बाघ पर निबंध | Essay On Tiger In Hindi Language

Essay On Tiger In Hindi Language : दोस्तों आज हम आपके साथ राष्ट्रीय पशु बाघ पर निबंध भाषण अनुच्छेद साझा कर रहे हैं. Tiger Essay Hindi में हम बाघ के बारे में निबंध पढेगे.

कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 के बच्चों के लिए सरल भाषा में टाइगर पर निबंध बता रहे हैं. 100, 150, 200, 250,300, 400 और 500 शब्दों में बाघ का निबंध नीचे दिया गया हैं.

बाघ पर निबंध Essay On Tiger In Hindi Language

Essay On Tiger In Hindi Language

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बाघ पर निबंध 100 शब्द

बाघ अर्थात बंगाली टाइगर भारत का राष्ट्रीय पशु हैं. जंगल की शान कहा जाने वाला बाघ सर्वाधिक शक्तिशाली व आकर्षक वन्य प्राणी हैं. पीले व हल्के भूरे रंग के शरीर पर काली धारियां इसके पूरे शरीर पर बनी होती हैं. चार मजबूत पैर एवं पैरो में तीखें नाख़ून बाघ को शिकार में मदद देते हैं.

शेर की तरह बाघ के भी दांत पैने व बड़े होते हैं. बिल्ली परिवार का यह प्राणी बिल्ली के रंग रूप का व आकार में उससे कुछ बड़ा होता हैं. हिंसक व मांसाहारी इस वन्य जीव को मांस अधिक पसंद होता हैं. आमतौर पर बाघ के दर्शन जंगल में ही होते हैं.

वर्ष 1973 में इसे आधिकारिक रूप से भारत का राष्ट्रीय पशु घोषित किया गया. घटती बाघों की संख्या को देखकर वन विभाग द्वारा टाइगर प्रोजेक्ट के तहत इनका संरक्षण किया जा रहा हैं.

भारत में बाघों का शिकार पूरी तरह निषिद्ध कर दिया गया हैं. आम व्यक्ति इन्हें चिड़ियाघर या सर्कस में आसानी से देख सकता हैं.

(500 शब्द) बाघ पर निबंध Tiger Essay in Hindi Language

प्रस्तावना :-

हमारे देश मे ऐसे बहुत से जीव -जंतु होते है, जो हमारे पर्यावरण के लिये बहुत महत्वपूर्ण होते है उन मे से एक पशु बाघ होता है। यह मांसाहारी पशु होता है यह छोटे जानवरो जैसे -बकरी, गाय, भैस,हिरण आदि का शिकार करके अपना पेट भरता है, कभी -कभी मनुष्यों पर ही हमला कर उन्हें अपना शिकार बना लेता है।

बाघ छुप कर शिकार की तरफ धीरे -धीरे जाते है और जैसे ही पास पहुंचते है वह अपने शिकार पर अचनाक से आक्रमण करते है और पंजे के बल शिकार को दबोच लेते है।

आज के समय मे बाघ की प्रजाति धीरे धीरे लुत्प होती जा रही है इसके पीछे मुख्य वजह यह है कि लोग अपने फायदे के लिये वनो की कटाई करते जा रहे है जिससे वनो मे रहने वाले जीव -जंतु का घर उजड़ जाता है और वह इधर -उधर भागने लगते है।

बाघ भी छोटे जानवरो को अपना शिकार बना कर जंगलो मे रहते हैं, पर वनो के काटने से शिकार की तलाश मे बाघ वनों से बाहर निकल जाते है रहने का सही वातावरण ना मिलने के कारण उनकी प्रजाति विलुप्त होती जा रही है।

बाघ की शारीरिक संरचना: –

बाघ का शरीर बहुत मजबूत होता है वह काफ़ी मोटा होता है। क्योंकि वह सिर्फ मांस खाता है इसलिए वह तन दुरस्त रहता है। बाघ के शरीर की लंबाई 7 – 10 फुट तक होती है।

बाघ का वजन 350 किलो से ज्यादा भी हो सकता है। बाघ की दो बड़ी आंखें होती है और बाघ के दाँत बड़े और नुकीले होते है। इसके दो कान होते है,बाघ के शरीर में काले और भूरे रंग की धारियां पड़ी होती है। हालाँकि साइबेरिया और चीन में सफेद रंग के बाघ पाये जाते है।

