दीपावली कब है महत्व इतिहास पूजा विधि और शायरी 2022 Deepawali Kab Hai Importance History Lakshmi Poojan vidhi And Shayari In Hindi प्राचीन हिन्दू वर्ण व्यवस्था में चार प्रकार के वर्ण माने गये थे. जिनके अपने अपने व्रत एवं त्यौहार थे. वर्ण व्यवस्था कमजोर पड़ने के कारण धीरे धीरे इन्हे सभी मनाते है. जिनमे दीपावली का त्यौहार मुख्य है. वैसे तो यह वैश्य वर्ण का पर्व था मगर आज भारत के सभी धर्मो के लोग दिवाली को हर्षोल्लास के साथ मिलकर मनाते है.वर्ष 2022 में दीपावली कब है इसकी katha मनाने का महत्व लक्ष्मी पूजन पूजा विधि और मित्रों व रिश्तेदारों को इस पर्व की अग्रिम शुभकामना प्रेषित करने के लिए शायरी SMS नीचें दिए जा रहे है.
दीपावली कब है महत्व इतिहास पूजा विधि और शायरी 2022

दीपावली का शाब्दिक अर्थ होता है दीपों की पक्ति. दिवाली के दिन लोग अपने घरों में और घरों के बाहर की दीवार को दीपकों से सजाते है. इस कारण इसे दीपोत्सव भी कहा जाता है. यह त्यौहार हिन्दू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक महिने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाई जाती है. इस दिन धन दौलत और एश्वर्य की देवी मानी जाने वाली माँ लक्ष्मी की विधिवत पूजा की जाती है.
2022 Deepawali Kab Hai (दीपावली कब है)
दिवाली का पर्व मुख्यतः 5 दिन का होता है. जो धनतेरस से आरम्भ होकर भैया दूज तक चलता है मगर कुछ राज्यों में इसे धनतेरस के एक दिन पूर्व बारस से ही गोवत्स के साथ आरम्भ किया जाता है.
इन सभी में अमावस्या का दिन सबसे महत्वपूर्ण होता है तथा इसी दिन दीपावली का पर्व मनाया जाता है. इस वर्ष 24 अक्टूबर 2022 को दीवाली का पर्व है. इस पांच दिवसीय त्यौहार की बात करे तो 22 अक्टूबर के दिन धनतेरस का दिन है. इसके अगले दिन 23 अक्टूबर को नरक चतुर्थी का पर्व है. 24 को दिवाली तथा लक्ष्मी पूजा है जबकि इसकी अगली सुबह तारीख को दीपों का त्योहार दीपावली मनाया जाना है. इसके बाद के दो दिनों को गोवर्धन पूजा और भैया दूज के रूप में मनाये जाते है.
दीपावली का महत्व (Importance of Deepawali festival In Hindi)
हर तीज त्यौहार को मनाने का अपना महत्व होता है. दिवाली मनाने का अपना सामजिक धार्मिक और पौराणिक महत्व है. इस पर्व से कुछ दिन पहले तक काफी लम्बी अवधि तक सरकारी अवकाश घोषित किया जाता है.
लोग इन दिनों का उपयोग दीपावली की तैयारियां घर की साफ़-सफाई और इसे सजाने में व्यतीत करते है. रौशनी के इस पर्व को बुराई पर अच्छाई, असत्य पर सत्य के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है.
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इस पर्व का धार्मिक महत्व यह है कि माना जाता है दशरथ पुत्र भगवान् श्री राम को 14 वर्ष का वनवास प्राप्त हुआ था. इस अवधि में उनके साथ उनकी पत्नी सीता और लक्ष्मण थे.
लंका के राक्षसी राज रावण ने अपनी बहिन सूर्पनखा के लक्षमण द्वारा नाक काटे जाने के बाद प्रतिशोध के रूप में मैया सीता का हरण कर लिया.
महाराजा सुग्रीव और भक्त हनुमान की मदद से रामजी ने रावण से युद्ध किया और दशहरे के दिन रावण को मार डाला एवं सीता को लेकर अयोध्या लौटे इस दिन राम जी के 14 वर्ष का वनवास पूरा हुआ था.
इस ख़ुशी के अवसर में अयोध्यावासियो ने घी के दीपक जलाकर राम जी का स्वागत किया. इसकी मान्यता को लेकर आज भी दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है.
