Depository Participant In Hindi: जब हम शेयर मार्केट की बात करते है तो कई सारी ऐसी शब्दावली होती है जिनके विषय में आम जानकारी रखने वाले निवेशक को जानकारी नहीं होती हैं. जैसे सेबी, डीमैट, इंट्राडे आदि इस तरह का एक अन्य शब्द है डिपाजिटरी (Depository)
बहुत से शुरूआती निवेशक नहीं जानते कि Depository क्या है इसके कार्य क्या है हमारे देश में कितनी डिपाजिटरी है ये कैसे काम करती है इत्यादि.
आज के आर्टिकल में हम विस्तार से Depository के बारे में जानकारी प्राप्त करेगे. आपसे निवेदन है अंत तक हमारे साथ बने रहे. लेख के अंत तक डिपाजिटरी के बारे में प्रत्येक सवाल का आपको जवाब मिल जाएगा. चलिए डिपाजिटरी क्या है इन हिंदी के इस लेख को शुरू करते है.

Depository क्या है
एक से दो दशक पूर्व तक शेयर बाजार में निवेश करने वाले लोगों को शेयर को आज की तरह ट्रेडिग अकाउंट में रखने की सुविधा नहीं थी. साल 1996 तक ग्राहक को अपने शेयर के प्रमाण के रूप में एक सर्टिफिकेट जारी किया जाता था. निवेशक को यह प्रमाण पत्र हर सूरत में सुरक्षित रखना होता था.
अगर यह सर्टिफिकेट खो जाता तो बड़ी समस्या पैदा हो जाती थी. साथ ही शेयर को होल्ड रखना या उसके खरीद फरोख्त की बड़ी समस्या विद्यमान थी. share को सुरक्षित स्टोर रखने की दिशा में एक नया इनोवेशन Depository के रूप में सामने आया.
जिस प्रकार बैंक हमारे धन को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में अपने पास जमा रखता है. उसी तर्ज पर Depository में शेयर को एक अकाउंट में डिजिटल फॉर्म में जमा करने की यह सुविधा बनी, जिसके कारण भौतिक सर्टिफिकेट के झंझट से शेयर बाजार के निवेशकों को राहत मिली.
डिपाजिटरी क्या होता है (What is Depository in Hindi)
सरल शब्दों में Depository का हिंदी में अर्थ होता है भंडार, स्टोर रूम या गोदाम, जहाँ कोई वस्तु स्टोर करके रखी जाती हैं.
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शेयर बाजार में Depository एक गोदाम के रूप में काम करती हैं. जहाँ विभिन्न निवेशकों के शेयर, म्यूचुअल फंड, डिवेंचर, सिक्योरिटीज इत्यादि डीमैट अकाउंट के रूप में सुरक्षित रखे जाते हैं.
Depository द्वारा ही निवेशकों के demat account के समस्त लेन देन और जमा खर्च का विवरण अपने पास रखते हैं. Depository ही इन्वेस्टर्स को शेयर के अतिरिक्त मिलने वाले बोनस डिवेंचर आदि को भी व्यक्तिगत डीमैट अकाउंट में ट्रान्सफर करने का काम करता हैं.
शेयर बाजार की नियामक संस्था SEBI द्वारा Depository की नींव रखी गई थी. Depository सेबी तथा स्टॉक एक्सचेंज से जुड़ी रहती हैं. भारत में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज तथा बॉमबे स्टॉक एक्सचेंज दो बड़े स्टॉक एक्सचेंज हैं.
एक उदाहरण के द्वारा Depository के काम को समझते हैं. अगर आपने कोई शेयर की कीमत अदा कर उसे खरीदा हैं. अब Depository द्वारा ही SELLER के खाते से उस SHARE को निकालकर आपके डीमैट अकाउंट में जमा करने का काम किया जाता हैं. इसी तरह जब आप किसी शेयर की बिक्री करते है तो Depository आपके डीमैट से उस शेयर को निकालकर खरीददार के डीमैट में जमा कर देती हैं.
आप जानते है भारत जैसे बड़े देश में मार्केट में रोजाना करोड़ो शेयर की खरीद बिक्री होती हैं. उन सभी लेन देन को मैनेज करने का काम Depository Participant (DP) द्वारा किया जाता हैं. DP एक तरह से Depository की विवरण पुस्तिका अथवा एजेंट के रूप में काम करता हैं.
भारत में कितनी डिपाजिटरी है (How Many Depository in India)
अब तक हम अच्छे से जान चुके है कि Depository क्या है तथा किस तरह काम करती है अब हम जानेगे कि भारत में कितनी Depository हैं.
अगर हमारे देश भारत की बात करे तो दो तरह की डिपाजिटरी Participant है जो इस प्रकार हैं.
- NSDL (National Securities Depositories Ltd)
- CDSL (Central Depositories Services Ltd)
दोनों तरह की डिपाजिटरी के बारे में थोड़ा संक्षिप्त में जान लेते हैं.
1 – NSDL (नेशनल सिक्योरिटीज डिपाजिटरी लिमिटेड)
8 नवम्बर 1996 को स्थापित NSDL भारत की सबसे प्राचीन डिपाजिटरी है. NSDL डिपाजिटरी मुख्य रूप से नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के लिए काम करती हैं इसे NSE समेत कई बड़े बैंकों ने प्रायोजित किया था.
2 – CSDL (सेंट्रल डिपाजिटरी सर्विस लिमिटेड)
फ़रवरी 1999 को स्थापित CSDL भारत की दूसरी सबसे बड़ी डिपाजिटरी हैं. CDSL को BSE (Bombay Stock Exchange) के साथ कई सारी बैंकों ने मिलकर प्रायोजित किया था. यह डिपाजिटरी BSE के लिए सर्विसेज देती हैं.
