किंगफिशर पर निबंध, 10 लाइन Essay On Kingfisher In Hindi

प्रिय दोस्तों आज हम Essay On Kingfisher In Hindi आपकों बता रहे हैं किंगफिशर पर निबंध 10 लाइन में हम नन्हें से सुनहरे पक्षी (Bird) किंगफिशर के बारे में जानकारी (Few Lines Information) और संक्षिप्त निबंध (Short Essay) इस आर्टिकल में पढ़ने वाले हैं. चलिए इस निबंध को पढ़ते हैं.

Essay On Kingfisher In Hindi

Essay On Kingfisher In Hindi

10 Lines About Kingfisher Bird in Hindi

1. किंगफ़िशर पक्षी आम तौर पर जल स्रोतों के निकट पेड़ों पर घौसला बनाकर रहते हैं. हिंदी में इसे राम चिरैया कहा जाता हैं.

2. इस पक्षी की लम्बी चोंच तथा छोटे छोटे पंजे होते हैं.

3. कत्थई रंग का यह प्यारा सा पक्षी देखने में बेहद आकर्षक लगता है उसके शरीर का उपरी भाग ब्लू तथा पाँव व चोंच का रंग धूसर होता है

4. जलाशय में रहने वाले जलीय जीव मछली आदि इनका प्रिय भोजन होता हैं.

5. साउथ अफ्रीका और आस पास के अफ्रीकन देशों में यह बहुतायत पाया जाता हैं,

6. एक किंगफिशर का आकार छः इंच तक का होता हैं यह छः माह में अपना घौसला तैयार करता हैं.

7. किंगफिशर विशिष्ट आकार के घौसले बनाते हैं जिनका मुंह एक सुरंग की तरह मुख्य घर में खुलता हैं.

8. किंगफ़िशर के मेल व फिमेल दिखने में एक जैसे ही होते हैं.

9. इस अफ्रीकन मूल के पक्षी की 90 जातियां मिलती हैं.

10. किंगफ़िशर पक्षी 2 से 10 सफेद अंडे देती हैं जो बेहद चमकीले होते हैं.

Essay On Kingfisher Bird In Hindi

किंगफिशर नदियों और झीलों व बड़े तालाबों के आस-पास ही देखे जाते हैं. इनकी 80 फीसदी आबादी मानव आवास से दूर प्राकृतिक माहौल में बसती हैं. ऑस्ट्रेलिया का लाल बैकड किंगफिशर रेतीले क्षेत्रों में रहता हैं मगर अफ्रीका के सहारा मरुस्थल में इनकी संख्या शून्य हैं.

आपने भी कई बार किंगफिशर को देखा होगा, इनकी नौ प्रजातियाँ हमारे भारत में भी पाई जाती हैं. यदि आप इसकी शारीरिक विशेषताओं से परिचित हैं तब ही इन्हें देख सकते हैं. स्मॉल ब्लू व वाईट ब्रेस्टेड किंगफिशर प्रजातियों के पक्षी अमूमन भारत में अधिकांशः देते गये हैं.

स्मॉल ब्लू किंगफिशर

यह बिलकुल घरों की गौरेया चिड़िया के आकार का ही होता है जिसके रंग हरा नीला होता हैं. शारीरिक बनावट में उसका उपरी भाग लाइट ब्राउन होता हैं. इनकी चोंच बेहद नुकीली व मजबूत होती हैं जिसके कारण वह मछली का शिकार भी आसानी से कर लेता हैं.

नर व मादा किंगफिशर में पक्षी विज्ञानी ही फर्क कर सकते हैं. देखने में दोनों को कोई विशिष्ट अंतर नहीं होता हैं. इनके एक छोटी पूंछ के रूप में पंख निकला होता हैं. नदियाँ, पोखर, पानी भरे गढे, तालाबों के तट पर पेड़ों या झाड़ियों पर इनके दर्शन किये जा सकते हैं.

मानव बस्ती से दूर रहना पसंद करता है स्वभाव से बेहद शर्मिला होता हैं. मगर अपना शिकार बड़ी बहादुरी से करता हैं. इसकी पैनी नजर का कोई सानी नहीं होता हैं.

जैसे ही इसकी नजर टैडपोल, कैंकडे, मच्छली, मेढक आदि पर टिकी यह तीव्रता से अपने पंख कभी फडफडाता तो कभी स्थिर रखता हुआ पानी की सतह पर चीं चीं करता उड़ता हैं तथा बड़े आराम से अपने शिकार को चोंच में दबाकर किनारे ले आता हैं.

