पर्यटन पर्व पर निबंध Essay On Paryatan Parv In Hindi

Essay On Paryatan Parv In Hindi दोस्तों आज के आर्टिकल में आपका हार्दिक स्वागत है आज हम पर्यटन पर्व का एक निबंध बता रहे हैं.

जीवन में पर्यटन का महत्व आदि पर आधारित यहाँ पर्यटन पर्व निबंध दिया गया हैं.

पर्यटन पर्व पर निबंध Essay On Paryatan Parv In Hindi

पर्यटन पर्व पर निबंध Essay On Paryatan Parv In Hindi

हमारे प्राचीन ग्रंथों में भी मनुष्य की उन्नति, सुख सम्रद्धि तथा शान्ति व संतुष्टि के लिए पर्यटन को महत्वपूर्ण माना गया हैं, भारतीय ऋषि मनीषियों ने भी इसके महत्व को उद्घाटित करते हुए कहा था कि पर्यटन के बिना मनुष्य अंधकार का प्रेमी ही बनकर रह जाएगा.

व्यक्ति पर्यटन के माध्यम से अपने जीवन को सरल सहज एवं साधन सम्पन्न बनाते हैं. अन्धकारे भरे जीवन में मानव प्रकाश की भांति ज्ञान की तलाश के लिए पर्यटन करता हैं.

आज आर्थिक रूप से इसके महत्व को भी नकारा नहीं जा सकता, अधिक तर देशों की अर्थव्यवस्था में टूरिस्म का बड़ा योगदान हैं. पर्यटन के इसी महत्व को समझते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ ने विश्व पर्यटन संघ की स्थापना की हैं.

संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 27 सितंबर 1980 को पर्यटन दिवस मनाने का निर्णय किया गया. हर वर्ष 27 सितम्बर को विश्व पर्यटन पर्व मनाया जाता हैं. प्रत्येक देश अपने यहाँ पर्यटकों के अवसर पैदा करने के यत्न में लगे हुए हैं.

घरेलू पर्यटन , इनबॉउंड पर्यटन , आउटबाउंड पर्यटन ये तीन प्रकार के पर्यटन होते हैं इनके सम्बन्ध में आगंतुकों की जानकारी व मुख्य टूरिस्ट प्लेस के बारे में सम्पूर्ण जानकारी UNO का पर्यटन संगठन जारी करता हैं.

Paryatan Parv Essay In Hindi

हमारे देश मे प्रत्येक राज्य में पर्यटन पर्व को धूमधाम के साथ सेलिब्रेट किया जाता है और इस दिन विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी होता है ताकि इंडिया में पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सके।

पर्यटन पर्व के दिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अंतर्गत डांस और सिंगिंग का प्रोग्राम रखा जाता है साथ ही विभिन्न प्रकार की झांकियां भी लगाई जाती हैं जिसे देखने के लिए लोग इकट्ठा होते हैं।

भारत के राजस्थान राज्य में इस दिन राजस्थान गवर्नमेंट के द्वारा पर्यटन स्थल को वैश्विक मंच पर रखा जाता है ताकि राजस्थान के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों के बारे में भारत के लोगों के साथ साथ समस्त विश्व को भी जानकारी हो।

परिणामस्वरूप अधिक से अधिक देशी और विदेशी सैलानी राजस्थान के पर्यटन स्थल को घूमने के लिए आएं ताकि राजस्थान के इतिहास के बारे में लोगों को पता चले साथ ही लोकल लोगों को रोजगार भी प्राप्त हो।

पर्यटन पर्व को मनाने का उद्देश्य यह है कि इंडिया में जो प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है, उन पर दुनिया की नजर पड़े और दुनिया के सैलानी उन पर्यटन स्थल को घूमने आए जिसकी वजह से स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिले और भारत की जीडीपी में भी बढ़ोतरी हो।

हमारे इंडिया में पर्यटन स्थल की कोई भी कमी नहीं है। इंडिया में विभिन्न प्रकार के ऐतिहासिक और धार्मिक पर्यटन स्थल है जैसे कि वैष्णो देवी,अमरनाथ मंदिर, तिरुपति बालाजी,मेहंदीपुर बालाजी, शिरडी साई संस्थान, उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर, कामाख्या मंदिर, मां पीतांबरा शक्ति पीठ। 