बाघ की विशेषताऐ :-

बाघ 40-55 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ़्तार से दौड़ सकता है लेकिन शरीर बहुत भारी होने के वजह से बाघ दौड़ते -दौड़ते जल्दी थक जाता है। बाघ के जीवनकाल की अवधि 10 से 15 साल तक ही होती है। लेकिन कुछ ऐसे बाघ होते है जो आधिक समय यानि 25 वर्ष तक जीवित रह सकते है।

बाघ एक दिन में 20 से 30किलो तक मांस खा लेता है,मादा बाघ के गर्भकाल की अवस्था 90 से 115 दिन के अंदर होती है है। मादा बाघ एक साथ 2 से 3 बच्चो को जन्म दे सकती है।

मादा बाघ के बच्चे 14 से 15 दिन के अंदर ही आँख खोलते है, बता दें बाघ आम इंसानों के जैसे पानी में अच्छे से तैर सकते है।

बाघों की जीवन शैली –

बाघ वनो में अकेले मरहना ज्यादा पसंद करते है,यह भारत मे सभी जगहों पर देखने को मिल जाते थे।लेकिन यह ज्यादातर वनो में सबसे अधिक पाये जाते है यह झाड़ियों के पीछे छुप कर शिकार की तलाश मे बैठे रहते है और शिकार के मिलते ही उस पर जोर से झपट्ट कर वह जल्दी से शिकार को दबोच लेते है।

एक बाघ अपने क्षेत्र मे रहता है अगर वहां और शिकार करते समय दूसरा बाघ आ जाता तो दोनों की लड़ाई हो जाती है, क्योंकि यह अपना शिकार किसी दूसरे बाघ के साथ बाँटना पसंद नहीं करते है, प्रायः सारा मांस खुद अकेले या अपने परिवार के साथ मिलकर खा जाते है।

बाघों की प्रजातियो के विलुप्त होने कारण :-

हमें प्रजतियों को बचाने के लिए सभी को जागरूक करना बेहद जरूरी होता है। बहुत से लोग अपने स्वार्थ के लिए जंगलो की अंधाधुंध कटाई किये जा रहे है, जिसके कारण बाघो को सही अनुकूल वातावरण ना मिलने की वजह से बाघो की प्रजातियां विलुप्त होने की कगार मे आ चुकी है।

आज के समय मे सरकार की तरफ से बाघ को बचाने के लिए बहुत कोशिश की जा रही है, क्योंकि बाघ की प्रजातियां बहुत कम देखने को मिल रही है।

आज के समय मे बाघो की प्रजतियों को बचाने के लिए बच्चो के स्कूलों, कॉलेज मे भी शिक्षकों द्वारा बाघ बचाओ की जानकारियां दी जाती है हैं। क्योंकि बाघ हमारा राष्ट्रीय पशु होता है, अतः इसकी प्रजतियों को विलुप्त होने से बचाना हम सभी लोगो का कर्तव्य होता है।

बाघो की प्रजतियों को बचाने के लिए सरकार द्वारा सन 1973 मे सरकार द्वारा प्रोजेक्ट टाइगर रिजर्व की स्थापना की गई। जिससे विलुप्त हो रहे टाइगरो को बचाने के लिये पूरी सुरक्षा के साथ बाघो को रखा जा सके।

भारतीय संस्कृति मे बाघों का महत्व :-

भारतीय संस्कृति के अनुसार माँ दुर्गा का वाहन बाघ है और माँ दुर्गा की पूजा के साथ बाघो की भी पूजा जाता है। भारत मे कई जगहों पर उनकी पूजा की जाती है। राष्ट्रीय पशु होने की वजह से इस संस्कृति को काफ़ी महत्व दिया जाता है।

निष्कर्ष :-

बाघ को हमारे देश का राष्ट्रीय पशु मना जाता है और यह हमारे देश की शान भी है। यह अन्य जानवरो की तुलना मे सबसे ज्यादा शक्तिशाली पशुओ मे से एक होता है, इसकी प्रजातियों के विलुप्त होने के कारण सारा जंगल खाली -खाली सा लगता है।

इसलिए हर एक व्यक्ति को बाघ के विलुप्त हो रही प्रजतियों को बचाने के लिये हर तरह से प्रयत्न करना चाहिए ताकि आने वाले समय मे हमारी प्रत्येक पीढ़ियाँ बाघ की प्रजातियों को देख सके।

बाघ (टाइगर) पर निबंध 700 शब्दों में

बाघ एक हिंसक एवं क्रूर जानवर हैं जो अन्य छोटे जीवों का भक्षण कर अपना जीवन निर्वाह करता हैं. बाघ को जंगल का सबसे अधिक शक्तिशाली, तीव्र एवं आकर्षक प्राणी माना जाता हैं. बाघ का प्राकृतिक आवास जंगल ही हैं. और अमूमन इनके दर्शन जंगलों में ही होते हैं.

