बाल श्रम निबंध हिंदी में Essay On Child Labour In Hindi

आज हम बाल श्रम निबंध पर बात करने वाले हैं. Essay On Child Labour In Hindi में हम बाल मजदूरी क्या है इसके विभिन्न रूप क्या है? भारत में चाइल्ड लेबर को लेकर आंकड़े क्या दर्शाते है इन सभी पहलुओं को यहाँ जानेगे.

14 वर्ष से कम आयु के बालक बालिकाओं को किसी श्रम कार्य में लगाना बाल श्रम की श्रेणी में आता है, भारतीय संविधान में पूरी तरह से इसे प्रतिबंधित किया गया हैं. आए दिन हम बाल श्रमिकों के अभियान और इससे जुड़ी खबरे सुनते रहते हैं.

आज के निबंध में हम अलग अलग शब्द सीमा में विषय को समझाने वाले सरल अनुच्छेद वाले एस्से यहाँ उपलब्ध करवा रहे है, जो आपके लिए मददगार सिद्ध होंगे.

Essay On Child Labour In Hindi बाल श्रम निबंध हिंदी में

भारत में चाइल्ड लेबर अथवा बाल मजदूरी का अर्थ 14 वर्ष से कम आयु के बालक बालिकाओं को जोखिम भरे कामों में लगाने से हैं  भारत में 14 वर्ष से कम उम्रः का बच्चा यदि अपने दिन का अधिकांश हिस्सा कार्य करने में/श्रम / मजदूरी में लगाता हैं तो यह बाल श्रम कहलाता हैं.

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार 15 वर्ष से कम उम्रः का श्रमिक बाल श्रमिक बाल श्रमिक कहलाएगा. भारत में सर्वाधिक 79 प्रतिशत बाल श्रमिक कृषि में संलग्न हैं.

बाल श्रम निबंध 200 शब्दों में-

भारत में भगवान के बाल रूप में अनेक मंदिर हैं, जैसे बाल गणेश, बाल हनुमान, बाल कृष्ण एवं बाल गोपाल इत्यादि. भारतीय दर्शन के अनुसार बाल रूप को स्वयं भगवान का अवतार माना जाता हैं. धुर्व, प्रहलाद, लव कुश एवं अभिमन्यु आज भी भारत में सभी के दिल दिमाग में बसे हैं.

आज के समय में गरीब बच्चों की स्थिति अच्छी नही हैं. बाल श्रम समाज की गम्भीर बुराइयों में से एक हैं. गरीब बच्चों का भविष्य अंधकारमय हैं.

पूरे समाज में गरीब बच्चों की उपेक्षा हो रही हैं. तथा उन्हें तिरस्कार का सामना करना पड़ता हैं. उन्हें स्कूल से निकाल दिया जाता है और शिक्षा से वंचित होना पड़ता हैं.

साथ ही बाल मजदूरी हेतु मजबूर होना पड़ता हैं. समाज में गरीब लड़कियों की स्थिति और भी नाजुक हैं. नाबालिग बच्चे घरेलू नौकर के रूप में काम करते हैं.

वे होटलों कारखानों, दुकानों एवं निर्माण स्थलों में कार्य करते हैं. और रिक्शा चलाते भी दीखते हैं. यहाँ तक कि वे फैक्ट्रियों में गम्भीर एवं खतरनाक काम के स्वरूप को भी अंजाम देते दिखाई पड़ते हैं.

बाल मजदूरी पर निबंध 250 शब्दों में

भारत में बाल श्रम अथवा बाल मजदूरी आम बात हैं.  इस कलंक के पीछे जुडे सामाजिक आर्थिक कारणों, सरकार द्वारा इसे रोकने के लिए बनाये गये एक्ट (कानून) व रोकथाम के उपायों पर जानकारी दी गई हैं. बालश्रम की इस समस्या ने करोड़ों बच्चों के बचपन को अजगर की तरह निगल डाला हैं.

समाज को इस दिशा में जागरूक होकर इसे रोकने के लिए और शख्त कदम उठाने की आवश्यकता हैं. यह न सिर्फ उन गरीब मासूम बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हैं बल्कि उनके मानवाधिकारों का भी हनन हैं

बालश्रम का अर्थ उस कार्य को करने वाले बालक से है जो विधि द्वारा नियत न्यूनतम आयु से कम आयु वर्ग का हो. आज हमारे समाज में बाल मजदूरी एक अभिशाप की तरह बन गया हैं. जहाँ बच्चों के पढने और खेलने कूदने की उम्रः होती हैं.

उस समय उन्हें परिवार को चलाने की जिम्मेदारी तथा अनियमित रूप से कार्य पर जाना पड़ता हैं. भले ही बाल श्रमिक अधिक आय का अर्जन नही कर पाते हो मगर गरीब माँ बाप की रोजी रोटी के लिए उन्हें यह कार्य विवशता के कारण करना पड़ता हैं.

स्कूल, खेल, प्यार-स्नेह, आत्मीयता ये कुछ ऐसे शब्द है जो एक बाल श्रमिक के लिए ड्रीम वर्ड बनकर रह जाते हैं. सरकार द्वारा 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को खतरनाक कार्य में लगाना अवैधानिक घोषित कर रखा हैं.

