विद्यार्थी और राजनीति पर निबंध | Essay on Students and Politics in Hindi

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कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8 ,9, 10 में पढ़ने वाले विद्यार्थी इस एस्से का उपयोग Essay on Students and Politics in Hindi अथवा role of youth in indian politics essay in hindi के शीर्षक के रूप में 5,10 लाइन, 100, 200, 250, 300, 400, 500 शब्दों में अच्छा निबंध लिख सकेगे.

विद्यार्थी और राजनीति पर निबंध Essay on Students and Politics in Hindi

विद्यार्थी और राजनीति पर निबंध | Essay on Students and Politics in Hindi

Here Is A Short And Long Length Essay on Students and Politics in Hindi Language For School Students & Kids.

Essay on Students and Politics in Hindi In 500 Word

प्रस्तावना- स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हमारे नेताओं ने लोकतंत्रात्मक शासन व्यवस्था को अपनाया हैं.

इसी प्रक्रिया के अंतर्गत राजनैतिक चेतना का संचार करने और सामान्य नागरिक के मौलिक अधिकारों तथा कर्तव्यों का ज्ञान कराने के लिए हमारे यहाँ विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में छात्र संघों का गठन किया जाता हैं.

छात्र संघ के माध्यम से उन्हें लोकतांत्रिक प्रक्रिया व संसदीय प्रणाली का ज्ञान करवाया जाता हैं.

राजनीति का स्वरूप-वर्तमान समय में राजनीति का वास्तविक स्वरूप सक्रिय राजनीति से हैं. इसके अनुसार किसी राजनीतिक दल का गठन करना या किसी राजनीतिक दल की सदस्यता ग्रहण कर लोक प्रतिनिधि के लिए चुनाव लड़ना सक्रिय राजनीति मानी जाती हैं.

परन्तु विद्यार्थी जीवन में जिस राजनीति का ज्ञान दिया जाता है उसका उद्देश्य छात्रों को जनतांत्रिक शासन व्यवस्था का ज्ञान कराना हैं.

उनमें संविधान प्रदत्त अधिकारों के उपयोग की चेतना उत्पन्न करना हैं. इस प्रकार विद्यार्थी जीवन में राजनीति का आशय लोकतंत्र की शिक्षा देना हैं.

विद्यार्थियों के लिए राजनीति का औचित्य- जहाँ तक जनतांत्रिक शासन व्यवस्था के प्रति राजनीतिक चेतना जागृत करना तथा संसदीय प्रणाली का ज्ञान प्राप्त करना है,

वहां तक विद्यार्थियों के लिए राजनीति उचित है, क्योंकि उस सीमा तक उनके लिए वह पाठ्य विषय ही हैं.

लेकिन जब विद्यार्थी दलगत राजनीति की गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेने लग जाते हैं तो वे नियमित अध्ययन से विमुख होने लगते हैं. तब वे विभिन्न राजनीतिक दलों से जुड़कर स्वार्थ साधने की प्रवृत् हो जाते हैं.

इस दशा में वे प्रायः स्वार्थी, भ्रष्ट एवं कुचक्री नेताओं के चक्कर में आकर हड़ताल, तोड़फोड़ आदि असमाजिक प्रवृत्तियों में भाग लेते हैं. इस दृष्टि से विद्यार्थियों के लिए सक्रिय राजनीति उचित नहीं हैं.

विद्यार्थियों के कर्तव्य- विद्यार्थी जीवन मानव के विकास की आधारशिला हैं. इसलिए जब विद्यार्थी अपने सामने उच्च आदर्शों और लक्ष्यों को निर्धारित कर तदनरूप शिक्षा प्राप्त करेगे, तब निसंदेह उनका भावी जीवन प्रशस्त होगा.