मानव द्वारा तीव्र गति से वनों की कटाई के चलते ये तेजी से मानव बस्तियों की ओर आते पाए गये हैं. भारत में दो तरह के बाघ विशेष तौर पर पाए जाते हैं. रूस के साइबेरियन मूल के टाइगर जो केवल पर्वतीय क्षेत्रों में ही बसते हैं. दुसरे रॉयल बंगाली टाइगर ये घने जंगलों में ही निवास करते हैं.

बाघ प्राकृतिक जल स्रोतों तालाब,  नदी,  झील  के निकट विचरण करते देखे जा सकते हैं.  क्योंकि इन  स्थानों पर उन्हें शिकार आसानी से मिल जाता हैं. भारत में बाघ के शिकार को गैर कानूनी घोषित किया गया हैं.

फिर भी चीन जैसे देशों में बाघ के शरीर के अंगों, खाल (त्वचा), हड्डियों, दाँतों,नाखूनों की बड़ी मात्रा में मांग के कारण चंद पैसों की लालच में लोग बाघों का शिकार करने से बाज नहीं आते.

बाघों की चोरी छिपे तस्करी के चलते सरकारी प्रयासों के बावजूद तेजी से कमी पाई गई हैं. दुनियां के सर्वाधिक लगभग 70 प्रतिशत बाघ भारत में ही पाए जाते हैं.

भारत के अतिरिक्त बांग्लादेश, कम्बोडिया, थाइलैंड, लॉस, चीन, इन्डोनेशिया, म्यांमार, नेपाल, मलेशिया, रुस, वियतनाम, भूटान इन देशों में भी बाघों की अच्छी खासी संख्या हैं. भारत में बाघ को विलुप्त होने वाले प्राणियों की सूची में डाल दिया गया हैं.

बाघ की पहचान

कोई भी व्यक्ति बाघ की शिनाख्त आसानी से कर सकता हैं. आमतौर बाघ दिन में सोता है तथा रात में ही अपना शिकार करता हैं. बाघ की लम्बाई १२ से १३ फीट तथा इसका वजन १५० किमी तक होता हैं. इसके शरीर पर काले रंग की धारियां इसे शेर जैसे जानवर से अलग रूप देती हैं.

बाघ दौड़ने में बेहद तीव्र होता हैं यह अपने शिकार का पीछा कर उन्हें मार डालता हैं. 7 से 10 फीट की दूरी वह अपनी एक छलांग में तय करता हैं. मजबूत दांत व तीखे जबड़े में अपने शिकार को उठाकर इच्छित जगह पर ले जाने में मदद करता हैं. बाघ की लम्बी पूंछ उनके शारीरिक संतुलन में मददगार साबित होती हैं.

भारत का राष्ट्रीय पशु

बाघ के शारीरिक स्वरूप तथा इसकी विशेषताओं के कारण ही इन्हें भारत का राष्ट्रीय पशु बनाया गया हैं. जंगल का राजा और रॉयल बंगाल टाइगर जैसे उत्कृष्ट नामों वाले बाघ की शक्ति, स्फूर्ति एवं इच्छा शक्ति अद्वितीय हैं.

भारत का राष्ट्रीय पशु बंगाली टाइगर है, वर्ष 1973 में इसे राष्ट्रीय पशु के रूप में मान्यता दी गई थी, बाघ से पहले शेर भारत को भारत के नेशनल एनिमल के रूप में मान्यता प्राप्त थी.

