एटीएम पर निबंध Essay On Atm In Hindi

एटीएम पर निबंध Essay On Atm In Hindi; मित्रों एटीएम या स्वचालित गणक मशीन से हम सभी अच्छे से परिचित हैं. हमारे दैनिक जीवन में इसका अत्यधिक महत्व हैं पैसा खत्म होने पर बैंक जाने की बजाय सीधे एटीएम जाकर ही निकालते हैं.

आज के एटीएम निबंध, भाषण, स्पीच अनुच्छेद पैराग्राफ में हम जानेगे कि एटीएम मशीन क्या है कैसे काम करता हैं इसका इतिहास हमारे जीवन में महत्व तथा पैसे कैसे निकाले जाते हैं आदि.

Essay On Atm In Hindi

एटीएम पर निबंध Essay On Atm In Hindi

रोजमर्रा के जीवन में हम हर जगह डिजिटल मनी का उपयोग नहीं कर सकते हैं. कई सारे ऐसे काम होते है जिसके लिए केश नकद के रूप में भुगतान की आवश्यकता पड़ती हैं. जब हमारे पास नकद राशि खत्म होने लगती है तो हम एटीएम की ओर ही जाते हैं.

कुछ साल पहले तो अपने खाते में जमा धन की निकासी का काम बेहद मुशिकल भरा था. इसके लिए बैंक जाकर घंटों तक लाइन में भी खड़ा होना पड़ता था.

मगर अब धीरे धीरे हम एटीएम पर निर्भर होते जा रहे हैं. आज भी बहुत से लोग ऐसे है जो इसका इस्तेमाल करना नहीं जानते अथवा किसी कारण से करना नहीं चाहते हैं.

गडबडी के भय के कारण वे इस बेहतरीन सुविधा से वंचित रह जाते हैं. इसका एक कारण सही जानकारी एवं जागरूकता का अभाव होना भी हैं. अपने भीतर के डर को निकालकर इस बैंकिंग सेवा की ओर कदम बढ़ाने चाहिए.

एटीएम क्या है – What is ATM in Hindi

बैंक के प्रतिनिधि के रूप में काम करने वाली एटीएम एक स्वचालित मशीन होती हैं. आमजन को धन निकासी के लिए कम से कम कठिनाइयों का सामना करना पड़े इसके लिए बैंक द्वारा घनी आबादी के पास स्थित सार्वजनिक स्थलों में यह मशीन लगाई जाती हैं.

पूर्ण रूप से कंप्यूटर सिस्टम पर आधारित एटीएम मशीन बैंक सर्वर के साथ जुडी होती हैं. ग्राहक अपने एटीएम कार्ड को अटैच करने के बाद सिमित उपयोग के लिए ओपरेट कर सकता हैं.

कोई भी व्यक्ति अपने एटीएम कार्ड से इस मशीन से अकाउंट का बेलेंस देख सकता है उसकी रसीद निकाल सकता है तथा एक तय सीमा में धन की निकासी नकद के रूप में पा सकता हैं.

वर्ष 1967 में पहली बार एटीएम मशीन का उपयोग किया गया था, अगले पांच दशकों में इसने पूरे विश्व में अपनी पहचान बना ली हैं.

छोटे बड़े किसी देश में आप एटीएम मशीन को अवश्य देखेगे. इसके आने के बाद लोगों को धन की निकासी में बड़ी सुविधा दी है साथ ही कई तरह के भुगतानों को बेहद आसान कर दिया हैं.

एटीएम का फुल फॉर्म – Full form of ATM in Hindi and English

क्या आप जानते है कि एटीएम का फुल फॉर्म हिंदी व अंग्रेजी में क्या होता हैं. यदि नहीं तो जान लीजिए ATM की अंग्रेजी में फुल फॉर्म होती है AUTOMATED TELLER MACHINE – स्वचालित टेलर मशीन इसे हिंदी में स्वचालित गणक यंत्र के नाम से जाना जाता हैं.

एटीएम का आविष्कार किसने किया – Who invented ATM in Hindi

आज हम जिन बेहतरीन सुविधाओं का उपयोग कर रहे हैं हमें ये किसने दी किसके कारण हम आज इसका लाभ उठा रहे है इसकी जानकारी हमे होनी चाहिए. कहते है आवश्यकता ही आविष्कार की जननी होती है एटीएम के सबंध में ही ऐसा ही था.

हमारी बैंकिंग व्यवस्था इतनी जटिल हो चुकी थी कि व्यक्ति को छोटे से भुगतान के लिए पूरा दिन बैंक की सीढियों के पास ही गुजार देना पड़ता था. ऐसे समय में धन निकासी की सुविधा के लिए एक नयें विकल्प की आवश्यकता सभी ने महसूस की.

