फेरीवाला पर निबंध Essay on Feriwala in Hindi

Essay on Feriwala in Hindi फेरीवाला पर निबंध: हमने बचपन में फेरीवाला की कहानियां व किस्से सुने हैं यह वो इन्सान होता हैं जो हमारे घर मोहल्ले तथा गाँव शहर की गली में ठेले पर दुकान सजाकर हमारे घर तक सामान पहुचाता हैं.

दैनिक आवश्यकता की छोटी बड़ी चीजे जैसे फल, फूल, सब्जी, चाट, पानपुड़ी अथवा घर के उपयोग की सामग्री बेचता हैं आज हम फेरीवाला पर लघु निबंध पढेगे.

फेरीवाला पर निबंध Essay on Feriwala in Hindi

फेरीवाला पर निबंध Essay on Feriwala in Hindi

Paragraph on the Street Hawkers in Hindi Language

भारत में करोड़ों लोग ऐसे है जो असंगठित क्षेत्रों में मजदूरी करके अपना पेट पालते है इनमें फेरीवाले बहुतायत हैं. जिनकें लिए किसी तरह की सामाजिक सुरक्षा का प्रबंध नहीं हैं.

वे दो वक्त की रोटी पाने के लिए जी तोड़ मेहनत करते हैं पुलिसवालों की बेईमानी का शिकार होना पड़ता हैं. मेहनत के बदले में इन्हें दो वक्त की रोटी के साथ असुरक्षा, अपमान और कल की अनिश्चितता के सिवाय कुछ भी अर्जित नहीं होता हैं.

कलकत्ता में 1990 में इन्हें फुटपाथों से हटाने के लिए ओपरेशन सनशाइन चलाया, मगर शासन किसी को जीवन निर्वहन से बाधित नहीं कर सकता. देश की संसद में 2012 में उनके लिए पथ विक्रेता अधिनियम पारित किया गया.

इसमें कहा गया कि अधिकतर फेरीवाले 20 प्रतिशत तक ब्याज देकर अपना जीवन चलाते है जबकि कमाई का आधा हिस्सा उन्हें घूस के रूप में देना पड़ता हैं.

न्यूनतम मजदूरी से भी कम आय पर जीवन यापन करने वाला फेरीवाला स्वाभिमान से जीता हैं. वह मेहनत की कमाई का खाता हैं. इनसे हमें सबक सिखना चाहिए, यह उन लोगों के गाल पर तमाशा है जो शारीरिक रूप से स्वस्थ होने के उपरान्त भी भिक्षावृत्ति के सहारे अपना जीवन काटते हैं.

फेरीवाले पर निबंध 500 शब्दों में

फेरीवाला उन्हें कहा जाता है जो लारी पर किसी भी प्रकार के सामान को बेचने का काम करते हैं। यह अक्सर सुबह,शाम अथवा दोपहर के समय में शहर या फिर गांव की गलियों में अपनी लारी लेकर के अपना सामान बेचने के लिए आते हैं।

इनके पास कई प्रकार के समान होते हैं। कुछ फेरीवाले पानी पुरी बेचने का काम करते हैं तो कुछ फेरीवाले फूल बेचने का काम करते हैं, वहीं कुछ फेरी वाले ऐसे भी हैं जो फल सब्जी या फिर कॉस्मेटिक की चीजें बेचने का काम करते हैं।

फेरीवाले का सबसे अधिक इंतजार महिलाएं करती है क्योंकि महिलाएं ही फेरीवाले से सामान लेना पसंद करती है। फेरीवाला जब आता है तब वह जोर-जोर से आवाज देता है ताकि लोगों को यह पता चल जाए कि वह आ गया है और लोग उससे सामान खरीदने के लिए अपने घरों से बाहर निकले।

जो फेरीवाला जिस सामान को बेचने के लिए आता है वह उसी सामान का नाम जोर जोर से चिल्लाता है ताकि लोगों को पता चल जाए कि कौन सा सामान बेचा जा रहा है। फेरी वाले की वजह से ही हमें अपने आवश्यक सामान घर के बाहर ही प्राप्त हो जाते हैं।

