विद्यार्थी जीवन पर निबंध हिंदी में | Essay on Student Life in Hindi

Essay on Student Life in Hindi: एक इन्सान के जीवन में सभी कालों से महत्वपूर्ण विद्यार्थी जीवन का काल होता है यही से उनके भविष्य की दिशा तथा दशा तय हो जाती हैं.

अच्छी परवरिश, अच्छी शिक्षा, अच्छी संगती तथा मेहनत लग्न करने वाले विद्यार्थी जीवन में सफलता के नयें नयें आयाम स्थापित करते है. आज का हमारा हिंदी निबंध विद्यार्थी जीवन पर ही लिखा गया हैं. 

Student Life, Vidyarthi Jeevan Essay में हम इस कालावधि के महत्व के बारे में आपकों इस छोटे स्टूडेंट् लाइफ एस्से के जरिये बता रहे हैं.

विद्यार्थी जीवन पर निबंध हिंदी में | Essay on Student Life in Hindi

मनुष्य के लिए विद्यार्थी जीवन बहुत महत्वपूर्ण होता है, बाल्यकाल से ही मनुष्य का विद्यार्थी जीवन आरम्भ हो जाता हैं. मनुष्य का बाल्यकाल कोमल पौधे के समान होता हैं, जिसे समुचित देखभाल और मार्गदर्शन की आवश्यकता होती हैं.

पहले माता-पिता अपनी संतानों को बाल्य काल में ही गुरुकुल अथवा आश्रम भेज दिया करते थे. वहां के विद्यार्थियों को कठोर अनुशासन में रखा जाता था.

वर्षों के निरंतर अभ्यास के उपरान्त विद्यार्थी गुरुकुल अथवा आश्रम से विद्वान एवं पराक्रमी बनकर बाहर निकलते थे. आज गुरुकुल की परम्परा नहीं हैं. गुरुकुल तथा आश्रमों का स्थान विद्यालयों ने ले लिया हैं. परन्तु आज भी पूर्व की भांति विद्यार्थी जीवन ही मनुष्य का भविष्य निर्धारित करता हैं.

विद्यार्थी जीवन में मनुष्य ज्ञान अर्जित करता हैं, साथ ही उसे आगे बढने की प्रेरणा मिलती हैं. विद्यार्थी जीवन में ही मनुष्य में सच्चा नागरिक बनने की योग्यता उत्पन्न होती हैं.

जीवन में कठोर परिश्रम से निरंतर अभ्यास करने वाले विद्यार्थी ही परीक्षा में उतीर्ण होते हैं. दूसरी ओर कठोर परिश्रम से घबराने वाले विद्यार्थी मन लगाकर अभ्यास नहीं करते और पिछड़ जाते हैं.

वास्तव में विद्यार्थी जीवन मनुष्य के लिए फूक फूक कट कदम रखने वाला काल होता हैं. इस काल में उचित मार्गदर्शन की विशेष आवश्यकता होती हैं.

जो विद्यार्थी स्वयं पर नियंत्रण रखकर, उचित अनुचित का विचार करके निर्णय लेता हैं, वह पथभ्रष्ट होने से बचा रहता हैं, इस प्रकार निरंतर परिश्रम से विद्यार्थी शिक्षित होकर अपना भविष्य सुरक्षित करने में सफल रहता हैं.

लेकिन जो विद्यार्थी उचित दिशा निर्देश पर ध्यान नही देता, परिश्रम से जी चुराता है और विद्यार्थी जीवन का मौज मस्ती में दुरूपयोग करता हैं.

वह अपने पैरों पर स्वयं कुल्हाड़ी मारने जैसा कार्य करता हैं. कुछ ही वर्षों में मौज मस्ती का समय व्यतीत हो जाता है और जब जीवन के यथार्थ से सामना होता है तो ऐसा विद्यार्थी स्वयं को अयोग्य पाता हैं.

आज के संसार में किसी भी इन्सान को सफल होने के लिए उसके पास योग्यता का होना बेहद जरुरी है. निक्कमे तथा अयोग्य लोगों के बारे में कोई नहीं पूछता हैं. निरंतर तेजी से कम्पीटीशन का युग ज्यों ज्यों बढ़ रहा है उसके अनुकूल स्वयं को संघर्ष करते हुए आगे बढाने पर ही सफलता अर्जित करनी पड़ती हैं.

जिस व्यक्ति में आरम्भ से ही संघर्ष करने की क्षमता व जूनून नहीं हैं. वह न तो संघर्ष करने की स्थिति में रहता है और न ही यह निश्चय कर पाता है कि अब उन्हें किस राह जाना हैं.

