पुलिस पर निबंध | Essay on Police in Hindi

पुलिस पर निबंध Essay on Police in Hindi: दोस्तों पुलिस की सेवा और कार्यों से हम सभी परिचित हैं यदि आज हमारे समाज, राज्य, शहर में शान्ति एवं कानून व्यवस्था बहाल है तो इसमें पुलिस प्रशासन की बड़ी भूमिका हैं.

सर्दी गर्मी बरसात सभी मौसम में हमारी हिफाजत करने वाली पुलिस पर हमें गर्व होना चाहिए. भारत के सभी राज्यों की अपनी अपनी पुलिस होती हैं जो राज्य के नियंत्रण में कार्य करती हैं आज हम पुलिस का निबंध पढेगे.

पुलिस पर निबंध | Essay on Police in Hindi

पुलिस पर निबंध | Essay on Police in Hindi

The policeman is an important government servant. every day we saw him at the market, on the road, in circles, in public places, in railway stations, etc.

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Short Essay On Policeman In Hindi And English | पुलिस पर निबंध

the policeman is a very useful public servant. he wears the khaki uniform. he was a khaki and red turban. he wears black boots. he is tall and healthy. he looks smart in his uniform.

he has to do many duties. he maintains law and order. he stands at the crossing. he gives signals. he sees that the rules of the road are obeyed.

the work of the policeman is very hard. but he gets v very low pay. he must get higher pay. only then educated men will take the job. the policemen will then be very useful.

पुलिसकर्मी बहुत उपयोगी सरकारी कर्मचारी है। ड्यूटी पर पुलिसवाला खाकी वर्दी पहनता है। वह खाकी और लाल पगड़ी उनकी वर्दी का हिस्सा है। वह काले जूते पहनता है। शरीर में पुलिसवाला लंबा और स्वस्थ होता है। तथा अपनी वर्दी में काफी स्मार्ट दिखता है।

एक पुलिस वाले को कई कर्तव्यों का पालन करना है। वह कानून और व्यवस्था बनाए रखता है। तो कई बार क्रॉसिंग पर खड़ा रहना भी पड़ता है। वह आने जाने वाले वाहनों को सिग्नल देता है। वह देखता है कि सड़क के नियमों का पालन किया जा रहा है अथवा नही.

पुलिसकर्मी का काम बहुत कठिन है। लेकिन उन्हें तनख्वाह के रूप में बहुत कम वेतन मिलता है। उसे एक उच्च वेतन मिलना चाहिए।

तभी सुशिक्षित लोग पुलिस की नौकरी की तरफ आकर्षित होंगे, ऐसी स्थति में हमारी पुलिस और अधिक बेहतर ढंग से कार्य कर सकेगी.

पुलिस पर निबंध

वर्दी का अर्थ दुश्मनों का काल होती हैं चाहे वो बॉर्डर पर भारतीय सेना के रूप में हो अथवा अपने शहर की भारतीय पुलिस हो, राष्ट्र और समाज के विरोधी तत्वों से अपने नागरिकों की रक्षा करना इनका प्रथम कार्य होता हैं.

राज्य के कानून की पालना ठीक ढंग से हो यह जिम्मेदारी पुलिस प्रशासन के कंधों पर ही होती हैं. बहुत से लोगों को कानून से खेलना पसंद होता है वे समाज व राष्ट्र विरोधी कार्य करते हैं पुलिस उन्हें घर दबोच कर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करती हैं.

हमारे देश में पुलिस कई प्रकार की होती हैं विभिन्न श्रेणियों के पुलिस बल के कार्य भी अलग अलग होते हैं. केन्द्रिय रिजर्व पुलिस, यातायात पुलिस, सामान्य पुलिस, सशस्त्र पुलिस और गुप्तचर पुलिस के अलावा सभी राज्यों की अपनी अलग पुलिस होती हैं.

हमारी पुलिस सेवा में अच्छे पढ़े लिखे बुद्धिमान एवं शारीरिक रूप से स्वस्थ एवं हष्ट पुष्ट युवकों को भर्ती किया जाता हैं, आम तौर पर पुलिस खाकी वर्दी में होती हैं.

पुलिस लाइन में जवान अक्सर रहा करते हैं जबकि ड्यूटी के दौरान इन्हें पुलिस चौकी, थाना आदि में तैनात रहना होता हैं.