अगर फेरी वाला किसी दिन सामान बेचने के लिए नहीं आता है तो उस सामान को लेने के लिए हमें घर से बाहर मार्केट में जाना पड़ता है जिसकी वजह से हमारा समय भी नष्ट होता है साथ ही मोटरसाइकिल के पेट्रोल का खर्चा भी बढ़ता है।

आमतौर पर फेरीवाला सामान्य कपड़े पहनता है और वह अक्सर सर पर टोपी लगा कर के रखता है। हालांकि यह आवश्यक नहीं है कि उसके सर पर हमेशा टोपी हो। कभी-कभी वह अपने सर पर गमछा डाल लेता है। कुछ फेरीवाले ऐसे होते है, जिनके हाथ में घंटी होती है और वह लोगों को बुलाने के लिए उसी घंटी का इस्तेमाल करता है।

फेरीवाले की गली में आने की वजह से हमें कई लाभ प्राप्त होते हैं परंतु इनकी वजह से कभी कभी आपराधिक घटनाएं भी घटित होती है।

कई बार अखबारों में खबर छपती है कि कुछ फेरीवाले ने मिलकर के किसी बच्चे को अगवा कर लिया अथवा किसी फेरी वाले ने जो सामान दिया वह खराब निकल गया। 

ऐसे में हमें सावधानी के साथ फेरीवाले से सामान की खरीदारी करनी चाहिए और जब कभी भी हमें कोई संदिग्ध फेरीवाला नजर आ रहा है तो हमें अवश्य ही उसकी जांच पड़ताल करनी चाहिए और अगर फेरीवाला अपराधी किस्म का है तो हमें उसे अपनी सोसाइटी अथवा अपनी गली में नहीं आने देना चाहिए अथवा उसे पुलिस के हवाले करना चाहिए।

इस प्रकार से फेरीवाला अगर अच्छे स्वभाव का है तो हमें उससे कई लाभ भी प्राप्त होते हैं। हमें अपने आवश्यक सामान घर बैठे ही प्राप्त हो जाते हैं.

परंतु अगर फेरी वाले का स्वभाव अच्छा नहीं है अथवा उसके मन में खोट है तो कभी-कभी हमें इसकी वजह से नुकसान भी हो जाता है। इसलिए हमें सावधानी के साथ फेरीवाले से सामान की खरीदारी करनी चाहिए और इन्हे निश्चित समय में ही सोसाइटी में आने देना चाहिए।

700 शब्दों में फेरीवाले पर निबंध

आमतौर पर देश दुनियां के किसी भी कोने में फेरीवाले मिल जाते हैं. ये बेहद आम लोग होते हैं जो रोजीरोटी के लिए छोटे बड़े गाँव या शहर में फेरी के व्यापार के जरिये अपनी आजीविका चलाते हैं.

व्यापार जगत में ये निम्न स्तर के व्यापारी होते हैं जो फुटपाथ के सहारे छोटी दुकान लगाकर या घर घर जाकर सामान बेचते हैं. एक आम नगरवासी के दिल में फेरीवाले के प्रति अच्छी भावना होती हैं.

एक फेरीवाला चार पहिये के ठेले हथगाड़ी या सिर पर टोकरी में सामान लादकर बेचता हैं. वह अपने सामान की बिक्री के लिए हर घर के पास से गुजरता हुआ मधुर आवाज में लोगों को बताता हैं.

मिठाइयां, सब्जियां, नमकीन, कपडे, जूते, बर्तन व हरमाल के सामान फेरीवाला बेचता हैं. कुछ लोग कबाड़ी का सामान भी लेते है तो कुछ टूटी फूटी वस्तुओं की मरम्मत का कार्य भी करते हैं.

वृद्ध लोगों, बच्चों एवं कामकाजी महिलाओं द्वारा फेरीवाले का बेसब्री से इन्तजार रहता हैं. क्योंकि वे अपनी जरूरत की छोटी छोटी चीजों के लिए बाजार नहीं जा सकते हैं इसलिए वे उसका इन्तजार करते हैं.

