नमस्कार दोस्तों आज का निबंध, दशहरा पर निबंध Dussehra Essay In Hindi And English Language दिया गया हैं. हिंदी और अंग्रेजी भाषा में दशहरा यानी विजयादशमी त्यौहार पर आसान भाषा में यहाँ दो तीन छोटे बड़े निबंध दिए गये हैं. उम्मीद करते है आपको ये लेख पसंद आएगा.
दशहरा पर निबंध Dussehra Essay In Hindi And English
Short Dussehra Essay In Hindi Language: Dusshera also called Vijayadashami, it is an important festival of India. before 20 days of Diwali Dussehra celebrated, this Dussehra Essay In Hindi And English helpful for students and kinds.
students they read in class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10. if you searching Dussehra festival Essay long and short length giving the blow.
आज का निबंध, दशहरा पर निबंध 2024 Dussehra Essay In Hindi पर दिया गया हैं. विजयादशमी हिन्दुओं का महत्वपूर्ण त्यौहार है. स्कूल स्टूडेंट्स के लिए सरल भाषा में यहाँ दशहरा क्या है कब और कैसे मनाते है इसके इतिहास और महत्व पर यहाँ निबंध दिया गया हैं.
हमारे यहाँ पर साल भर तीज त्यौहार मनाए जाते हैं, जिनमे कुछ तीज और कुछ महत्वपूर्ण फेस्टिवल होते हैं. दशहरा हिन्दू धर्म का महत्वपूर्ण त्यौहार हैं. जिन्हें विजयादशमी भी कहते हैं.
दशहरा पर निबंध (Dussehra Essay) में हम जानेगे आखिर यह पर्व क्यों मनाया जाता है, तथा दशहरा कब हैं. सरल भाषा में लिखे इस हिंदी निबंध लेखन को आप अपने विद्यालय के कार्यक्रम में भी प्रस्तुत कर सकते हैं.
1# Dussehra Essay In English
Dussehra is an important festival of the Hindus. it falls in the month of October. it is celebrated in honor of Rama’s victory over Ravana.
it is celebrated for ten days. in the first nine days, there are dramas. they are based on Ramayana. they tell us that Rama was an obedient son.
he kept his word of honor. he was very brave. he was sacrificing. he was a loving brother and good husband.
on the tenth day, a big fair is held. huge effigies are set up. they are of Ravana, his son meghnath and his brother Kumbh Karan.
they made of bamboos and paper. fireworks are kept inside. in the evening a procession comes. it represents Rama, Lakshmana, and their armies.
at sunset, Rama shoots arrows at the effigies. the Dussehra festival has a lesson for us. it shows the victory of goodness over evils.
2# दशहरा पर निबंध- Dussehra Essay In Hindi
दशहरा हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। यह अक्टूबर के महीने में मनाया जाता है। यह रावण पर राम की जीत के सम्मान में मनाया जाता है।
यह दस दिनों तक भारतभर में मनाया जाता है। पहले नौ दिनों में, रामायण पर आधारित नाटक होते हैं। वे हमें बताते हैं कि राम एक आज्ञाकारी पुत्र थे वों एक आदर्श पुरुष थे,
तथा सभी के साथ उनके रिश्ते आदर्श रूप में राम ने निभाया। राम बड़े साहसी थे। तथा बहादुर वीर योद्धा थे, वो एक अच्छे भाई व पति थे.
दशहरे के दसवें दिन एक बड़ा मेला आयोजित किया जाता है. रावण उसका पुत्र मेघनाथ व भाई कुंभकर्ण के विशाल पुतलें बनाए जाते है. जिन्हें बाँस व कागज से बनाया जाता है,
तथा इसके अंदर विस्फोटक सामग्री भरी जाती है. दशहरा की रात को विशाल शोभायात्रा निकाली जाती है, जिनमें कलाकारों को राम, लक्ष्मण व उनकी सेना के रूप में सजाया जाता है.
रात के समय इन पुतलों में राम द्वारा तीर चलाकर रावण की हत्या की जाती है. बुराई पर अच्छाई, असत्य पर सत्य की विजय के प्रतीक के रूप में दशहरा का नाटक मनाया जाता है.
