माँ और मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर हैं निबंध Essay On Mathrubhumi In Hindi

नमस्कार माँ और मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर हैं पर निबंध Essay On Mathrubhumi In Hindi जननी जन्मभूमिश्च पर निबंध My Motherland Essay हिंदी भाषा में आपका हार्दिक स्वागत हैं. स्टूडेंट्स के लिए यहाँ सरल भाषा में माँ और जन्मभूमि पर छोटा निबंध दिया गया हैं.

माँ और मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर निबंध Essay On Mathrubhumi Hindi

माँ और मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर हैं निबंध Essay On Mathrubhumi In Hindi

व्यक्ति के जीवन में दो माताओं का महत्वपूर्ण स्थान होता है पहली माँ जो उन्हें जन्म देकर इस संसार को दिखाती है तथा दूसरी माँ वो जो मातृभूमि उन्हें अपनी गोदी में बसाती है अपना अन्नजल उन्हें खिला पिलाकर बड़ा करती हैं.

व्यक्ति जीवन मे भी बन जाए उन्हें माँ और मातृभूमि के उपकार को नही भूलना चाहिए, इनके आगे तो स्वर्ग का सुख भी ठोकर मार देना स्वीकार्य हैं.

पत्थर की मूरतों में समझा है तू खुदा है
खाके वतन का मुझकों हर जर्रा देवता है

जब एक बच्चें का जन्म होता है तो उसका पहला शब्द माँ ही होता है, इसके बाद ही वह अन्य इच्छाओं को वक्त करता है. मगर जब भी उसे कष्ट पीड़ा एवं दुःख का अनुभव होता है तो उसे माँ ही याद आती है.

दुःख पीड़ा से व्यग्र व्यक्ति जब भी माँ की गोद में माथा टेकता है तो उनकी समस्त पीडाएं समाप्त हो जाती है. माँ के स्पर्श भर से उनमें एक नई शक्ति का संचार हो जाता है.

दुनियां में एक इन्सान के लिए सबसे उदार ह्रदय माँ का ही होता है. जो अपना सम्पूर्ण वात्सल्य प्रेम अपनी सन्तान पर बरसा देती है.

पिता कितना भी अपनी सन्तान से प्यार करे मगर माँ सन्तान को नौ माह अधिक दुलार करती है. इसी तरह मातृभूमि भी अपनी अथाह उदारता लिए समस्त जनों को पनाह देती हैं.

माँ शब्द का विशेषता एक आत्मीयता का बोध कराता है यही वजह है कि हम अपनी जन्मभूमि को मातृभूमि मानकर उसे माँ का दर्जा देते हैं.

हमें दुनियां में सबसे अधिक प्रिय माँ ही होती हैं और यही हमारी जन्मभूमि होती है. हमारे वेदों में उल्लेख है कि माता भूमि प्रथ्विया यानि पृथ्वी हमारी माँ है और हम उसकी संताने.

अपनी माँ और मातृभूमि से प्यार करने वाला इन्सान दुनियां में किसी रिश्ते की परवाह नहीं करता हैं न तो उनके लिए पत्नी के आंसू न ही अपने संतानों का स्नेह राह से झुकाता है.

उसे राजभवनों का सुख न तो प्यारा लगता है और ना ही तलवारों से खेलने से डर. अपनी मातृभूमि की सेवा के लिए जीवन न्योछावर कर देने वाला व्यक्ति घास की रोटियां खाकर भी अपने सिर पर बंधे कफन के साथ अपनी हंसते हंसते कुर्बानी दे देता हैं.

‘जननी-जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।’’

अर्थात जननी एवं जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर होती है. माँ जन्म देती है और मातृभूमि लालन पोषण करती है. कई अर्थों में माँ से अधिक महत्व मातृभूमि को दिया जाता है. क्योंकि मातृभूमि अपनी सन्तान एवं उसे जन्म देने वाली माँ दोनों का लालन पोषण ताउम्र करती हैं.

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