पुलिस का कार्य सर्वाधिक कठिन माना गया हैं. उन्हें नेताओं की रेलियों, सार्वजनिक सम्मेलनों, जुलूसों, हडतालों, बंद तथा ट्रैफिक पुलिस के रूप में व्यवस्था बनाए रखनी होती हैं.

24 घंटे उन्हें नागरिकों, व्यवसायियों, राजनेताओं, महिलाओं तथा उद्योग प्रतिष्ठानों की असामाजिक तत्वों, चोर, डाकू लुटेरों से सुरक्षा करनी पड़ती हैं. इस तरह अपने नागरिकों के जान माल की हिफाजत करना पुलिस का कार्य हैं.

एक पुलिस जवान का जीवन हमेशा खतरों से भरा होता है इस कारण इन्हें खतरों से खेलने वाले खिलाड़ी भी कहा जाता हैं अपराधियों के साथ मुठभेड़ उन्हें पकड़ने के प्रयास में कई बार जान तक चली जाती हैं.

सभी प्रकार के मौसम तथा विपरीत हालातों में उन्हें अपनी ड्यूटी पर जाना होता हैं. उपद्रवियों तथा पत्थरबाजों के पथराव का सामना भी करना होता हैं खूंखार से खूंखार किस्म के अपराधी को पुलिस पकडकर उन्हें न्यायालय के समक्ष हाजिर कर कानून व्यवस्था को बनाए रखती हैं.

आपसी झगड़े, रंजिश, द्विपक्षीय कार्यवाहियां, महिला शोषण, चोरी के माल, अवैध तस्करी की बरामदगी, आपसी सुलह के प्रयास आदि पुलिस के अधिकार क्षेत्र में आते हैं.

सरकार की ओर से पुलिस के हवलदार से लेकर सब इंस्पेक्टर तक सभी पदाधिकारियों को अच्छी सुविधा भी दी जाती हैं. अन्य नौकरियों की तुलना में पुलिस कर्मचारी को अच्छा वेतन, भत्ते तथा सरकारी आवास जैसी सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं.

इन सुविधाओं को देने के साथ ही राज्य की यह अभिलाषा होती हैं कि पुलिस निष्पक्ष, निर्भय एवं ईमानदारी के साथ अपने कर्तव्यों का पालन करे.

प्रत्येक पुलिस चौकी में सभी तरह के वाहनों को भी उपलब्ध करवाया जाता हैं इसके अलावा टेलीफोन, टीवी की सुगम व्यवस्था भी राज्य द्वारा दी जाती हैं. विविध तरह अपराधियों से निपटने के लिए शक्तियाँ व हथियार भी पुलिस को मुहैया करवाएं जाते हैं.

अन्य विभाग के कर्मचारियों की तुलना में पुलिस के कार्य, भूमिकाएं तथा जिम्मेदारियां सर्वाधिक महत्वपूर्ण होती हैं. हमारे समाज में कानून के राज की स्थापना तथा सुव्यवस्था कायम करने की नैतिक जिम्मेदारी पुलिस के कंधों पर होती हैं.

ऐसा भी कई बार देखने को मिलता है कि जिस पुलिस से समाज में व्यवस्था बनती है वे अधिकारी ही अव्यवस्था कराने लग जाते हैं पीड़ित लोगों के लिए रक्षक की बजाय भक्षक बन जाते हैं अनैतिक धन कमाने के लिए अपनी पद की गरिमा को भूल जाते हैं ऐसा करने वाले लोग पुलिस की छवि को बदनाम करने का कार्य कर रहे हैं.

आमतौर पर देखा जाता है राक्षस प्रवृत्ति के पुलिस अधिकारी अपने पद और अधिकारों का आम लोगों पर रौब जमाते दीखते हैं किसी बेकसूर से जबरदस्ती जुर्म कबूल करवाना, फर्जी एनकाउंटर को अंजाम देना, पुलिस से कुछ पूछ लेने अथवा गलत कर रहे अधिकारी को टोक देने पर उनकी पिटाई करने इस तरह की गतिविधियों से पुलिस के प्रति लोगों के दिलों में अविश्वास पनपता हैं.