दीपावली 2022
दिवाली या दीपावली अन्धकार पर प्रकाश की विजय के रूप में मनाया जाता है. सैकड़ो हजारों साल से मनाए जा रहे त्यौहार में दीपावली प्रमुख है. धार्मिक मान्यताओं में दीपावली का बड़ा महत्व है. देशभर में इस त्यौहार को बड़ी धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ सभी धर्मो के लोग मिलकर मनाते है.
हर वर्ष दीपोत्सव दीपावली का त्यौहार कार्तिक अमावस्या को मनाया जाता है, वर्ष 2022 में दीपावली का त्यौहार 24 अक्टूबर को है. दिवाली का उत्सव पांच दिनों तक चलता है. रेशम की धागे की तरह इसकी परते धीरे धीरे खुलती जाती है.
इस उत्सव की शुरुआत धनतेरस जिन्हें धन त्रयोदशी भी कहा जाता है के दिन से होती है. धनतेरस के दिन घर की चौखट पर तेल का दीपक जलाया जाता है तथा भगवान धन्वन्तरी और कुबेर की पूजा की जाती है.
इसके अगले दिन रूप चौदश और इसके अगले दिन लक्ष्मी पूजन के साथ दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है. कार्तिक प्रतिपदा को गौवर्धन पूजा और दूज को भाई दूज के रूप में मनाया जाता है. इस तरह कार्तिक के कृष्ण पक्ष की अँधेरी रात्रि में यह दीपावली का पर्व मनाया जाता है.
ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार दीपावली नवम्बर महीने में मनाई जाती है. इस समय तक किसान अपनी खरीफ की फसल की कटाई कर निवृत हो जाते है.
दीपावली शब्द की उत्पति और अर्थ
अधिकतर लोगों द्वारा इस त्यौहार के लिए दिवाली शब्द का उपयोग किया जाता है. जो कि मूल रूप से संस्कृत भाषा का शब्द है.
दीपावली की शब्द रचना पर ध्यान दे तो यह दीप और अवली दो शब्दों से मिलकर बना है. दीप का अर्थ दीपक से है वही अवली का अर्थ श्रंखला, कतार या लाइन से है. इस तरह दीपावली या दिवाली का अर्थ दीपो की श्रंखला या कतार से है.
भारत के विभिन्न क्षेत्रों एवं राज्यों में इन्हें अलग अलग नामों से जानते है. जिनमे बंगाली भाषा में इसे दीपाबली, पंजाबी में दियारी इसी तरह नेपाली में तिहार और राजस्थानी भाषा में दियाली भी कहा जाता है.
महत्व
दीपावली का अलग अलग धर्म तथा व्यवसाय से जुड़े लोग भिन्न भिन्न महत्व से मनाते है. जहाँ सरकारी अधिकारियो एवं कर्मचारियों को दीपावली के अवसर पर ही सालभर की सबसे लम्बी छुट्टिया मिलती है. दूसरी तरफ यह व्यापारी वर्ग के लिए अच्छी आमदनी का दौर भी माना जाता है.
क्युकि धनतेरस और दिवाली के अवसर पर वर्ष भर की सबसे अधिक खरीददारी इसी अवसर पर होती है. साथ ही गुजरात जैसे राज्यों के व्यवसायी इस दिन से नये वर्ष की शुरुआत करते है. तथा अपने पुराने हिसाब का लेखा जोखा कर नये बही खाते का शुभारम्भ करते है. इन सब बातों से भी बढ़कर दिवाली का बड़ा धार्मिक और सामाजिक महत्व है. जो इस प्रकार है.
धार्मिक
दीपावली को धन की देवी लक्ष्मी के सम्मान में भी मनाई जाती है साथ ही दीपावली के दिन ही भगवान श्री राम 14 वर्ष के वनवास को पूरा कर भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ अयोध्या लौटे थे. राम जी के सम्मान में अयोध्या के निवासियों ने घी के दिए जलाकर उनका स्वागत किया.
