व्यावसायिक शिक्षा का महत्व पर निबंध | Essay On Vocational Education In Hindi

व्यावसायिक शिक्षा का महत्व पर निबंध Essay On Vocational Education In Hindi: शिक्षा जीवन भर चलने वाली एक प्रक्रिया हैं. एक आम व्यक्ति के सम्पूर्ण विकास में सहायक होती हैं.

शिक्षा का उद्देश्य इसके द्वारा लोगों की आर्थिक स्थिति में निरंतर विकास एवं  उनके जीवन स्तर में विकास कर समाज में सुख शांति स्थापित करना हैं.

Vocational Education में हम जानेगे  व्यावसायिक शिक्षा का महत्व, व्यावसायिक शिक्षा योजना परिभाषा लाभ क्षेत्र पीडीएफ अर्थ आदि को समझेगे.

व्यावसायिक शिक्षा पर निबंध Essay On Vocational Education In Hindi

व्यावसायिक शिक्षा का महत्व पर निबंध | Essay On Vocational Education In Hindi

व्यावसायिक शिक्षा क्या हैं (vocational education and training definition meaning)

जीवन में  शिक्षा  के द्वारा सुख  शान्ति की  स्थापना के लिए इसे रोजगारोन्मुखी  बनाना अनिवार्य हैं. इसके लिए व्यावसायिक शिक्षा पर जोर दिया जा रहा हैं.

व्यवसायिक शिक्षा के सन्दर्भ में लोग यह मानते हैं कि उसका उद्देश्य केवल पुरुषों को  शिक्षा देना हैं. यह किसी भी दृष्टिकोण से सही नहीं हैं.

स्त्रियों को भी व्यावसायिक शिक्षा प्रदान कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना देश के विकास के दृष्टिकोण से अनिवार्य हैं. इसलिए व्यावसायिक शिक्षा के  अंतर्गत पुरुषों व स्त्रियों  दोनों को समान अवसर उपलब्ध करवाया जाता हैं.

भारत में व्यावसायिक शिक्षा (Vocational Education in hindi)

चूँकि समाज एवं देश में समय के अनुसार परिवर्तन होते रहते हैं. इसलिए शिक्षा के उद्देश्यों में भी समय के साथ परिवर्तन होते हैं.

वर्तमान समय की आवश्यकता के अनुसार विज्ञान की शिक्षा, कार्यानुभव एवं व्यावसायिक शिक्षा पर जोर दिया जाना महत्व पूर्ण हैं.आधुनिक युग में मानव संसाधन के रूप में विकास में शिक्षा की प्रमुख भूमिका होती हैं.

उचित शिक्षा के अभाव में मनुष्य कार्यकुशल नहीं बन सकता. कार्यकुशलता के बिना व्यावसायिक एवं आर्थिक सफलता की प्राप्ति नहीं की जा सकती हैं.

व्यावसायिक शिक्षा की बढ़ती आवश्यकता व महत्व (growing need vocational education article)

समय समय पर शिक्षा को अधिक उपयोगी एवं इसके उद्देश्यों को अधिक सार्थक बनाने के दृष्टिकोण से विभिन्न शिक्षा आयोगों का गठन किया गया.

लगभग सभी शिक्षा आयोगों ने व्यवसायिक शिक्षा के महत्व को स्वीकार करते हुए इससे सम्बंधित सुझाव दिए दौलतसिंह कोठारी की अध्यक्षता वाले भारतीय शिक्षा आयोग ने भी यह माना कि राष्ट्र की समृद्धि, औद्योगिकी करण द्वारा उसके मानवीय एवं भौतिक साधनों के प्रभावशाली उपयोग पर निर्भर है.

भारत की विशाल मानव संसाधन शक्ति तब ही लाभप्रद हो सकती हैं, जब वह शिक्षा प्राप्त करने के बाद रोजगार प्राप्त करने में भी सक्षम हो. इस आयोग ने व्यावसायिक, प्राविधिक और अभियांत्रिकी की शिक्षा पर बल देते हुए व्यावसायिक शिक्षा के संदर्भ में कई सुझाव दिए.

व्यावसायिक शिक्षा के संबंध में आयोग की सिफारिशे (speech on vocational education in india)

इस आयोग ने कहा कि शिक्षा को उत्पादकता से जोड़ने के लिए यह जरुरी हैं कि व्यावसायिक शिक्षा पर जोर दिया जाए.

