ा. इसमें औषधियों बनाने के तरीकें दिए गये है. नागार्जुन ने आयुर्वेद की आरोग्य मंजरी, योग्सार, योगाष्टक आदि ग्रंथों की भी रचना की. एक अनुभवी रसायन शास्त्री होने के कारण कई वैज्ञानिकों ने अपनी खोजों में उनके ज्ञान का सहारा लिया.
भारत के आइंस्टाइन नागार्जुन का योगदान
आपको यह भी बता दें कि, नागा र्जुन ही वह व्यक्ति थे जिन्हें इंडिया का आइंस्टाइन कहा जाता है और आज भी किताबों में जब यह पढ़ाया जाता है कि भारत का आइंस्टीन किसे कहते हैं तो वहां पर जवाब के तौर पर नागार्जुन का नाम ही लिखा जाता है।
नागा र्जुन को अपने बाल्यकाल से ही नए नए प्रयोग करने का काफी ज्यादा शौक था और शायद अपने इसी शौक के कारण आगे चलकर के उन्होंने कई रिसर्च की और भारतीय लोगों को कई अनमोल भेंट दी, जिनमें से कुछ प्रमुख भेंट के बारे में आपको नीचे जानकारी बताई जा रही है।
रसरत्नाकर
आपने सायद कहीं ना कहीं किताब में अवश्य पढ़ा होगा कि पहले के लोग पारे से सोना बनाने की विधि जानते थे। आपको बता दें कि पारे से सोना बनाने की विधि का वर्णन नागार्जुन ने जिस किताब में किया था उसका नाम रस रत्नाकर था जिसके अंदर रस का मतलब पारा होता है।
नागार्जुन के द्वारा पूरे विधि और विधान से इस पुस्तक में इस बात की जानकारी दी गई थी कि कैसे उन्होंने पारे पर रिसर्च की थी और पारे का इस्तेमाल करके उन्होंने सोना बनाया था, जो कि बिल्कुल शुद्ध सोना था।
इसके साथ ही साथ नागा र्जुन ने इस किताब में यह भी बताया था कि सोने और चांदी जैसी धातुओं को शुद्ध करने की सही विधि क्या है। इसके साथ ही नागार्जुन ने अपनी इस पुस्तक में इस बात पर भी प्रकाश डाला था कि मोती को गलाने की विधि क्या है और एसीड का इस्तेमाल करके हीरे को कैसे गलाया जाता है।
अपनी इस पुस्तक में नागार्जुन ने रिसर्च के दरमियान जिन यंत्रों का आविष्कार किया था उसके बारे में भी विस्तार से जानकारी दी थी। हालांकि आज यह किताब लुप्तप्राय हो चुकी है और अगर किसी के पास वर्तमान में यह किताब उपलब्ध है तो वह शायद ही इसे दुनिया के सामने लाना चाहता हो।
उत्तरतंत्र
नागा र्जुन सिर्फ पारे से सोना बनाने में एक्सपर्ट नहीं थे बल्कि इसके अलावा भी वह अन्य कई खोज लगातार करते रहते थे। उन्हें औषधि का भी काफी अच्छा ज्ञान प्राप्त था। इसलिए नागार्जुन ने औषधियों के ऊपर आधारित एक पुस्तक लिखी थी जिसका नाम उन्होंने उत्तर तंत्र रखा था।
इस ग्रंथ के अंदर नागार्जुन ने विभिन्न प्रकार की दुर्लभ जड़ी बूटियों के बारे में और औषधियों के बारे में विस्तार से जानकारी लिखी थी, साथ ही उन्होंने यह भी बताया था कि कैसे उन्होंने असाध्य बीमारियों की औषधि भी तैयार की थी और उसकी जो भी विधि थी उन्होंने उन सभी विधि को इस ग्रंथ में लिखने का काम किया था।
हालांकि जिस प्रकार इनके द्वारा लिखित रस रत्नाकर ग्रंथ आज लुप्तप्राय हो चुका है वैसे ही वर्तमान के टाइम में काफी कम लोगों के पास ही नागार्जुन के द्वारा लिखित उत्तर तंत्र ग्रंथ मौजूद हो।
आरोग्य मंजरी
नागार्जुन ने मानव कल्याण के लिए एक और शानदार ग्रंथ लिखा था जिसका नाम उन्होंने आरोग्य मंजरी रखा था। देखा जाए तो नागार्जुन के द्वारा लिखित यह ग्रंथ मुख्य तौर पर शारीरिक विज्ञान के ऊपर आधारित थी। इसके अंदर नागार्जुन ने यह बताया था कि कैसे इंसान अपनी पूरी बॉडी को बीमारियों से मुक्त बना करके निरोगी रख सकता है।
नागार्जुन के द्वारा ऐसे कई तरीकों को इस किताब के जरिए प्रेजेंट किया गया था जिसके द्वारा इंसान अपने आरोग्य को स्वास्थ्यवर्धक बनाकर रख सकता है। आरोग्य मंजरी के अलावा नागार्जुन ने योगा अष्टक और योगासर नाम की दो किताबें भी लिखी थी।
कक्षपुटतंत्र
यहां पर ध्यान देने वाली बात यह है कि नागार्जुन ने ना सिर्फ लोगों के लिए उपयोगी कई चीजों का आविष्कार किया। इसके अलावा उन्होंने लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद कई औषधियों का निर्माण किया, जिसका जिक्र उन्होंने अपने अलग-अलग ग्रंथ में किया है।
नागार्जुन के द्वारा लिखित कक्षपुटतंत्र भी एक ऐसा ग्रंथ है जिसमें नागार्जुन ने कई असाध्य रोगों की औषधियों के बारे में बताया है।
FAQ:
Ans: नागार्जुन ही वह व्यक्ति हैं जिन्हें इंडिया का आइंस्टाइन कहा जाता है
Ans: बता दें कि जितने भी रसायन मुख्य रसायन माने गए हैं उन सभी का जिक्र रस रत्नाकर ग्रंथ में है, जो इस प्रकार हैं: महारस,उपरस,सामान्यरस,रत्न,धातु,विष, क्षार,अम्ल,लवण,भस्म
Ans: अभ्र,वैक्रान्त,भाषिक,विमला,शिलाजतु, सास्यक,चपला,रसक
Ans:गंधक,गैरिक,काशिस,सुवरि,लालक,मन,शिला,अंजन,कंकुष्ठ
Ans: कोयिला, लाजवर्त, गिरि सिंदूर, गौरीपाषाण, नवसार, वराटक, अग्निजार, हिंगुल, मुर्दाड श्रंगकम्
Ans: टोटल 32 यंत्रों का वर्णन नागार्जुन ने रसशाला में किया है जिनमें से कुछ के नाम है: दोल यंत्र, स्वेदनी यंत्र, पाटन यंत्र, अधस्पदन यंत्र, ढेकी यंत्र, बालुक यंत्र, तिर्यक् पाटन यंत्र, विद्याधर यंत्र, धूप यंत्र, कोष्ठि यंत्र, कच्छप यंत्र, डमरू यंत्र।
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