वनोन्मूलन का अर्थ कारण प्रभाव व प्रमुख आंदोलन | Deforestation Essay Definition Causes Effects Solutions & Movements In India In Hindi

वनोन्मूलन का अर्थ कारण प्रभाव व प्रमुख आंदोलन | Deforestation Essay Definition Causes Effects Solutions & Movements In India In Hindiवनोन्मूलन यानि डीफोरेस्टिंग का तात्पर्य पेड़ों को काटने अथवा उनकों जलाकर या अन्य तरीके से समाप्त करने से हैं. जिससे वनों का विनाश हो जाता हैं,

आज यह भारत की ही नही दुनियां की सबसे बड़ी समस्या के रूप में उभरकर सामने आ रहा हैं. लोग अपने स्वार्थ के लिए इन पेड़ों को साफ़ कर जंगली भूमि को खेती अथवा अन्य उपयोग के लिए या लकड़ी को बेचकर पर्यावरण को बहुत बड़ा नुकसान पहुचा रहे हैं.

वनोन्मूलन का अर्थ कारण प्रभाव व प्रमुख आंदोलन

वनोन्मूलन का अर्थ कारण प्रभाव व प्रमुख आंदोलन | Deforestation Essay Definition Causes Effects Solutions & Movements In India In Hindi

यदि हम इसी तरह पेड़ों को काटते रहेगे और पुनः वृक्ष नही लगाएगे तो एक दिन हमारी लहलहाती धरा बिलकुल बजंर बनकर रह जाएगी.

इस कारण वनोन्मूलन को रोककर लोगों को वृक्षारोपण की तरफ प्रेरित करना होगा, तभी हमारा पर्यावरण बच पाएगा.

वनोन्मूलन क्या है

हमारे देश में निरंतर पेड़ पौधों की कटाई के चलते जंगल कम होते जा रहे हैं. इसका सीधा असर वन्य जीवों, सभी प्राणियों और पादपों पर पड़ रहा हैं. हमारे पर्यावरण को भी इनके भयावह दुष्परिणाम भुगतने पड़ रहे हैं.

तेजी से बढ़ती आबादी की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वनों की कटाई में वृद्धि हो रही हैं. घरों तथा शहरों के निर्माण के नाम पर हजारों सालों से हरी भरी भूमि को वृक्ष विहीन कर इमारते खड़ी की जा रही हैं.

वनों की कटाई से वायु प्रदूषण के साथ ही मृदा और जल प्रदूषण की मात्रा भी तेजी से बढ़ी हैं. वन्य जीवों की संख्या निरंतर कम हो रही हैं कई प्रजातियाँ लुप्त होने की कगार पर आ खड़ी हैं. अपने निजी स्वार्थों के लिए किसी भी तरह वनों को नुक्सान पहुचाना वनोंन्मूलन के अंतर्गत आता हैं.

पर्यावरण संरक्षण संबंधी प्रमुख आंदोलन (environmental protection movements in India)

खेजड़ली आंदोलन- पश्चिमी राजस्थान के मरुस्थल क्षेत्र में रहने वाले लोगों का प्रकृति और वन्य जीवों के प्रति विशेष प्रेम हैं. ये अपने घरों, खेतों और खलिहानों में जीवों के लिए अन्न जल की व्यवस्था करते रहते हैं. यहाँ वन्य जीव और लोग आपस में मिलकर एक परिवार की तरह रहते हैं.

हिरण, नीलगाय तथा खरगोश आदि वन्य जीव निर्भय होकर सहज रूप से विचरण करते हैं. आस-पास के क्षेत्र में कोई भी व्यक्ति शिकार नही कर सकता. वनों और वन्य जीवों की रक्षा के लिए ये लोग प्राचीनकाल से ही समर्पित हैं.

इसी का एक उदहारण हमें खेजड़ली के बलिदान के रूप में देखने को मिलता हैं. राजस्थान के जोधपुर जिले के खेजड़ली गाँव में ठेकेदारों द्वारा वृक्षों को काटा जा रहा था.