भारत के इन धार्मिक पर्यटन स्थल पर हर रोज हजारों की संख्या में लोग दर्शन करने के लिए और घूमने आते हैं और जीवन का आनंद उठाते हैं।

इसके अलावा भारत के बर्फीले इलाके में भी घूमने के लिए विभिन्न प्रकार के पर्यटन स्थल मौजूद है जहां पर गर्मियों के मौसम में भारी मात्रा में सैलानी आते हैं।

इंसान को अपनी जिंदगी में खुशियां भरने के लिए और अकेलेपन को खत्म करने के लिए साल में एक या फिर 2 बार किसी ना किसी पर्यटन स्थल पर घूमने अवश्य जाना चाहिए। ऐसा करने से दिमाग भी फ्रेश होता है और हमें खुशी भी प्राप्त होती है।

इंसान के काम करने की एक लिमिट होती है और जब वह उस लिमिट को क्रॉस कर जाता है तो उसे बोरियत महसूस होने लगती है। 

ऐसे में वह अपने आप को फ्रेश करने के लिए और अपने मन को बहलाने के लिए घूमने जाने का विचार बनाता है जिसमें कभी-कभी वह अकेले तो कभी-कभी अपने परिवार के साथ देश/विदेश में स्थित पर्यटन स्थल को घूमने के लिए जाता है। 

जिससे उन्हें कुछ पल जिंदगी के खुल कर के जीने का मौका मिलता है साथ ही उन्हें विभिन्न प्रकार के पर्यटन स्थलों के बारे में भी जानकारी प्राप्त होती है।

पर्यटन के महत्व पर निबंध essay on importance of tourism in hindi

अनंत काल से मानव पर्यटन प्रिय रहा हैं. उसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर आना जाना व घूमना पसंद रहा हैं. खाली समय के सदुपयोग व जीवन में आनन्द के पलों की अनुभूति के लिए करोड़ों लोग हर वर्ष देश विदेश की यात्रा करते हैं. पुरा काल में लोग पैदल चलकर अथवा समुद्री यात्राओं के माध्यम से समुद्र पार देशों की यात्राएं थे.

उस समय की यात्राएं साहसिक हुआ करती थी, न तो अधिक आवागमन के अधिक साधन थे और ना ही सुरक्षा के कोई ख़ास प्रबंध हुआ करते थे. लोग ऊंट, हाथी, घोड़ों आदि की मदद से अपनी यात्राओं को सुगम बनाया करते थे.

प्राचीन समय की इन यात्राओं के दो मुख्य उद्देश्य हुआ करते थे पहला शिक्षा अथवा व्यापार, दूसरा शासन सम्बन्धी जिसमें एक राजा दूसरे राज्य के साथ अपने सम्बन्ध स्थापित करने के लिए दूत भेजा करते थे.

आज के समय में हमारे प्राचीन इतिहास को समझने में विदेशी पर्यटकों ने बड़ी मदद की हैं, जिन्होंने अपने यात्रा वृतांत में उस समय की राजनैतिक, सामाजिक आर्थिक स्थिति के बारे में अपनी पुस्तकों में विस्तृत वर्णन दिया हैं.

मौर्यकालीन भारत के इतिहास को जानने में मेगस्थनीज की इंडिका तथा ह्वेंसग आदि की रचनाओं का अहम योगदान रहा हैं.

हवेनसांग, क्रिस्टोफर कोलंबस इत्यादि विदेशी पर्यटकों की रचनाएं काफी विख्यात रही हैं. भारत के लोग भी एक स्थान से दूसरे स्थान धार्मिक यात्राएं किया करते थे.

प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों की यात्रा भी पर्यटन का एक अहम स्तम्भ रहा हैं. आदि शंकराचार्य ने इसी तरह भारत की यात्रा कर चारों दिशाओं में चार मठों की स्थापना की थी.