स्मॉल ब्लू किंगफिशर पक्षी आपकों भारत में हर स्थान पर देखने को मिल जाता हैं. यह मार्च से जून इन तीन महीनों के दौरान नदी अथवा आसपास के एकांत स्थलों में नम भूमि में एक सुरंग बनाकर घौसला तैयार करते हैं.

बताया जाता हैं कि किंगफिशर के घौसले की यह सुरंग 50 सेमी लम्बी होती हैं जिसके अंत में चौड़ा भाग होता हैं, वही यह पक्षी बसर करता है तथा अंडे देता हैं. एक बार में यह पांच से सात के बीच अंडा देता है तथा नर व मादा दोनों अपने पंजों से इसे सेकते हैं.

वाईट ब्रेस्टेड किंगफिशर

यह किंगफिशर पक्षी आकार में कबूतर के बराबर का ही होता हैं. फिरोजी कलर का पक्षी भी काफी आकर्षक है मगर इसका सिर वह शरीर का निचला भाग हल्का ब्राउन होता है जिसके नामकरण में भी स्पष्ट देखा जा सकता हैं.

इसका सीना का भाग सफेद होता हैं. वाइट ब्रेस्टेड किंगफिशर की चोंच लाल रंग की, मजबूत, लम्बी और नुकीली होती है जब यह उड़ान भरता है तो इनकी सफेद पट्टी दिखाई देती हैं.

यह भी शर्मिला पक्षी है जो हरी भरे पेड़ों के जंगली स्थलों जलाशयों के निकट इन्हें विचरण करते देखा जा सकता हैं. अधिकतर पहाड़ी स्थलों में इन्हें आमतौर पर देखा जा सकता हैं.

मछली, टैडपोल के अलावा ग्रासहॉपर, छोटी छिपकलियाँ, गिरगिट व कीड़ो को अपना शिकार बनाता हैं. यह केवल जलीय जीवों पर निर्भर न होकर रेंगने वाली जीवों का भी शिकार करता हैं. कई बार इस किंगफिशर पक्षी को आप टेलीफोन अथवा विद्युत् लाइन के तारों पर भी बैठे पा सकते हैं.

चर्ट्चट् चिर्र की आवाज यह उस समय करता हैं जब यह उड़ता हैं. मार्च से जुलाई माह की अवधि में अपना घौसला तैयार करता हैं तथा अन्य प्रजातियों के किंगफिशर की भांति यह भी जलीय स्रोतों के पास की गीली मिटटी में ही सुरंग के साथ अपना घौसला बनाता हैं. एक बार में यह भी 6 से 7 अंडे देता हैं नर व मादा किंगफिशर समान रूप से इन्हें सेकने का कार्य करते हैं.

मनुष्यों के साथ संबंध

किंगफिशर बहुत शर्मीले स्वभाव का पक्षी है इसके उपरान्त भी कई बार मानव बस्तियों के निकट भी देखा जाता हैं. कई स्थानों पर इसे पूजनीय भी माना गया है तथा पूजा की जाती हैं. पोलीनेशियन मानते है कि किंगफिशर समुद्र तथा इसकी लहरों पर काबू पाते हैं.

वही बोर्नियो के दुसुन लोगों के लिए ओरिएंटल बौने किंगफिशर को अपशकुनी पक्षी मानते हैं. युद्ध आदि कार्यों पर जाते समय यदि इसे दर्शन हो जाते है तो वे घर को लौट आते हैं.

वही इसी समुदाय के लोग सफेद पट्टीदार किंगफिशर को देखकर अच्छा शकुन मानते हैं. इस पक्षी के सम्बन्ध में वहां कई लोक मान्यताएं भी हैं.

स्थिति और संरक्षण

अक्सर जंगलों में वास करने वाली किंगफिशर की प्रजाति आज संकटग्रस्त अथवा विलुप्त होने की कगार पर खड़ी हैं, इसके अस्तित्व के संकट का कारण मानव की अतिशय गतिविधियों को माना गया हैं.

तेजी से जंगलों की कटाई होने के कारण इनके आवास स्थल खत्म हो रहे हैं. साथ ही जंगली पशु भी इनके लिए गम्भीर खतरे का कारण बने हुए हैं.

यह भी पढ़े

उम्मीद करता हूँ दोस्तों किंगफिशर पर निबंध, 10 लाइन Essay On Kingfisher In Hindi का यह लेख आपकों पसंद आया होगा, यदि आपको किंगफिशर पक्षी के बारे में दी गई जानकारी पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करें.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *