रोजगार पर निबंध Essay On Employment In Hindi

नमस्कार दोस्तों रोजगार पर निबंध Essay On Employment In Hindi पढेगे। यहाँ हम शिक्षा और रोजगार की समस्या पर स्टूडेंट्स के लिए सरल भाषा में निबंध लिखा गया हैं. कक्षा class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 के छात्र छात्राएं अपने प्रोजेक्ट के लिए इस निबंध की सामग्री की मदद ले सकते हैं.

वैश्विक परिदृश्य में कुछ भौगोलिक क्षेत्र दक्षिण एशियाई देशों तथा तीसरी दुनिया के देशों में रोजगार की विकट स्थिति हैं. रोजगार के अवसरों की कमी का एक बड़ा कारण यहाँ की तेजी से बढ़ती अनियंत्रित आबादी तथा कौशल शिक्षा का अभाव हैं.

आज के निबंध में हम रोजगार पर विस्तृत विवेचन करने जा रहे हैं. यहाँ हम जानेगे कि रोजगार का क्या आशय है वर्तमान स्थिति, चुनौतियां तथा बेरोजगारी को कम करने के उपाय क्या हैं.

रोजगार पर निबंध Essay On Employment In Hindi

रोजगार पर निबंध Essay On Employment In Hindi

प्रस्तावना

रोजगार प्रत्येक व्यक्ति से जुड़ा विषय है। हर कोई बेहतर से बेहतर रोजगार के अवसरों की तलाश में रहता है। विश्व में आज बेरोजगारी अथवा रोजगार की समस्या एक अहम मुद्दा है। बहुत अधिक आबादी और अवसरों की कमी के कारण लाखों लोग रोजगार पाने से वंचित रह जाते है।

सरल शब्दों में रोजगार का आशय आमदनी के स्रोत अथवा आजीविका का जरिया जिसे हम नौकरी के रूप से आसानी से समझ जाते है। निजी अथवा सरकारी माध्यम से रोजगार की प्राप्ति के बिना व्यक्ति की बुनियादी आवश्यकताओं रोटी, कपड़ा, मकान की पूर्ति सम्भव नहीं है।

आधुनिक समय में रोजगार के अनेकों क्षेत्र है। परम्परागत उद्यमों से लेकर सरकारी सेवाएं, बहुराष्ट्रीय कम्पनियां, निजी फर्म व्यवसाय, ऑनलाइन बिजनैस, छोटे बड़े उद्योग, मजदूरी आदि अनेकों क्षेत्र है। आजकल ऑनलाइन क्षेत्र में भी रोजगार के अवसर से लाखों परिवार लाभान्वित हो रहे है।

रोजगार के क्षेत्र

एक तरफ हम बेरोजगारी की समस्या की बात करते है तो दूसरी तरफ रोजगार के अवसरों और क्षेत्रों की बढ़ोतरी की बात भी ध्यान रखनी होती हैं.

आज के विद्यार्थी अपनी शिक्षा पूरी करने तक पार्ट टाइम जॉब कर सकते है। अथवा वे कौशल प्रशिक्षण के कोर्स के जरिये स्वयं का बिजनैस भी खोल सकते है।

तेजी बढ़ती आबादी और महंगाई की मार में अब परिवार के एक या दो सदस्यों के पास रोजगार होना पर्याप्त नहीं है। हरेक शिक्षित व्यक्ति को अब रोजगार की आवश्यकता पड़ रही है। यहाँ तक कि सेवानिवृत लोग और गृहणी भी किसी तरह के काम की तलाश में रहती है।

इंटरनेट ने भी घर बैठे लोगों को आजीविका के अवसर दिए है। ब्लोगिंग, यूट्यूब, मार्केटिंग, फ्रीलांसर राइटिंग, डिजायनिंग और कामर्स से जुड़े हजारों क्षेत्रों में भी रोजगार के अवसर पैदा हुए है। शिक्षित और पेशेवर लोगों के लिए ऑफिस जॉब की हर समय बड़ी मांग रहती है।

शिक्षा और रोजगार

वैसे शिक्षा अपने वास्तविक स्वरूप में किसी तरह रोजगार को पैदा करने वाली शक्ति या इस प्रयोजन हेतु नहीं दी जाती थी। शिक्षा का आशय व्यक्ति की शक्तियों का विकास करना माना जाता था।

हालांकि अच्छी शिक्षा के दम पर व्यक्ति अच्छा रोजगार अवश्य पाता था। आधुनिक शिक्षा प्रणाली को भी रोजगारपरक शिक्षा नहीं कहा जा सकता हैं. केवल सैद्धांतिक ज्ञान के भरोसे रोजगार अर्जन सम्भव नहीं हैं।

हालांकि समय की मांग के मुताबिक़ अब रोजगारोन्मुख व्यावसायिक शिक्षा के द्वार तेजी से खुल रहे हैं। ऐसे कोर्स की मदद से युवाओं को आजीविका के अवसर पैदा हो रहे है। परन्तु कुल मिलाकर आज की हमारी शिक्षा केवल साक्षरता का प्रमाण पत्र देने भर तक सिमित हैं.

रोजी रोटी का प्रश्न आज की ज्वलंत समस्या बन चूका है, खासकर शिक्षित बेरोजगारी के आंकड़े और अधिक भयानक है। हमारे देश में शिक्षा को रोजगारपरक बनाने की महत्ती आवश्यकता है

रोजगार की समस्या के बड़े कारण

यदि हम भारत के परिपेक्ष्य में बात करे तो देश में रोजगार के अवसरों की कमी का बड़ा कारण हमारी तेजी से बढ़ती आबादी हैं। देश में रोजगार के अनेकों क्षेत्र और अवसर है,

परन्तु अनियंत्रित बढ़ती आबादी के चलते प्रत्येक व्यक्ति को नौकरी देना अब सम्भव नहीं है। ऐसे में रोजगार के अवसर तभी जरूरतमंद को मिलेगे जब हम जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण हासिल कर लेंगे।

दूसरा बड़ा कारण कौशल प्रशिक्षण का अभाव है। हमारे देश में निपुण व्यावसायिक प्रशिक्षण का अभाव हैं, जिससे प्रशिक्षित युवा को आगे चलकर रोजगार मिल सके।

केवल बुनियादी शिक्षा से सरकारी नौकरियों तक रोजगार सिमित रह जाएगा। देश के युवाओं को व्यवासायिक शिक्षा दी जाए तो नौकरी के विकल्प वे स्वयं पैदा कर सकते है।

विकसित देशों में कई रोजगार के ऐसे क्षेत्र है जिनमें हमारे देश के युवा अभी भी अपनी पसंद जाहिर नहीं करते है। अभिभावक आज भी अपने बेटे बेटी को इंजीनियर, डॉक्टर, पायलट आदि ही बनाना चाहते है जिनकी सम्भावनाएं बहुत कम होती हैं।

आबादी को अवसर में न बदल पाना

किसी भी देश की प्रगति में मानवीय संसाधन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। हमारे देश में दुनिया के सबसे अधिक युवा रहते हैं मगर कुशलता के अभाव में उन्हें नौकरी नहीं मिल पाती हैं। भारत को जनसंख्या को बोझ के रूप में न लेकर इसे सुनहरे अवसर के रूप लेना चाहिए।

देश के युवाओं को सही ढंग से प्रशिक्षित किया जाए तो जिस तरह आज दुनिया में डोक्टर और सोफ्टवेयर इंजीनियर के फिल्ड में भारतीय युवा नेतृत्व कर रहे हैं, उसी तरह अन्य क्षेत्रों में भी अगुवाई करने की क्षमता और योग्यता हमारे यूथ में हैं।

निष्कर्ष

केवल देश में रोजगार के अवसरों को बढ़ाकर ही रोजगार की समस्या को खत्म नहीं किया जा सकता है। इसके लिए हमें शिक्षा से लेकर हमारी व्यवस्था में एक नयें तंत्र को अपनाना पड़ेगा। जिससे निरंतर प्रशिक्षित युवा आगे बढ़ सके।

ऐसा करके देश में बेरोजगारी की समस्या को तो खत्म किया ही जा सकता है साथ ही देश की अर्थव्यवस्था और आम जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार किया जा सकता है। 

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