3# दशहरा पर निबंध
हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में दशहरा भी एक त्यौहार है. यह आसोज सुदी दशमी को मनाया जाता है. ऐसा माना जाता है. कि इस दिन भगवान राम ने राक्षसों के राजा रावण को मारकर विजय प्राप्त की थी. इसलिए इस दिन को विजयादशमी भी कहते है.
दशहरा शरद ऋतू का एक महत्वपूर्ण त्योहार है. दस दिन पहले से जगह जगह पर रामलीला शुरू होती है. दशमी के दिन रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले जलाएं जाते है. इन पुतलों पर फटाखें बांधे जाते है. इससे अनेक प्रकार की आवाजे निकलती है.
इस मौके पर भगवान श्रीराम, सीता और लक्ष्मण की झांकी भी निकलती है. दशहरा पर क्षत्रिय लोग अपने शस्त्रों की पूजा करते है. दशहरा का त्योहार पाप पर पूण्य की और असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है. इससे हमें अच्छे कर्म करने की प्रेरणा मिलती है.
4# दशहरा पर निबंध / Essay on Dussehra in Hindi
हमारे देश भारत में कई त्योहार जैसे होली, दीपावली, रक्षाबंधन, ईद, क्रिसमस, दशहरा आदि त्योहार प्रमुखता से मनाया जाता है. दशहरा आश्विन माह की शुक्ल पक्ष की दशमी के दिन मनाया जाता है. ऐसा माना जाता है, कि इसी दिन भगवान राम ने रावण पर विजय पाई थी, इसलिए इसे विजयदशमी भी कहा जाता है.
इससे पूर्व नौ दिन नवरात्र होते है. इन दिनों जगह जगह रामलीलाएं होती है. दसवें दिन रावण वध की लीला होती है और रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले जलाए जाते है.
इस प्रकार यह त्योहार अन्याय पर न्याय, असत्य पर सत्य और अधर्म पर धर्म की विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. विजयादशमी मानव जाति का विजय पर्व है.#
दशहरा क्यों मनाया जाता है– इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था, इसी उपलक्ष्य में दशहरा मनाया जाता है.
दशहरे को विजयदशमी क्यों कहते है– भगवान राम ने लंका विजय के समय समुद्र तट पर नौ दिन तक भगवती विजया की आराधना की थी. भगवती की कृपा से दुष्ट रावण पर राम ने विजय पाई थी. इसलिए दशहरा को विजयादशमी भी कहा जाता है.
कैसे मनाया जाता है दशहरा का त्योहार– वर्तमान समय में अपने पारंपरिक रीती रिवाजों के अलावा जगह-जगह मेले आयोजित किये जाते है. जिसमें राम और रावण से जुडी हुई झांकिय होती है. शाम के समय रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों का दहन किया जाता है.
दशहरा पर रावण का पुतला क्यों जलाया जाता है– दशहरे पर प्रतिवर्ष रावण के पुतले जलते हुए देखकर हमारे मन में यह बात दृढ़ हो जाती है कि अत्याचारी का न केवल अंत बुरा होता है, बल्कि आने वाली पीढियाँ भी उनके कुकृत्यों को कभी क्षमा नही करती है.
विजयादशमी (दशहरा) की रामलीला– रामलीला में श्रीराम के जन्म का, सीता- स्वयंवर, लक्ष्मण परशुराम संवाद, सीता हरण, हनुमान द्वारा लंका दहन, लक्ष्मण मेघनाद युद्ध और रावण वध आदि कथा प्रसंगों का प्रदर्शन होता है.
दशहरा की कथा– विजयादशमी को लेकर ऐसी पौराणिक कथा है कि समुद्रतट पर राम ने नौ दिन तक भगवती विजया की उपासना की थी. दसवें दिन रावण पर विजय पाई थी.
ऐसी कथा भी है कि इसी दिन पांडवों ने अन्यायी कौरवों पर विजय पाई थी. इसी तिथि पर देवताओं के राजा इंद्र ने वृत्रासुर नामक दैत्यराज को हराया था. दशमी तिथि को विजय नामक मुहूर्त होता हैं, जो सभी कार्यों में सिद्धिदायक होता है.
