परिवार का महत्व पर निबंध Short Essay on Importance Of Family In Hindi : मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है परिवार तथा समाज के साथ उसका घनिष्ठ सम्बन्ध होता हैं.
फॅमिली का इम्पोर्टेंस अर्थात जीवन में परिवार का क्या महत्व हैं. आज हम Importance Of Family Hindi Essay के माध्यम से परिवारिक रिश्तों के महत्व तथा रिश्तों के बारे में समझ पर निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं.
परिवार का महत्व पर निबंध Essay on Importance Of Family In Hindi
Short Family Importance Essay In Hindi : माता के प्यार, पिता के दुलार और भाई बहिन के पवित्र रिश्ते में सुख शांति व सही मार्गदर्शन का वातावरण सृजित होता हैं. अतः परिवार व किशोरों की आपसी समझ, कर्तव्य पूर्ति व संवाद, परिवार को किशोरों की आदर्श पाठशाला बना देते हैं.
परिवार का महत्व निबंध (100 शब्द)
किसी भी व्यक्ति की जिंदगी में परिवार का बहोत ज्यादा महत्व होता है क्योंकि परिवार ही वह चीज होती है जो किसी व्यक्ति की रीढ़ की हड्डी होती है। जो व्यक्ति परिवार से अलग हो जाता है वह समझ लो बिना शक्ति का आदमी हो जाता है। हम सभी का जन्म किसी न किसी परिवार में होता ही है।
परिवार ही वह शक्ति होती है जो किसी भी प्रकार की आपदा में हमारे पीछे ढाल बनकर खड़ी रहती है। इसके अलावा हर प्रकार के सुख और दुख में भी परिवार शामिल होता है जिसके कारण जिंदगी हंसते खेलते धीरे-धीरे आगे बढ़ती रहती है।
परिवार का महत्व निबंध (250 शब्द)
हर व्यक्ति का जन्म किसी न किसी परिवार में होता ही है। परिवार के द्वारा ही समाज में हमारी पहचान होती है। अगर आपका परिवार एक प्रतिष्ठित परिवार है तो आपकी छवि भी समाज में एक अच्छे व्यक्ति की बनेगी और अगर आपका परिवार प्रतिष्ठित नहीं है तो लोग आपको हिकारत भरी नजरों से देखेंगे।
किसी भी व्यक्ति को अच्छे संस्कार उसके परिवार से ही प्राप्त होते हैं। अगर कोई व्यक्ति बहुत ही ज्यादा संस्कारी है तो इसका मतलब यह होता है कि उसका परिवार काफी ज्यादा संस्कारी और पढ़ा लिखा है क्योंकि संगत का असर व्यक्ति के ऊपर पड़ता ही है।
हमारा परिवार ही हमारी ताकत होती है, क्योंकि किसी भी प्रकार का दुख जब हमारे ऊपर आता है तो सबसे पहले हमारा परिवार ही हमारे साथ खड़ा होता है। इसीलिए कई विद्वानों ने यह कहा है कि चाहे कितना ही बैर क्यों ना हो,
अपने परिवार से कभी अलग नहीं होना चाहिए, क्योंकि जो लोग अपने परिवार से अलग हो जाते हैं उन्हें विरोधी दबाने लगते हैं। इसीलिए आचार्य चाणक्य ने भी यह बात कही है कि हमें कभी भी अपने परिवार से बैर नहीं करना चाहिए और हमेशा परिवार से जुड़े हुए रहना चाहिए।
परिवार में रहने वाले व्यक्ति आपको समय समय पर सही राह पर चलने का रास्ता बताते हैं और जब आप अपने रास्ते से भटक जाते हैं, तब परिवार ही आप को सही रास्ते पर लाने का प्रयास करता है और आपको अपनी जिम्मेदारियों का एहसास परिवार ही दिलाता है।
(800 शब्द) परिवार का महत्व Importance Of Family In Hindi
हमारी स्वयं अपनी स्वतंत्र पहचान होते हुए भी हम समाज के एक स्वतंत्र जीव मात्र नहीं हैं. हमारा जीवन भावनाओं, संस्कारों, परम्पराओं, जीवन मूल्यों, सहजीवन की जरूरतों के कारण अनेक बन्धनों में बंधा होता हैं.
सम्बन्ध ऐसे ही कुछ बंधन हैं जिनसे हम किसी कारण बंधे होते हैं. सम्बन्ध, जिम्मेदारी, प्रतिबद्धता व लगाव का प्रतिरूप हैं. कुछ सम्बन्ध नैसर्गिक होते हैं. तो कुछ सम्बन्ध जीवन की गति के साथ बनते जाते हैं.
सम्बन्धों में जहाँ कुछ स्थायी भाव और प्रकृति के सम्बन्ध हैं तो कुछ सम्बन्ध समय और परिस्थतियों के साथ बदलते भी रहते हैं. हमें सम्बन्धों की गहनता व गंभीरता को समझते हुए अपनी पहचान की तटस्थता रखना भी जरुरी हैं.
हम सभी जानते है कि हमारे स्वयं की पहचान आदते, स्वभाव, पसंद और रुचियाँ आदि हमारे परिवार अर्थात माता-पिता भाई बहन दादा दादी नाना नानी आदि ससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ी हुई हैं.
ये सम्बन्ध जहाँ हमें कुछ जन्मजात स्वभावगत आदते देते है तो दूसरी ओर जन्म से लेकर आज तक इन सभी रिश्तों से प्रभावित होकर कुछ न कुछ सीखते हैं.
