रामायण पर निबंध Essay On Ramayana In Hindi

Essay On Ramayana In Hindi रामायण पर निबंध:सभी धर्मों के अपने अपने पवित्र ग्रंथ हैं जैसे इस्लाम में कुरान हदीस सिख में गुरु ग्रंथ साहिब, ईसाईयों की बाइबिल इसी तरह हिन्दुओं के लिए गीता और रामायण को पवित्र पुस्तकों में गिना जाता हैं. 

त्रेतायुग में विष्णु के अवतार के रूप में अयोध्या में राजा दशरथ और रानी कौसल्या के पुत्र राम की सम्पूर्ण जीवन कहानी को रामायण में बताया गया हैं.

Essay On Ramayana In Hindi में हम वाल्मीकि रामायण के बारे में इस निबंध में जानेगे.

रामायण पर निबंध Essay On Ramayana In Hindi

रामायण पर निबंध Essay On Ramayana In Hindi

भारत के इतिहास में रामायण को प्रमाणिक ऐतिहासिक व धार्मिक ग्रंथ माना गया हैं. साथ ही अत्यंत प्राचीन होने के कारण इसे आदि काव्य भी कहते हैं. २४ हजार श्लोकों में वाल्मीकि रामायण को लिखा गया हैं. 

सम्पूर्ण कहानी सात भागों में प्रकाशित हैं. जिसके दो मुख्य पात्र राम व रावण हैं. राम को मर्यादा पुरुषोत्तम, अच्छाई का प्रतीक तथा रावण को अन्यायी व दुराचारी के रूप में दिखाया गया हैं.

सबसे पहली व मौलिक रामायण की रचना आचार्य वाल्मीकि द्वारा की गई. जो सरल संस्कृत भाषा में छंद दोहा तथा चौपाई विधा में लिखी गई. इसके बाद के समय में कई काव्यकारों ने अपने अपने ढंग से राम की कथा को प्रस्तुत किया.

तुलसी दास जी ने भी बिरवे रामायण तथा रामचरितमानस की रचना की. रामायण को हिन्दुओं में श्रद्धेय तो माना गया हैं मगर वेदों की तुलना में इन्हें उनके बाद रखा गया हैं.

रामायण की कहानी के अनुसार, राजा दशरथ ने अपनी राजधानी के रूप में अयोध्या के साथ कोसल (उत्तरी अवध) पर शासन किया.

उनकी तीन पत्नियाँ थीं, कौशल्या, प्रमुख रानी, ​​सुमित्रा और कैकयी। उनके चार पुत्र थे- राम, (कौशल्या से ज्येष्ठ पुत्र), लक्ष्मण और शत्रुघ्न (सुमित्रा का जन्म) और भरत (सबसे छोटी रानी कैकेयी का पुत्र) थे.

जब राजा दशरथ वृद्ध हुए तो उन्होंने अपने ज्येष्ठ पुत्र राम को अयोध्या का अगला शासक नियुक्त किया. मगर दूसरी तरफ रानी कैकेयी अपने बेटे भरत को राजसिंहासन पर बिठाना चाहती थी.

अतः कई वर्ष पूर्व उन्होंने दशरथ की रक्षा में मांगे गये वचन दशरथ के सामने रखे, जिनमें पहला राम को 14 साल का वनवास तथा दूसरा भरत को राजपद देना.

अपने पिता को असमंजस की स्थिति में देखकर राम ने सीता व लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष के वनवास को स्वीकार किया. पिता के वचन की पालना में वे जंगल में गये. भरत को जब यह पता चला तो वे बेहद दुखी हुए तथा राम के पीछे चले गये.

अपनी माँ के कुटिल व्यवहार की क्षमा माँगकर उन्हें वापिस आने का निवेदन किया. मगर उन्होंने भरत को समझाया तथा वापिस अयोध्या जाकर शासन जारी रखने को कहा.

वनवास के दौरान जब राम नासिक के पास पंचवटी में जंगल में रह रहे थे, तब रावण की बहन ने उनसे मुलाकात की और लक्ष्मण से उनकी शादी करने के लिए कहा।

लक्ष्मण ने न केवल उससे शादी करने से इनकार कर दिया बल्कि उसका अपमान भी किया। राक्षस राजा रावण ने अपनी बहन के अपमान का बदला लेते हुए सीता का लंका में अपहरण कर लिया।

राम और लक्ष्मण ने सीता को बचाने के लिए लंका की ओर प्रस्थान किया। रास्ते में राम ने सुग्रीव को बाली से अपना खोया हुआ राज्य वापस पाने में मदद की इस उपकार के लिए कृतज्ञता के प्रतीक के रूप में सुग्रीव ने अपनी सक्षम सेना के सेनापतिहनुमान जी तथा स्वयं सेना लेकर भगवान राम के साथ चले.

सीता के लिए न्याय और अन्याय का युद्ध राम व रावण के मध्य महायुद्ध होता हैं. इस युद्ध में रावण का भाई विभीषण भी राम का साथ देता हैं.

युद्ध में अन्यायी रावण का समूल नाश हो जाता हैं. इस तरह उनका चौदह वर्ष का वनवास पूर्ण होते ही वे सीता के संग अयोध्या आ जाते हैं.

हालांकि, राम की मुसीबतें खत्म नहीं हुईं और उन्हें सीता को उनके महल से भेजने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि उनकी पवित्रता पर कुछ विषयों का संदेह था।

सीता ने अंततः वाल्मीकि के आश्रम में आश्रय पाया और लव और कुश को जन्म दिया. जब भगवान राम ने अश्वमेध यज्ञ किया तो लव कुश ने उनके घोड़े को पकड़ लिया,

यही उनका परिचय राम से होता हैं. गुरु विशिष्ठ राम को सम्पूर्ण घटना बताते हैं, जिसके बाद राम लव कुश को अपना उत्तराधिकारी मान लेते हैं.

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