कुछ लोग इस दिन को पांड्वो के अज्ञातवास की समाप्ति को भी मानते है. सिख धर्म में भी कार्तिक अमावस्या का बड़ा महत्व है. इस दिन ही पंजाब के प्रसिद्ध स्वर्ण मन्दिर की नीव रखी गई थी तथा छठे गुरु हरगोविंद जी इसी दिन जेल से रिहा होकर लौटे थे. जैन धर्म के संस्थापक महावीर स्वामी को दिवाली के दिन ही मोक्ष की प्राप्ति हुई थी.
सामाजिक
दिवाली के दिन ही महान हिन्दू धर्म सुधारक महर्षि दयानन्द जी द्वारा राजस्थान के अजमेर से आर्य समाज की स्थापना की गई थी. कई मुस्लिम शासकों ने भी इस अवसर को अहमियत देते हुए इनके आयोजन का जिम्मा उठाया था.
जिनके चलते हिन्दू मुस्लिम एकता तथा सामाजिक सद्भाव को मजबूती मिली. व्यक्ति अपनी दैनिक दिनचर्या के बिच अमन और उल्लास के लिए पर्वो का सहारा लेता है. ठीक दीपावली भी इस उद्देश्य को पूर्ण करते हुए लोगों में उमंग और उत्साह का संचार करती है.
आर्थिक
जैसा कि उपर बताया जा चूका है, दिवाली के पांच दिनों में साल की सबसे अधिक खरीददारी होती है. कपड़े, आभूषन, मिठाइयों, बर्तनों और वाहनों की इस अवसर बड़ी मात्रा में खरीद होती है. धार्मिक मान्यताओं के चलते धनतेरस के दिन खरीददारी करना शुभ माना जाता है. जिसका असर बाजार में भी दिखता है
दिवाली के 10-15 दिन पूर्व से ही बाजारों में भीड़ भाड़ का माहौल बन जाता है जो कई दिनों तक चलता है. इस अवसर पर सबसे अधिक खपत फटाखों की होती है. बच्चों के खेलने के छोटे फटाखों से लेकर बड़े आतिशबाजी बम बड़ी संख्या में बिकते है.
Deepawali Laxmi Puja Muhurat 2022 शुभ दिवाली
लक्ष्मी पूजन मुहूर्त टाइमिंग और पूजा का समय: इस वर्ष लक्ष्मी पूजन एवं शुभ दिवाली 24 अक्टूबर को पड़ रही हैं. diwali date time puja vidhi को ध्यान में रखते हुए ही लक्ष्मी जी का पूजन किया जाना चाहिए. कार्तिक अमावस्या तिथि के दिन प्रदोष काल अथवा स्थिर लग्न में ही लक्ष्मी जी का पूजन करना शुभ होता हैं.
दिवाली का Laxmi Puja Muhurat के लिए इस बार प्रदोष काल एवं स्थिर लग्न का सही समय और मुहूर्त क्या रहने वाला है, इस समय में की गई पूजा के द्वारा ही पूण्य देने वाली माना गया हैं. देवी लक्ष्मी को खुश करने के लिए रात भर घर में दीपक जलाए रखने तथा घर का मुख्य द्वार खुला रखने की परम्परा भी हैं.
भारत में दिवाली का पर्व 4 नवम्बर को मनाया जाना है यह कार्तिक महीने की अमावस्या का दिन है धर्म शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि दिवाली लक्ष्मी पूजन के लिए रात में शुभ स्थिर लग्न या सूर्य अस्त के समय वाले काल जिन्हें प्रदोष काल कहते है इसमें पूजा कार्य सम्पन्न करवाए जाने चाहिए.
दिवाली 2022 के इन शुभ मुहूर्त में यदि लक्ष्मी पूजन किया जाए तो पूरे फल की प्राप्ति होती हैं. 4 नवम्बर के सुबह से शाम तक पड़ने वाले दिन के चोघडिये के शुभ मुहूर्त एवं उनका समय इस प्रकार रहने वाला हैं.
2022 में दिवाली कब है? (Diwali 2022 Date)
24 अक्टूबर 2022
दिवाली पर लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त (Diwali 2022 Laxami Puja Subh Muhurat)
24 अक्टूबर 2022 को रात 07 बजकर 02 मिनट से रात 08 बजकर 23 मिनट तक प्रदोष काल यानी की संध्या के समय मां लक्ष्मी की पूजा का उत्तम समय है.