दशहरा का महत्व– विजयादशमी के दिन ही श्रीराम ने अन्यायी और दुष्ट रावण पर विजय पाई थी. कौरवों पर पांडवों को और वृत्रासुर दैत्य पर देवराज इंद्र को विजय मिली थी.
इस प्रकार इस त्योहार से अन्याय पर न्याय की, असत्य पर सत्य की और अधर्म पर धर्म की विजय की सीख मिलती है. जो कोई अत्याचार या कुकृत्य करता है, उसका विनाश अवश्य होता है. इसलिए हमें भी बुरे कार्यों से दूर रहना चाहिए.
शमी वृक्ष की पूजा- दशहरे के दिन शमी अर्थात खेजड़ी के वृक्ष की पूजा की जाती है. इसके पीछे लोगो की धारणा यह है, कि शमी वृक्ष की पूजा से द्रढ़ता और तेजस्विता प्राप्त होती है.
5# दशहरा पर निबंध 2024 | Dussehra Essay In Hindi
हमारा देश त्योहारों का देश हैं. होली दीपावली, रक्षाबंधन, ईद, क्रिसमस, दशहरा आदि त्यौहार सम्पूर्ण भारत में आनन्द और उल्लास के साथ मनाए जाते हैं.
दशहरा हमारे देश का प्रसिद्ध त्यौहार हैं. यह त्यौहार आशिवन माह में शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता हैं. यह वर्षा की समाप्ति और शरद के आगमन का प्रतीक हैं.
दशहरे से पहले नों दिन की अवधि को नवरात्र कहते हैं. ये शारदीय नवरात्र कहलाते है. इन नों दिनों में बड़ी धूमधाम से माँ दुर्गा के नों रूपों की सेवा पूजा की जाती हैं.
नवरात्र का प्रथम दिन कलश स्थापना का होता हैं एवं अंतिम दिन अर्थात दसवां दिन विजयादशमी के रूप में मनाया जाता हैं. हमारे देश में विजयादशमी (दशहरा) का इतिहास बहुत साल पुराना हैं.
निश्चयपूर्वक नही कहा जा सकता कि यह पर्व कब से मनाया जा रहा हैं. इस पर्व के साथ कई पौराणिक कथाएँ जुड़ी हुई हैं. ऐसा माना जाता है की सवर्प्रथम अयोध्या के राजा राम ने शारदीय नवरात्र प्रारम्भ की थी उन्होंने लंका विजय के समय समुद्र तट पर नों दिन तक भगवती (विजया) की आराधना की थी.
भगवती की कृपा से उनमे अपार शक्ति का संचार हुआ. तत्पश्चात दशमी के दिन लंका के राजा राक्षसराज रावण का वध करके एक अन्यायी से संसार को मुक्ति दिलाई थी. इसलिए दशहरे को विजयादशमी भी कहा जाता हैं.
यह भी माना जाता हैं कि इस तिथि को वीर पांड्वो ने अन्यायी कौरवों पर विजय प्राप्त की थी.इसी तिथि को देवताओं के राजा इंद्र ने व्रतासुर नाम के दैत्य को हराया था.
इस दशमी तिथि को विजय नामक मुहूर्त होता हैं, जो सम्पूर्ण कार्यो में सिद्धकारक होता हैं. अत: प्राचीनकाल में राजा लोग इसी दिन विजय यात्रा प्रारम्भ करते थे.
सरस्वती-पूजा, शस्त्र पूजा, दुर्गा विसर्जन, नवरात्र पारायण तथा विजय प्राण इस पर्व के महान कर्म हैं. शास्त्रकारों के अनुसार इस दिन शमी वृक्ष ( खेजड़ी) का पूजन किया जाता हैं.
लोगों का विशवास हैं कि शमी वृक्ष की पूजा से द्रढ़ता और तेजस्विता प्राप्त होती हैं. इस दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन को शुभ माना जाता हैं. विजयादशमी के पर्व का सबसे बड़ा आकर्षण रामलीला हैं. आश्विन माह में शुक्लपक्ष प्रारम्भ होते ही जगह-जगह रामलीला होने लगती हैं. और दशमी के दिन रावण का वध के साथ उसका समापन होता हैं.