अच्छा काम करने वाले एवं कर्तव्य निष्ठ पुलिसकर्मियों को सरकार द्वारा उचित सम्मान भी दिया जाता हैं. विभिन्न पदक एवं स्टार तथा पदोन्नति दी जाती हैं.

राष्ट्रीय दिवसों अथवा पुलिस स्थापना दिवस पर राष्ट्रपति पुलिस पदक प्रदान करते है तथा नागरिकों द्वारा भी उनका अभिनन्दन किया जाता हैं.

पुलिस की भूमिका पर निबंध

पुलिस का सामान्य अर्थ  राज्य द्वारा नियुक्त ऐसे व्यक्तियों के समूह से है जिनको यह दायित्व दिया गया है कि वो राज्य  द्वारा बनाए गए कानूनों का पालन सुनिश्चित करवाएं तथा समाज में शांति व्यवस्था कायम रखें साथ ही संपत्ति की सुरक्षा का दायित्व भी पुलिस पर है.

प्रत्येक देश वैश्वीकरण के दौर में अपनी आंतरिक तथा बाह्य सुरक्षा को सदैव तत्पर रहते हैं. आंतरिक सुरक्षा तथा कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए साथ ही कानून राज की स्थापना के लिए पुलिस जैसी व्यवस्था का होना अपरिहार्य है.

कोई भी समाज कितना ही सभ्य क्यों ना हो असामाजिक तत्व प्रत्येक स्थिति में विद्यमान रहते हैं ऐसी स्थिति में शांति व्यवस्था कायम करने हेतु  तथा प्रत्येक व्यक्ति को गरिमा पूर्ण जीवन जीने के अवसर प्रदान पुलिस जैसी किसी व्यवस्था के अधीन ही दिए जाने संभव हैं.

पुलिस व्यवस्था एक तरफ अपराधिक गतिविधियों पर अंकुश लगाती है तो दूसरी तरफ  प्राकृतिक आपदाओं के समय योद्धाओं की तरह व्यवस्था बनाए रखने में अपनी जान तक जोखिम में डाल देते हैं.

विश्व के अधिकांश देशों में लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था कायम है इन देशों में पुलिस की भूमिका  अधिक अहम हो जाती है नागरिकों के जीवन स्तर के प्रत्येक पहलू पर कहीं ना कहीं पुलिस अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है.

लोकतांत्रिक देशों में पुलिस शासन व्यवस्था के महत्वपूर्ण अंग के रूप में तथा लोकतांत्रिक मूल्यों के पालन में पुलिस की भूमिका बढ़ जाती है.

राष्ट्र की उत्तरोत्तर प्रगति में भी पुलिस अहम  भूमिका  निभाती है जमाखोरी तस्करी drug supply स्मगलिंग रिश्वतखोरी कालाबाजारी भ्रष्टाचार जैसे अनेक अपराधों  पर नकेल कसने से ही राष्ट्र का चहुमुखी विकास संभव है.

ट्रैफिक पुलिस की भूमिका भारत जैसे विकासशील देश में महत्वपूर्ण है, ट्रैफिक पुलिस ना केवल जाम लगने से रोकती है बल्कि जाम से उत्पन्न होने वाली अनेकों समस्याओं से निजात भी दिलवाती है.

हमारे देश भारत में पुलिस  राज्य सूची का विषय है इसलिए प्रत्येक राज्य के पास ही अधिकार है कि वह अपने लिए पुलिस बल का गठन कर सके या यूं कहा जा सकता है कि भारत में प्रत्येक राज्य के पास अपनी-अपनी पुलिस है, केंद्र भी राज्यों की सहायता के लिए पुलिस बल का गठन कर सकता है.

आमतौर पर देखा गया है कि पुलिस की सभी हमारे लिए नकारात्मकता का भाव पैदा करती है परिणाम स्वरूप आमजन में विश्वास की बजाय अविश्वास और असंतोष बढ़ जाता है इसके लिए बहुत से कारण जिम्मेदार हैं और सबसे बड़ा कारण पुलिस की जवाबदेहीता में खोजा जा सकता है.

लोकतांत्रिक देश में पुलिस को नागरिकों के प्रति जवाबदेह  होना चाहिए इसके द्वारा ही आमजन में विश्वास जगाकर  सुशासन की स्थापना की जा सकती है.