Amazing Facts about Tiger in Hindi बाघ के बारे में रोचक तथ्य

  1. बाघ सुनने की शक्ति इतनी तीक्षण होती हैं कि वह वायु से पत्तों के हिलने की ध्वनि और घास पर किसी जानवर के चलने की ध्वनि में अंतर कर सकता हैं.
  2. वर्ष 2010 से प्रतिवर्ष 29 जुलाई को वर्ल्ड टाइगर डे मनाया जाता हैं.
  3. धुर्वीय और भूरे भालू के बाद बाघ अब तक का ज्ञात सबसे बड़ा मांसाहारी जानवर भी हैं.
  4. सामान्यतः बाघों के प्राकृतिक आवास में उनकी आयु दस वर्ष तक होती हैं, जबकि चिड़ियाघर के बाघ इससे दुगुनी आयु तक जीवित रहते हैं.
  5. अब तक बाघ की नौ प्रजातियों को चिन्हित किया गया हैं, जिनमें से तीन प्रजातियाँ लुप्त हो चुकी हैं.
  6. बाघ के शरीर का सबसे मजबूत अंग उसके पैर होते हैं, कई बार मृत्यु के बाद भी बाघ अपने पैरों पर खड़े रहते हैं. मनुष्य की भांति बाघ की धारियों के फिंगरप्रिंट भी यूनिक होते हैं.
  7. संसार के सबसे अधिक बाघ भारत में हैं, भारत में बाघों की संख्या की लिहाज से कर्नाटक का प्रथम स्थान हैं.
  8. बाघ की आवाज की तीव्रता बहुत अधिक होती हैं, यह 18 हर्ट्ज तक की ध्वनि निकालता हैं, जिसे करीब तीन किलोमीटर तक सुना जा सकता हैं.

बाघ बचाओ अभियान (टाइगर प्रोजेक्ट)

वन एवं वन्य जीव विभाग भारत सरकार द्वारा प्रति चार वर्ष में बाघों की गणना कर उनके आंकड़े रिलीज किये जाते हैं. निरंतर कम हो रहे बाघों को विलुप्त होने से बचाने के लिए टाइगर प्रोजेक्ट स्कीम को १९७३ में शुरू किया गया.

नेशनल कार्बेट उद्यान से इसकी शुरुआत की गई. इस अभियान द्वारा बाघ प्रजनन से उनकी वृद्धि  बचे हुए बाघों को सुरक्षा देकर संरक्षण करना इसका मूल उद्देश्य था.

2014 की बाघ गणना में टाइगर प्रोजेक्ट का सकारात्मक प्रभाव देखा गया. वन विभाग के अनुसार पिछली बाघ गणना की तुलना में इस बार 30 प्रतिशत बाघों की बढ़ोतरी दर्ज हुई हैं. इसके साथ ही भारत में बाघ की कुल संख्या २२५० के पार पहुँच गई हैं.

इतना सब होने के उपरान्त भी हर साल 100 से अधिक बाघ या तो शिकारियों के हाथों मारे जाते हैं अथवा किसी दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं.

बाघ संरक्षण के लिए प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जिम कार्बेट से टाइगर प्रोजेक्ट की शुरुआत वर्ष १९७३ में शुरू की थी. वर्ष २०२३ में इस प्रोजेक्ट के ५० वर्ष पूरे हो गये हैं. जारी नवीन आंकड़ों के अनुसार भारत में बाघों की संख्या २६८ से बढ़कर इन ५० वर्षों में 3167 हो गई हैं.

बाघ का महत्व

बाघ का अपना प्राकृतिक महत्व तो हैं ही साथ ही यह राष्ट्रीय महत्व से जुड़ा विषय भी हैं. बाघ के महत्व को ध्यान में रखते हुए भारतीय मुद्रा पर इसके चित्र को लगाया गया हैं.

बंगाल टाइगर को डाक टिकट व नोटों पर स्थान दिया गया हैं. इसके अतिरिक्त प्राकृतिक संतुलन में बाघ जैसे हिंसक जानवरों का अहम योगदान हैं.

यदि बाघ खत्म हो गये जंगल में उन शाकाहारी जन्तुओं की संख्या अनियंत्रित रूप से बढ़ेगी, जो इसके आहार हैं. ऐसी स्थिति में शाकाहारी जन्तु घास, पेड़ पौधों को समाप्त कर देगे.

इससे जंगल का स्वरूप पूरी तरह से बिगड़ जाएगा. इस तरह की प्राकृतिक अस्थिरता से बचने के लिए बाघों का संरक्षण कर उन्हें बचाना आवश्यक हो गया हैं.

वर्ष 2020 में अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस टाइगर डे 29 जुलाई को मनाया गया। इस बार के वैश्विक कार्यक्रम की थीम देयर सरवाइवल इन अवर हैंड्स रखा गया था।

दुनिया के 70 फीसदी बाघ भारत मे पाए जाते है, ये प्रत्येक भारतीय के लिए गौरव और जिम्मेदारी भरा अवसर है। आज हमारे देश मे कुल बाघों की संख्या 2967 हैं।

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