उसकी आवाज सुनते ही उसके चारो ओर एकत्रित हो जाते है तथा अपनी जरूरत की वस्तुएं खरीद लेते हैं. आमतौर पर ये लोग बाजार से कम दाम में ही वस्तुएं बेचते है तथा इनकी वस्तुओं का मोलभाव भी किया जाता हैं.

फेरीवाले का जीवन बेहद कठिनाई से भरा होता हैं उन्हें अपनी जीविका के निर्वहन के लिए विपरीत हालातों तेज ठंड, गर्मी और बरसात के दिनों में भी फेरी लगानी पड़ती हैं.

बेहद छोटे व्यापारी होने के कारण इन्हें लाभ की प्राप्ति भी बहुत कम होती हैं फिर भी ये अपनी मेहनत की कमाई से संतोष कर लेते हैं तथा अपने परिवार का गुजारा करते हैं.

दिन की थोड़ी सी कमाई से ही इन्हें अपने घर के खर्चे तथा बच्चों को पढ़ाई उनकी शादी आदि करवानी होती हैं जो कि बेहद जटिल कार्य हैं.

फेरीवाले के कार्य की स्थितियां भी बहुत खराब होती हैं. कई बार उन्हें पुलिसवाले तथा नगर निगम या नगर पालिका के लोग अक्सर उन्हें तंग करते हैं उनसे पैसे वसूल करते हैं.

बेहद कम पूंजी के साथ फेरीवाले अपना कारोबार शुरू कर, निरंतर कठिन परिश्रम और लोगों के बीच अच्छी छवि बनाकर अपने परिवार की जरूरतों को पूरा कर लेते हैं.

कई बार फेरीवाले का सामान लम्बे समय तक नहीं बीक पाता हैं इस कारण उसकी वैधता खत्म हो जाती है और वह या खरीदने वाला इस बात पर ध्यान नही देता हैं. खासकर बच्चों के खाने पीने के उत्पादों के साथ इस तरह की समस्याएं कई बार देखी गई हैं.

फेरीवालों को इस समस्या से बचने की आवश्यकता हैं वही बरसात के मौसम में लोगों को इन फेरीवालों की दुकानों के चलते चलने में बड़ी दिक्कत का सामना करना पड़ता हैं.

आजकल स्थानीय प्रशासन इस तरह के व्यापारियों को सड़क किनारे या सार्वजनिक स्थल पर चीजे बेचने के लिए लाइसेंस जारी कर रही हैं.

सुधार के कुछ उपाय

स्थानीय प्रशासन को फेरीवाले तथा ठेलेवालों के सम्बन्ध में कुछ कठोर नियम बनाने तथा उसका कड़ाई से पालना करने की जरूरत हैं तभी उसके माल की गुणवत्ता तथा उसके बिक्री स्थल के आसपास की सफाई को व्यवस्थित किया जा सकता हैं.

कई बार मिठाई, फल आदि पर भिनभिनाती मक्खियाँ बिमारियों को आमंत्रित करती हैं ऐसे में स्वास्थ्य विभाग को निरंतर निरीक्षण करते रहने की आवश्यकता हैं.

उपसंहार:

फेरीवाले छोटे व्यापारी होने के साथ साथ समाज सेवक की भूमिका भी निभाते हैं वे वृद्ध, घर की स्त्रियों तथा बच्चों की जरूरत की वस्तुएं उन्हें घर पर पहुचाते हैं इससे उनकी समस्याएं कम हो जाती हैं. कई बार वे वस्तु का अधिक दाम भी लेते हैं फिर भी लोगों की पहली पसंद होते हैं.

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आशा करता हूँ दोस्तों Essay on Feriwala in Hindi का यह निबंध आपको पसंद आया होगा फेरीवाले पर निबंध भाषण कविता जानकारी का यह लेख पसंद आया हो तो अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करे.

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