एक विशेष क्षेत्र में योग्यता के अर्जन के लिए इन्सान को कड़ा परिश्रम करना पड़ता हैं. तब जाकर वह एक क्षेत्र में महारत हासिल कर पाता हैं. यदि विद्यार्थी जीवन से ही चरित्र निर्माण सम्बन्धी इन छोटी छोटी बातों का अनुसरण किया जाए तो लक्ष्य प्राप्ति की राह अधिक आसान हो जाती हैं.

विद्यार्थी जीवन को इसलिए भी जीवन निर्माण की अवधि माना जाता हैं क्योंकि इस समय स्टूडेंट्स पर परिवार घर आदि किसी तरह की जिम्मेदारियों के बंधन से मुक्ति भी रहती हैं. जिससे वह अपने क्षेत्र में मेहनत करते हुए अच्छा कर पाता हैं.

हरेक विद्यार्थी के जीवन में कुछ सपने होते है जिन्हें वह बड़ा होकर साकार करना चाहता हैं. सभी सपनों के पूरा होने का द्वार शिक्षा ही हैं. कोई डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक आदि बनना चाहता है.

मगर सही दिशा में निरंतर अभ्यास एवं संघर्ष के बिना छोटा हो या बड़ा सभी कार्य असम्भव बनकर ही रह जाते हैं. यहाँ अपने सपनों से बिछड़ा होने पर आगे वह अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों का निर्वहन भी ठीक तरीके से नहीं कर पाता हैं.

वाकई में विद्यार्थी जीवन बेहद सावधानी के साथ आगे बढने वाला वक्त होता हैं. उम्रः के इस मोड़ पर जहाँ उन्हें अपने चरित्र निर्माण एवं संघर्ष के साथ जीवन बिताना होता है वही उन्हें एक अच्छे भविष्य की आस भी रखनी होती हैं.

उन्हें यह बात निश्चय कर लेनी चाहिए कि विद्यार्थी जीवन में की गयी मेहनत उनकों अपने लक्ष्य तक जाने में मदद करेगी साथ ही कठोर परिश्रम के आगे कोई भी लक्ष्य बड़ा या असम्भव नही होता हैं जिसे हासिल नही किया जा सके.

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व Essay on the importance of discipline in student life

बिना अनुशासन विद्यार्थी जीवन की कल्पना करना बहुत कठिन है. स्कूल जाने का एक बड़ा कारण यही होता है कि एक बच्चे के भीतर अनुशासन का पालन करने के भाव उत्पन्न किये जाए.

जीवन में अनुशासन में रहे छात्र ही अच्छा परफोर्म कर पाते हैं. ऐसे छात्र हर टीचर की निगाहों में रहते हैं और हर वक्त प्रशंसा हासिल करते है.

यदि किसी स्टूडेंट्स या बच्चे को अनुशासन के बारे में बताया जाए, तो उसे अपने भावी जीवन में आने वाली कठिनाइयों को हल करने में ज्यादा तकलीफ नहीं होगी. वहीं दूसरी तरफ जो छात्र अनुशासन और बेसिक नियमों का पालन नहीं करते हैं उन्हें काफी बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं.

जो छात्र अनुशासनहीन होता है उसे अमूमन कोई भी पसंद नहीं करता. आगे चलकर अनुशासन हीन व्यक्ति लाइफ में ईर्ष्या, अहिंसा, असत्य, बड़ों से झूठ बोलना, बड़ों का आदर ना करना, अपने गुरु का आदर ना करना, गलत संगत आदि बुरी आदतों की लत लग जाती है और एक आदर्श जीवन से बहुत दूर हो जाता हैं.

Faq

Q. काक चेष्टा बको ध्यानं श्वान निद्रा तथैव च अल्पहारी गृह त्यागी विद्यार्थी पंच लक्षणं का अर्थ क्या हैं?

Ans:- कौवे की तरह चतुर बगुले की तरह ध्यान वाला कुत्ते की तरह अल्प निद्रा गृह त्यागी और अल्प आहारी ये आदर्श विद्यार्थी के पांच लक्षण बताएं गये हैं.

Q. आधुनिक विद्यार्थी जीवन चुनौतियों से भरा क्यों हैं?

Ans:- इंटरनेट के युग में संयमित, अनुशासित और लक्ष्य केन्द्रित विद्यार्थी जीवन काफी जटिल और चुनौतियों से भरा बन चूका हैं.

Q. एक विद्यार्थी का पहला उद्देश्य क्या होता हैं?

Ans:- विद्यार्जन

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