मेरा प्रिय अध्यापक पर निबंध | Essay on My Favourite Teacher in Hindi

नमस्कार आज का निबंध, मेरा प्रिय अध्यापक पर निबंध Essay on My Favourite Teacher in Hindi पर दिया गया हैं.

सरल भाषा में स्टूडेंट्स के लिए विभिन्न शब्द सीमा में प्रिय शिक्षक पर निबंध दिया गया हैं. फेवरेट टीचर कौन है उनके साथ सम्बन्ध कैसे पढ़ाते है आदि बिन्दुओं पर यह आसान शोर्ट निबंध दिया गया हैं.

मेरा प्रिय अध्यापक पर निबंध Essay on My Favourite Teacher in Hindi

Paragraph On My Favourite Teacher In English & Hindi

Today Here We Bring a Short Paragraph On My Favourite Teacher For Students And Kids In Hindi & English Language For Class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10th Students.

Various Length My Favourite Teacher Paragraph In 10 Line, 100, 200, 250, 300, 400, 500 Words Are About My Teacher Which I Most Like About Her Life, Education, Teaching Method, Hobby Character, Personality About My Favourite Teacher Short Essay Giving Blow.

English

I Read In Class VIII A. Shree a.n. Sharam Is My Favourite Teacher. He Is a Good Teacher. He Teaches Us English. He Is About Forty Years Old. He Always Wears Simple Dress.

He Is a Man Of Simple Nature. He Never Comes Late. He Is Punctual In His Work. He Is Hard Working. He Does Not Waste Time In The Class. His Method Of Teaching Is Very Interesting.

He Is Very Kind To All Of Us. He Is Always Helps The Students. He Loves All The Boys Very Much. We Also Respect Him Very Much. He Is A Good Sportsman Too.

Hindi

मैं कक्षा 8 अ में पढ़ता हूँ. श्री ऐ एन शर्मा मेरे प्रिय अध्यापक हैं. वह एक अच्छे अध्यापक हैं. वे हमें अंग्रेजी पढाते हैं. वह लगभग चालीस वर्ष के हैं. वह हमेशा साधारण कपड़े पहनते हैं. वह सरल स्वभाव के व्यक्ति हैं.

वह कभी देर से नही आते हैं. वह अपने समय के बेहद पाबन्द हैं. यह कठोर परिश्रमी हैं. वह कक्षा में समय नष्ट नही करते हैं. उनका पढाने का तरीका बहुत रुचिप्रद हैं. वह हम सबके प्रति बहुत दयालु हैं. वह हमेशा प्रसन्न रहते हैं.

वह कभी क्रोधित नही होते हैं. वह हमेशा विद्यार्थियों की मदद करते हैं. यह सब लड़को से प्रेम करते हैं. हम भी उनका बहुत आदर करते हैं. वह एक अच्छे खिलाड़ी भी हैं.

प्रिय अध्यापक पर निबंध – 1

मै राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में पढ़ता हूँ, मेरे विद्यालय में पन्द्रह अध्यापक है. श्री गंगाराम मेरे प्रिय अध्यापक है. वे हमारे कक्षाअध्यापक भी है. वे हमें हिंदी पढ़ाते है, उनकी आयु पैंतालिस वर्ष है.

वे लम्बें व गठीले शरीर के है. वे समय के बहुत पाबन्द है. उनका स्वभाव बहुत अच्छा है. वे सभी लोगो के साथ मधुर व्यवहार रखते है. वे छात्रों के प्रति स्नेह रखते है.

वे कक्षा में बहुत अच्छे ढंग से पढ़ाते है, उन्हें अपने विषय पर पूरा ज्ञान है. वे कमजोर छात्रों की विशेष रूप से मदद करते है. वे सभी छात्रों की समस्याओं का तुरंत समाधान कर देते है. हमारे प्रधानाध्यापक एवं अन्य अध्यापक भी उन्हें बहुत पसंद करते है.