इन्हें बचाने के लिए उस क्षेत्र के लोगों ने विरोध किया. अमृता देवी विश्नोई के नेतृत्व में 1730 ई में 363 स्त्री पुरुषों ने वनोन्मूलन (वृक्षों की कटाई) को रोकने के लिए अपना बलिदान दिया था.

इनकी स्मृति में यहाँ एक म्रग उपवन स्थापित किया गया हैं. प्रतिवर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की दशमी को यहाँ विश्व का एकमात्र वृक्ष मेला भरता हैं.

वनोन्मूलन का सोल्यूशन राजसमन्द की परम्परा– राजसमंद जिले के पिपलान्त्री गाँव में एक बेटी के जन्म पर 111 वृक्ष लगाए जाते हैं. इसी प्रकार किसी की मृत्यु होने पर भी उसकी याद में वृक्ष लगाकर उन्हें पूजा जाता हैं.

गाँव की महिलाएं वृक्षों को अपना भाई मानकर रक्षाबंधन पर उन्हें राखी बांधती हैं. क्या हम भी हमारे गाँव में ऐसा नही कर सकते, जिससे वनोन्मूलन को पूर्णत रोका जा सके.

चिपको आंदोलन- हिमाचल प्रदेश के कुछ ऊँचे भागों और टिहरी गढ़वाल के पहाड़ी क्षेत्रों में स्थानीय लोगों ने देखा कि खतरनाक बाढ़ आना और भूमि का धसना साधारण सी बात हो गई हैं.

और इसके पीछे कारण हैं व्यावसायिक उपयोग के लिए ठेकेदारों द्वारा जंगल के बनों को काटना. 1972 में उत्तराखंड के गाँवों की महिलाओं ने पेड़ काटने वालों का विरोध किया और उन वृक्षों से चिपक गई जिन्हें काटा जा रहा था.

गौरा देवी के नेतृत्व में वहां के निवासियों द्वारा किए जा रहे इस कार्य को चिपको आंदोलन के रूप में याद किया जाता हैं. इस आंदोलन से पर्यावरणविद सुन्दरलाल बहुगुणा भी जुड़े.

चिपको आंदोलन ने वृक्षों के कटाई को बंद करने की मांग की ताकि हिमालय का 60 प्रतिशत क्षेत्र वनों से भरपूर हो जाए और ढालदार भूमि पर खाद्य, चारा ईधन, उर्वरक और रेशा देने वाले पौधों का रोपण किया जाए.

चिपको आंदोलन हिमालय का ही नही, बल्कि सारी मानव जाति की पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोक जागरण का एक अनूठा उदाहरण हैं.

अपिप्को आंदोलन– वनोन्मूलन और पर्यावरण संरक्षण से संबंधित कर्नाटक में एक ऐसा ही आंदोलन हुआ अप्पिको, जिसका अर्थ हैं- बाहों में भरना. राज्य के सिरसी जिले में सितम्बर 1983 को एक सलकानी वन क्षेत्र में वृक्ष काटे जा रहे थे.

तब वहां के स्त्री, पुरुष और बच्चों ने पेड़ों को बाहों में भर लिया और लकड़ी काटने वालों को भागने के लिए मजबूर होना पड़ा. वे कई सप्ताह तक वनों की पहरेदारी करते रहे. इस प्रकार यहाँ के लोगों के द्वारा हजारों वृक्षों को बचाया गया.

वनोन्मूलन क्या हैं इसका अर्थ (meaning Definition & deforestation essay in hindi)

वन क्षेत्र में मानवीय क्रियाकलापों से होने वाली जैविक संपदा के हास को ही वन विनाश या वनोन्मूलन के रूप में जाना जाता हैं.