NSDL और CDSL में अंतर (NSDL vs CDSL In Hindi)
जैसा कि हमने पूर्व में जाना कि भारत में दो बड़ी डिपाजिटरी है जिनके नाम NSDL और CDSL हैं. दोनों के कार्य एक ही प्रकार के हैं. दोनों अलग अलग संस्थाएं है तथा अपने तरीके से सेवाएं देती हैं. NSDL डिपाजिटरी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की सर्विसेज के लिए है और वही CDSL डिपाजिटरी बॉमबे स्टॉक एक्सचेंज की सर्विसेज के लिए है.
जब एक निवेशक किसी स्टॉक ब्रोकर से अपना डीमैट खाता खुलवाता है तो ब्रोकर द्वारा किसी एक डिपाजिटरी को चुना जाता है कि किस डिपाजिटरी में वह डीमैट खुलवाएं.
आप अपने डीमैट अकाउंट में पता कर सकते है कि इसे NSDL और CDSL में से किस डिपाजिटरी में खोला गया है इसका पता भी कर सकते हैं जिसका तरीका इस प्रकार हैं.
आपका Demat Account किस डिपाजिटरी में हैं? कैसे पता करे
अगर आप अपने Demat Account की डिपाजिटरी को चेक करना चाहते है कि आपका डीमैट खाता किस डिपाजिटरी में खुला है इसे चेक करना है तो दो बेहद आसान तरीके हैं.
जब कभी आपका Demat Account अकाउंट ओपन होता है रजिस्टर्ड ईमेल पर डिपाजिटरी की ओर से वेलकम मेल प्राप्त होता है. जैसे आपको [email protected] एड्रेस के साथ मेल आई तो इसका आशय है आपका Demat Account, CDSL में ओपन हुआ हैं.
इसी तरह NSDL से वेलकम मेल आई है तो आपका Demat Account, NSDL में ओपन हुआ है. अगर आपने डीमैट खाता बहुत समय पहले खुलवाया है तथा वेलकम मेल आपके पास सुरक्षित नहीं है. ऐसे में आपको डिपाजिटरी की जांच करने के लिए अपनी id को चेक करना पड़ेगा.
अगर आपका Demat Account NSDL में है तब आपकी आईडी के दो शुरूआती कोड IN होंगे तथा इसके बाद 14 डिजिट होंगे. वहीँ आपका डीमैट खाता CDSL में खुला है तो आपके ID में कुल 16 डिजिट होंगे.
डिपाजिटरी के कार्य (Work of Depository in Hindi)
एक डिपाजिटरी के क्या क्या कार्य होते है इन्हें हम निम्न बिन्दुओं में समझ सकते हैं.
- जब कोई निवेशक शेयर बाजार में अपना डीमैट खाता खुलवाता है तो स्टॉक ब्रोकर को डीमैट खाता Depository ही ओपन करके देती हैं.
- Depository द्वारा निवेशक के समस्त शेयर, फंड एवं सिक्योरिटीज का रिकॉर्ड रखती हैं.
- इलेक्ट्रॉनिक रूप में शेयर Depository में ही स्टोर रहते हैं.
- नियमित होने वाले शेयर्स के ट्रांजेक्शन भी Depository द्वारा सम्पन करवाए जाते हैं.
- ट्रेडिग व लेन देन के समस्त विवरण की जिम्मेदारी Depository के पास होती हैं.
डिपाजिटरी के फायदे (Advantage of Depository in Hindi)
डिपाजिटरी सिस्टम के निवेशक को कई प्रकार के लाभ व सुविधाएं मिलती है जो इस प्रकार हैं.
- अब निवेशक को अपने शेयर के रिकॉर्ड के रूप में कोई सर्टिफिकेट सम्भाल के रखने की आवश्यकता नहीं है. डिपाजिटरी ने इलेक्ट्रॉनिक शेयर और डीमैट अकाउंट की अवधारणा को जन्म दिया हैं.
- डिपाजिटरी सभी प्रकार के ऑनलाइन लेन देन करता है जिससे कागज और खपत तथा समय की बहुत सी बचत हो जाती हैं.
- परम्परागत शेयर बाजार के लेन देन में अत्यधिक समय लगता था. डिपाजिटरी आने के बाद बहुत कम समय में शेयर्स का आदान प्रदान सम्भव हो पाया हैं.
- बेड डिलीवरी, फर्जी सर्टिफिकेट या धोखाधड़ी जैसे मामले अब निवेशकों के सामने बहुत कम आती हैं.
FAQ
Q. हमारे देश में मुख्य रूप से कौन कौनसी डिपाजिटरी हैं?
Ans: NSDL और CDSL भारत की दो प्रमुख डिपाजिटरी है जो नेशनल स्टॉक एक्सचेंज तथा बोम्बे स्टॉक एक्सचेंज का प्रतिनिधित्व करती हैं.
Q. डिपाजिटरी का शाब्दिक अर्थ है?
Ans: हिंदी में इसे गोदाम या भंडार कहा जा सकता हैं.
Q. शेयर मार्केट में डिपाजिटरी क्या काम करती है?
Ans: डिपाजिटरी एक शेयर मार्केट की अहम संस्थान है जो निवेशकों के शेयर, म्यूच्यूअल फण्ड, सिक्योरिटीज आदि को डिजिटल अवस्था में अपने पास सुरक्षित करती है तथा उनके लेन देन का हिसाब किताब भी करती हैं.
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उम्मीद करते है फ्रेड्स डिपॉजिटरी क्या है इसके कार्य | What is Depository in Hindi का यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा. डिपॉजिटरी के बारे में दी जानकारी आपको पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.
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