मेरा प्रिय अध्यापक पर निबंध – 2

मेरे प्रिय अध्यापक श्री देवीलाल जी है, जिन्होंने तीन साल तक गणित एवं दो सालों तक अंग्रेजी भाषा का अध्ययन करवाया था. वे जयपुर के ही रहने वाले है, वर्तमान में विद्यालय के पास ही एक कमरे में रहते है.

इन्होने राजस्थान विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा हासिल की. वे प्रकृति से बेहद शांत व मधुर है. वे कक्षा के छोटे से छोटे व बड़े सभी छात्रों को अच्छी तरह संभालना जानते है.

उनकी अनूठी शिक्षण शैली मुझे बहुत याद आती है,. उनका पढाने का तरीका सबसे अलग व आकर्षक था. उन्होंने पढाई के साथ साथ जों नैतिक शिक्षाएं दी वो मुझे आज भी याद है.

उन्होंने गणित जैसे कठिन विषय को मेरे लिए बेहद सरल बना दिया था. फिलहाल में छठी कक्षा में पढ़ता हूँ पर मुझे अभी भी उनकी बहुत याद आती है.

अच्छे शरीर, चमकदार आंखों और गोरे बाल तथा अच्छी कद काठी वाले इंसान है. अभी भी जब कभी मुझसे कठिन सवाल हल नही होते है तो मैं उनके पास जाता हूँ.

जब भी वो कक्षा में आते थे तो उनका चेहरा मुस्कराता था. जब विद्यालय के खेल प्रशिक्षक उपस्थित नहीं होते थे. तब ये ही हमें अच्छे अच्छे खेल सिखाते थे.

वे बाहर से जितने नरम थे, कभी कभी बेहद कठोर भी बन जाते थे, समय पर कार्य न करने वाले तथा अनुशासनहीनता करने वालें कई छात्रों को वे दंडित करते थे.

कभी कभी वों कक्षा में हंसी मजाक भी किया करते थे. हमेशा हमारी कक्षा में उन्ही के विषय में छात्रों को सबसे अधिक अंक आते थे.

एक बार अच्छे अंक लाने पर मुझे भी उन्होंने चोकलेट दी थी, जो मुझे आज भी याद है. वों अच्छा पढाने के साथ ही घर पर कार्य करने के लिए होमवर्क भी दिया करते थे,. उनके उत्साही तथा विनम व्यक्तित्व के कारण देवीलाल जी मेरे सभी शिक्षकों में मुझे प्रिय है.

essay on my favourite teacher in hindi in 600 words

समाज में गुरु का स्थान-प्राचीन काल में हमारे समाज में गुरु का महत्व सर्वोपरि रहा हैं. गुरु, आचार्य, शिक्षक या अध्यापक ये सभी समानार्थी शब्द हैं.

अध्यापक एक ऐसा कलाकार होता हैं, जो अपने शिष्यों के व्यक्तित्व का निर्माण बड़ी सहजता और कुशलता से करता हैं. हमारे मन के अज्ञान को दूर कर उसमें ज्ञान का आलोक फैलाने वाला गुरु ही होता हैं.

परमात्मा का साक्षात्कार भी गुरु की कृपा से ही हो सकता हैं. इसी विशेषता के कारण कबीरदास आदि संत कवियों ने गुरु की कृपा से ही हो सकता हैं.

इसी विशेषता के कारण कबीरदास अदि संत कवियों ने गुरु की सर्वप्रथम वन्दना की और गुरु को ईश्वर से भी बड़ा बताया. वस्तुतः मानव जीवन का निर्माता हमारे समाज और राष्ट्र का निर्माता गुरु या अध्यापक ही होता हैं.

आदरणीय अध्यापक व्यक्तित्व और स्वभाव-मेरे प्रिय अध्यापक का व्यक्तित्व एवं स्वभाव अत्यंत प्रभावशाली हैं. इन अध्यापकजी का नाम ज्ञानप्रकाश शर्मा हैं.

इनका इकहरा बदन, गौर वर्ण, लम्बा कद और सुगठित शरीर, उन्नत नासिका बड़े कर्ण विवर एवं चौड़े कर्ण पुट आदि सभी अंग प्रत्यय प्रभावशाली एवं आकर्षक हैं.

