भारतीय संविधान की विशेषताएं Features of Indian Constitution in Hindi: भारतीय संविधान विश्व का अनूठा संविधान है, इसकी अनेक ऐसी विशेषताएं है जो इसे विश्व के अन्य संविधानों से अलग करती है. भारतीय संविधान की विशेषताएं ये है.
भारतीय संविधान की विशेषताएं Features of Indian Constitution Hindi
विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान (World’s largest written constitution)
भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा संविधान है. संविधान केवल संघ सरकार की शासन व्यवस्था का प्रावधान है. अपितु राज्यों की प्रशासनिक व्यवस्था का भी उसमे वर्णन है, इसके विपरीत संयुक्त राज्य अमेरिका का संविधान तुलनात्मक रूप से छोटा संविधान है.
इसका कारण यह है, कि वहां के राज्यों के अपने अलग संविधान है, जबकि भारत में राज्यों के अलग संविधान नही है, अपवादस्वरूप जम्मू कश्मीर राज्य का अपना संविधान है.
संघात्मक व्यवस्था (Federal system)
संघ सरकार और राज्य सरकार के आपसी सम्बन्धो के आधार पर संविधान दो प्रकार के होते है. संघात्मक एवं एकात्मक. जिस संविधान के द्वारा संघ सरकार एवं राज्य सरकारों के बिच शक्तियों बंटवारा हो और इस बंटवारे की स्वतंत्रता के लिए स्वतंत्र न्यायपालिका हो, उसे संघात्मक व्यवस्था कहते है.
भारतीय संविधान द्वारा संघ सरकार और राज्य सरकारों के बिच तीन सूचियाँ- संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची द्वारा शक्तियों का बंटवारा किया गया है. भारत के विशाल आकार विविधता, बड़ी जनसंख्या आदि के कारण संघात्मक व्यवस्था अपनाना स्वाभाविक है.
एकल नागरिकता (Single citizenship)
यह भारतीय संविधान की अनुपम विशेषता है. सामान्यत संघीय व्यवस्था में दोहरी नागरिकता होती है. एक देश की एवं दूसरी उस राज्य की जहाँ वे रहते है, जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका में लेकिन भारत में संघात्मक व्यवस्था होते हुए भी इकहरी नागरिकता का प्रावधान किया गया है.
हम सब भारतीय नागरिक राज्य में निवास करने का अर्थ राज्य की अलग नागरिकता नही है. यह भारत राष्ट्र की एकता और राष्ट्रीय एकीकरण में सहायक है.
संसदात्मक व्यवस्था (Parliamentary system)
सरकार के तीन अंग होते है. व्यवस्थापिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के आपसी संबंधो के आधार पर संविधान संसदात्मक या अध्यक्षात्मक हो सकता है.
भारत की कार्यपालिका अर्थात प्रधानमन्त्री एवं मंत्रिपरिषद अपने कार्यों एवं कार्यकाल के लिए व्यवस्थापिका अथवा संसद के प्रति उत्तरदायी होती है. ऐसी व्यवस्था को संसदात्मक व्यवस्था कहते है.
न्यायपालिका की स्वतंत्रता (Independence of judiciary)
न्यायपालिका सरकार के अन्य दो अंगो से स्वतंत्र है, यह संविधान की अपनी उल्लेखनीय विशेषता है. न्यायपालिका अर्थात सर्वोच्च न्यायालय को संविधान की व्याख्या करने एवं संविधान की सुरक्षा करने का अधिकार प्राप्त है.
वयस्क मताधिकार (Adult suffrage)
भारतीय संविधान की यह एक विशिष्ट विशेषता है कि इसने भारत में बिना किसी भेदभाव के सभी को सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार दिया है.
प्रारम्भ में मताधिकार की न्यूनतम आयु 21 वर्ष थी, जिसे अब 18 वर्ष कर दिया है. दुनियाँ के अनेक देशों में वयस्क मताधिकार के लिए लम्बा संघर्ष करना पड़ा था.
लेकिन व्यापक निरक्षरता एवं अल्प राजनितिक अनुभव के बावजूद सभी भारतीयों को यह बिना किसी भेदभाव के प्राप्त हो गया.
मौलिक अधिकार (Fundamental Rights)
बिना अधिकारों के नागरिकों का सर्वागीण विकास संभव नही है. संविधान निर्माता इस बात से अवगत थे. संविधान के भाग तीन में कुल छ मौलिक अधिकार प्रदान किये गये है.
इन अधिकारों का दुरूपयोग नही हो, इसलिए इनके उपर युक्तियुक्त प्रबंध की व्यवस्था भी की गई है.
नीति निर्देशक तत्व (Policy Director Elements)
वो अधिकार व्यक्ति के विकास के लिए आवश्यक है और जिन्हें संविधान निर्माता अधिकार बनाना चाहते थे, लेकिन संसाधनो की कमी के कारण उन्हें मूल अधिकार नही बनाया जा सकता था,
उन्हें नीति निर्देशक तत्वों में शामिल किया गया, राज्य के लिए इन तत्वों को लागू करना अनिवार्य नही है. लेकिन यह राज्य के समक्ष आदर्श रूप में रहेंगे और राज्य नीति निर्माण के समय इन तत्वों से निर्देशित होगा.
संविधान के विभिन्न स्रोत (Different sources of constitution)
वर्तमान में कोई भी संविधान मौलिक होने का दावा नही कर सकता. प्रत्येक संविधान अन्य किसी संविधान से प्रेरित होता है. भारतीय संविधान के कई प्रावधान भी दूसरे संविधानो से प्रेरित है.
मौलिक अधिकारों की धारणा और स्वतंत्र व सर्वोच्च न्यायपालिका की धारणा अमेरिकी संविधान से प्रेरित है तो संसदात्मक व्यवस्था ब्रिटिश संविधान से ली गई है. गणतंत्र फ़्रांसिसी संविधान से लिया गया है, जब निति निर्देशक तत्व आयरलैंड से प्रेरित है.
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