हमारे देश में रामलीला का इतना प्रचार हैं कि छोटे-बड़े शहरों नगरो के अतिरिक्त गाँवों में भी लोग बड़े उत्साह से रामलीला का आयोजन करते हैं. बड़े-बड़े शहरों में प्रसिद्ध रामलीला-मंडलियो द्वारा रामलीला की जाती हैं. गाँवों में वहां के लोग लोग स्वय अभिनेता बनकर रामलीला करते हैं.
रामलीला का प्रदर्शन प्राय: तुलसीदासजी के प्रसिद्ध गन्थ रामचरित्रमानस के आधार पर होता हैं. राम जन्म, सीता स्वयवर, लक्ष्मण परशुराम संवाद, सीता हरण, हनुमान जी द्वारा लंका दहन, लक्ष्मण मेघनाद युद्ध रामलीला के आकर्षक प्रसंग हैं.
रामलीला के दिनों की चहल-पहल देखने लायक होती हैं. देर रात तक दर्शको का आना जाना लगा रहता हैं. विजयादशमी को मेला लगता हैं. दोपहर से ही सड़को पर रंग-बिरंगी पोशाक पह्ने महिलाएं, बच्चे,बूढ़े, जवान सभी मेले में जाते दिखाई देते हैं.
इस दिन बाजार की रौनक बदल जाती हैं. कई प्रकार की दुकाने, झूले, डोलर सज जाते हैं. जहाँ विजयादशमी का मेला लगता हैं, वहाँ एक तरफ मैदान में लंका नगरी का परकोटा तथा रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाद के पुतलों को स्थापित किया जाता हैं.
रावण का रूप विशाल और विकराल होता हैं, पुतला बनाने में लकड़िया, बांस की खपच्चिया, रंग बिरंगे कागज और पटाखे आदि काम में लिए जाते हैं.
इस दिन गाँव कई जगह जुलुस भी निकाला जाता हैं, जुलुस में राम,लक्ष्मण, हनुमान तथा वानर सेना की झांकिया सजी रहती हैं. यह जुलुस मुख्य मार्गो से होता हुआ मैदान तक पहुचता हैं.
सूर्यास्त के समय राम द्वारा रावण व कुम्भकर्ण के पुतलों को तथा लक्ष्मण द्वारा मेघनाद के पुतले को जलाया जाता हैं. ये पुतले धू-धू कर जलते हैं, इसमे भरे फटाखे छुटने लगते हैं.
इस द्रश्य को देखकर सब लोग रामचन्द्र की जय का उद्घोष करते हुए प्रसन्नता व्यक्त करते हैं. इस प्रकार दशहरे का त्यौहार अन्याय पर न्याय की, असत्य पर सत्य की और अधर्म पर धर्म की विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता हैं.
अत्याचारी रावण को प्रतिवर्ष जलते हुए देखकर हमारे मन में यह बात दृढ हो जाती हैं कि अत्याचारी का न केवल अंत बुरा होता हैं वरन आने वाली पीढ़िया भी उनके कुकृत्यो की कभी क्षमा नही करती, विजयादशमी मानव जाति का विजय पर्व हैं.
6# दशहरा 2024 पर छोटा निबंध कब क्यों और इसका महत्व
दशहरा हिन्दुओं का मुख्य पर्व है जो आश्विन महीने के नवरात्र के बाद शुक्ल दशमी पर मनाया जाता है. इसे दुर्गा पूजा और विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है.
असत्य पर सत्य की, बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में दशहरा के दिन ही भगवान श्रीराम ने अत्याचारी रावण का वध किया था. भारतवर्ष में दशहरा के अवसर पर गाँव गाँव व शहर शहर में रावण के पुतले जलाएं जाते है.
मैसूर का दशहरा, गुजरात का डांडिया नृत्य व पश्चिम बंगाल की दुर्गा पूजा दशहरा पर आकर्षण का केंद्र होते है. दशहरा (विजय/विजयादशमी) एक धार्मिक पर्व है जिनमे धर्म, आस्था और उत्साह का अनोखा संगम देखने को मिलता है.