मगर भारत में बाल श्रम की समस्या का मूल कारण गरीबी हैं इस कारण इसे इतनी आसानी से समाप्त कर देना संभव नही हैं. आमजन में इस कुप्रथा के प्रति जागरूकता फैलाने के साथ  ही उन्हें आर्थिक मदद देकर मासूम बच्चों के भविष्य को इस दलदल में फसने से बचाया जा सकता हैं.

बाल श्रम निबंध 300 शब्दों में

भारतीय संविधान 1950 के अनुच्छेद 24 के अनुसार 14 वर्ष से कम आयु के किसी भी फैक्ट्री अथवा खान में नौकरी नही दी जाएगी. इस सम्बन्ध में भारतीय विधायिका ने फैक्ट्री एक्ट 1958 एवं चिल्ड्रन एक्ट 1960 में भी उपबन्ध किये हैं.

बाल श्रम एक्ट 1986 इत्यादि बच्चों के अधिकारों को सुरक्षित रखने हेतु भारत सरकार की पहल दर्शित करते हैं. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 49 के अनुसार राज्यों का कर्तव्य है कि वे बच्चों हेतु आवश्यक निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था करे.

गत कुछ वर्षों से भारत सरकार एवं राज्य सरकारों द्वारा इस सम्बन्ध में प्रशंसा योग्य कदम उठाए गये हैं. बच्चों की शिक्षा एवं उनकी बेहतरी के लिए अनेक कार्यक्रम व नीतियाँ बनाई गई हैं. तथा इस दिशा में सार्थक प्रयास किये गये हैं. किन्तु बाल श्रम (बाल मजदूरी) की समस्या आज भी ज्यो की त्यों बनी हुई हैं.

इसमें कोई शक नही हैं कि बाल श्रम की समस्या का जल्द से जल्द कोई समाधान निकाला जाए. यह एक गम्भीर सामाजिक चुनौती हैं तथा इसे जड़ से समाप्त करना आवश्यक हैं.

बाल श्रम निबंध 400 शब्दों में

बाल मजदूरी भारत में बड़ा सामाजिक मुद्दा बनता जा रहा हैं जिसे नियमित आधार पर हल करना चाहिए, ये केवल सरकार की जिम्मेदारी नही हैं.

बल्कि इसे सभी सामाजिक संगठनों, मालिकों और अभिभावकों द्वारा भी समाधित किया जाना चाहिए. यह मुद्दा सभी के लिए हैं. जोकि व्यक्तिगत तौर पर सुलझाना चाहिए, क्योंकि ये किसी के भी बच्चें के साथ हो सकता हैं.

भयंकर गरीबी और खराब स्कूली मौके की वजह से बहुत सारे विकासशील देशों में बाल मजदूरी आम बात हैं. बाल मजदूरी की उच्च दर अभी भी 50 प्रतिशत से अधिक हैं. जिसमें 5 से 14 साल तक के बच्चें विकासशील देशों में काम कर रहे हैं.

कृषि क्षेत्र में बाल मजदूरी की दर सबसे उच्च हैं. जो ज्यादातर ग्रामीण और अनियमित शहरी अर्थव्यवस्था में दिखाई देती हैं. जहाँ कि अधिकतर बच्चें अपने दोस्तों के साथ खेलने और स्कूल भेजने की बजाय प्रमुखता से अपने माता-पिता द्वारा कृषि कार्यों में लगाये जाते हैं.

बाल मजदूरी इंसानियत के लिए अपराध हैं जो समाज के लिए श्राप बनता जा रहा हैं तथा देश के वृद्धि एवं विकास में बाधक के रूप में बड़ा मुद्दा हैं. बचपन जीवन का सबसे यादगार क्षण होता हैं. जिसे हर एक को जन्म से जीने का अधिकार हैं.

बच्चों को अपने दोस्तों के साथ खेलने का, स्कूल जाने का, माता-पिता के प्यार और परवरिश के एहसास करने का तथा प्रकृति की सुन्दरता का आनन्द लेने का पूरा अधिकार हैं.

जबकि केवल लोगों की गलत समझ की वजह से बच्चों को बड़ों की तरह जीवन के हर जरुरी संसाधनो की प्राप्ति के लिए उन्हें अपना बचपन कुर्बान करना पड़ रहा हैं.

5 से 14 साल तक के बच्चों का अपने बचपन से ही नियमित काम करना बाल मजदूरी कहलाता हैं. विकासशील देशों में बच्चें जीवन जीने के लिए बेहद कम पैसों पर अपनी इच्छा के विरुद्ध जाकर पूरे दिन कड़ी मेहनत करने के लिए मजबूर हैं.

वो स्कूल जाना चाहते हैं और दूसरे अमीर बच्चों की तरह अपने माता-पिता का प्यार और परवरिश पाना चाहते हैं लेकिन दुर्भाग्यवश उन्हें अपनी इच्छाओं का गला घोटना पड़ता हैं.

विकासशील देशों में, खराब स्कूलिंग मौके, शिक्षा के लिए कम जागरूकता और गरीबी की वजह से बाल मजदूरी की दर बहुत अधिक हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में अपने माता-पिता द्वारा कृषि कार्य में शामिल 5 से 14 साल तक के ज्यादातर बच्चें पाए जाते हैं. पूरे विश्व में सभी विकासशील देशों में बाल मजदूरी का मुख्य कारण गरीबी और स्कूलों की कमी हैं.

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