शिक्षा के व्यावसायीकरण के सन्दर्भ में इस आयोग ने जो सुझाव दिए वो इस प्रकार हैं माध्यमिक शिक्षा का विशेष  रूप से अधिक अधिक व्यावसायीकरण किया जाना चाहिए.

इसके लिए विद्यालय स्तर पर व्यावसायिक पाठ्यक्रम लागू किया जाना चाहिए, इसमें इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि निम्न माध्यमिक कक्षा स्तर पर 20 प्रतिशत तथा उच्च माध्यमिक कक्षा स्तर पर 50 प्रतिशत छात्र व्यावसायिक शिक्षण प्राप्त करे.

कुशल तथा अर्द्ध कुशल कारीगरों के यथोचित प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाए. इसके लिए आई टी आई,जूनियर टेक्निकल स्कूल एवं टेक्निकल हाई स्कूल खोले जाएं.

व्यावसायिक शिक्षा के लाभ गुण फायदे व महत्व (short essay on importance of vocational education)

व्यावसायिक शिक्षा देश की कई प्रकार की आर्थिक समस्याओं जैसे बेरोजगारी, निर्धनता, आर्थिक समानता, आदि के समाधान में सहायक सिद्ध होगी.

इससे छात्रों की रोजगार  पाने की क्षमता बढ़ेगी,  कुशल जनशक्ति की मांग  और आपूर्ति के बीच अस्त व्यस्त असंतुलन कम होगा.

और बिना विशेष रुचि तथा प्रयोजन के उच्चतर अध्ययन जारी रखने वाले छात्रों के लिए विकल्प उपलब्ध हो जाएगा. इस तरह व्यावसायिक शिक्षा के कारण देश में तेजी से आर्थिक विकास होगा.

वोकेशनल एड्यूकेशन पर लेख (short article on vocational education)

व्यावसायिक शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की व्यवस्था की जानी चाहिए. इसके लिए इन पाठ्य क्रम एवं उद्योग धंधों के बीच तालमेल स्थापित किया जाना चाहिए.

ग्रामीण लड़कियाँ जो बहुत कम आयु में स्कूल छोड़ने के लिए विवश हो जाती हैं,  उनके  लिए  गृह विज्ञान या सिलाई, कला और शिल्प इत्यादि जैसे घरेलू उद्योगों से सम्बन्धित पूर्ण कालिक या अंशकालिक पाठ्यक्रमों की व्यवस्था की जानी चाहिए.

गाँवों में  फलों की खेती,  फूलों की खेती,  मधुमक्खी पालन,  मशरूम उत्पादन जैसे  कृषि सम्बन्धी पाठ्यक्रमों की व्यवस्था की जानी चाहिए.

स्वास्थ्य, वाणिज्य, प्रशासन छोटे पैमाने के उद्योगों और सभी सेवाओं में तरह तरह के दूसरे पाठ्यक्रम विकसित किये जाने चाहिए. जो छः महीने से लेकर तीन वर्षों तक के हो सकते हैं.

सारांश (gaining popularity of vocational education)

पिछले कुछ वर्षों में भारत ने तेजी से प्रगति की हैं एवं वैश्विक मंदी का इस पर प्रतिकूल प्रभाव नही पड़ा हैं. तो इसके पीछे हमारी व्यावसायिक शिक्षा का ही हाथ हैं.

छात्रों का रुझान पारम्परिक शिक्षा के बदले व्यावसायिक शिक्षा की ओर बढ़ा हैं. चिकित्सा, कृषि, अभियांत्रिकी, विज्ञान, तकनीक, औषधि विज्ञान, कंप्यूटर, सूचना प्रोद्योगिकी इत्यादि से सम्बन्धित विभिन्न बहुत से व्यावसायिक कोर्स में नामांकन करवाने वाले छात्रों की संख्या में वृद्धि हुई हैं.

शीघ्र रोजगार प्राप्त करने या स्वरोजगार के उद्देश्य से दसवीं के बाद अधिक संख्या में छात्र अब आई टी आई एवं पोलिटेक्निक जैसे व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेना चाहते हैं.

लेकिन समस्या यह होती हैं कि छात्रों की तुलना में संस्थानों में सीटें कम होती हैं. यदि व्यावसायिक शिक्षा को हम बढ़ाना चाहते हैं तो इसके लिए नयें व्यावसायिक संस्थानों के साथ साथ विभिन्न रोजगारउन्मुखी पाठ्यक्रमों की सीटों की संख्या में भी बढ़ोतरी करनी होगी.

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