इसलिए उनका प्रमुख कर्तव्य यह हैं कि वे अपने विद्या मन्दिरों को गलत स्वार्थगत कलुषित राजनीति से बचाकर रखे और छात्र संघों के गठन को मात्र राजनैतिक चेतना की शिक्षा माने. वे अपना जीवन सफल बनाने तथा सच्चरित्रों को अपनाने में ही विशेष रूचि रखे.

उपसंहार- अतएवं संक्षेप में कहा जा सकता है जहाँ तक विद्यार्थियों में राजनैतिक चेतना और जनतांत्रिक शासन व्यवस्था के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने का प्रश्न हैं.

वहां तक उन्हें छात्र संघों के द्वारा अपने विचारों को परिपक्व बनाना चाहिए परन्तु उन्हें सदा ही सक्रिय राजनीति से सदा दूर ही रखना चाहिए.

Long Essay on Students and Politics in Hindi In 1000 Words

व्यक्ति के सर्वागीण विकास का द्वार शिक्षा ही हैं अच्छी शिक्षा व्यक्ति के व्यक्तित्व निर्माण में सहायक होती हैं. विद्यार्थी काल वह अवस्था है जिसमें पूर्ण मनोयोग के साथ शिक्षा अर्जन से एक अच्छे नागरिक का निर्माण होता हैं.

विद्यार्थियों को इस काल में अपना पूर्ण ध्यान शिक्षा पर देना चाहिए, मगर दुर्भाग्यवंश आज के विद्यार्थी सक्रिय राजनीति में स्वयं को प्रस्तुत करने के अवसर की तलाश में रहते हैं.

अध्ययन की प्रवृत्ति के स्थान पर गंदी राजनीति को समर्थन करने लगते हैं. यही वजह है कि देश के नामी शिक्षण सस्थान आज पोलिटिक्स के अखाड़े में बदलते जा रहे हैं.

यह हमेशा चर्चा का विषय रहा है कि क्या स्कूल कॉलेज के विद्यार्थियों को सक्रिय राजनीति में हिस्सा लेना चाहिए अथवा नहीं.

यह विषय की तरह इस सवाल पर भी लोगों के दो मत हैं. कुछ इस बात का समर्थन करते है तो कुछ विद्यार्थी राजनीति का प्रबल विरोध करते हैं.

समर्थन करने वाले लोगों का मानना है कि आज के ये विद्यार्थी ही कल के नेता हैं ये ही हमारी शासन व्यवस्था के सूत्रधार होंगे.

यदि ये अभी से सक्रिय तथा व्यवहारिक राजनीति में हिस्सा नहीं लेगे राजनीति के प्रभेदों तथा इसकी बारीकियों को नही समझेगे तो भविष्य में अपने दायित्व का सफल निर्वहन नही कर सकेगे.

जिस तरह राजनीति का प्रत्यक्ष प्रभाव हर क्षेत्र पर पड़ता है फिर शिक्षा तथा विद्यार्थी इसके प्रभाव से अछूते कैसे रह सकते हैं.

इसलिए यह बेहतर समय है जब वे सत्ता पक्ष तथा विपक्षी दलों के मध्य तटस्थ रहकर निरपेक्ष भाव से आज की राजनीति की समीक्षा व मूल्यांकन करे तथा एक श्रेष्ट राह को खोज निकाले.

विद्यार्थियों से यह अपेक्षा की जाती हैं कि वे देश के हितैषी तथा देश के नाम पर अपनी राजनीति की रोटियाँ सकने वाले नेताओं तथा दलों की पहचान करे.

भारत में जितना प्राचीन राजनीति का इतिहास रहा हैं उतना ही पुराना राजनीति और विद्यार्थी का आपसी समन्वय भी रहा हैं भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भी महात्मा गांधी ने विद्यार्थियों को राजनीति में आने का न्यौता दिया था.

अस्सी के दशक में आपातकाल के दौरान भी जयप्रकाश नारायण ने विद्यार्थियों को आंदोलन में शामिल करने का समर्थन किया था.

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