आश्विन शुक्ल की एकम से माँ दुर्गा जिन्हें शक्ति की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती है. कि पूजा आराधना आरम्भ हो जाती है. भक्त दुर्गा को खुश करने के लिए नवरात्र में उपवास रखते है.
कुल्लू तथा मैसूर का दशहरा पर्व दुनियाभर में जाना जाता है. धार्मिक कथाओं के अनुसार आश्विन दशमी के दिन ही राम जी दैत्य रावण का वध किया था.
दशहरा मनाने का कारण- दशहरा मनाने के पीछे कई कारण जुड़े हुए है. हिन्दू धर्म में प्रचलित पौराणिक कथाओं के मुताबिक आश्विन प्रतिपदा से भगवान् राम और राम का युद्ध आरम्भ हुआ था. जो दस दिन तक चला था.
दस दिन की अवधि तक चले इस युद्ध में रावण को मारने के लिए रामजी ने नौ दिन तक शक्ति की देवी माँ दुर्गा की पूजा की. फलस्वरूप दसवे दिन रावण को युद्ध के मैदान में मार डाला. तथा माता सीता को लेकर अयोध्या के लिए रवाना हुए.
इस विजय दिवस को हर साल विजयादशमी अथवा दशहरा के रूप में मनाकर रावण का दहन किया जाता है. दूसरी तरफ वर्षा ऋतू की समाप्ति के इस समय फसले पककर तैयार हो जाती है. तथा शरद ऋतू की शुरुआत के रूप में किसान इसे पर्व के रूप में मनाते है.
दशहरा मनाने का तरीका- विजयादशमी में देश भर के हर छोटे बड़े शहर में रावण का पुतला बनाकर जलाया जाता है. कई स्थानों पर दशहरे मेले भी लगते है, जिनमे कोटा का मेला विश्वप्रसिद्ध है. जिसे देखने लोग देश विदेश से आते है.
दशहरे के इस दस दिवसीय पर्व को आश्विन माह की पहली तारीख से रामलीलाओं का दौर शुरू होता है. जिनमें श्रीराम और सीता के जीवन पर आधारित कथा प्रस्तुती दी जाती है.
मुख्यत राजपूत जाति के लोग इस दिन अपने अस्त्र-शस्त्रों की पूजा भी करते है. शमी वृक्ष की पूजा के साथ ही श्रीराम जी की झांकी भी निकाली जाती है. बैंड बाजे सहित लोग श्रद्धा भाव से इस जुलुस में भाग लेते है.
दशहरे का मेला– हर गाँव शहर में दशहरे का मेला लगता है. जहाँ लोग दोपहर से बड़ी संख्या में एकत्रित होने आरम्भ हो जाते है. इस दिन बाजार खिलोनों, तस्वीरों तथा नए वस्त्रो व् मिठाइयो से अट्टे पड़े रहते है.
शाम शुरू होने से पूर्व तक रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाथ के विशालकाय पुतले तैयार किये जाते है. शहर कस्बे के सभी लोग पुरुषोतम श्रीराम के जयकारो के साथ इन पुतलों को जलाते है. भग्वान राम की आरती पूजा के इस इस दशहरे पर्व के मेले का आयोजन प्रसादी के साथ समाप्त किया जाता है.
दशहरे का महत्व- भारतीय जनमानस में त्यौहार और पर्व उत्साह और प्रेम का संचार करते है. जिनमे दशहरा मुख्य है.असत्य पर सत्य, अन्याय पर न्याय का यह पर्व प्रतीक है.
जो समाज में व्याप्त बुराइयों को मिटाने का संदेश देता है. इस प्रकार के धार्मिक त्यौहार आमजन में जोश और ख़ुशी का संचार करते है. लोग इस अवसर को मंगलकारी मानते है.