वर्ष 1967 में एटीएम मशीन का आविष्कार हुआ. इसके जन्मदाता जॉन स्टेफर्ड बर्रोन थे. शायद आप नहीं जानते होंगे जॉन एक भारतीय थे इसके माता पिता स्कोटिश थे मगर इनका जन्म मेघालय की राजधानी शिलांग में हुआ था.

जॉन का अधिकतर जीवन रोस शिरे के पोर्त्महोमैक में बीता. जॉन स्टेफर्ड को the man who invented cash machine अर्थात कैश मशीन का जनक भी कहा जाता हैं.

एटीएम कैसे काम करता है – How ATM works in Hindi

इस मशीन में दो तरह के इनपुट उपकरण कार्ड रीडर एवं कीपैड तथा चार तरह के आउटपुट उपकरण होते है इसमें ग्राहक के अतिरिक्त डिस्प्ले स्क्रीन, प्रिंटर रसीद और नकद जमाकर्ता होते हैं.

जब हम मशीन के अंदर कार्ड डालते है तो कार्ड रीडर नामक उपकरण इसके डेटा को रीड करता हैं. यह आपके बैंक खाते से जुड़े एटीएम नंबर की पहचान करता है कार्ड के पीछे की तरफ लगी मैग्नेटिक चिप कनेक्शन स्थापित करवाती हैं.

सफलतापूर्वक कार्ड स्वाइप होने के बाद होस्ट सर्वर द्वारा सम्बन्धित खाते की डिटेल्स डिस्प्ले स्क्रीन पर दिखाता हैं.

एटीएम मशीन के आउटपूट में एक किबोर्ड भी लगा रहता है जिस में 48 कुंजियाँ होती है. यह कोबोर्ड अपने बैंक लेन देन या किसी डिटेल्स जैसे पिन कोड, रकम, बैलेंस आदि के विवरण का पता करने में उपयोगी होता हैं.

प्रत्येक बैंक अपने ग्राहकों को एटीएम कार्ड जारी करते समय चार अंकीय गुप्त कोड भी देता हैं जिन्हें धन निकासी के समय दर्ज करना आवश्यक होता हैं.

एटीएम का इतिहास – History of ATM in hindi

आज हम जिस एटीएम सेवा का उपयोग धन के जमा करने और निकालने के लिए करते है, उसके आधुनिक स्वरूप में आने में कई वर्षों की यात्रा रही हैं. इस मशीन के निर्माण का श्रेय दो आविष्कारकों को जाता हैं.

पहला ओटोमेटेड मशीन अमेरिका के लूथर सिमजिन ने वर्ष 1960 में तैयार किया था. जो केवल चेक को डिपोजिट करने के उपयोग तक ही सीमित था. 1967 में स्कोटीश जॉन स्टेफर्ड ने एटीएम मशीन का निर्माण किया, उन्होंने इसे इंग्लैंड में रहते हुए बनाया था.

एटीएम मशीन के आविष्कार से जुडी सूझ मिस्टर स्टेफर्ड को मिली. इसके आविष्कार के तीन वर्ष बाद पिन की अवधारणा के लिए ब्रिटिश इन्जिनियर जेम्स गुडफेलो को चुना गया था. संसार में व्यक्ति की पहचान की अवधारणा को जन्म देने वाले ये ही इन्सान थे.

पूर्ण रूप से उपयोग हेतु एटीएम मशीन 1969 में अमेरिका में उपयोग में ली गई थी, जो प्लास्टिक के कार्ड स्वीकार किया करती थी आज हम उपयोग होने वाले कार्ड कुछ उन्ही के जैसे हैं.

इंटरनेट के आने के बाद सभी बैंकों ने इन्हें ही माध्यम बनाकर ए टी एम के साथ सम्बन्ध स्थापित किया जिससे समय की बचत व काम तेजी से भी होने लगा.

इस मशीन के आने के बाद सबसे बड़ा लाभ यह हुआ कि 24 घंटे कभी भी लेन देन किया जा सकता हैं. बैंक भले ही खुले न खुले वहां जाए बिना ही बैंक के समस्त कार्य किये जा सकते हैं.

एक अनुमान के मुताबिक़ दुनिया भर में ३ मिलियन के लगभग एटीएम है जबकि उपभोक्ताओं का आंकड़ा इससे हजारों गुणा अधिक हैं.

सेल्फ बैंकिंग के क्षेत्र में एटीएम ने अभूतपूर्व क्रांति को जन्म दिया हैं. बैंक द्वारा प्रदत्त डेबिट कार्ड का उपयोग एटीएम मशीन के अतिरिक्त ऑनलाइन लेन देन, खरीददारी, बुकिंग, बिल भुगतान आदि के लिए भी आसानी से किया जा सकता हैं.

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