प्रदोष काल – शाम 05:50 – रात 08:23
वृषभ काल – रात 07:02 – रात 08:58
आमधारणा के अनुसार भगवान श्री राम जी के 14 वर्ष का वनवास पूर्ण करने के बाद वे रावण को मारकर इसी दिन घर वापिस आये तो इस ख़ुशी में दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है. इस वर्ष यानि Diwali 2022 में यह पर्व 24 अक्टूबर के दिन आ रहा है. इसी दिन Diwali की शाम माँ लक्ष्मी का पूजन किये जाने की प्रथा है.
Diwali Puja Vidhi में इस कार्तिक अमावस्या के दिन बिना भोजन ग्रहण किये सांयकाल को पूजा किये जाने का प्रावधान है. घर में स्वच्छ जगह को चुनकर दिए जलाने के बाद माँ लक्ष्मी, गणेश जी और विद्या की देवी सरस्वती की नवीनतम मूर्ति और तस्वीर की स्थापना की जाए. नारियल, चावल और पूजा सामग्री को थाली में रखकर कलश से मंत्रोच्चार के साथ कलश का सम्पूर्ण घर में छिड़काव करे.
प्रदोषकाल में Diwali Puja सबसे उत्तम मानी जाती है. lakshami pooja के साथ साथ Lord Vishnu, Kali Maa और Kuber Dev की आराधना भी की जाती है. पूजा सामग्री में रोली, चावल, पान- सुपारी, लौंग, इलायची के साथ कपूर एवं देशी घी का भरा दीपक भी होना चाहिए.
शुभ मुहूर्त की बात करे तो आम आदमी तथा व्यापारी वर्ग के लोगों के लिए लक्ष्मी पूजा का शुभ समय प्रदोष काल ही माना गया है, जो दिन व रात के मिलन का समय होता है आम बोलचाल में इसे गोधुली वेला भी कहा जाता हैं. इस दिवाली का यह सबसे अच्छा मुहूर्त है इस समय स्थिर लग्न वृषभ भी मिलने वाले हैं
हर वर्ष ही दिवाली का पूजन स्थिर लग्न या प्रदोष काल के समय में ही किया जाता हैं. वृष और सिंह इन दोनों मुहूर्त को स्थिर लग्न माना गया हैं. चूँकि अमावस्या के दिन सिंह लग्न नही होता है
दीपावली पूजा विधि (Deepawali Lakshmi Poojan vidhi)
दीपों के इस त्यौहार में धन सम्पदा की देवी माँ लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है. दिवाली से कुछ दिन पहले ही माँ लक्ष्मी के आगमन के लिए घर की साफ़ सफाई की जाती है. पूजा के शुभ मुहूर्त पर लक्ष्मीजी की मूर्ति अथवा तस्वीर की स्वच्छ स्थान पर स्थापना की जाती है. पूजा में परिवार के सभी सदस्य मिलकर ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम: ॥ मन्त्र का उच्चारण करते है.
- सर्वप्रथम उपयुक्त दिशा में माँ लक्ष्मी के लिए आसन की स्थापना.
- लक्ष्मी की नवीनतम फोटो या मूर्ति की स्थापना मन्त्रोच्चार के साथ.
- गुलाल, कुमकुम, सिंदूर, कलश, नारियल, अक्षत, नैवेद्य, दीपक सहित सारी पूजा सामग्री पास रखे.
- कमल के पुष्पों का आसन तैयार करे.
- आरती व् कलश के साथ गणपति, सरस्वती, लक्ष्मीजी जी की आराधना की जाए.
- जल, वस्त्र, पुष्प और प्रसाद चढाए.
- परिवार के सामूहिक सदस्यों के साथ लक्ष्मी जी की आरती करे.
- माँ के साथ जयकारे के साथ प्रसादी वितरण
दिवाली/दीपावली शायरी (Diwali / Diwali Shayari)
कई इतिहास को एक साथ दोहराती
है दिवाली,
मोहबत पर विजय के फूल बरसाती है
दिवाली.
aaya hain deepo ka tyauhaar
taiyaaree karee hain beshumaar
bas ab hain yaaron ka intajaar
aayenge apane tab hee sajegee bahaar
deepak kee jvaala sa tej ho
ghar mein sukh samrddhi ka samaavesh ho
karate hain bhagavaan se dua
har kasht jeevan ke door ho.