7# दशहरा निबंध अनुच्छेद Essay Paragraph On Dussehra In Hindi
दशहरा हिंदुओ का मुख्य त्यौहार है, दशहरा कब और क्यों मनाया जाता है. दशहरा के बारे में- सभी हिन्दू पर्वो में दशहरे का महत्वपूर्ण स्थान है. कोटा का दशहरा देशभर में प्रसिद्ध है इस दिन बंगाल में विशेष दुर्गापूजा का आयोजन भी किया जाता है.
हिंदी पंचाग के अनुसार यह विजय पर्व अश्विन महीने की दशवी तिथि को यानि शारदीय नवरात्र की समाप्ति पर मनाया जाता है. बुराई पर अच्छाई, असत्य पर सत्य के विजय पर्व दशहरा को विजयादशमी भी कहा जाता है. इसे मनाने का स्थान विशेष पर अलग अलग तरीके है. भारत के अतिरिक्त दशहरे को श्रीलंका और बांग्लादेश व अन्य देशों में रहने वाले धर्म के अनुयायी मनाते है.
इसे मनाने की मूल कथा भगवान् श्रीराम से जुड़ी हुई है., 14 वर्ष के वनवास में रावण द्वारा सीता का हरण कर लिया गया था. सीता को छुडाने व् अधर्मी का नाश करने के लिए राम जी ने रावण के साथ कई दिनों तक युद्ध किया.
शारदीय नवरात्रों के दिनों भगवान राम ने शक्ति की देवी दुर्गा की अराधना लगातार नौ दिनों तक की. दुर्गा के सहयोग से राम ने युद्ध के दसवें दिन रावण का वध कर उनके अत्याचारों से मानव जाती को बचाया.
इसी परम्परा को मानते हुए हम हर साल रावण, मेघनाथ और कुम्भकर्ण को बुराई का प्रतीक मानकर इनके पुतले दशहरे के दिन मनाते है. हंसी ख़ुशी के इस पर्व पर शारदीय नवरात्र की स्थापना पर कलश और मूर्ति स्थापना का विसर्जन भी इसी दिन किया जाता है.
वैसे दशहरा एक प्रतीक पर्व है दशहरे के पुतले को बुराई और समस्त प्रकार की अमानवीय प्रवृति का प्रतीक मानकर जलाया जाता है. ताकि हमारा समाज इस प्रकार की बुराइयों विक्रतियो से मुक्त हो सके. मगर आज दशहरा एक तमाचा मात्र बनकर रह गया है.
कहने भर को बुराई पर अच्छाई का दशहरा मनाने या रावण का दहन करने भर से समाज से बुराइयों का नाश नही होने वाला है. इस दिन हम सभी को अपना विश्लेष्ण करते हुए बुरी आदतों और विचार को त्यागने का संकल्प करना होगा. तभी सच्चे अर्थो में दशहरा मनाने का महत्व सार्थक सिद्ध होगा.
अश्विन की दसवी तिथि को दस सिर के रावण को सच में जलाना है तो काम, क्रोध, लोभ, मोह मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी इन दस बुरी प्रवार्तियो और आदतों का सर्वप्रथम हमे त्याग करना होगा.
मुख्य रूप से क्षत्रिय वर्ग दशहरा के दिन अपने अस्त्र शस्त्रों की पूजा अर्चना करते है. नवरात्रों के दौरान रामायण की कथा का वाचन होता है. जिसमे योग्य कलाकार राम, रावण, सीता, लक्ष्मण आदि रूप धारण कर मंचन करते है. दशहरे के दिन लकड़ी और काग़ज जिनमे फटाखो से भरे रावण, मेघनाथ और कुम्भकर्ण के पुतलों को तीर से मारकर जलाया जाता है.
कुछ मिनटों तक यह पुतला धू-धू कर जलता हुआ पटाखों की गूंज के साथ धरा पर गिर पड़ता है. लोग जय सिया राम के जयकारे करते हुए एक दुसरे को मिठाई से मुह मीठा करवाकर दशहरे की बधाई देते है.