वर्तमान में वनों के निरंतर हो रहे वन विनाश से पूरे विश्व में पर्यावरण के लिए संकट की स्थति उत्पन्न हो गई हैं. वनोन्मूलन के प्रमुख कारण (Deforestation Causes) ये हैं.

  • वनों की व्यापारिक कटाई
  • घरेलू ईधन के लिए वनों पर निर्भरता
  • स्थानांतरित कृषि
  • अत्यधिक एवं अवैध पशुचारण
  • खनन एवं औद्योगीकरण
  • वन भूमि का कृषि एवं चारागाह भूमि में परिवर्तन
  • अम्ल वर्षा
  • वनों में लगने वाली आग, कीटाणु एवं रोग
  • अनावृष्टि और बाढ़े
  • पुनर्वास और वनवासियों को बेदखल करने वाली आर्थिक एवं सामाजिक विकास की योजनाएं आदि.

वन विनाश के परिणाम (Deforestation Effects In Hindi)

अनियंत्रित और अवैध्य रूप से वनों की कटाई से वायुमंडल में कार्बनडाई ऑक्साइड की वृद्धि, अम्ल वर्षा, पारिस्थितिकी असंतुलन आदि कई दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं. कुछ का विवरण निम्नानुसार हैं.

  • जैव विविधता का हास
  • वनवासियों एवं वन्य जीवों के आवास का समाप्त होना.
  • वनों पर आधारित ग्रामीण कुटीर उद्योगों का समाप्त होना
  • सूखा, अकाल, बाढ़,भूमि अपरदन तथा रेगिस्तान का विस्तार होना.
  • जलवायु में परिवर्तन होना
  • हरित गृह प्रभाव में वृद्धि
  • पर्वतीय क्षेत्रों में भू स्खलन की घटनाओं में वृद्धि आदि

विश्व में हो रहे भयंकर वनोन्मूलन के कारण आज कई दुर्लभ जीव तेजी से विलुप्त हो रहे हैं. आई यू सी एन की लाल किताब में दर्ज तेजी से विलुप्त हो रहे कुछ प्रमुख जीव जैसे बाघ, गोडावण आदि उल्लेखनीय हैं.

वनोन्मूलन को रोकने के उपाय / समाधान (Deforestation Solutions In India In Hindi)

पृथ्वी पर पारिस्थतिकी संतुलन बनाए रखने के लिए वनों की कटाई रोककर वनों का संरक्षण किया जाना अति आवश्यक हो गया हैं. मानव सहित समस्त जीव जगत का अस्तित्व ही वनों के कारण ही हैं.

यदि इन बदलते पारिस्थतिकी असंतुलन पर ध्यान नही दिया गया तो कई विकट परिस्थतियाँ पैदा हो जाएगी. वन विनाश को रोकने के लिए किये जाने वाले प्रयास या उपाय इस प्रकार हैं.

  • वनोन्मूलन (वनों की कटाई) पर रोक
  • स्थानांतरित कृषि पर रोक
  • अनियंत्रित पशुचारण पर रोक
  • आवासों का निर्माण बंजर भूमि पर
  • ईधन के विकल्पों की खोज एवं अधिकाधिक उपयोग
  • विकास योजनाओं का क्रियान्वयन वन रहित भूमि पर किया जाए
  • वनों की कटाई वैज्ञानिक रूप से लाइसेंस धारी व्यक्तियों द्वारा ही करवाई जाए.
  • अवैधानिक तरीके से वनोन्मूलन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाए.
  • प्रत्येक व्यक्ति प्रतिवर्ष एक पेड़ लगाए और वन संरक्षण को एक जनक्रांति बनाया जाए.
  • वन संपदा के संरक्षण एवं विकास के लिए वन भूमि को वन्य जीव अभ्यारण्य और राष्ट्रीय उद्यान घोषित किए जाए.
  • वनों के महत्व की शिक्षा देकर जन जागरूकता को बढ़ाना आदि, वनोन्मूलन को रोकने के लिए किए जाने वाले उपाय हैं.

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