परिवर्तन ही संसार का नियम है और इतिहास गवाह है कि जिस व्यवस्था ने अपने आप को समय के अनुसार प्रतिस्थापित कर लिया वही व्यवस्था अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में अधिक सफल रही है इसलिए पुलिस में संस्थागत सुधारों की आवश्यकता महसूस की गई है.

सर्वोच्च न्यायालय ने भी अपने ऐतिहासिक निर्णय तथा समय-समय पर गठित पुलिस सुधारों के लिए विभिन्न आयोग व समितियों ने भी व्यापक स्तर पर सुधारों की सिफारिशें दी है.

पिछले कुछ वर्षों  में घटित घटनाओं ने पुलिस व्यवस्था में सुधार तथा पुलिस की अहम भूमिका को बदलते  समय तथा सामाजिक परिवेश के अनुसार ढलने की गुंजाइश को इंगित किया है, समाज के कमजोर तथा पिछड़े वर्गों के प्रति पुलिस  का मित्रता पूर्ण व्यवहार  आवश्यक है.

पुलिस आवश्यक क्यों है?

अगर पुलिस व्यवस्था ना हो तो अराजकता का माहौल पैदा होता या ऐसे  कहें कि पुलिस के बिना कानून व्यवस्था रूपी इमारत आधारहीन हो जाएगी तो गलत नहीं होगा.

जैसे जैसे अपराधों की प्रकृति में परिवर्तन आया है पुलिस की भूमिका भी उसी प्रकार से बदल रही है वर्तमान के सूचना प्रौद्योगिकी के दौर में साइबर क्राइम तथा नागरिकों की निजता के मामलों में भी पुलिस की भूमिका अहम हो जाती है.

हमारे देश में चुनाव का माहौल हो या फिर कोई प्राकृतिक आपदा हो उस समय पुलिस की भूमिका आवश्यक रूप से जन हितेषी हो जाती है.

अब सवाल ये उठता है कि आखिरकार वे कौन से तत्व जिनकी बदौलत पुलिस की  छवि हमारे समाज में रक्षक की बजाय नकारात्मकता का भाव लिए हुए  है??

और इस मामले में भ्रष्टाचार  नाम सबसे ऊपर है क्या इसके लिए हमारी व्यवस्था जिम्मेदार है या फिर नागरिक इसी तरह के कई सवाल आप सोचते होंगे या सुनते होंगे.

अब जरा गौर करिए  हमारे देश में कानून निर्माण की शक्ति केंद्र में संसद तथा राज्यों में राज्य विधायिका को दी गई है   अतः आवश्यकता है कि पुलिस सुधार से संबंधित कानून बनाया जाए.

आपराधिक गठजोड़ को तोड़ा जाए, और सबसे महत्वपूर्ण बात पुलिस अपनी भूमिका को अच्छी तरह से  निभाए इसके लिए जरूरी  है कि उनको स्वविवेक, स्वतंत्रता , बिना किसी बाहरी  दबाव के काम करने दिया जाए, पर्याप्त वेतन और भत्ते  भी आवश्यक है.

निष्कर्ष ,कहा जा सकता है की पुलिस की भूमिका प्रत्येक राज्य के लिए, rule of law की स्थापना के लिए, शांति व्यवस्था स्थापित करने तथा कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए, अपराधियों में भय तथा आमजन में विश्वास के लिए पुलिस काम करती है.

साथ ही राष्ट्र को अंदरूनी समस्याओं से बाहर निकालने के लिए, आपदाओं पर विजय पाने के लिए, सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा के लिए, तथा नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा के रूप में पुलिस की भूमिका अति महत्वपूर्ण है.

FAQ

पुलिस का प्रमुख कार्य क्या हैं?

कार्य व्यवस्था बनाएं रखना

पुलिस विभाग कौन कौनसे पद होते हैं?

कांस्टेबल जीडी, कांस्टेबल ट्रेडमैन, सब इंस्पेक्टर, सहायक उप निरीक्षक

पुलिस स्टेशन को आम भाषा में क्या कहते हैं?

पुलिस थाना

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आशा करता हूँ दोस्तों भारतीय पुलिस पर दिया गया निबंध Essay on Police in Hindi आपकों पसंद आया होगा,

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