प्राचीन समय के पर्यटन में धर्म की महत्वपूर्ण भूमिका थी. हिन्दू संतों ने देश के आंतरिक भागों में भ्रमण किया तथा जन जन तक धर्म का सही ज्ञान पहुंचाया,

वही अशोक आदि शासकों ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए कई देशों में अपने दूत भेजे, ईसाई व मुस्लिम मजहब के धर्मगुरुओं ने भी भिन्न भिन्न स्थलों की यात्रा कर अपने मत मजहब का प्रचार प्रसार किया.

भारत में एक ऐसा दौर भी आया जब समुद्र पार की यात्राओं को धर्म विरुद्ध माना जाता था. कहते है कि उस समय समाज में यह धारणा व्याप्त थी कि समुद्री यात्राओं से धर्म भ्रष्ट हो जाता हैं.

शायद यही वजह रही है जिसके चलते हम भारतीय यात्रियों के विदेशी यात्रा वृतांत नहीं मिलते हैं. धीरे धीरे समाज में इस तरह की भ्रांतियां खत्म हो गई आवागमन के साधनों के विकास के साथ ही भारतीयों ने भी बढ़ चढ़कर पर्यटन में भागीदार बने.

पर्यटन पर्व पर निबंध Essay On Paryatan Parv In Hindi – paryatan parv par nibandh

आज व्यक्ति को कहीं भी सुख चैन नसीब नहीं हो रहा हैं हर कोई अपनी अपनी समस्याओं का रौना रोता नजर आता हैं ऐसे तनाव भरे दैनिक माहौल में हर कोई चाहता है थोडा वक्त वह अपनी खुशियों को भी जगाने में लगाए एक दूसरे अच्छे स्थलों का भ्रमण करे.

वैश्विक स्तर पर 27 सितम्बर को विश्व पर्यटन पर्व अथवा दिवस मनाने का उद्देश्य भी यही है कि लोग बाग़ अपने घरों से निकले पर्यटन के लिए जाए.

पर्यटन के अपने व्यक्तिगत फायदे तो है ही मगर यह देशों के आर्थिक सामजिक व धार्मिक कल्चर को भी सम्रद्ध बनता हैं. आर्थिक दृष्टि से आज हर राष्ट्र सशक्त होना चाहता है ऐसे में पर्यटन का क्षेत्र राष्ट्र व समाज की तरक्की में अहम योगदान दे सकता हैं.

कई देश ऐसे है जिनकी अर्थव्यवस्था का मूल आधार पर्यटन ही हैं. हमारे भारत देश की इकोनोमी में भी टूरिज्म का अहम योगदान हैं. बदलते वैश्विक परिदृश्य में हमें अपने पर्यटन स्थलों को और अधिक आकर्षक बनाने पर ध्यान देना होगा, साथ ही साथी देशों के नागरिकों को भी यहाँ आने के लिए आमंत्रित करने की आवश्यकता हैं.

50 के दशक के बाद पर्यटन ने एक बड़े उद्योग के रूप में अपना स्थान बनाया हैं इसके महत्व को समझते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1980 में पहली बार अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन दिवस मनाने का निश्चय किया था तथा इसके लिए 27 सितम्बर का दिन चुना गया था,

इस दिन को चुनने का कारण यह था कि वर्ष 1970 में इसी दिन विश्व समुदाय ने विश्व पर्यटन संगठन के संविधान को अंगीकार किया था.

विश्व समुदाय के एक बड़े समूह के लिए पर्यटन आकर्षण का विषय रहा हैं. धार्मिक स्थल, मनोरम प्राकृतिक दृश्य, विश्व अचरज तथा ऐतिहासिक स्थलों की तरफ लोगों का अधिक रुझान देखा गया हैं.

जल तथा जलीय स्रोतों यथा नदियों, तालाबो, झीलों, सागरों के किनारे अच्छे दर्शनीय स्थलों का निर्माण अधिक हुआ हैं भारत में ही ऐसे दर्जनों स्थल है चाहे ताजमहल का नाम ले ले या अमरनाथ जी या कुम्भ इन सभी मे समानताएं हैं.

विश्व पर्यटन पर्व को मनाने का उद्देश्य यह है कि विश्व समुदाय को पर्यटन के सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक व आर्थिक मूल्यों से अवगत कराया जाए.

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