दशहरा या विजयादशमी कथा पूजा विधि महत्व dussehra vrat katha Puja Vidhi importance Dates In India In Hindi
विजयादशमी यानी दशहरा फेस्टिवल इस साल 12 अक्टूबर 2024 को को भारत में मनाया जाएगा। यह पर्व आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता हैं। भगवान् राम ने इसी दिन लंका पर चढ़ाई करके विजय प्राप्त की थी।
ज्योतिर्निबन्ध में लिखा हैं कि आश्विन शुक्ल दशमी को तारा उदय होने के समय विजय नामक मुहूर्त होता हैं। दशहरा का यह मुहूर्त सभी कार्यों को सिद्ध करने वाला होता हैं।
विजयादशमी या दशहरा हमारा राष्ट्रीय पर्व हैं। मुख्य रूप से यह क्षत्रियों का त्यौहार है। दशमी के दिन रामचन्द्रजी की सवारी बड़ी सजधज के साथ निकाली जाती हैं और रावण वध लीला का प्रदर्शन होता हैं, दशहरे के दिन नीलकंठ का दर्शन शुभ माना जाता हैं।
दशहरा कब मनाया जाता हैं? (Dussehra 2024 Date) :
जैसा कि ऊपर विदित है, यह विजय पर्व आश्विन (आसोज) महीने की शुक्ल दशमी को दशहरा मनाया जाता हैं । शारदीय नवरात्र (आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से नवमी) के अगले दिन विजया दशमी एव इसके ठीक 20 दिन बाद हिंदुओं का सबसे बड़ा पर्व दीपावली आता हैं ।
वर्ष 2024 मे दशहरा का फेस्टिवल 12 अक्टूबर 2022 को मनाया जाएगा। इसके पूजा समय मुहूर्त समय की जानकारी नीचे दी गई हैं ।
दशहरा या विजयादशमी कथा (dussehra vrat katha kahani Story In Hindi Language) :
एक बार पार्वती ने पूछा कि लोगों मे दशहरा का त्योहार प्रचलित हैं, इसका क्या फल हैं? शिवजी ने बताया आश्विन शुक्ल दशमी को सांयकाल मे तारा उदय के समय विजय नामक काल होता हैं जो सब इच्छाओं को पूर्ण करने वाला होता हैं ।
शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने वाले राजा को इसी समय प्रस्थान करना चाहिए । इस दिन यदि श्रवण नक्षत्र का योग हैं तो और भी शुभ हैं ।
मर्यादा पुरुषोतम भगवान श्री राम ने इसी विजयकाल मे लंका पर चढ़ाई की थी । इसलिए यह दिन बहुत ही पवित्र माना गया हैं। और क्षत्रिय लोग इसे अपना प्रमुख त्योहार मानते हैं।
शत्रु से युद्ध करने का प्रसंग न होने पर भी इस काल मे राजाओं को अपनी सीमा का उल्लघन अवश्य करना चाहिए। अपने तमाम दल बल को सुसज्जित करके पूर्व दिशा मे जाकर शमी वृक्ष की पूजा करनी चाहिए।
शमी के सामने खड़ा होकर इस प्रकार ध्यान करे- हे शमी तू सब पापों को नष्ट करने वाला हैं और शत्रुओं को भी पराजय देने वाला हैं, तूने अर्जुन का धनुष धारण किया और रामचंद्र जी से प्रियवाणी काही।
पार्वती जी बोली- शमी पेड़ ने कब और किस कारण अर्जुन का धनुष धारण किया था तथा रामचन्द्र जी ने कब और कैसी प्रियवाणी कही थी, सो क्रपा कर समझाइए ।
शिवजी ने उत्तर दिया- दुर्योधन ने पांडवों को जुए मे हराकर इस शर्त पर वनवास दिया था कि वे बारह वर्ष तक प्रकट रूप से वन मे जहाँ चाहे फिरे, मगर एक वर्ष बिलकुल अज्ञात मे रहे।
यदि इस वर्ष में उन्हे कोई पहचान लेगा तो उन्हें बारह वर्ष और भी वनवास भोगना पड़ेगा। इस अज्ञातवास के समय अर्जुन अपना धनुष बाण एक शमी वृक्ष पर रखकर राजा विराट के यहाँ व्रहन्नला के वेश मे रह रहे थे।