किशोरावस्था तक आते आते हम अपने आपकों बड़ा व परिवार का जिम्मेदार सदस्य मानने लगते हैं. हमारे माता-पिता की भी हमसे अपेक्षाएं बढ़ने लगती हैं.
पढाई था भविष्य निर्माण के दवाब में कभी मानसिक व भावनात्मक उथल पुथल के कारण तो कभी लापरवाही से हम माता पिता की इन अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर पाते हैं.
कई बार देखने में आता हैं कि एक दूसरे की इच्छाओं, आवश्यकताओं तथा अपेक्षाओं के प्रति हमारी हमारी लापरवाही के कारण परिवार में तनाव व अशांति का वातावरण बनता हैं.
इसके कुछ तुरंत व कुछ दूरगामी प्रभाव पड़ते हैं. दूसरी ओर, परिवार में एक दूसरे के प्रति सकारात्मक व सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाने के कई लाभ होते हैं.
सर्वप्रथम सभी सदस्य अपनी ऊर्जा तथा समय का सदुपयोग रचनात्मक कार्यों में कर सकते हैं. दूसरा स्वस्थ व शांत वातावरण में सम्प्रेष्ण अपेक्षित व प्रभावशाली बन जाता हैं.
यह भी देखने में आया है कि कई प्रकार की मानसिक परेशानियां जैसे तनाव, कुंठा, द्वंद्व, डर, चिंता, निराशा आदि का मुख्य कारण पारिवारिक वातावरण होता हैं.
अक्सर किशोर किशोरी अपनी बात बेहिचक नहीं कह पाते तथा अनजाने डर व भंतियाँ पालते रहते हैं. ऐसी स्थतियाँ तब पैदा होती हैं. जब माता पिता हमारे बीच संवेदनहीनता की स्थिति आ जाती हैं.
एक तरफ माता पिता हमारे द्वारा किये गये निर्णयों को कभी कभी नकारते हैं तो दूसरी ओर हम अपने माता पिता से कुछ कार्यों को छुपाना चाहते हैं.
यहाँ कोई भी एक पक्ष दोषी नहीं हैं. दोषी तो स्थतिया या घटनाएं हैं. सामाजिक और वैचारिक परिवर्तन के कारण दो पीढ़ियों के मध्य अंतर् होना स्वाभाविक हैं.
हमारे खान पान रहन सहन व सोचने समझने की आदतों पर सिनेमा, मित्र, फैशन आदि का भी व्यापक असर पड़ता हैं.
कई बार पीढ़ी अंतराल व सोच के अंतर् के कारण माता पिता हमारी नविन जीवन शैली को नापसंद करते हैं. तथा परिवार में तालमेल नही रह जाता हैं.
ऐसी स्थिति से बचने के लिए हमें माता पिता व अन्य बड़ो का पक्ष भी समझना चाहिए. तथा प्रत्यक्ष विरोध करने की जगह शांति से अपनी बात कहनी चाहिए.
माता पिता तथा अन्य सम्बन्धियों के साथ हम जितना अधिक वार्तालाप करते हैं उतना ही उनके अनुभवों तथा विचारों का हम लाभ उठा सकते हैं.
स्थिर भाव और परिवर्तन गति और विराम दो पुर्णतः विपरीत पक्ष हैं जब किसी गति को विराम अथवा रुकावट मिलती हैं तो स्वभावतः ही एक धक्का लगता हैं. प्रचलन एक निरन्तरता का प्रतीक हैं.
प्रचलन में बदलाव अंतर्विरोध को जन्म देता हैं. इसी बात को सामने रख कर हम पारिवारिक सम्बन्धों को वैचारिक मतभेद से उठे विरोध को समझ सकते हैं.
दो पीढ़ियों में वैचारिक भिन्नता को विरोध के रूप में न लेकर एक तार्किक संवाद की प्रक्रिया द्वारा हल किया जाना चाहिए.
हमारे माता पिता हमारी दैनिक जीवन की आवश्यकताओं, हमारे स्वास्थ्य व सुखद भविष्य के प्रति चिंतासुर तथा संमर्पित रहते हैं.
उनकी इच्छाओं अपेक्षाओं व आवश्यकताओं पर उतनी गंभीरता से हम विचार नहीं करते. हमें माता पिता का गुस्सा या रोक टोक तो दिखाई देते हैं. किन्तु उनके पीछे छिपा उनका प्यार उनका प्रेम व स्नेह हम नहीं देख पाते.
यदि हम कुछ छोटी छोटी क्रियाओं के माध्यम जैसे छोटे बड़े भाइयों का ध्यान रखकर अपने घर व घर के बाहर की अपनी भूमिका के प्रति सजग रहकर घर के कुछ छोटे बड़े काम करके हम अपने माता पिता व अन्य सदस्यों को आराम व ख़ुशी दे सकते हैं तो हमारे परिवार का पूरा परिदृश्य ही बदल जाता हैं.
अतः हमें परिवार मे सुख और शांत वातावरण बनाएं रखने के लिए सकारात्मक और सहयोगात्मक योगदान करना चाहिये. परिवार समाज की एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं.
व्यक्तियों से परिवार बनता हैं. व परिवारों से समाज का निर्माण होता है इसी प्रकार समाज व्यापक रूप में राष्ट्र का निर्माण करता हैं.