कह दो अँधेरों से……!!!
कहीं और घर बना लें ,
साहेब….!!!
मेरे मुल्क में रौशनी का सैलाब आने वाला है ।
।। दीपावली की बधाई ।।
दीप जलते और जगमगाते रहे
हम आपकों और आप हमे याद आते रहे
जब तक जान है दुआ है हमारी
आप यू ही दियें की तरह जगमगाते रहे.
pal pal sunahare phool khile,
kabhee na ho kaanto ka saamana,
jindagee aapakee khushiyo se bhaaree rahe,
Diwali par humaaree yahee shubhakaamana…
इस दिवाली माँ लक्ष्मी और गणेश जीआपके जीवन को सुख,सफलता और सम्रद्धि से सम्पूर्ण भर देआपकों और आपके परिवार को हमारी तरफ से शुभ दीपावली.
Diwali 2022 Shayari In Hindi
दीप से दीप जलते रहे,
मन से मन मिलते रहे.
गिले शिकवे दिल से निकलते रहे
सारे जग में सुख शांति का सवेरा ले आए,
ये दीपो का त्यौहार ख़ुशी की सौगात ले आए.
मेरे साथ
एक ह्रदय
दौ आँखों
7 लीटर रक्त
206 हड्डियों
4.5 बिलियन लाल रक्त कोशिकाओ
60 ट्रिलियन डीएनए
सबकी ओर से आपकों दिवाली की शुभकामनाएँ.
दुआ मांगते है हम अपने भगवान् से
चाहते है आपकी ख़ुशी पुरे ईमान से
सब हसरते पूरी हो आपकी,
और आप मुस्कराएँ दिलों जान से
कविता दिवाली 2022 पर | Poem On Diwali In Hindi
खूब मिठाई खाओ छक कर,
लड्डू, बर्फी, चमचम, गुझिया
पर पर्यावरण का रखना ध्यान,
बम कही फोड़े न कान
वायु प्रदूषण, धुए से बचना
रोशनी से घर द्वार को भरना
दिवाली के शुभ अवसर पर,
मन से मन का दीप जलाओ.
सच्चाई की रीत दिवाली
बुराई के विपरीत दिवाली
सफाई के संग प्रीत दिवाली
पावनता की रीत दिवाली
दीप उस घर भी रखना,
जिसने अपना खोया.
पुरे वर्ष मनाया मातम,
फूट फूट कर रोया
आज उसे कुछ लगे कि जैसे
उसने भी कुछ पाया है
ज्योति पर्व आया है.
दिवाली की कथा (diwali katha in hindi )
एक प्राचीन कथा के अनुसार सुग्रीव के भाई बली ने अपनी शक्ति और पराक्रम के दम पर एश्वर्य की देवी लक्ष्मी सहित सभी देवताओं को अपना बंधक बना दिया था. कहते है दिवाली के दिन यानि कार्तिक महीने की कृष्ण अमावस्या के दिन स्वय विष्णु ने आकर बली के नियन्त्रण से लक्ष्मी को मुक्त करवाया.
कई दिनों की कैद के बाद सभी देवी देवता वहां से निकलते ही सोने चले गये. इसी धारणा को मानते हुए आज भी हम अपने घरों की सफाई करते है ताकि धन की देवी सहित देवता कही और जगह जाने की बजाय हमारे घर मेहमान बनाकर आए.
इसकी दूसरी कथा भगवान् श्री राम, सीता और लक्ष्मण से जुड़ी हुई है. माता कैकेयी द्वारा हठपूर्वक राम को चौदह वर्ष का वनवास दिलाया था. जिसके बाद राम जी ने भाई और पत्नी के साथ कठिन समय को जंगल में दर दर भटकते हुए बिताया.
इस दौरान सीता का अपहरण रावण ने किया, फिर रावण के साथ लम्बे समय तक युद्ध चला और विजयी होकर राम सीता को लंका से लेकर आए.
जिस दिन राम के वनवास के 14 वर्ष पुरे हुए और वे अपने नगर अयोध्या को आए तो लोगों ने घी के दीपक जलाकर उनका स्वागत किया. इसी दिन से दीपावली को प्रकाश के त्यौहार के रूप में हर वर्ष कार्तिक महीने की अमावस्या को देशभर में मनाया जाता है.