अध्यापक जी हमारे विद्यालय में हिंदी के विरिष्ठ अध्यापक हैं. वे हमेशा धोती और खाकी कुर्ता पहनते हैं. ईश्वर में आस्था रखने वाले सरल आस्तिक हैं.

गुरूजी की वाणी बड़ी मधुर, स्नेहपूर्ण और स्पष्ट हैं. उनका स्थिर दृष्टि से देखना और गम्भीरता से बोलना बड़ा अच्छा लगता हैं.

मेरे अध्यापक जी का बाहरी व्यक्तित्व जितना आकर्षक है, उतना ही अच्छा उनका स्वभाव भी हैं. वे सभी छात्रों के साथ स्नेहपूर्ण व्यवहार करते हैं.

और छात्रों की बड़ी से बड़ी गलती पर भी क्रोध नहीं करते हैं. अपितु उन्हें क्षमा करके भविष्य में अच्छा आचरण करने को कहते हैं.

गुरूजी विनम्र सत्यवादी और मधुर भाषी हैं. विद्यालय के अन्य अध्यापकों एवं कर्मचारियों के प्रति उनका व्यवहार बहुत अच्छा हैं. उनमें श्रेष्ठ आदर्श अध्यापक के सभी गुण एवं विशेषताएं मौजूद हैं.

मेरे प्रिय अध्यापक का अनुकरणीय जीवन– मेरे प्रिय अध्यापक की दिनचर्या अनुकरणीय हैं. वे प्रतिदिन प्रातःकाल उठकर नित्य कर्म से निवृत होकर नियमित रूप से भ्रमण के लिए जाते हैं.

फिर स्नानादि कर पूजा करते हैं और भोजन करके विद्यालय आ जाते हैं. विद्यालय की प्रार्थना सभा का संचालन वे ही करते हैं. प्रार्थना के बाद पांच मिनट के लिए वे प्रतिदिन नयें नयें विषयों को लेकर शिक्षापूर्ण व्याख्यान देते हैं.

तत्पश्चात वे अपने कालांशों में नियमित रूप से अध्यापन कराते हैं. पाठ का सार बतलाना, उससे संबंधित गृहकार्य देना, पहले दिए गये गृहकार्य की जांच करना, मौखिक प्रश्नोतर करना तथा अन्य संबंधित बातों का उल्लेख करना उनका पाठन शैली की विशेषताएँ हैं.

सायंकाल घर में आकर स्वाध्याय करते हैं. रविवार के दिन वे अभिभावकों से सम्पर्क करने की कोशिश करते हैं. तथा एक आध घंटा समाज सेवा में लगाते हैं. इस तरह अध्यापकजी की दिनचर्या नियमित और निर्धारित हैं.

अध्यापक जी का छात्रों पर प्रभाव– आदरणीय गुरूजी ज्ञानप्रकाश जी शर्मा का नाम सारे विद्यालय और सारे कस्बे में हर कोई जानता हैं.

छात्रों पर उनका काफी प्रभाव दिखाई देता हैं. छात्र उनसे आदरपूर्वक मिलते हैं. अपनी समस्याएं उनके सामने रखते हैं और उनसे शंकाओं का समाधान पाकर संतुष्ट हो जाते हैं.

छात्रों के प्रति गुरूजी का व्यवहार आत्मीयता से पूर्ण रहता हैं. गरीब और असहाय छात्रों की वे भरपूर सहायता करते हैं. वे अतीव अनुशासनप्रिय और सदाचारी व्यक्ति हैं. उनके आदर्श चरित्र से हम सभी प्रभावित रहते हैं.

उपसंहार– गुरु गोविंद दोउ खड़े काके लागू पाय बलिहारी गुरु आपणी गोविंद दियो बताय कबीर की इस उक्ति के अनुसार वे हमारे आदरणीय अध्यापक मेरे लिए आदर्श शिक्षक हैं.

और हमें ज्ञान प्रदान करने के साथ साथ सदाचरण के उपदेशक हैं. इन विशेषताओं से वे हमारे लिए सदैव वन्दनीय हैं.

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