विराट के पुत्र कुमार ने गौओं कि रक्षा के लिए अर्जुन को अपने साथ लिया और अर्जुन ने शमी के व्रक्ष पर से अपना हथियार उठाकर शत्रुओं पर विजय प्राप्त कि। शमी व्रक्ष ने अर्जुन के हथियारों की रक्षा की थी।
विजयादशमी के दिन रामचन्द्र जी ने लंका पर चढ़ाई करने के लिए प्रस्थान करने के समय शमी व्रक्ष ने कहा था कि आपकी विजय होगी। इसीलिए विजय मुहूर्त मे शमी वृक्ष कि भी पूजा होती हैं।
एक बार युधिष्टर के पुछने पर श्री क्रष्ण जी ने उन्हे बतलाया था हे राजन विजयादशमी के दिन राजा को स्वय अलंकरत होकर अपने दासों और हाथी घोड़ों का श्रंगार करना चाहिए तथा गाजे बाजे के साथ मंगलाचार करना चाहिए।
उसे उस दिन पुरोहित को साथ लेकर पूर्व दिशा में प्रस्थान करके अपनी सीमा के बाहर जाना चाहिए और वहाँ वास्तु पूजा केएआरकेई अष्टदिगपालों तथा पार्थ देवता की वैदिक मंत्रों से पूजा करनी चाहिए। शत्रु की मूर्ति अथवा पुतला बनाकर उसकी छाती में बाण लगाए और पुरोहित वेद मंत्रों का उच्चारण करे।
ब्राह्मणों की पूजा करके हाथी, घोड़ा, अस्त्र, शस्त्र का निरीक्षण करना चाहिए। यह सब क्रिया सीमांत में करके अपने महल को लौट आना चाहिए। जो राजा इस विधि से विजयादशमी या दशहरा करता हैं वह सदा अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता हैं।
दशहरा या विजयादशमी महत्व ( Dussehra / Vijayadashami Mahatv importance In Hindi)
बुराई पर अच्छाई की, असत्य पर सत्य की, अंधकार पर प्रकाश की विजय के रूप में मनाया जाने वाला दशहरा एक सांकेतिक हिन्दू विजय पर्व हैं। प्राचीन समय में विजयादशमी का पर्व मात्र क्षत्रिय वर्ग तक सीमित था।
आज उन वर्ण व्यवस्था के दायरे से बाहर निकलकर दशहरा सभी वर्ग, संप्रदाय के लोगों द्वारा मनाया जाता हैं। भारत के आधिकारिक त्योहार व पर्वों में भी विजयादशमी को प्रमुखता से गिना जाता हैं।
किसान, मजदूर, अभिनेता, सैनिक, राजनेता सभी व्यवसाय के लोगों द्वारा हर साल नवरात्र के बाद इस खुशी के पर्व को मनाकर समाज, मन से बुराइयों को समाप्त करने की परंपरा का पालन किया जाता हैं।
दशहरा पूजन विधि, Dussehra Puja Vidhi in Hindi
विजयादशमी या दशहरा के दिन किसी नए कार्य अथवा व्यापार की शुरुआत की जा सकती हैं। यदि आप कोई आभूषण अथवा कीमती सामग्री खरीदना चाहते हैं तो दशमी का यह अच्छा अवसर हैं। विजया दशमी 2022 पर ऐसे करें पूजन-
– पूजन कर्ता को सवेरे जल्दी उठकर अपने नित्य कर्मों से निव्रत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए।
– परिवार के जीतने भी सदस्य इस पूजा हवन मे शामिल होना चाहते है उन्हे नहा धोकर स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए।
– गाय के गोबर के दस कंडे बनाकर उन पर दही का लेपन करे।
– नवरात्रि कि स्थापना के समय जो जौ उगाए गए हैं उन्हे इन कंडो पर रखे।
– भगवान राम की प्रतिमा पर इन जौ को चढ़ाएँ।
– कई स्थानों पर इन्हें परिवारजनों के कान तथा सिर पर आशीर्वाद स्वरूप भी रखा जाता हैं।
– इस दिन शमी व्रक्ष की पूजा करनी चाहिए तथा शाम को रावण मेघनाद तथा कुंभकर्ण के दहन मे सम्मिलित होना चाहिए।