दिवाली का इतिहास और कथाएं (History and stories of Diwali /Deepawali)
Diwali 2022 Stories में आपकों दिवाली मनाने के इतिहास और उनके कारणों से जुड़ी कुछ दीपावली की कथाएं आपकों बता रहे है.
- राम जी के वनवास की समाप्ति और अयोध्या लौटने की कहानी बच्चा बच्चा जानता है. कैकेयी द्वारा राजा दशरथ से किसी समय वर मागने का वरदान मिला था. जिनका उपयोग उसने भरत को राज्य दिलाने के लिए राम को 14 साल के वनवास के रूप में उपयोग किया. राम ने जब पिता के वचन की खातिर वनगमन किया तो उनके साथ मैया सीता और भाई लक्ष्मण भी थे. यहाँ रावण द्वारा सीता का हरण होता है जिसके बाद राम जी सुग्रीव की सेना की मदद से लंका पर चढाई करके रावण का अंत कर विभीषण को वहां की सता सौपकर वापिस लौटते है इसी ख़ुशी के अवसर को लोगों ने दीपों के पर्व दिवाली को मनाया और सदियों से हम इन्हे मनाते आ रहे है.
- एक अन्य कथा के अनुसार नरकासुर नेपाल राज्य का शासक हुआ करता था. जो बेहद क्रूर था जिन्होंने देवताओं की कन्याओं को अपने कब्जे में कर लिया था. कहते है सत्यभामा ने इस दैत्य का वध का जिनमे श्री कृष्ण ने उनका सहयोग किया था.
- आपने भी इस कहानी को सुना होगा कि मामा सकुनी की वजह से कौरवों ने पांड्वो को हस्तिनापुर से निष्काषित कर 13 वर्ष की अवधि के लिए वनवास दिलाया था. माना जाता है कि इसी दिन पांडव अपनी वनवास अवधि पूर्ण कर कार्तिक अमावस्या को घर लौटे थे.
- कार्तिक अमावस्या यानि दिवाली के दिन ही सिख धर्म के छठे गुरु हरगोविंद जी को जहाँगीर की कैद से मुक्त किया गया था. इस दिन को यादगार बनाने के लिए सिख सम्प्रदाय के लोग दिवाली की कथा का सम्बन्ध इस घटना से जोड़ते है.
माता लक्ष्मी जी का हुआ था जन्म
हिंदुओं के प्रमुख त्यौहार में हिंदुओं की एक प्रमुख देवी का जन्म हुआ था। दीपावली के मौके पर ही समुद्र मंथन के दरमियान माता लक्ष्मी जी का जन्म हुआ था, जिसे हिंदू समुदाय में धन की देवी कहा जाता है।
इसीलिए विशेष तौर पर दीपावली के दिन लक्ष्मी जी के साथ ही साथ विघ्नहर्ता गणेश जी की पूजा की जाती है और लोग इनसे धन-संपत्ति देने की तथा सभी प्रकार के कामों को पार लगाने की अरदास लगाते हैं। ऐसी मान्यता है कि दिवाली के मौके पर लक्ष्मी गणेश की पूजा करने से सुख समृद्धि, यश वैभव की प्राप्ति होती है और व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं जल्द से जल्द पूर्ण होती है।
FAQ:
Q: दीपावली का पर्व क्यों मनाया जाता है?
ANS: भगवान राम के वापस अयोध्या आने की खुशी में
Q: दिवाली के बारे में क्या लिखें?
ANS: निबंध अथवा भाषण
Q: दीपावली की शुरुआत कब से हुई?
ANS: जब ही दिन माता लक्ष्मी जी का जन्म हुआ जब श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया जब भगवान श्री राम वनवास से वापस अयोध्या आए
Q: दीपावली कब है 2022
ANS: 24 अक्टूबर, सोमवार
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उम्मीद करता हूँ दोस्तों दीपावली कब है महत्व इतिहास पूजा विधि और शायरी 2022 Deepawali Kab Hai Importance History Lakshmi Poojan vidhi And Shayari In Hindi का यह लेख आपको पसंद आया होगा. यदि आपको दिवाली के बारे में दी ये जानकारी पसंद आई हो तो अपने फ्रेड्स के साथ भी शेयर करें.